यहोवा की सेवा करके खुशी पाना
यीशु के सत्तर चेले जब प्रचार से लौटे तो उनका दिल “आनन्द से” भरा हुआ था। उन्होंने यीशु को बताया कि उनका काम कैसा रहा। वे परमेश्वर की सेवा करके वाकई बहुत खुश थे। (लूका 10:17) परमेश्वर की सेवा करके ऐसी ही खुशी पाने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
2 सही नज़रिया: क्या आपने कभी सोचा है कि यहोवा ने आपको कितनी बड़ी आशीष दी है? उसने लोगों को अपना महान उद्देश्य बताने के लिए आपको चुना है। आज लोग इस भ्रष्ट संसार और झूठे धर्म के शिकंजे में फँसे हुए हैं। आप उन्हें आज़ाद करा सकते हैं! आप उन्हें नई दुनिया में जीने की आशा दे सकते हैं, जहाँ मेल-मिलाप और शांति होगी। ज़रा सोचिए, जब आप सच्चाई का बीज किसी ऐसे इंसान के दिल में बोते हैं जो सच्चाई को स्वीकार कर लेता है, तो यहोवा को कितनी खुशी होती होगी। इसलिए जी-जान से सेवकाई में हिस्सा लेने की कोशिश कीजिए और यहोवा की पवित्र-आत्मा के लिए प्रार्थना कीजिए। भरोसा रखिए कि वह आपको सेवकाई में ज़रूर खुशी देगा।
3 सही ट्रेनिंग: यीशु ने 70 चेलों को प्रचार के लिए भेजने से पहले उन्हें सिखाया कि प्रचार किस तरह करना चाहिए ताकि वे सफल हो सकें। सेवा सभा में भी हमें यही सिखाया जाता है। (लूका 10:1-16) सेवा सभा में हमें अजनबियों से जाकर मिलने और उनसे बातचीत शुरू करने का तरीका बताया जाता है। साथ ही यह सिखाया जाता है कि कैसे बाइबल स्टडी शुरू कर सकते हैं और चला सकते हैं। सेवा सभा में जो ट्रेनिंग दी जाती है, उस पर अमल कीजिए और प्रचार करने के तरीके में सुधार लाइए। इससे आपके मन से घबराहट निकल जाएगी और आप यह महसूस नहीं करेंगे कि मुझ में प्रचार करने की काबिलीयत ही नहीं है। इससे आपकी हिम्मत और बढ़ जाएगी और आपको खुशी भी मिलेगी।
4 भविष्य पर नज़र रखिए: परमेश्वर की सेवा करते समय यीशु को बहुत-सी तकलीफें सहनी पड़ी, मगर फिर भी उसकी खुशी कम नहीं हुई। क्यों? क्योंकि उसकी नज़र उन आशीषों पर लगी हुई थी जो आगे जाकर उसे मिलनेवाली थीं। (इब्रा. 12:2) आप भी अपने मन की आँखें, यहोवा के नाम की महिमा और नई दुनिया में मिलनेवाली आशीषों पर लगाए रखिए। इससे आपके प्रचार करने का एक मकसद होगा और आपको खुशी मिलेगी।
5 आज हमें यहोवा की सेवा करने का मौका मिला है, और सच पूछो तो यह कितना बड़ा सम्मान है! तो आइए ऐसा कहें: “हे मेरे परमेश्वर मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्न हूं।”—भज. 40:8.