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  • सुसमाचार की भेंट—आनन्द से
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हमारी राज-सेवा—1991
km 4/91 पेज 4

सुसमाचार की भेंट—आनन्द से

यीशु मसीह ने अपनी सेवकाई में बहुत आनन्द पायी। उसके लिए, उसके पिता की इच्छा करना ही उसका भोजन था। (यूहन्‍ना ४:३४) इसी तरह, पौलुस ने भी सेवकाई में अपने कार्य से बहुत आनन्द पाया। कई कठिनाइयों और उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद सेवकाई में उनके द्वारा आनन्द पाने का रहस्य क्या था? यहोवा के लिए उनकी सेवकाई एकनिष्ठ थी। परमेश्‍वर-प्रदत्त नियुक्‍त कार्यों में उन्होंने कठिन परिश्रम किया और उनके यत्नों के कारण, परिणाम आनन्द था। (यूहन्‍ना १३:१७; प्रका. १४:१३) जब आप यहोवा की सेवा करते हैं, सेवकाई में अपना आनन्द कैसे बढ़ा सकते हैं?

लोगों की सहायता करने के सम्बन्ध में विचार करें

२ यीशु मसीह और पौलुस उत्कृष्ट शिक्षक थे। उनका उद्देश्‍य सुननेवालों के दिलों तक पहुँचना था। बहुतों ने प्रतिक्रिया नहीं दिखायी, लेकिन जिन्होंने दिखायी, वे आनन्द का एक वास्तविक कारण थे। (फिलि. ४:१; लूका १५:७ से तुलना करें।) जी हाँ, लोगों को यहोवा के बारे में सीखने की मदद करना और सच्चाई के लिए उन्हें समर्थन देते देखना हमें आनन्द देता है। पहली सदी में, “अन्य जातियों के मन फेरने” की बात ने “सब भाइयों को बहुत आनन्दित किया।”—प्रेरितों १५:३.

३ आप जो जानते हैं, उसे निपुणता के साथ दूसरों को बताने के द्वारा, इस आनन्द का आप भी अनुभव कर सकेंगे। दूसरों को सत्य सिखाने में हमारी मदद के लिए यहोवा के संघटन ने उत्कृष्ट साधनों का प्रबन्ध किया है। उदाहरणार्थ, हमारे पास वार्तालाप का विषय है जो हमारी राज्य सेवा में पाया गया है। रीज़निंग पुस्तक भी मौजूद है, जिस में कई आकर्षक प्रस्तावनाएँ और लोगों द्वारा पूछे गए महत्त्वपूर्ण सवालों के जवाब हैं। जब आप सेवकाई के लिए तैयारी करते हैं, इस सम्बन्ध में विचार करें कि आप हमारी राज्य सेवा और रीज़निंग पुस्तक से प्राप्त सुझावों का, आपके क्षेत्र में रहनेवालों की मदद में कैसे उपयोग कर सकेंगे। लोगों के साथ अच्छे वार्तालाप शुरु करने के लिए तैयार रहने के द्वारा उन्हें उद्धार के मार्ग पर चलने में मदद देने के लिए कठिन परिश्रम करें। ऐसा करने से उत्पादनकारी बाइबल अध्ययन प्राप्त होंगे और हमें अपनी सेवा में अधिक आनन्द मिलेगा।—याकूब १:२५.

एक सकारात्मक मनोवृत्ति

४ आप चाहे एक प्रकाशक या एक पायनियर के रूप में सेवा कर रहे हैं, सेवकाई का लक्ष्य मन में रखें। (मत्ती २४:१४; २८:१९, २०) एक गवाही के लिए सुसमाचार का प्रचार परमेश्‍वर की ओर से एक नियुक्‍त कार्य है। यह एक विशेषाधिकार है, और हमें इस बात की क़दर करनी चाहिए कि यहोवा अपने सेवकों से जो भी माँग करता है, वह भारी नहीं है। (१ यूहन्‍ना ५:३) वह चाहता है कि उसके लोग उसकी सेवा में आनन्द पाएँ। इसके परिणामस्वरूप, चाहे कुछ लोग प्रचार कार्य की ओर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दिखाएँ, तब भी सेवकाई में आप बहुत आनन्द पा सकते हैं। ऐसा क्यों है?

५ यीशु के शिष्यों ने अपनी सेवकाई में बड़ी खुशी पायी, और उन से उसने स्पष्ट किया कि इस आनन्द का मुख्य कारण क्या होना चाहिए। (लूका १०:१७-२०) “बड़ी भीड़” के सदस्यों को भी, जिनकी प्रत्याशा पार्थिव है, आनन्द करने के कई कारण हैं। (प्रका. ७:९, १०) चाहे आपकी आशा पार्थिव हो या स्वर्गीय, केवल इस बात से, कि आप परमेश्‍वर की इच्छानुसार कर रहे हैं, आपको बड़ी खुशी मिलनी चाहिए, “क्योंकि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है।” (१ कुरि. १५:५८) यहोवा “अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिए इस रीति से दिखाया।” (इब्रा. ६:१०) एकनिष्ठ होकर यहोवा की सेवा करना उन के लिए आनन्द का एक स्रोत है, जो उस से प्रेम करते हैं।—भजन ४०:८.

६ एक मसीही को परमेश्‍वर की ओर अपनी सेवकाई में आनन्द पाना चाहिए। सेवकाई में आनन्द पाते रहें, आश्‍वस्त रहकर कि यहोवा सच्ची भक्‍ति के एक छोटे-से कार्य की भी क़दर करता है। (मरकुस १२:४१-४४ से तुलना करें।) हम सभी हमारी ‘सेवा की बड़ाई’ करते रहें और जो खुशी वह लाती है, उसका अनुभव करते रहें।—रोमि. ११:१३.

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