प्रचार काम में अपनी खुशी बढ़ाइए
क्या आप अपनी सेवकाई में वह खुशी पा रहे हैं, जो सुसमाचार सुनाने से मिलती है? अगर हम सावधान न रहें तो चारों तरफ का दुष्ट संसार हमारे अंदर ऐसा डर पैदा कर सकता है जिससे हम प्रचार करना छोड़ दें और हमारी खुशी छिन जाए। और अगर हमारे क्षेत्र में लोग हमारा संदेश सुनने से इनकार करते हैं, तब भी हमारा हौसले पस्त हो सकते हैं। प्रचार काम में अपनी खुशी बढ़ाने के लिए हम कौन-से कदम उठा सकते हैं?
2 सही नज़रिया बनाए रखिए: हमेशा सही नज़रिया बनाए रखना, वाकई मददगार होता है। ऐसा करने का एक तरीका है, “परमेश्वर के सहकर्मी” होने की अपनी अनोखी आशीष पर मनन करना। (1 कुरि. 3:9) इस काम को पूरा करने में यीशु भी हमारे साथ है। (मत्ती 28:20) और वह हमारी मदद के लिए स्वर्गदूतों की सेना को भेजता है। (मत्ती 13:41, 49) इसलिए हम यकीन रख सकते हैं कि हम जो भी मेहनत करते हैं, उसके पीछे यहोवा का हाथ है। (प्रका. 14:6, 7) इसलिए हमारे काम को इंसान चाहे किसी भी नज़र से देखें, स्वर्ग में इसकी वजह से बहुत खुशियाँ मनायी जाती हैं!
3 अच्छी तैयारी कीजिए: अच्छी तैयारी भी हमारी खुशी को बढ़ाती है। सेवकाई की तैयारी करने में बहुत ज़्यादा मेहनत नहीं लगती। नयी पत्रिकाओं या महीने की साहित्य पेशकश में से बातचीत का कोई मुद्दा चुनना बस चंद मिनटों का काम है। हमारी राज्य सेवकाई में “पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए” लेख में से कोई एक सुझाव चुनिए। जनवरी 2002 के इंसर्ट में दिया गया लेख “क्षेत्र सेवा में साक्षी देने के लिए सुझाव” से मदद लीजिए या रीज़निंग किताब से ऐसी प्रस्तावना चुनिए जो असरदार होगी। आम तौर पर प्रचार में लोग जो सवाल पूछते हैं या कोई एतराज़ करते हैं, वैसा सवाल अगर आपसे पूछा जाए, तो ऐसा जवाब तैयार कीजिए जिसमें आप उनकी कही बात को भी शामिल करें और किसी दिलचस्प विषय की ओर उनका ध्यान भी खींचें। इस तरह की तैयारी करने में रीज़निंग किताब काफी मददगार होती है। इन सभी प्रकाशनों का इस्तेमाल करने से हमें हिम्मत मिलेगी ताकि हम खुशी से प्रचार करते रहें।
4 मन लगाकर प्रार्थना कीजिए: अपनी खुशी को हमेशा कायम रखने के लिए प्रार्थना करना निहायत ज़रूरी है। हम यहोवा का काम कर रहे हैं, इसलिए हमें उसकी आत्मा पाने के लिए उससे बिनती करनी चाहिए और उसकी आत्मा का एक फल है, आनंद। (गल. 5:22) यहोवा हमें प्रचार काम लगातार करते रहने की सामर्थ देगा। (फिलि. 4:13) अपनी सेवकाई के बारे में प्रार्थना करने से, हम बुरे अनुभवों से गुज़रते वक्त भी सही नज़रिया रख पाएँगे। (प्रेरि. 13:52; 1 पत. 4:13, 14) अगर डर हम पर हावी हो रहा है, तो प्रार्थना हमारी मदद कर सकती है ताकि हम हिम्मत और खुशी से प्रचार करते रहें।—प्रेरि. 4:31.
5 मौकों की तलाश कीजिए: इसमें कोई दो राय नहीं कि जब हमें लोग मिलते हैं और हम उन्हें गवाही देते हैं, तो हमें सेवकाई में ज़्यादा खुशी मिलती है। इसलिए अगर आप अपने शेड्यूल में थोड़ा-बहुत फेरबदल करके घर-घर की सेवकाई के लिए देर दोपहर को या शाम के वक्त जाएँ तो आपको ज़्यादा कामयाबी मिलेगी। इतना ही नहीं, सड़क पर चलते, खरीदारी करते, बस में सफर करते या किसी पार्क में टहलते वक्त भी अपको लोग मिलते हैं। तो फिर, क्यों न बातचीत शुरू करने के लिए कोई मुद्दा मन में रखें और जो भी आपको दोस्ताना लगे उसके पास जाकर बातचीत शुरू करें? या शायद नौकरी की जगह पर या स्कूल में रोज़ाना आपकी मुलाकात कई लोगों से होती होगी। अगर आप बस बाइबल के किसी दिलचस्पी बढ़ानेवाले विषय को लेकर बातचीत शुरू करेंगे, तो आपके लिए गवाही देने का रास्ता खुल सकता है। जनवरी 2002 की हमारी राज्य सेवकाई के इंसर्ट के पहले पन्ने पर बढ़िया सुझाव दिए गए हैं। अब तक हमने जिन तरीकों पर गौर किया, उनमें से कोई भी तरीका अपनाने से प्रचार काम में हमारी खुशी बढ़ सकती है।
6 खुशी, हमें धीरज धरने में मदद देती है, इसलिए इसे बरकरार रखना कितना ज़रूरी है! अगर हम ऐसा करें तो जब यह कभी न दोहराया जानेवाला काम खत्म हो जाएगा तो हमें शानदार प्रतिफल मिलेगा। उस प्रतिफल को पाने की उम्मीद ही प्रचार काम में हमारी खुशी बढ़ाने के लिए काफी है।—मत्ती 25:21.