क्या आप यहोवा के धैर्य की कदर करते हैं?
अगर पिछले 10, 20 या उससे भी ज़्यादा सालों तक यहोवा धीरज नहीं रखता और प्रचार काम को और भी देशों में फैलने नहीं देता, तो क्या आपको सच्चाई सीखने का मौका मिलता? हम यहोवा के कितने शुक्रगुज़ार हैं कि उसने ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को “मन फिराव का अवसर” दिया है। फिर भी यहोवा का न्याय करने का दिन “चोर की नाई आ जाएगा।” (2 पत. 3:9, 10) इसलिए यहोवा के धैर्य का यह मतलब नहीं समझ लेना चाहिए कि वह इस बुरी व्यवस्था का अंत करने में देर कर रहा है।—हब. 2:3.
2 लोगों पर तरस खाइए: यहोवा कितना धैर्य रखता है यह हमारी समझ के बाहर है। मगर उसके धैर्य रखने का मकसद क्या है इसे हमें कभी-भी नहीं भूलना चाहिए। (योना 4:1-4, 11) यहोवा मानवजाति की बुरी हालत को देखकर उन पर तरस खा रहा है। यीशु भी बिलकुल यहोवा की तरह ही महसूस करता है। पृथ्वी पर जब यीशु ने लोगों की हालत को देखा तो उसे तरस आया और उसने उन्हें सिखाना शुरू किया। और वह चाहता था कि प्रचार का काम और भी आगे बढ़े ताकि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को अनन्त जीवन पाने का मौका मिले।—मत्ती 9:35-38.
3 क्या हमें उन लोगों की हालत देखकर उन पर तरस नहीं आता जो किसी दुर्घटना या विपत्ति का शिकार होते हैं और जिन्हें सच्चाई के बारे में कुछ भी पता नहीं है? वे इन मुसीबतों का सामना तो कर रहे हैं लेकिन यह नहीं जानते कि दुनिया में ऐसा क्यों हो रहा है। वे ‘उन भेड़ों के समान हैं, जिन का कोई रखवाला नहीं है।’ (मरकुस 6:34) जब हम ऐसे मासूम लोगों की मदद करने के लिए पूरे जोश के साथ सुसमाचार सुनाते हैं तो हमारी खबर सुनकर उन्हें कितना चैन मिलता है। साथ ही हम यह दिखाते हैं कि हम यहोवा के धैर्य रखने के मकसद को समझते हैं और उसकी कदर भी करते हैं।—प्रेरितों 13:48.
4 इस बेहद ज़रूरी काम को जल्द-से-जल्द पूरा करना है: पिछले साल 3,23,439 लोगों ने बपतिस्मा लिया और यीशु की मृत्यु का यादगार दिन मनाने के लिए 1,40,00,000 से भी ज़्यादा लोग आए। इसका मतलब है कि और भी ऐसे कितने लोग हैं जो इस दुष्ट व्यवस्था के विनाश से बच सकते हैं। इस “बड़ी भीड़” में कुल कितने लोग होंगे यह हम नहीं जानते। (प्रका. 7:9) ना ही हम यह जानते हैं कि हमें और कितनी देर तक प्रचार करते रहना होगा। मगर यहोवा सब कुछ जानता है। प्रचार का काम तब तक होता रहेगा जब तक वह चाहता है और “तब अन्त आ जाएगा।”—मत्ती 24:14.
5 हमारे पास बहुत ही कम समय रह गया है और यहोवा का दिन बस आने ही वाला है। (1 कुरि. 7:29क; इब्रा. 10:37) इसमें कोई शक नहीं कि “जिस समय हम ने विश्वास किया था, उस समय के विचार से अब हमारा उद्धार निकट है।” (रोमि. 13:11) यहोवा किस वज़ह से धैर्य रखता है आइए उसे समझने में हम कभी गलती ना करें। इसके बजाय आइए हम प्रचार जैसे बेहद ज़रूरी काम में पूरे जोश के साथ लग जाएँ ताकि जो लोग सचमुच धार्मिकता की खोज कर रहे हैं, वे दया के सागर, यहोवा का उद्धार देख सकें।