क्या आपके दिल में अपने राज्यगृह के लिए आदर है?
“देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें!” (भज. 133:1) राज्यगृह में होनेवाली सभाओं में हमें अपने भाइयों से मिलने का मौका मिलता है, ताकि हम एक-दूसरे को प्रेम और भले काम करने के लिए उकसाएँ और एक-दूसरे का हौसला बढ़ाएँ।—इब्रा. 10:24, 25.
2 हमारी ज़िंदगी में राज्यगृह की इतनी ज़्यादा अहमियत होने के कारण, क्या हमारे दिल में सचमुच इसके लिए आदर है? राज्यगृह, हमारे इलाके में एक ही ऐसी जगह है जहाँ सच्चे परमेश्वर की उपासना की जाती है। इसलिए, हमें इसकी दिल से कदर करनी चाहिए। हम सभी को इसे साफ-सुथरा और अच्छी हालत में रखने की ज़रूरत महसूस होनी चाहिए। कभी-कभी, हमारे बुक स्टडी ग्रुप को राज्यगृह की साफ-सफाई करने का काम दिया जाएगा। अगर हमारे लिए यह काम करना मुमकिन हो, तो हमें खुशी-खुशी करना चाहिए। इस तरह हम सभाओं के लिए एक साफ-सुथरी और अच्छी जगह के लिए अपनी कदरदानी दिखाएँगे।
3 चाहे सफाई करने की हमारी बारी हो या न हो, फिर भी हम सब राज्यगृह के लिए कदर दिखा सकते हैं। कैसे? एक बहुत ही आसान काम करने से। राज्यगृह के अंदर आने से पहले पायदान पर अपने जूतों को अच्छी तरह पोंछकर आएँ ताकि फर्श गंदा न हो। यह खासकर तब ज़रूरी है जब मौसम ठीक न हो। अगर हम टॉयलेट जाते हैं तो वॉश-बेसिन को इस्तेमाल करने के बाद इसे पोंछकर अगले व्यक्ति के लिए साफ-सुथरा छोड़िए। जो भाई साहित्य और पत्रिका विभाग को सँभालते हैं वे खाली बक्सों को जल्द-से-जल्द हटाकर, राज्यगृह के लिए कदर दिखा सकते हैं। सारा कचरा, कचरे के डिब्बों में ही डाला जाना चाहिए। अगर हम ज़मीन पर कोई कागज़ या कूड़ा पड़ा हुआ देखते हैं तो यह सोचने के बजाय कि कोई और इसे उठा लेगा, हमें खुद इसे उठाकर कूड़ेदान में डाल देना चाहिए।
4 यही नियम तब भी लागू होते हैं जब हम सम्मेलन या अधिवेशन में जाते हैं। सम्मेलन की जगह, शुद्ध उपासना करने की जगह है। इसलिए यह आदर के साथ इस्तेमाल की जानी चाहिए, चाहे यह हमारे अपने सम्मेलन-गृह हों या किराए पर ली गयी कोई दूसरी इमारत ही क्यों न हो। अपनी जगह छोड़ने से पहले यह देख लीजिए कि आपने आस-पास कहीं कोई कूड़ा तो नहीं छोड़ दिया। दूसरों की मदद करने का रवैया रखिए, यह मत सोचिए कि जिन लोगों को सफाई का ज़िम्मा दिया गया है, वे इसे भी साफ कर लेंगे।
एक ही राज्यगृह इस्तेमाल करना
5 ज़मीन और मकानों की ऊँची कीमतों की वजह से, कई जगहों पर एक ही राज्यगृह को कई कलीसियाएँ इस्तेमाल करती हैं। शहरों में तो एक ही राज्यगृह को पाँच या छः कलीसियाएँ इस्तेमाल करती हैं। हर कलीसिया को राज्यगृह की देखभाल करनी चाहिए और यह समझना चाहिए कि यह यहोवा की अमानत है और उसकी उपासना के लिए इस्तेमाल होती है। तो फिर, अगर हम यहोवा के साथ-साथ दूसरी कलीसियाओं के उन भाइयों से भी प्रेम करते हैं जो हमारे साथ राज्यगृह का इस्तेमाल कर रहे हैं तो इसके लिए हमारे दिल में ज़रूर आदर होगा।
6 आम तौर पर, राज्यगृह की साफ-सफाई हफ्ते में एक बार होती है। जहाँ एक ही राज्यगृह में कई कलीसियाएँ मिलती हैं, वहाँ हर सभा के बाद थोड़ी-बहुत साफ-सफाई की जानी चाहिए, ताकि अगली कलीसिया की सभा के लिए राज्यगृह साफ-सुथरा हो। ऐसा रविवार के दिन भी किया जाना चाहिए जब एक कलीसिया की सभा खत्म होते ही दूसरी कलीसिया के भाई-बहन आने लगते हैं। जो थोड़ा-बहुत समय मिलता है उसी में अगली कलीसिया की सभा के लिए थोड़ी साफ-सफाई करना अच्छा होगा। जब कई कलीसियाओं की सभा एक ही दिन होती हो और अगर कोई भी सफाई करने का ध्यान न रखे, तो आखिरी सभा के बाद राज्यगृह काफी गंदा हो जाएगा।
7 जैसे हम आध्यात्मिक मामलों में “एक ही मन और एक ही मत होकर मिले” रहते हैं, वैसे ही हम अपने दिलों से राज्यगृहों के लिए आदर रखने में भी एक हों।—1 कुरि. 1:10.