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  • हमारी राज-सेव—2001
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  • सितंबर 10 से शुरू होनेवाला सप्ताह
  • सितंबर 17 से शुरू होनेवाला सप्ताह
  • सितंबर 24 से शुरू होनेवाला सप्ताह
  • अक्टूबर 1 से शुरू होनेवाला सप्ताह
हमारी राज-सेव—2001
km 9/01 पेज 2

सेवा सभा की तालिका

सितंबर 10 से शुरू होनेवाला सप्ताह

गीत 23 (200)

10 मि: कलीसिया की घोषणाएँ और हमारी राज्य सेवकाई से चुनिंदा घोषणाएँ।

13 मि: कलीसिया की ज़रूरतें।

22 मि: “क्या आप अपनी सेवकाई अच्छी तरह पूरी कर रहे हैं?”a श्रोताओं के साथ पैराग्राफ 1-3 पर चर्चा करने के बाद जुलाई–सितंबर की सजग होइए! और सितंबर 15 की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाओं को पेश करने के दो छोटे प्रदर्शन करवाइए। पैराग्राफ 4 पर चर्चा करने के बाद दिए गए सुझाव पर ज्ञान किताब से एक प्रदर्शन करवाइए।

गीत 13 (124) और प्रार्थना।

सितंबर 17 से शुरू होनेवाला सप्ताह

गीत 18 (162)

15 मि: कलीसिया की घोषणाएँ। अकाउंट्‌स रिपोर्ट। “यह इंडेक्स में है।” बताइए कि सृष्टि किताब देने के सुझाव कैसे ढूँढ़े जा सकते हैं।

15 मि: पिछले साल हमारी सेवा कैसी रही? सर्विस ओवरसियर का भाषण। कलीसिया की 2001 सेवा-वर्ष की रिपोर्ट से कुछ खास बातें बताइए। जिन बातों में कलीसिया की रिपोर्ट अच्छी रही, उसके लिए सभी की तारीफ कीजिए। इस बात पर ध्यान दिलाइए कि कलीसिया की सभाओं की हाज़िरी कैसी रही, प्रचार काम कैसा रहा और कितने बाइबल अध्ययन चलाए गए। अगले साल के लिए ऐसे लक्ष्य रखिए जिन्हें हासिल करना मुमकिन हो।

15 मि: प्रश्‍न बक्स। एक भाषण। बताइए कि कलीसिया ने हफ्ते भर की क्षेत्र सेवकाई की सभाओं के लिए क्या इंतज़ाम किया है। समझाइए कि जो इस सभा में हाज़िर होते हैं, वे कैसे चर्चा में हिस्सा लेकर सभा को फायदेमंद बना सकते हैं। इन इंतज़ामों में सहयोग देने के लिए कलीसिया को उकसाइए।

गीत 18 (162) और प्रार्थना।

सितंबर 24 से शुरू होनेवाला सप्ताह

गीत 6 (45)

15 मि: कलीसिया की घोषणाएँ। “पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए” में दिए गए सुझावों का इस्तेमाल करते हुए दो प्रदर्शन दिखाइए। एक प्रदर्शन जुलाई–सितंबर की सजग होइए! और दूसरा, अक्टूबर 1 की प्रहरीदुर्ग पेश करने के बारे में होना चाहिए।

30 मि: परमेश्‍वर से प्रेम रखो—ना कि संसार की वस्तुओं से। (1 यूह. 2:15-17) पिछले सेवा-वर्ष के दौरान हुई सर्किट असेंबली के कार्यक्रम पर भाषण और श्रोताओं के साथ चर्चा। प्रकाशकों से पूछिए कि उन्होंने कौन-से खास मुद्दे सीखे हैं और किस तरह उन्होंने इन मुद्दों को निजी तौर पर और परिवार के तौर पर लागू किया है। (भाग पहले से ही सौंपे जा सकते हैं।) कार्यक्रम के इन भाषणों पर चर्चा कीजिए: (1) “परमेश्‍वर के लिए प्रेम हमें प्रचार में निकलने की प्रेरणा देता है।” हो सकता है हम शर्मीले हैं या खुद को इस काम के नाकाबिल समझते या लोगों से डरते हैं, जिस वजह से प्रचार में निकलना हमें मुश्‍किल लगता हो। लेकिन अगर हमारे अंदर परमेश्‍वर के लिए प्यार होगा, तो हम ऐसी भावनाओं पर काबू पा सकते हैं। (2) “यहोवा के प्रेमी, बुराई से घृणा करते हैं।” (w-HI99 10/1 28-31) परमेश्‍वर के साथ हमारा रिश्‍ता इस बात पर निर्भर करता है कि हम ऐसी बातों से नफरत करें जिनसे यहोवा नफरत करता है। इनमें ऐसी बातें भी शामिल हैं जो शायद दिखने में इतनी बुरी न लगें मगर वे हमें बुरे कामों में फँसा सकती हैं। (3) “प्रेम के सबसे उत्तम मार्ग पर चलिए।” (w92 7/15 27-30) पहला कुरिन्थियों 13:4-8 बताता है कि क्यों हमें एक-दूसरे की असिद्धता सह लेनी चाहिए, एक-दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ और स्वार्थी बनने से बचना चाहिए। साथ ही, दूसरों के बारे में अफवाहें नहीं फैलानी चाहिए और परमेश्‍वर के संगठन के वफादार बने रहना चाहिए। (4) “संसार में की वस्तुएँ—हम उन्हें किस नज़र से देखते हैं?” हमें सांसारिक चीज़ों से प्यार नहीं करना चाहिए, शरीर की और आँखों की अभिलाषाओं के आगे नहीं झुकना चाहिए, साथ ही अपनी धन-दौलत का दिखावा नहीं करना चाहिए। (5) “दुनिया से अलग रहने से हम सुरक्षित रहते हैं।” दूसरा कुरिन्थियों 6:14-17 में कुछ ऐसे विश्‍वासों, रीति-रिवाज़ों और कामों के बारे में बताया गया है जिन्हें करने पर हम परमेश्‍वर की नज़रों से गिर सकते हैं। शैतान हमारे रास्ते में जो फंदे डालता है उनसे बचने के लिए हमें समझदारी से काम लेना चाहिए। (6) “परमेश्‍वर से प्रेम रखनेवालों के लिए परमेश्‍वर के वादे।” (w-HI87 11/1 5-6) यहोवा की आशीष हमारी खुशी बढ़ाती है और हम आध्यात्मिक तौर पर फलते-फूलते हैं।—1 तीमु. 6:17-19.

गीत 3 (32) और प्रार्थना।

अक्टूबर 1 से शुरू होनेवाला सप्ताह

गीत 7 (51)

10 मि: कलीसिया की घोषणाएँ। प्रकाशकों को याद दिलाइए कि वे सितंबर की क्षेत्र सेवकाई की रिपोर्ट डाल दें।

15 मि: मैं स्कूल की पढ़ाई और अच्छी तरह कैसे कर सकता हूँ? एक प्राचीन और उसकी पत्नी, या सहायक सेवक और उसकी पत्नी अपने स्कूल जानेवाले बच्चे से बात करते हैं। माता-पिता, बच्चे के बारे में काफी फिक्रमंद हैं क्योंकि बच्चा पढ़ाई में पीछे जा रहा है। युवाओं के प्रश्‍न किताब के 18वें अध्याय में दी गयी सलाहों पर वे विचार करते हैं कि बच्चा किस तरह सुधार कर सकता है। माता-पिता इस बात पर ज़ोर देते हैं कि बुनियादी शिक्षा पाना कितनी ज़रूरी है क्योंकि यह हमें परमेश्‍वर की सेवा में अपनी काबिलीयतों का पूरा-पूरा इस्तेमाल करने में मदद दे सकता है।

20 मि: “क्या यह प्रचार में बाधा है?”b इस बात पर ज़ोर दीजिए कि अपने काम-काज में संतुलन रखने की ज़रूरत है, ताकि परमेश्‍वर के राज्य के काम को पहला स्थान दिया जा सके। कुछ परिवारों के मुखियाओं से पूछिए कि वे अपनी आध्यात्मिक बातों को नज़रअंदाज़ किए बिना अपना घर चलाने की चुनौती का सामना कैसे कर पाते हैं।

गीत 11 (85) और प्रार्थना।

[फुटनोट]

a एक मिनट से भी कम समय में लेख का परिचय दीजिए और फिर सवाल-जवाब के साथ चर्चा कीजिए।

b एक मिनट से भी कम समय में लेख का परिचय दीजिए और फिर सवाल-जवाब के साथ चर्चा कीजिए।

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