सन् 2002 के लिए ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल की तालिका
हिदायतें
साल 2002 के दौरान ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल के लिए ये इंतज़ाम किए गए हैं।
किताबें: प्रहरीदुर्ग [w-HI], ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है [kl-HI], बाइबल कहानियों की मेरी पुस्तक [my-HI] और वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा [gt-HI] से भाषण दिए जाएँगे।
स्कूल को समय पर शुरू करना चाहिए। स्कूल की शुरूआत गीत, प्रार्थना और स्वागत के चंद शब्दों से होगी। स्कूल ओवरसियर को यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि कार्यक्रम में किस-किस विषय पर चर्चा होगी। हर भाग से पहले वह उसका विषय बताएगा। इन हिदायतों के मुताबिक चलिए:
भाषण नं. 1: 15 मिनट। इस भाषण को एक प्राचीन या सहायक सेवक देगा और यह भाषण प्रहरीदुर्ग या ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है, से होगा। यह भाषण जब प्रहरीदुर्ग से दिया जाता है तो यह 15 मिनट का होगा और इसके आखिर में सवाल नहीं पूछे जाएँगे। और जब ज्ञान किताब से दिया जाता है तो 10 से 12 मिनट के भाषण के बाद 3 से 5 मिनट तक किताब में छपे हुए सवाल पूछने चाहिए। इस भाषण का मकसद सिर्फ दिए गए विषय की जानकारी देना नहीं है बल्कि यह समझने में कलीसिया की मदद करना है कि चर्चा किए जानेवाले विषय को हम कैसे अमल में ला सकते हैं और बताया जाना चाहिए कि यह कलीसिया के लिए कैसे फायदेमंद है। तालिका में दिए गए शीर्षक को ही इस्तेमाल करना चाहिए।
जो भाई यह भाषण देगा उसे ख्याल रखना चाहिए कि वह दिए गए समय में ही अपना भाषण खत्म करे। अगर भाषण देनेवाले भाई को सलाह देनी ज़रूरी हो या अगर भाई खुद इसकी गुज़ारिश करे तो उसे अलग से सलाह दी जा सकती है।
बाइबल पढ़ाई की झलकियाँ: 6 मिनट। इसे एक प्राचीन या सहायक सेवक देगा। यह भाई कलीसिया की ज़रूरतों को मन में रखकर असरदार तरीके से भाषण देगा ताकि कलीसिया को फायदा हो। इस भाषण के लिए किसी शीर्षक का होना ज़रूरी नहीं है। इस भाषण में बाइबल पढ़ाई के भाग का सिर्फ सारांश नहीं होना चाहिए। शुरूआत में, 30 से 60 सेकेंड में सरसरी तौर पर इन अध्यायों के बारे में बताया जा सकता है। इस भाषण का खास मकसद श्रोताओं को यह समझने में मदद करना है कि इन अध्यायों में दी गयी जानकारी उनके लिए क्यों और कैसे अनमोल है। इसके बाद स्कूल ओवरसियर भाई-बहनों को अपने-अपने क्लासरूम में जाने का निर्देश देगा।
भाषण नं. 2: 5 मिनट। यह बाइबल के एक भाग को पढ़ने का असाइनमेंट है जिसे एक भाई को दिया जाना चाहिए, चाहे वह मेन स्कूल में हो या दूसरे क्लासरूम में। पढ़ने के लिए अकसर कम आयतें दी जाती हैं ताकि भाषण की शुरूआत और आखिर में भाई उस भाग को समझानेवाली कुछ जानकारी दे सके। दिए गए भाग के बारे में ऐतिहासिक जानकारी, अगर कोई भविष्यवाणी या शिक्षा है तो उसका मतलब, और दिए गए सिद्धांतों को कैसे लागू किया जाए, इस बारे में बताया जा सकता है। दी गयी सभी आयतों को पढ़ना चाहिए और बीच में समझाने के लिए नहीं रुकना चाहिए। मगर जब सारी आयतें एक साथ नहीं हैं तो भाई बता सकता है कि वह आगे किस आयत से पढ़नेवाला है।
भाषण नं. 3: 5 मिनट। इसे किसी बहन को दिया जाना चाहिए। इसका विषय बाइबल कहानियों की मेरी पुस्तक से होगा। आपके इलाके के लिए जो सॆटिंग ठीक होगी, वह इस्तेमाल की जा सकती है और इसमें भाग लेनेवाली बहनें चाहें तो खड़ी होकर या फिर बैठकर बात कर सकती हैं। स्कूल ओवरसियर खासकर इस बात पर ध्यान देगा कि बहन किस तरह विषय को साफ तरीके से पेश करती है और बाइबल की मदद से दूसरे व्यक्ति को तर्क करने में मदद करती है। जिस बहन को यह भाग दिया जाएगा, उसे पढ़ना आना चाहिए। स्कूल ओवरसियर उस बहन के साथ सहायक के तौर पर दूसरी बहन को नियुक्त करेगा और अगर ज़रूरत पड़े तो एक तीसरे व्यक्ति को भी साथ में लिया जा सकता है। सॆटिंग पर नहीं बल्कि बाइबल को अच्छी तरह इस्तेमाल करने पर खास ध्यान देना चाहिए।
भाषण नं. 4: 5 मिनट। इस असाइनमेंट का विषय वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा, से होगा। यह असाइनमेंट नं. 4 किसी भाई या फिर किसी बहन को दिया जा सकता है। अगर भाई इसे पेश कर रहा है तो इसे एक टॉक की तरह देना चाहिए। अगर यह भाग एक बहन पेश करती है तो उसे असाइनमेंट नं. 3 के लिए दी गयी हिदायतों के मुताबिक ही पेश करना चाहिए।
बाइबल पढ़ाई का शेड्यूल: हम कलीसिया में हरेक को यह बढ़ावा देंगे कि वे हफ्ते के लिए दी गयी बाइबल पढ़ाई के मुताबिक बाइबल पढ़ें, इसके हिसाब से एक दिन के लिए एक पेज होता है।
नोट: सलाह, समय, रिटन रिव्यू और भाषणों की तैयारी के बारे में ज़्यादा जानकारी और हिदायतों के लिए अक्टूबर 1996 की हमारी राज्य सेवकाई का पेज 3 देखिए।
तालिका
जन. 7 बाइबल पढ़ाई: सभोपदेशक 1-6
गीत नं. 2 (15)
नं. 1: आपका भविष्य सुखी हो सकता है! (kl-HI पे. 6-11)
नं. 2: सभोपदेशक 4:1-16
नं. 3: सृष्टि—परमेश्वर का आश्चर्यजनक काम! (my-HI अध्याय 1)
नं. 4: सालगिरह पार्टी के दौरान हत्या (gt-HI अध्याय 51)
जन. 14 बाइबल पढ़ाई: सभोपदेशक 7-12
गीत नं. 5 (46)
नं. 1: वह पुस्तक जो परमेश्वर का ज्ञान प्रकट करती है—भाग 1 (kl-HI पे. 12-17 पैरा. 1-15)
नं. 2: सभोपदेशक 8:1-17
नं. 3: शुरूआत में पृथ्वी के लिए परमेश्वर का क्या उद्देश्य था? (my-HI अध्याय 2)
नं. 4: यीशु चमत्कारिक तरीक़े से हज़ारों को खिलाते हैं (gt-HI अध्याय 52)
जन. 21 बाइबल पढ़ाई: श्रेष्ठगीत 1-8
गीत नं. 5 (46)
नं. 1: वह पुस्तक जो परमेश्वर का ज्ञान प्रकट करती है—भाग 2 (kl-HI पे. 17-22 पैरा. 16-23)
नं. 2: श्रेष्ठगीत 5:1-16
नं. 3: यहोवा पहले मानव जोड़े की शादी कराता है (my-HI अध्याय 3)
नं. 4: एक चाहा हुआ अतिमानवीय शासक (gt-HI अध्याय 53)
जन. 28 बाइबल पढ़ाई: यशायाह 1-6
गीत नं. 6 (45)
नं. 1: सच्चा परमेश्वर कौन है? (kl-HI पे. 23-31)
नं. 2: यशायाह 2:1-17
नं. 3: हमें क्यों अपनी ज़िंदगी में हमेशा परमेश्वर की आज्ञा माननी चाहिए? (my-HI अध्याय 4)
नं. 4: “स्वर्ग से सच्ची रोटी” (gt-HI अध्याय 54)
फर. 4 बाइबल पढ़ाई: यशायाह 7-11
गीत नं. 23 (200)
नं. 1: हमें यहोवा के संगठन की ज़रूरत है (w-HI00 1/1 पे. 30-1)
नं. 2: यशायाह 8:1-22
नं. 3: जानबूझकर यहोवा की आज्ञा के खिलाफ जाने का अंजाम (my-HI अध्याय 5)
नं. 4: अनेक शिष्य यीशु का अनुगमन छोड़ देते हैं (gt-HI अध्याय 55)
फर. 11 बाइबल पढ़ाई: यशायाह 12-19
गीत नं. 9 (37)
नं. 1: अपने बारे में आपका क्या खयाल है? (w-HI00 1/15 पे. 20-2)
नं. 2: यशायाह 17:1-14
नं. 3: जलन से दूर रहिए (my-HI अध्याय 6)
नं. 4: मनुष्य को क्या दूषित करता है? (gt-HI अध्याय 56)
फर. 18 बाइबल पढ़ाई: यशायाह 20-26
गीत नं. 11 (85)
नं. 1: यहोवा के और करीब आइए (w-HI00 1/15 पे. 23-6)
नं. 2: यशायाह 22:1-19
नं. 3: यहोवा के साथ-साथ चलना (my-HI अध्याय 7)
नं. 4: दुःखियों के लिए करुणा (gt-HI अध्याय 57)
फर. 25 बाइबल पढ़ाई: यशायाह 27-31
गीत नं. 21 (191)
नं. 1: एक सितमगर को ज्ञान की रोशनी मिलती है (w-HI00 1/15 पे. 27-9)
नं. 2: यशायाह 29:1-14
नं. 3: हिंसा करनेवालों के बारे में क्या आपका नज़रिया यहोवा की तरह है? (my-HI अध्याय 8)
नं. 4: रोटियाँ और खमीर (gt-HI अध्याय 58)
मार्च 4 बाइबल पढ़ाई: यशायाह 32-37
गीत नं. 16 (143)
नं. 1: दिल में हो लगन तो सफलता चूमे कदम (w-HI00 2/1 पे. 4-6)
नं. 2: यशायाह 33:1-16
नं. 3: परमेश्वर के हर आदेश को मानने की आशीषें (my-HI अध्याय 9)
नं. 4: असल में यीशु कौन है? (gt-HI अध्याय 59)
मार्च 11 बाइबल पढ़ाई: यशायाह 38-42
गीत नं. 21 (191)
नं. 1: माँ की बुद्धि-भरी सलाह (w-HI00 2/1 पे. 30-1)
नं. 2: यशायाह 42:1-16
नं. 3: ज़िंदगी बचाने के लिए आज्ञा मानना ज़रूरी है (my-HI अध्याय 10)
नं. 4: मसीह की राज्य महिमा का पूर्वदर्शन (gt-HI अध्याय 60)
मार्च 18 बाइबल पढ़ाई: यशायाह 43-47
गीत नं. 29 (222)
नं. 1: खतरे की रेखा पार मत कीजिए! (w-HI00 2/15 पे. 4-7)
नं. 2: यशायाह 44:6-20
नं. 3: परमेश्वर यकीन दिलाता है कि उसे इंसानों की परवाह है (my-HI अध्याय 11)
नं. 4: दुष्टात्मा-ग्रस्त लड़का चंगा किया गया (gt-HI अध्याय 61)
मार्च 25 बाइबल पढ़ाई: यशायाह 48-52
गीत नं. 6 (45)
नं. 1: प्रार्थना की ताकत (w-HI00 3/1 पे. 3-4)
नं. 2: यशायाह 49:1-13
नं. 3: परमेश्वर के विरोध में अपनी काबिलीयत और ताकत दिखानेवालों पर उसका प्रकोप आता है (my-HI अध्याय 12)
नं. 4: विनयशीलता में एक सबक़ (gt-HI अध्याय 62)
अप्रै. 1 बाइबल पढ़ाई: यशायाह 53-59
गीत नं. 23 (200)
नं. 1: अपने मन को नरम और मुलायम मिट्टी की तरह बनाए रखिए (w-HI00 3/1 पे. 29-31)
नं. 2: यशायाह 54:1-17
नं. 3: परमेश्वर की तरफ से मिले काम को पूरे दिल से स्वीकार कीजिए (my-HI अध्याय 13)
नं. 4: और ज़्यादा सुधारक सलाह (gt-HI अध्याय 63)
अप्रै. 8 बाइबल पढ़ाई: यशायाह 60-66
गीत नं. 8 (53)
नं. 1: यीशु मसीह—परमेश्वर के ज्ञान की कुंजी (kl-HI पे. 32-42)
नं. 2: यशायाह 61:1-11
नं. 3: ज़िंदगी में कामयाब होने के लिए मज़बूत विश्वास ज़रूरी है (my-HI अध्याय 14)
नं. 4: माफ़ी के विषय में एक सबक़ (gt-HI अध्याय 64)
अप्रै. 15 बाइबल पढ़ाई: यिर्मयाह 1-4
गीत नं. 9 (37)
नं. 1: परमेश्वर किसकी उपासना को स्वीकार करता है? (kl-HI पे. 43-52)
नं. 2: यिर्मयाह 2:4-19
नं. 3: पुरानी दुनिया हमें कोई भी मूल्यवान चीज़ नहीं दे सकती (my-HI अध्याय 15)
नं. 4: यरूशलेम को एक गुप्त यात्रा (gt-HI अध्याय 65)
अप्रै. 22 बाइबल पढ़ाई: यिर्मयाह 5-8
गीत नं. 28 (224)
नं. 1: इंसानों को एक मददगार की ज़रूरत क्यों है (w-HI00 3/15 पे. 3-4)
नं. 2: यिर्मयाह 7:1-20
नं. 3: जीवन-साथी चुनने के लिए परमेश्वर की सलाह मानिए (my-HI अध्याय 16)
नं. 4: मण्डपों का पर्व में (gt-HI अध्याय 66)
अप्रै. 29 रिटन रिव्यू। बाइबल पढ़ाई: यिर्मयाह 9-13
गीत नं. 5 (46)
मई 6 बाइबल पढ़ाई: यिर्मयाह 14-18
गीत नं. 28 (224)
नं. 1: यीशु मसीह हमारी मदद कैसे कर सकता है (w-HI00 3/15 पे. 5-9)
नं. 2: यिर्मयाह 17:1-18
नं. 3: हमारे फैसले दिखाते हैं कि हम आध्यात्मिक बातों की कदर करते हैं कि नहीं (my-HI अध्याय 17)
नं. 4: वे उसे गिरफ़्तार करने से रह जाते हैं (gt-HI अध्याय 67)
मई 13 बाइबल पढ़ाई: यिर्मयाह 19-23
गीत नं. 7 (51)
नं. 1: विनम्रता—एक ऐसा गुण जिससे शान्ति फैलती है (w-HI00 3/15 पे. 21-4)
नं. 2: यिर्मयाह 19:1-15
नं. 3: ‘केवल प्रभु में विवाह कीजिए’ (my-HI अध्याय 18)
नं. 4: सातवें दिन पर और भी ज़्यादा शिक्षा (gt-HI अध्याय 68)
मई 20 बाइबल पढ़ाई: यिर्मयाह 24-28
गीत नं. 26 (212)
नं. 1: एक आदर्श इंसान जिसने डाँट स्वीकार की (w-HI00 3/15 पे. 25-8)
नं. 2: यिर्मयाह 25:1-14
नं. 3: आध्यात्मिक रूप से एक मज़बूत परिवार बनाना (my-HI अध्याय 19)
नं. 4: पितृत्व का सवाल (gt-HI अध्याय 69)
मई 27 बाइबल पढ़ाई: यिर्मयाह 29-31
गीत नं. 21 (191)
नं. 1: परमेश्वर की पवित्र आत्मा आज कैसे काम करती है? (w-HI00 4/1 पे. 8-11)
नं. 2: यिर्मयाह 30:1-16
नं. 3: बुरी संगति मुसीबत ला सकती है (my-HI अध्याय 20)
नं. 4: जन्म से अंधे को चंगा करना (gt-HI अध्याय 70)
जून 3 बाइबल पढ़ाई: यिर्मयाह 32-35
गीत नं. 11 (85)
नं. 1: यहोवा की ताकत से सांत्वना पाइए (w-HI00 4/15 पे. 4-7)
नं. 2: यिर्मयाह 34:1-16
नं. 3: जलन का अंजाम पाप होता है (my-HI अध्याय 21)
नं. 4: फरीसियों का ज़िद्दी अविश्वास (gt-HI अध्याय 71)
जून 10 बाइबल पढ़ाई: यिर्मयाह 36-40
गीत नं. 13 (124)
नं. 1: हिंसा करनेवालों के बारे में क्या आपका नज़रिया यहोवा की तरह है? (w-HI00 4/15 पे. 26-9)
नं. 2: यिर्मयाह 37:1-17
नं. 3: निराश हुए बिना ज़िंदगी की मुश्किलों का सामना कीजिए (my-HI अध्याय 22)
नं. 4: यीशु 70 शिष्यों को भेज देते हैं (gt-HI अध्याय 72)
जून 17 बाइबल पढ़ाई: यिर्मयाह 41-45
गीत नं. 3 (32)
नं. 1: “अपने मन की रक्षा कर” (w-HI00 5/15 पे. 20-4)
नं. 2: यिर्मयाह 41:1-15
नं. 3: अपनी काबिलीयतों के लिए यहोवा को श्रेय दीजिए (my-HI अध्याय 23)
नं. 4: पड़ोसी जैसा सामरी (gt-HI अध्याय 73)
जून 24 बाइबल पढ़ाई: यिर्मयाह 46-49
गीत नं. 2 (15)
नं. 1: एक सिद्ध ज़िंदगी—कोई ख्वाब नहीं! (w-HI00 6/15 पे. 5-7)
नं. 2: यिर्मयाह 49:1-13
नं. 3: प्रेम, नफरत पर जीत हासिल करता है (my-HI अध्याय 24)
नं. 4: मार्था को सलाह, और प्रार्थना पर अनुदेश (gt-HI अध्याय 74)
जुला. 1 बाइबल पढ़ाई: यिर्मयाह 50-52
गीत नं. 24 (185)
नं. 1: हम क्यों बूढ़े होते और मरते हैं? (kl-HI पे. 53-61)
नं. 2: यिर्मयाह 50:1-16
नं. 3: पश्चाताप करनेवाले पापी, परमेश्वर की दया पा सकते हैं (my-HI अध्याय 25)
नं. 4: ख़ुशी का स्रोत (gt-HI अध्याय 75)
जुला. 8 बाइबल पढ़ाई: विलापगीत 1-2
गीत नं. 6 (45)
नं. 1: मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर ने जो किया है (kl-HI पे. 62-69)
नं. 2: विलापगीत 1:1-14
नं. 3: वफादार रहने से यहोवा की आशीष मिलती है (my-HI अध्याय 26)
नं. 4: एक फरीसी के साथ भोजन लेना (gt-HI अध्याय 76)
जुला. 15 बाइबल पढ़ाई: विलापगीत 3-5
गीत नं. 29 (222)
नं. 1: परमेश्वर दुःख को अनुमति क्यों देता है? (kl-HI पे. 70-79)
नं. 2: विलापगीत 3:1-30
नं. 3: परमेश्वर, हमारे भले कामों को देखता है (my-HI अध्याय 27)
नं. 4: विरासत का सवाल (gt-HI अध्याय 77)
जुला. 22 बाइबल पढ़ाई: यहेजकेल 1-6
गीत नं. 24 (185)
नं. 1: हमारे मृत प्रिय जनों को क्या होता है? (kl-HI पे. 80-89)
नं. 2: यहेजकेल 4:1-17
नं. 3: यहोवा—महान उद्धारकर्ता और अपने उद्देश्य को पूरा करनेवाला (my-HI अध्याय 28)
नं. 4: तैयार रहो! (gt-HI अध्याय 78)
जुला. 29 बाइबल पढ़ाई: यहेजकेल 7-12
गीत नं. 27 (221)
नं. 1: अच्छे उदाहरणों से सीखिए (w-HI00 7/1 पे. 19-21)
नं. 2: यहेजकेल 10:1-19
नं. 3: परमेश्वर के वफादार रहिए और अपने भाइयों से प्रेम कीजिए (my-HI अध्याय 29)
नं. 4: गुमराह राष्ट्र, पर सभी नहीं (gt-HI अध्याय 79)
अग. 5 बाइबल पढ़ाई: यहेजकेल 13-16
गीत नं. 7 (51)
नं. 1: अनैतिक संसार में भी बेदाग रहना मुमकिन है (w-HI00 7/15 पे. 28-31)
नं. 2: यहेजकेल 13:1-16
नं. 3: यहोवा से मिलनेवाली तालीम की कदर कीजिए (my-HI अध्याय 30)
नं. 4: भेड़शालाएँ और चरवाहा (gt-HI अध्याय 80)
अग. 12 बाइबल पढ़ाई: यहेजकेल 17-20
गीत नं. 13 (124)
नं. 1: अधिकारियों के हक को स्वीकारना—क्यों ज़रूरी है? (w-HI00 8/1 पे. 4-7)
नं. 2: यहेजकेल 17:1-18
नं. 3: यहोवा के नाम के लिए हिम्मत से बोलिए (my-HI अध्याय 31)
नं. 4: यीशु को मार डालने की अधिक कोशिशें (gt-HI अध्याय 81)
अग. 19 बाइबल पढ़ाई: यहेजकेल 21-23
गीत नं. 23 (200)
नं. 1: खटपट हो जाए तो क्या किया जाए? (w-HI00 8/15 पे. 23-5)
नं. 2: यहेजकेल 22:1-16
नं. 3: यहोवा अपने वचनों को हर हाल में पूरा करता है (my-HI अध्याय 32)
नं. 4: यीशु दोबारा यरूशलेम की ओर रवाना होते हैं (gt-HI अध्याय 82)
अग. 26 रिटन रिव्यू। बाइबल पढ़ाई: यहेजकेल 24-28
गीत नं. 15 (127)
सितं. 2 बाइबल पढ़ाई: यहेजकेल 29-32
गीत नं. 5 (46)
नं. 1: त्याग भरी ज़िंदगी—सबसे बेहतरीन ज़िंदगी! (w-HI00 9/15 पे. 21-4)
नं. 2: यहेजकेल 30:1-19
नं. 3: ‘यहोवा अपने लोगों के लिए लड़ता है’ (my-HI अध्याय 33)
नं. 4: एक फरीसी से अतिथि-सत्कार पाना (gt-HI अध्याय 83)
सितं. 9 बाइबल पढ़ाई: यहेजकेल 33-36
गीत नं. 6 (45)
नं. 1: आप परमेश्वर के साथ एक गहरा रिश्ता कैसे बना सकते हैं (w-HI00 10/15 पे. 4-7)
नं. 2: यहेजकेल 33:1-16
नं. 3: ‘दास वर्ग’ से मिलनेवाले आध्यात्मिक भोजन को कभी तुच्छ मत समझिए (my-HI अध्याय 34)
नं. 4: शिष्यता निभाने की ज़िम्मेदारी (gt-HI अध्याय 84)
सितं. 16 बाइबल पढ़ाई: यहेजकेल 37-40
गीत नं. 9 (37)
नं. 1: आपकी नज़र में कामयाबी क्या है? (w-HI00 11/1 पे. 18-21)
नं. 2: यहेजकेल 39:1-16
नं. 3: परमेश्वर की व्यवस्था के बुनियादी, महान उसूलों पर ध्यान दीजिए (my-HI अध्याय 35)
नं. 4: खोए हुए को ढूँढ़ना (gt-HI अध्याय 85)
सितं. 23 बाइबल पढ़ाई: यहेजकेल 41-45
गीत नं. 12 (113)
नं. 1: परमेश्वर की सेवा तत्परता और खुशी से कीजिए (w-HI00 11/15 पे. 21-3)
नं. 2: यहेजकेल 42:1-20
नं. 3: यहोवा मूर्तिपूजा को बरदाश्त नहीं करता (my-HI अध्याय 36)
नं. 4: एक ग़ुमराह बेटे की कहानी (gt-HI अध्याय 86)
सितं. 30 बाइबल पढ़ाई: भजन 46-48
गीत नं. 11 (85)
नं. 1: परमेश्वर का राज्य शासन करता है (kl-HI पे. 90-97)
नं. 2: यहेजकेल 46:1-15
नं. 3: अपनी अनमोल चीज़ों से यहोवा का आदर कीजिए (my-HI अध्याय 37)
नं. 4: व्यावहारिक बुद्धि सहित भविष्य के लिए प्रबंध करना (gt-HI अध्याय 87)
अक्टू. 7 बाइबल पढ़ाई: दानिय्येल 1-4
गीत नं. 21 (191)
नं. 1: ये अन्तिम दिन हैं! (kl-HI पे. 98-107)
नं. 2: दानिय्येल 1:1-17
नं. 3: अच्छे भविष्य की आशा करते हुए दूसरों का विश्वास बढ़ाइए (my-HI अध्याय 38)
नं. 4: धनवान मनुष्य और लाज़र (gt-HI अध्याय 88)
अक्टू. 14 बाइबल पढ़ाई: दानिय्येल 5-8
गीत नं. 12 (113)
नं. 1: क्या ज़रूरी है कि आप “ज्ञानवानों” की हर बात पर यकीन करें? (w-HI00 12/1 पे. 29-31)
नं. 2: दानिय्येल 5:1-16
नं. 3: अगुवाई लेनेवालों के वफादार रहिए (my-HI अध्याय 39)
नं. 4: यहूदिया में दया का कार्य (gt-HI अध्याय 89)
अक्टू. 21 बाइबल पढ़ाई: दानिय्येल 9-12
गीत नं. 4 (43)
नं. 1: दुष्ट आत्मिक शक्तियों का विरोध कीजिए (kl-HI पे. 108-117)
नं. 2: दानिय्येल 10:1-21
नं. 3: नम्रता सीखकर विपत्ति से बचिए (my-HI अध्याय 40)
नं. 4: पुनरुत्थान की आशा (gt-HI अध्याय 90)
अक्टू. 28 बाइबल पढ़ाई: होशे 1-14
गीत नं. 9 (37)
नं. 1: धर्म-परायण जीवन जीने से क्यों ख़ुशी मिलती है—भाग 1 (kl-HI पे. 118-123 पैरा. 1-13)
नं. 2: होशे 4:1-19
नं. 3: छुड़ौती बलिदान पर विश्वास रखिए (my-HI अध्याय 41)
नं. 4: जब लाज़र पुनरुत्थित होता है (gt-HI अध्याय 91)
नवं. 4 बाइबल पढ़ाई: योएल 1-3
गीत नं. 29 (222)
नं. 1: धर्म-परायण जीवन जीने से क्यों ख़ुशी मिलती है—भाग 2 (kl-HI पे. 123-129 पैरा. 14-23)
नं. 2: योएल 1:1-20
नं. 3: लालच हमें अंधा करके पाप के रास्ते पर ले जा सकता है (my-HI अध्याय 42)
नं. 4: यरूशलेम को यीशु की आख़री यात्रा के दौरान दस कोढ़ी चंगा किए गए (gt-HI अध्याय 92)
नवं. 11 बाइबल पढ़ाई: आमोस 1-9
गीत नं. 7 (51)
नं. 1: आपको किसका अधिकार स्वीकार करना चाहिए? (kl-HI पे. 130-139)
नं. 2: आमोस 1:1-15
नं. 3: परमेश्वर के ठहराए हुए इंतज़ाम का नम्रता से आदर कीजिए (my-HI अध्याय 43)
नं. 4: जब मनुष्य का पुत्र प्रगट होता है (gt-HI अध्याय 93)
नवं. 18 बाइबल पढ़ाई: ओबद्याह 1–योना 4
गीत नं. 14 (117)
नं. 1: ऐसा परिवार बनाना जो परमेश्वर को महिमा देता है—भाग 1 (kl-HI पे. 140-144 पैरा. 1-14)
नं. 2: ओबद्याह 1:1-16
नं. 3: विश्वास, कर्म बिना मरा हुआ है (my-HI अध्याय 44)
नं. 4: प्रार्थना और दीनता की ज़रूरत (gt-HI अध्याय 94)
नवं. 25 बाइबल पढ़ाई: मीका 1-7
गीत नं. 19 (164)
नं. 1: ऐसा परिवार बनाना जो परमेश्वर को महिमा देता है—भाग 2 (kl-HI पे. 145-149 पैरा. 15-23)
नं. 2: मीका 1:1-16
नं. 3: यहोवा के वादों पर कभी शक मत कीजिए (my-HI अध्याय 45)
नं. 4: तलाक़ पर और बच्चों के लिए प्रेम पर सबक़ (gt-HI अध्याय 95)
दिसं. 2 बाइबल पढ़ाई: नहूम 1–हबक्कूक 3
गीत नं. 22 (130)
नं. 1: आप परमेश्वर के निकट कैसे आ सकते हैं (kl-HI पे. 150-159)
नं. 2: नहूम 3:1-19
नं. 3: जीत यहोवा की ही होती है (my-HI अध्याय 46)
नं. 4: यीशु और एक अमीर युवा शासक (gt-HI अध्याय 96)
दिसं. 9 बाइबल पढ़ाई: सपन्याह 1–हाग्गै 2
गीत नं. 23 (200)
नं. 1: परमेश्वर के लोगों के बीच सुरक्षा पाइए (kl-HI पे. 160-169)
नं. 2: सपन्याह 2:1-15
नं. 3: लालच और चोरी के बुरे अंजाम (my-HI अध्याय 47)
नं. 4: दाख़बारी में मज़दूर (gt-HI अध्याय 97)
दिसं. 16 बाइबल पढ़ाई: जकर्याह 1-8
गीत नं. 22 (130)
नं. 1: सर्वदा परमेश्वर की सेवा करना अपना लक्ष्य बनाइए (kl-HI पे. 170-180)
नं. 2: जकर्याह 6:1-15
नं. 3: शांति कायम करनेवालों को यहोवा आशीष देता है (my-HI अध्याय 48)
नं. 4: जैसे यीशु की मृत्यु नज़दीक आती है प्रेरित बहस करते हैं (gt-HI अध्याय 98)
दिसं. 23 बाइबल पढ़ाई: जकर्याह 9-14
गीत नं. 17 (187)
नं. 1: जब पृथ्वी परमेश्वर के ज्ञान से भर जाती है (kl-HI पे. 181-191)
नं. 2: जकर्याह 9:1-17
नं. 3: प्रार्थना की अहमियत को कभी कम मत समझिए (my-HI अध्याय 49)
नं. 4: यीशु यरीहो में सिखाते हैं (gt-HI अध्याय 99)
दिसं. 30 रिटन रिव्यू। बाइबल पढ़ाई: मलाकी 1-4
गीत नं. 20 (93)