एक से ज़्यादा भाषा बोलनेवाले इलाके में साहित्य देना
1. जो अपने इलाके में बोलनेवाली भाषा के बजाय दूसरी भाषाएँ बोलते हैं, उनकी कैसे मदद की जा रही है?
कई बड़े-बड़े शहरों में सिर्फ एक भाषा में सभाएँ चलाने के इंतज़ाम को बहुत अच्छी तरह अमल में लाया जा रहा है। जो लोग अपने इलाके में बोली जानेवाली भाषा के बजाय दूसरी भाषाएँ समझते हैं, उन्हें पास की ऐसी कलीसिया में भेजा जा रहा है जिनमें उन्हें अच्छी तरह समझ आनेवाली भाषा बोली जाती है। जिस इलाके में तरह-तरह की भाषाएँ बोली जाती हैं वहाँ पर गवाही देने के लिए क्या इंतज़ाम किया जाना चाहिए?
2. जब अलग-अलग भाषा बोलनेवाली दो या तीन कलीसियाएँ एक ही टेरिट्री में काम करती हैं, तो उन्हें एक-दूसरे को कैसे सहयोग देने की ज़रूरत है?
2 साहित्य कब देना है: ऐसे इलाके में, अलग-अलग भाषाएँ बोलनेवाली दो या उससे ज़्यादा कलीसियाओं का नियमित तौर पर गवाही देने के लिए इंतज़ाम करना चाहिए। उन कलीसियाओं के प्राचीनों के निकाय को सर्विस ओवरसियर के ज़रिए ऐसी योजना बनानी चाहिए जो उन सभी को मंज़ूर हो ताकि हर भाषा के लोगों को अच्छी तरह गवाही दी जा सके। ऐसे इलाके में घर-घर का प्रचार करते वक्त, आम तौर पर प्रचारक दूसरी कलीसियाओं की भाषा में साहित्य नहीं देंगे। लेकिन अगर कभी वे देते भी हैं, तो उन्हें घर-मालिक का नाम और पता लिख लेना चाहिए ताकि उसकी भाषा बोलनेवाली कलीसिया का कोई प्रचारक बाद में उससे मुलाकात कर सके। सर्विस ओवरसियर को देखना चाहिए कि हर टेरिट्री कार्ड पर यह जानकारी साफ-साफ लिखी हो कि किन-किन घरों में कौन-सी भाषाएँ बोली जाती हैं। तब हर कलीसिया के प्रचारक भविष्य में सिर्फ उन्हीं घरों में जाएँगे जिनमें उनकी कलीसिया की भाषा बोली जाती है।
3. एक से ज़्यादा भाषा बोलनेवाली टेरिट्री में प्रचार काम अच्छी तरह किए जाने के लिए हर प्रचारक कैसे मदद कर सकता है?
3 हर कलीसिया, नियमित अंतराल में टेरिट्री को अच्छी तरह पूरा करे, इसके लिए अच्छी व्यवस्था की ज़रूरत है। सभी प्रचारक अगर उन्हीं लोगों को गवाही दें जो उनकी कलीसिया की भाषा बोलते हैं, तो वे इस इंतज़ाम को सफल बनाने में अच्छा सहयोग दे रहे होंगे। हाउस-टू-हाउस रिकॉर्ड (S-8 फॉर्म) में पूरी-पूरी जानकारी लिखने से भी काफी मदद मिल सकती है। दी गयी हिदायतों के मुताबिक इस फॉर्म का इस्तेमाल कीजिए और उस पर घर-मालिक की भाषा से संबंधित जानकारी भरकर सर्विस ओवरसियर को जल्द-से-जल्द दीजिए। जो घर-मालिक दो या तीन भाषाएँ अच्छी तरह बोलते हैं, उनसे मुलाकात जारी रखने के लिए किस कलीसिया को कहना चाहिए, यह फैसला करने में समझदारी से काम लेने की ज़रूरत होगी। इसके अलावा, लोग अकसर अपना घर बदलते रहते हैं इसलिए हमेशा ताज़ा जानकारी का रिकॉर्ड रखना ज़रूरी है।
4. कैसे हालात में एक कलीसिया अपनी भाषा से अलग भाषा में साहित्य का स्टॉक रख सकती है?
4 साहित्य का स्टॉक कब रखें: मोटे तौर पर कहें तो एक कलीसिया को दूसरी कलीसिया की भाषा के साहित्य बड़ी मात्रा में नहीं रखने चाहिए। लेकिन अगर किसी इलाके में एक अलग भाषा बोलनेवाले बहुत-से लोग रहते हैं और वह भाषा बोलनेवाली कोई कलीसिया वहाँ नहीं है, तो क्या किया जा सकता है? ऐसी स्थिति में, वहाँ की कलीसियाएँ उस भाषा में थोड़ी मात्रा में बुनियादी साहित्य रख सकती हैं, जैसे ट्रैक्ट, माँग ब्रोशर, और ज्ञान किताब। प्रचारकों को जब भी उस भाषा के लोग मिलें वे उन्हें ये साहित्य दे सकते हैं।
5. एक कलीसिया जिस भाषा के साहित्य नहीं रखती, उन्हें कैसे पाया जा सकता है?
5 एक कलीसिया जिस भाषा के साहित्य का स्टॉक नहीं रखती, उस भाषा में अगर कोई दिलचस्पी रखनेवाला व्यक्ति साहित्य चाहता है, तो प्रचारक इन्हें कैसे पा सकते हैं? ऐसे में प्रचारकों को साहित्य सँभालनेवाले भाई से मालूमात करनी चाहिए कि उस भाषा में संस्था के पास कौन-से साहित्य उपलब्ध हैं, जिससे अगली बार कलीसिया का साहित्य मँगाते वक्त इन ज़रूरी साहित्य का ऑर्डर दिया जा सके।
6. मसीही साहित्य उपलब्ध कराने में हमारा लक्ष्य क्या है?
6 आइए हम मसीही प्रकाशनों का अच्छा इस्तेमाल करके “सब मनुष्यों” की मदद करें, ताकि वे “सत्य को भली भांति पहचान लें” और “उद्धार” पाएँ, फिर चाहे उनकी भाषा जो भी हो।—1 तीमु. 2:3, 4.