यहोवा की सेवा सम्पूर्ण हृदय से कीजिए
आजकल हृदय को तंदुरुस्त बनाए रखने के बारे में ढेरों जानकारी उपलब्ध करायी जा रही है, ताकि हम लंबी और खुशहाल ज़िंदगी जी सकें। मगर इससे भी बढ़कर हमें अपने आध्यात्मिक हृदय को दुरुस्त हालत में रखने की ज़रूरत है। इसलिए सन् 2004 के सेवा साल के दौरान हमने जिस खास सम्मेलन दिन का आनंद लिया, उसका विषय बिलकुल सही था: ‘यहोवा की सेवा सम्पूर्ण हृदय से करना।’ (1 इति. 28:9, NHT) हमने इस कार्यक्रम से क्या-क्या सीखा?
2 सर्किट ओवरसियर ने इस विषय पर चर्चा की: “खुशी-खुशी यहोवा की सेवा करने में दूसरों की मदद करना।” भाई-बहनों के इंटरव्यू से दिखाया गया कि जो लोग यहोवा की सेवा करना चाहते हैं उनकी दिलचस्पी बढ़ाने और उनके साथ बाइबल अध्ययन करने से कैसी खुशी मिलती है। कुछ लोगों को यहोवा के करीब आओ किताब का अध्ययन करने से यहोवा के और भी करीब आने में मदद मिली है। क्या आपका भी ऐसा ही अनुभव रहा है? सम्मेलन में हाज़िर सभी को मेहमान वक्ता के पहले भाषण से बेशक बहुत सांत्वना मिली और उनका उत्साह बढ़ा। उसका विषय था: “मुसीबतों से घिरे संसार में अपने हृदय की रक्षा करना।” सुबह का सेशन, बपतिस्मे के भाषण से समाप्त हुआ।
3 दोपहर को यह भाग पेश किया गया: “मदद करने के लिए हाथ बढ़ाना।” इसमें बताया गया कि हम नए लोगों और आध्यात्मिक तौर पर कमज़ोर और प्रचार में ठंडे पड़ चुके लोगों की कैसे मदद कर सकते हैं। माता-पिता अपने बच्चों के हृदय को बुरे असर से कैसे बचा सकते हैं और यहोवा के करीब आने में कैसे उनकी मदद कर सकते हैं? “यहोवा में मगन होने के लिए अपने बच्चों की मदद कीजिए,” भाग के तहत इस बारे में कुछ कारगर सुझाव दिए गए और समझाया गया कि यह कैसे किया जा सकता है।
4 हमारे आध्यात्मिक हृदय को सेहतमंद और मज़बूत बनाए रखने के लिए यहोवा ने जो इंतज़ाम किए हैं, क्या हम उनमें से हरेक का फायदा उठा रहे हैं? मेहमान वक्ता के आखिरी भाषण, “यहोवा की सेवा हमेशा पूरे हृदय से कीजिए” में चार ज़रूरी इंतज़ामों पर रोशनी डाली गयी। क्या आपको याद है कि वे कौन-से हैं? हम दिल से प्रार्थना करने, परमेश्वर के वचन का अध्ययन करने, पूरे जोश से प्रचार करने और मसीही भाई-बहनों के साथ संगति करने में कितना समय बिताते हैं और इसके लिए कितनी मेहनत करते हैं? क्या इनमें से किसी मामले में हमें सुधार करने की ज़रूरत है?
5 यहोवा हमें यह न्यौता देता है: “अपना हृदय शिक्षा की ओर, और अपने कान ज्ञान की बातों की ओर लगाना।” (नीति. 23:12) सम्मेलन में आपने जो उम्दा बातें सीखीं, उन पर अमल करने से आप काफी मज़बूत होंगे और यहोवा की सेवा संपूर्ण हृदय से और खुशी-खुशी करते रह पाएँगे।