पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! जुला.-सितं.
“आज, कीड़े-मकोड़ों से फैलनेवाली बीमारियाँ हमारी सेहत के लिए एक बड़ा खतरा बन गयी हैं। मगर क्या इसका मतलब है कि हमें इन बीमारियों से कभी छुटकारा नहीं मिलेगा? [जवाब के लिए रुकिए और यशायाह 11:6-9 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि परमेश्वर के वादे के मुताबिक ज़रूर एक ऐसा वक्त आएगा जब इंसानों को छोटे-बड़े किसी भी जीव-जंतु से खतरा नहीं होगा।”
प्रहरीदुर्ग सितं. 15
“आज के ज़माने में बहुत-से शादी-शुदा लोगों को, अपनी शादी का बंधन एक फँदा लगता है जिसमें प्यार नाम की चीज़ नहीं है। ऐसे लोग मदद के लिए कहाँ जा सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] बाइबल हमें भरोसा दिलाती है कि इस मामले में परमेश्वर के सिद्धांत हमारी मदद कर सकते हैं। [यशायाह 48:17, 18 पढ़िए।] प्रहरीदुर्ग पत्रिका के इस अंक में बाइबल के ऐसे सिद्धांत बताए गए हैं जिन पर चलने से शादी को मज़बूत बनाया जा सकता है।”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“अपनी चारों तरफ की सृष्टि को देखने पर, क्या आपने कभी ताज्जुब किया है कि हमारे सिरजनहार में अनोखी चीज़ों को रचने की कैसी लाजवाब काबिलीयत है?” जवाब के लिए रुकिए। पेज 17 पर दिया लेख दिखाइए और लेख के आखिरी पैराग्राफ पर ध्यान खींचिए। प्रकाशितवाक्य 4:11 पढ़कर अपनी बात खत्म कीजिए।
प्रहरीदुर्ग अक्टू. 1
“क्या आपने कभी सोचा है, ‘अगर परमेश्वर प्यार करनेवाला है और सर्वशक्तिमान है, तो वह तकलीफें झेलनेवालों की मदद करने के लिए कुछ करता क्यों नहीं?’ [जवाब के लिए रुकिए।] वह जल्द ही सारी समस्याओं का अंत कर देगा। [यशायाह 65:17 पढ़िए।] और जैसा कि यह पत्रिका बताती है, उस समय के आने तक परमेश्वर पत्थरदिल होकर सिर्फ लोगों को तड़पते हुए नहीं देख रहा है, बल्कि वह कुछ कार्यवाही कर रहा है।”