बाइबल से चर्चा करके ज्ञान किताब की तरफ ध्यान खींचने के लिए सुझाव
1. युद्ध और संसार का तनाव भरा माहौल:
“[हाल की कोई खबर बताइए।] युद्ध छिड़ने के पीछे नेताओं के इरादे चाहे कितने ही नेक क्यों न हों, मगर युद्ध की खबरें सुनकर हमारे मन में अकसर यही सवाल पैदा होता है कि क्या संसार में कभी अमन-चैन कायम होगा या हालात इसी तरह बद-से-बदतर होते जाएँगे। बेशक हर इंसान ऐसा संसार चाहता है जहाँ युद्ध न हों। क्या आप सोचते हैं कि इंसान के लिए एक ऐसा संसार लाना मुमकिन है?” सामनेवाले का जवाब ध्यान से सुनिए। उसके बाद भजन 46:8, 9 या मीका 4:2-4 पढ़िए और बताइए कि इस मामले में परमेश्वर का दखल देना ज़रूरी है। ज्ञान किताब का पेज 98 खोलकर पैराग्राफ 1, 2 पर चर्चा कीजिए, और पेज 99 के पैराग्राफ 5 पर भी।
2. अपराध और भयंकर दुर्घटनाएँ:
“आपने शायद यह खबर सुनी होगी कि ____________________ [किसी घटना का ज़िक्र कीजिए] यह वाकई बहुत बुरी घटना थी, है ना? क्या आपने कभी सोचा है कि आज हम चारों तरफ जो दुःख-तकलीफें देखते हैं या खुद भी सहते हैं परमेश्वर को उसकी वाकई कोई परवाह है? [जवाब के लिए रुकिए।] इस बारे में परमेश्वर का नज़रिया बाइबल में बताया गया है।” आप भजन 72:12-17 में से कुछ ऐसी बातें पढ़ सकते हैं जो इस चर्चा पर सही बैठें। उसके बाद ज्ञान किताब का पेज 70 खोलिए और बताइए कि यहाँ इस सवाल का जवाब दिया गया है कि परमेश्वर दुःख-तकलीफें क्यों आने देता है। फिर आप कह सकते हैं: “यहाँ बाइबल से दिया गया जवाब वाकई हमें सांत्वना देता है। इसलिए मैं चाहता हूँ कि आप यह किताब रखें और उस जवाब की अच्छी तरह जाँच करें।”
3. मरे हुओं की हालत:
“हर रोज़ हज़ारों लोग बीमारी से मर रहे हैं। आपने भी शायद अपने परिवार के किसी सदस्य या किसी नज़दीकी रिश्तेदार की मौत का गम सहा होगा। यहाँ तक कि सालों बीत जाने पर भी हम उनके लिए आँसू बहाते हैं।” (1) अगर सामनेवाला इस बारे में अपना कोई अनुभव बताता है: उसकी बात ध्यान से सुनने के बाद आप कह सकते हैं, “मुझे इन शब्दों से बहुत सांत्वना मिलती है।” उसे लूका 20:38 या 1 थिस्सलुनीकियों 4:13 दिखाइए और पूछिए, “क्या आप इस सवाल का जवाब जानना चाहेंगे कि इंसान क्यों बूढ़ा होता और मरता है?” घर-मालिक का ध्यान ज्ञान किताब के पेज 53 पर पैराग्राफ 1-3 की तरफ खींचिए। (2) अगर घर-मालिक अपना कोई अनुभव नहीं बताता: आप पूछ सकते हैं, “कुछ लोग कहते हैं कि मरे हुए लोग फिरदौस या स्वर्ग में जाते हैं मगर दूसरे कहते हैं कि वे मिट्टी में मिल जाते हैं। इस बारे में आपका क्या विचार है?” उसके बाद सभोपदेशक 9:5, 10 पढ़िए और ज्ञान किताब के पेज 83 पर पैराग्राफ 9, 10 की तरफ उनका ध्यान खींचिए।
4. ज़िंदगी में हमेशा अच्छा नज़रिया रखना क्यों ज़रूरी है:
“आज बहुत-से लोग हताशा का शिकार हैं। वे शायद ज़िंदगी के हालात के बेहतर होने की पूरी तरह उम्मीद खो बैठे हों। आपके खयाल से ऐसी निराशा की भावनाओं से उबरने में उनकी कैसे मदद की जा सकती है? [जवाब के लिए रुकिए।] मेरे लिए बाइबल की यह आयत बहुत मददगार साबित हुई।” मत्ती 6:34 पढ़ने के बाद ज्ञान किताब के पेज 16 पर पैराग्राफ 13 में दिए एक शिक्षक की टिप्पणी पढ़िए। आप पहाड़ी उपदेश की कुछ शिक्षाओं पर भी चर्चा कर सकते हैं।
5. परिवार के लोगों के बीच अच्छी बातचीत:
“आजकल काम की जगह और स्कूल में तनाव पैदा करनेवाली समस्याएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। इस वजह से हमें परिवार के सदस्यों की हिम्मत बढ़ाने की ज़रूरत होती है। लेकिन कभी-कभी हमें ऐसा करने के लिए थोड़ी ज़्यादा मेहनत करनी होगी, क्योंकि हम खुद भी तनाव में होते हैं। यह सच है कि हम परिवार के लोगों से जो कहते हैं वह बहुत अहमियत रखता है, लेकिन बाइबल उससे भी ज़रूरी बात बताती है जिस पर हमें ध्यान देना है। [नीतिवचन 16:23, 24 पढ़िए।] यह आयत कहती है कि अच्छी बातचीत में हमारे मुँह से ज़्यादा हमारा हृदय अहमियत रखता है।” ज्ञान किताब के पेज 143 पर पैराग्राफ 9 दिखाइए, और बताइए कि एक-दूसरे के लिए परवाह ज़ाहिर करना कितना ज़रूरी है। पैराग्राफ 7 पर बात करते हुए आप इस पर भी चर्चा कर सकते हैं कि अच्छी बातचीत करना क्यों मुश्किल हो सकता है।
6. अपने बच्चों के साथ समझदारी से पेश आना:
“हाल ही में हमें यह ध्यान दिलाया गया है कि बच्चों को काफी तनाव का सामना करना पड़ रहा है। ज़्यादातर बच्चों की परवरिश अच्छे माहौल में हो रही है, फिर भी यह समस्या क्यों है? [जवाब के लिए रुकिए।] आप इन शब्दों के बारे में क्या सोचते हैं? [कुलुस्सियों 3:21 पढ़िए और जवाब के लिए रुकिए।] यह सुनने में आसान तो लगता है, लेकिन आप इस बात से सहमत होंगे कि बच्चों को यह एहसास दिलाना बहुत मुश्किल है कि उन्हें कुछ कायदे-कानूनों को मानकर चलने की ज़रूरत है।” ज्ञान किताब का पेज 136 खोलिए और पैराग्राफ 17 का पहला वाक्य पढ़िए। पैराग्राफ 17, 18 में दिए कुछ मुद्दों पर चर्चा कीजिए।