बहुत बोओ मगर समझदारी से
1. हर किसान जानता है कि अगर वह बहुत बीज बोएगा तो उसकी फसल भी बहुत होगी, लेकिन अगर वह थोड़ा बोएगा तो यकीनन थोड़ा काटेगा भी। (2 कुरि. 9:6) मगर किसान इस बात का ध्यान रखते हैं कि वे ऐसी जगहों में बीज बोकर उन्हें बरबाद न करें जहाँ इनके बढ़ने की कोई गुंजाइश न हो। उसी तरह हमें प्रचार में अपना साहित्य पेश करते वक्त समझदारी से काम लेना चाहिए। हम चाहते हैं कि हम अपना साहित्य उन लोगों को दें जो इसे पढ़ने में दिलचस्पी रखते हैं। हम ऐसे लोगों को यहोवा के अनुग्रह और राज्य की आशा के बारे में सीखने का मौका देना चाहते हैं जो इसके योग्य हैं।
2. क्या आपको लगता है कि आपके घर में पत्रिकाएँ, ब्रोशर और दूसरे साहित्य जमा होते जा रहे हैं, जबकि प्रचार में इनका इस्तेमाल करके उन लोगों को सच्चाई का ज्ञान दिया जा सकता है जो इसके योग्य हैं? (मत्ती 25:25 से तुलना कीजिए।) क्या कभी-कभी आप, पहली मुलाकात में पत्रिका या दूसरे साहित्य पेश करने से कतराते हैं, सिर्फ इसलिए कि आपको यह कहने में शर्म आती है कि राज्य के प्रचार काम का खर्च कैसे चलाया जाता है? तजुर्बेकार प्रचारकों ने पाया है कि अगर घर-मालिक से चंद और साफ शब्दों में कहा जाए कि राज्य के काम के लिए दान को कैसे इस्तेमाल किया जाता है, तो अकसर अपनी कदरदानी दिखाने के लिए वह दान देते हैं।
3. आप यह कह सकते हैं:
◼ “आप शायद सोच रहे होंगे कि हम कैसे बगैर पैसे लिए अपना साहित्य दे रहे हैं। यह साहित्य, दुनिया भर में शिक्षा देने के कार्यक्रम का एक हिस्सा है। और यह कार्यक्रम उन लोगों के पैसे से चलाया जाता है जो अपनी मरज़ी से इसके लिए दान देते हैं। अगर इस काम के लिए आप, कुछ दान देना चाहते हैं, तो मुझे उसे कबूल करने में बेहद खुशी होगी।”
4. कई घर-मालिक पूछेंगे कि साहित्य की कीमत कितनी है।
तब आप जवाब दे सकते हैं:
◼ “इस साहित्य की कोई कीमत नहीं है, क्योंकि हमारे काम का खर्च उन लोगों के पैसे से चलाया जाता है जो अपनी मरज़ी से इसके लिए दान देते हैं। अगर अभी आप कुछ दान देना चाहें, तो इसे दुनिया भर में हो रहे सिखाने के काम में इस्तेमाल करने में हमें खुशी होगी।”
या आप यह कह सकते हैं:
◼ “हम अपना साहित्य उन सभी को देते हैं, जो बाइबल के बारे में ज़्यादा सीखने की दिलचस्पी रखते हैं। अगर आप, दुनिया भर में चलाए जा रहे इस काम के लिए कुछ दान देना चाहते हैं, तो आपकी तरफ से यह दान पहुँचाने में मुझे खुशी होगी।”
5. पत्रिका पेश करते वक्त कुछ प्रचारक, उसके अंदर का पेज दिखाकर कहते हैं:
◼ “जैसा कि आप यहाँ देख सकते हैं, हमारा काम स्वेच्छा से दिए गए दान से चलाया जाता है। अगर इस काम में हाथ बँटाने के लिए आप कुछ दान देना चाहें, तो मैं आपकी तरफ से इसे पहुँचा सकता हूँ।”
एक और आसान तरीका:
◼ “हालाँकि हम अपना साहित्य बिना दाम के देते हैं, मगर दुनिया भर में हो रहे हमारे काम के लिए जो कोई थोड़ा-बहुत दान देना चाहे, हम उसे कबूल करते हैं।”
6. हमें सिर्फ इसलिए राज्य का बीज बोने से खुद को रोकना नहीं चाहिए, क्योंकि हमें यह बताने में झिझक महसूस होती है कि हमारे काम का खर्च कैसे चलाया जाता है। लेकिन इसके साथ-साथ हमें समझदारी से काम लेने की ज़रूरत है, ताकि हमारा साहित्य “पत्थरीली भूमि” पर गिरकर ज़ाया न हो। (मर. 4:5, 6, 16, 17) जो लोग सुसमाचार की कदर करते हैं, उन्हें इस बात की खुशी होती है कि वे इस काम को बढ़ावा देने के लिए दान दे सकते हैं।—मत्ती 10:42 से तुलना कीजिए।