क्या आप पत्रिका दिन की सेवा में हिस्सा लेते हैं?
भारत में 18 करोड़ से ज़्यादा लोग नियमित तौर पर पत्रिकाएँ और अखबार खरीदते हैं। इनके खरीदने के बाद इन्हें और भी करोड़ों लोग पढ़ते हैं। कितना अच्छा होगा अगर ये लोग प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! भी लगातार पढ़ें। यह मुमकिन हो सकता है बशर्ते हम पत्रिका दिन में ज़ोर-शोर से हिस्सा लें।
2 सन् 2004 के हमारे कैलेंडर में हर शनिवार को पत्रिका दिन बताया गया है। इसके मुताबिक, कई कलीसियाओं ने इनमें से एक शनिवार को सिर्फ पत्रिकाएँ बाँटने का इंतज़ाम किया है। पत्रिका दिन में हम अपनी टेरिट्री के काफी हिस्से में प्रचार कर पाते हैं, क्योंकि हम चंद शब्द कहकर लोगों को पत्रिकाएँ पेश करते हैं। मसलन, हम हर महीने हमारी राज्य सेवकाई में दी जानेवाली पेशकश का इस्तेमाल करते हैं। पत्रिका दिन को छोड़, बाकी दिनों में हम घर-मालिकों के साथ बात करने में ज़्यादा वक्त बिता सकते हैं, उनके साथ दुनिया के हालात पर चर्चा कर सकते हैं, उस महीने के लिए बताया गया साहित्य दे सकते हैं या फिर माँग ब्रोशर से बाइबल अध्ययन करने की पेशकश कर सकते हैं।
3 आप अपनी कलीसिया के पत्रिका दिन के इंतज़ाम को कैसे सहयोग दे सकते हैं?
◼ पत्रिकाएँ पढ़िए: एक सफरी ओवरसियर ने रिपोर्ट दी कि उसके सर्किट में, औसतन 20 में से सिर्फ एक प्रचारक प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! के हर अंक को शुरू से आखिर तक पढ़ता है। क्या आप उन्हें पढ़ते हैं? हर लेख को पढ़ते वक्त खुद से पूछिए: ‘इस लेख में खासकर किसे दिलचस्पी होगी—एक माँ को, एक हिंदू बिज़नेसमैन या एक मुसलमान जवान को?’ अपनी निजी कॉपी में ऐसे एक-दो मुद्दों पर निशान लगाइए जिन्हें पत्रिका पेश करते वक्त आप इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके बाद, सोचिए कि आप सिर्फ एक-दो वाक्य कहकर उस विषय में सामनेवाले की दिलचस्पी कैसे जगा सकते हैं।
◼ पत्रिकाओं का पक्का ऑर्डर होना चाहिए: पत्रिकाओं की ज़िम्मेदारी सँभालनेवाले भाई को बताइए कि आप हर अंक की ठीक कितनी कॉपियाँ ऑर्डर करना चाहते हैं। आपको उतनी ही पत्रिकाओं का ऑर्डर करना चाहिए जितनी कि आप लोगों को दे सकते हैं। इससे आपको और आपके परिवार को काफी मात्रा में और बराबर पत्रिकाएँ मिलती रहेंगी।
◼ नियमित तौर पर एक पत्रिका दिन ठहराइए: कलीसिया ने जो-जो पत्रिका दिन ठहराए हैं उनमें से एक या उससे ज़्यादा दिन चुनिए और उनमें बिना नागा हिस्सा लीजिए। अगर ऐसा करना मुमकिन न हो तो समय-समय पर, प्रचार के लिए तय किए घंटों में से कुछ समय निकालकर सड़क गवाही में, घर-घर के प्रचार और मैगज़ीन रूट में पत्रिकाएँ दीजिए।
◼ चंद शब्द कहकर पत्रिका पेश करने की प्रैक्टिस कीजिए: हर महीने “पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए” भाग के तहत, पेशकश की कुछ मिसालें दी जाती हैं। आपके पास भले ही पुरानी पत्रिकाएँ या दूसरी भाषाओं में अलग अंक हों, फिर भी नयी पत्रिकाएँ पेश करने की कोशिश कीजिए और “पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए” भाग में दिए सुझावों से अच्छी तरह वाकिफ होइए।
◼ हमेशा “प्रहरीदुर्ग” और “सजग होइए!” बाँटने की ताक में रहिए: सफर करते वक्त या खरीदारी करते वक्त इन्हें अपने साथ रखिए। काम की जगह, पड़ोसियों, स्कूल के साथियों या टीचरों को गवाही देते वक्त पत्रिकाएँ पेश कीजिए।
4 कलीसिया के प्राचीन कैसे मदद कर सकते हैं?
◼ पत्रिका बाँटने का इंतज़ाम कीजिए: अगर प्रचार के सभी इलाकों में पत्रिकाएँ बाँटने के कारगर इंतज़ाम किए जाएँ, तो ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग इस काम में हिस्सा लेने के लिए आगे बढ़ेंगे।
◼ चरवाही भेंट के ज़रिए मदद देना: कलीसिया पुस्तक अध्ययन ओवरसियर जब समय-समय पर परिवारों से चरवाही भेंट करने जाते हैं, तो वे परिवारों को पत्रिकाओं की आसान-सी पेशकश तैयार करने और उनकी प्रैक्टिस करने में मदद दे सकते हैं। कई नए प्रचारकों ने प्रचार में सबसे पहले पत्रिकाओं की पेशकश की, जिसकी उन्होंने पहले से अच्छी रिहर्सल की थी।
◼ प्रचार की सभाओं के ज़रिए मदद दीजिए: पत्रिका दिन में प्रचार शुरू करने से पहले 10-15 मिनट तक, समूह के साथ हाल की कुछ पेशकश पर चर्चा कीजिए।
◼ प्रचारकों के साथ सेवा कीजिए: प्रचारकों के साथ काम करने से आप उन्हें दिखा सकेंगे कि पत्रिकाओं को कैसे असरदार तरीके से पेश किया जा सकता है। इससे नए प्रचारकों को अच्छी ट्रेनिंग मिलेगी।
5 अब भी ऐसे करोड़ों लोग हैं जिन तक खुशखबरी पहुँचना बाकी है। हो सकता है कि किसी एक पत्रिका की जानकारी उनके दिल को छू जाए और वे सच्चाई को अपना लें! यहोवा ने हमें वाकई एक रोमांचक संदेश सुनाने की ज़िम्मेदारी सौंपी है, और हमारी पत्रिकाएँ इस संदेश को दूसरों तक पहुँचाने में खास भूमिका अदा करती हैं। तो क्या आप पत्रिकाएँ बाँटने के लिए पहले से ज़्यादा ताक में रहेंगे? क्या आप यहाँ दिए गए कुछ सुझावों को इसी शनिवार-रविवार के दिन इस्तेमाल करेंगे? ऐसा करने से आपको बेशुमार आशीषें मिलेंगी।