सँभालकर रखिए
प्रचार में गवाही देने के सुझाव
हर महीने के साहित्य पेशकश के सुझाव नीचे दिए गए हैं। इनका इस्तेमाल करके गवाही देने की तैयारी कीजिए।
यहोवा के करीब आओ
“परमेश्वर पर विश्वास करनेवाले बहुत-से लोग उसके करीब आना चाहते हैं। क्या आप जानते हैं कि परमेश्वर खुद हमें उसके करीब आने का न्यौता देता है? [याकूब 4:8 पढ़िए।] यह किताब इसलिए तैयार की गयी है कि लोग अपनी बाइबल की जाँच करके परमेश्वर के करीब आ सकें।” पेज 16 का पहला पैराग्राफ पढ़िए।
“आज चारों तरफ अन्याय का बोलबाला है। और ठीक यही बात यहाँ लिखी है। [सभोपदेशक 8:9ख पढ़िए।] बहुत-से लोग सोचते हैं कि परमेश्वर को हमारी परवाह है भी या नहीं। [पेज 119 के पैराग्राफ 4 पर, पहले दो वाक्य पढ़िए।] इस अध्याय में समझाया गया है कि क्यों परमेश्वर ने कुछ वक्त के लिए अन्याय की इजाज़त दी है।”
क्या एक सिरजनहार है जो आपकी परवाह करता है? (अँग्रेज़ी)
“अपनी मुश्किल-से-मुश्किल समस्याओं का हल करने के लिए हमें सबसे बढ़िया सलाह कहाँ से मिल सकती है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर मत्ती 7:28, 29 पढ़िए।] यह दिखाता है कि जब लोगों ने यीशु का पहाड़ी उपदेश सुना, तो उन पर कैसा असर हुआ। ध्यान दीजिए कि पहाड़ी उपदेश के बारे में दूसरों की क्या राय है। [पेज 152 में लोगों की कही बातें दिखाइए।] यह अध्याय यीशु की ज़िंदगी और शिक्षाओं के बारे में बताता है।”
“क्या आपने कभी इस बारे में सोचा कि ‘अगर परमेश्वर है, तो क्या वह दुनिया से दुःख-तकलीफें और नाइंसाफी को मिटाने के लिए कोई कदम उठाएगा?’ [जवाब के लिए रुकिए। फिर प्रकाशितवाक्य 21:3, 4 पढ़िए।] यह किताब समझाती है कि परमेश्वर दुःख-तकलीफों को दूर करने और उन्हें जड़ से मिटाने के लिए क्या करेगा।” अध्याय 10 दिखाइए।
जागते रहो!
“आज दुनिया में गंभीर समस्याएँ और दिल दहलानेवाली घटनाएँ, आम बातें हो गयी हैं जिनकी वजह से बहुत-से लोग चिंता में हैं। [इलाके में हुई किसी घटना की मिसाल दीजिए।] क्या आपको मालूम है कि ये सब एक खास चिन्ह का हिस्सा हैं जो इस बात का सबूत देते हैं कि परमेश्वर की सरकार बहुत जल्द दुनिया की बागडोर सँभालनेवाली है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर विषय से जुड़ा एक वचन पढ़िए, जैसे मत्ती 24:3, 7, 8; लूका 21:7, 10, 11; या 2 तीमुथियुस 3:1-5.] इस ब्रोशर में यह समझाया गया है कि आज इन घटनाओं के जो मायने हैं, उन पर हमें क्यों खास ध्यान देने की ज़रूरत है।”
“आज जब कई लोग, दिल दहलानेवाली घटनाएँ देखते हैं, या जब उनका सबुकछ लुट जाता है, या फिर उनके किसी अज़ीज़ की मौत हो जाती है, तो वे बिलकुल टूट जाते हैं। ऐसे में कुछ लोग सोचते हैं कि परमेश्वर इन्हें रोकने के लिए कुछ करता क्यों नहीं? मगर बाइबल हमें यकीन दिलाती है कि परमेश्वर इंसान को सारे दुःख-दर्द से राहत दिलाने के लिए बहुत जल्द कार्यवाही करेगा। [प्रकाशितवाक्य 14:6, 7 पढ़िए।] गौर कीजिए कि जब परमेश्वर न्याय करेगा, तब इंसानों के लिए इसका क्या मतलब होगा। [2 पतरस 3:10, 13 पढ़िए।] यह ब्रोशर इस अहम विषय पर ज़्यादा जानकारी देता है।”
ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है
“अगर कोई आपको इस तरह के खूबसूरत माहौल में रहने का न्यौता दे, तो क्या आप उसे स्वीकार करेंगे? [पेज 4-5 पर दी गयी तसवीर दिखाकर जवाब के लिए रुकिए।] अगर हम हमेशा के लिए ऐसी ज़िंदगी का लुत्फ उठाना चाहते हैं, तो गौर कीजिए कि परमेश्वर का वचन हमें क्या करने के लिए कहता है। [यूहन्ना 17:3 पढ़िए।] यह किताब आपको वह ज्ञान लेने में मदद देगी जिससे हमेशा की ज़िंदगी मिल सकती है।” अगली मुलाकात में अध्याय 1 के पहले पाँच पैराग्राफ पर चर्चा करने का इंतज़ाम कीजिए।
घर-मालिक को पेज 188-9 पर दी गयी तसवीर दिखाकर वहाँ लिखा सवाल पूछिए: “क्या आप परादीस में रहने की आशा करते हैं, जब पृथ्वी परमेश्वर के ज्ञान से भर जाती है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर यशायाह 11:9 पढ़िए।] इस किताब की मदद से आप जान पाएँगे कि बाइबल, परादीस के बारे में क्या बताती है और उसमें रहने के लिए हमें क्या करना होगा?” अगली मुलाकात में अध्याय 1 के पैराग्राफ 11-16 पर चर्चा करने का इंतज़ाम कीजिए।
महान शिक्षक से सीखिए (अँग्रेज़ी)
“क्या आपको लगता है कि अगर लोग इस कहावत के मुताबिक जीएँ, तो दुनिया में खुशहाली होगी? [मत्ती 7:12क पढ़िए। फिर जवाब के लिए रुकिए।] इस किताब में ऐसे कई सबक सीखने को मिलते हैं जो अब तक के सबसे महान शिक्षक ने बताए थे।” अध्याय 17 में दी गयी तसवीरों और उनके शीर्षकों की तरफ ध्यान खींचिए।
“आज कई माता-पिता अपने बच्चों के दिलो-दिमाग में अच्छे नैतिक उसूल बिठाने की कोशिश करते हैं। क्या आपको लगता है कि ऐसा करना ज़रूरी है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर नीतिवचन 22:6 पढ़िए।] ध्यान दीजिए, यहाँ माता-पिता को सलाह दी गयी है कि वे अपने बच्चों को छुटपन से ही ट्रेनिंग देना शुरू करें। इसमें माता-पिता की मदद करने के लिए यह किताब तैयार की गयी है।” अध्याय 15 या 18 में दी गयी तसवीरों और उनके शीर्षकों पर ध्यान खींचिए।
“अकसर माता-पिता अपने बच्चों के सवाल सुनकर दंग रह जाते हैं। और उनके कुछ सवालों के जवाब देना तो बहुत मुश्किल होता है, है ना? [जवाब के लिए रुकिए। फिर इफिसियों 6:4 पढ़िए।] यह किताब माता-पिताओं की मदद करती है कि वे अपने बच्चों के सवालों के जवाब दे सकें।” अध्याय 11 और 12 या 34 से 36 पर दी गयी चंद तसवीरों और उनके शीर्षकों की तरफ ध्यान खींचिए।
जीवन—इसकी शुरूआत कैसे हुई? विकास से या सृष्टि से? (अँग्रेज़ी)
“अपने इलाके में बढ़ते जुर्म और हिंसा से हम सभी परेशान हैं। क्या आपको लगता है कि ऐसा कोई है जो इस समस्या को पूरी तरह मिटा सके? [जवाब के लिए रुकिए।] परमेश्वर ऐसा कर सकता है।” पेज 196 खोलिए; पैराग्राफ 19 में दिया वचन, नीतिवचन 2:21, 22 पढ़िए और उसे चंद शब्दों में समझाइए। अध्याय 16 का शीर्षक दिखाकर किताब पेश कीजिए।
पेज 6 खोलिए और कहिए: “बहुतों का मानना है कि हमारी सुंदर पृथ्वी और इस पर ज़िंदगी की शुरूआत इत्तफाक से हुई। क्या इसमें कोई तुक नज़र आता है? आपकी राय में इन सबकी शुरूआत कैसे हुई? [जवाब के लिए रुकिए।] अनगिनत सबूत, बाइबल की इस बात को पुख्ता करते हैं कि एक सिरजनहार है जो बहुत ही शक्तिशाली है और हम इंसानों से बेहद प्यार करता है। वही एकमात्र सच्चा परमेश्वर है और उसका नाम यहोवा है।” भजन 83:18 पढ़िए और चंद शब्दों में समझाइए कि वह कैसे अपने मकसद के मुताबिक पूरी धरती को फिरदौस में बदल देगा।
मानवजाति द्वारा परमेश्वर की खोज (अँग्रेज़ी)
“आज दुनिया में बहुत सारे धर्म हो गए हैं। ऐसे में हम कैसे पता लगा सकते हैं कि परमेश्वर को कौन-सा धर्म मंज़ूर है?” जवाब पाने के बाद, पेज 377 खोलिए। सातवें मुद्दे की तरफ ध्यान खींचिए और घर-मालिक से पूछिए कि क्या वह इस बात से सहमत है कि सच्चा धर्म वही है जो सब जातियों को एक करे। उसमें दिए गए बाइबल हवालों में से एक पढ़िए और अगर समय हो, तो सूची में दिए दूसरे मुद्दों पर चर्चा कीजिए। अगर घर-मालिक सच्ची दिलचस्पी दिखाता है, तो उसे किताब पेश कीजिए। उससे विदा लेते वक्त आप पूछ सकते हैं, “सच्चे धर्म का एक इंसान के चालचलन पर क्या असर होना चाहिए?” इस सवाल का जवाब देने के लिए वापसी भेंट का इंतज़ाम कीजिए।
अगर घर-मालिक कहता है कि वह किसी बड़े धर्म का सदस्य है, तो आप कह सकते हैं: “अलग-अलग धर्म के लोगों से मिलना, एक दिलचस्प अनुभव है। परमेश्वर की तलाश में इंसानों ने अलग-अलग रास्ते इख्तियार किए हैं। [अगर ठीक लगे, तो प्रेरितों 17:26, 27 पढ़िए।] अकसर, लोग वही धर्म अपनाते हैं जो उनके माता-पिता मानते हैं। [पेज 8 के पैराग्राफ 12 पढ़िए।] दूसरे धर्मों के बारे में सीखने से हमारा ज्ञान और हमारी समझ बढ़ती है। यह किताब समझाती है कि दुनिया के बड़े-बड़े धर्मों की शुरूआत कैसे हुई, उनकी क्या-क्या शिक्षाएँ और रस्मों-रिवाज़ हैं।” मिसाल के तौर पर, घर-मालिक के धर्म के बारे में किताब से जानकारी दिखाइए जो इन पेजों पर दी गयी है: सिख धर्म (110-1); हिंदू धर्म (116-17); बौद्ध धर्म (141); ताओ धर्म (164-6); कन्फ्यूशीवाद (177); शिंटो धर्म (190-5); यहूदी धर्म (220-1); और इस्लाम धर्म (289)।
प्रकाशितवाक्य—इसकी शानदार पूर्ति जल्द ही! (अँग्रेज़ी)
“आपने शायद इसके बारे में सुना होगा कि [समाचारों में आयी एक खबर का ज़िक्र कीजिए]। जब किसी दुर्घटना में लोगों की बेवक्त मौत हो जाती है, तो बहुत-से जन सोचते हैं कि मरे हुओं के परिवारों को कैसे सांत्वना दी जाए। इस बारे में आपकी क्या राय है?” जवाब के लिए रुकिए। फिर पेज 299 खोलिए और उसमें पुनरुत्थान की तसवीर दिखाइए। फिर कहिए: “कई लोग यह जानकर हैरान होते हैं कि फिरदौस बनी धरती पर मरे हुए धर्मी और अधर्मी, दोनों को दोबारा ज़िंदा किया जाएगा। [पेज 297 के पैराग्राफ 9 में प्रेरितों 24:15 का हवाला पढ़िए और फिर पैराग्राफ 10 में इस आयत को समझाने के लिए दी गयी जानकारी बताइए।] परमेश्वर अपने मकसद के मुताबिक भविष्य में और क्या करनेवाला है, इसकी बारीकियाँ इस किताब में दी गयी हैं जो बहुत ही दिलचस्प हैं।”
बाइबल—परमेश्वर का वचन या इंसान का? (अँग्रेज़ी)
“आज हम ऐसे दौर में जी रहे हैं, जहाँ हर कोई गंभीर समस्याओं से घिरा हुआ है। कई लोग तरह-तरह के सलाहकारों से मशविरा लेते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो मदद के लिए अलौकिक शक्ति इस्तेमाल करनेवालों के पास जाते हैं। आपके खयाल से हमें बुद्धि-भरी सलाह कहाँ से मिल सकती है? [जवाब के लिए रुकिए।] बाइबल, एक ऐसी सच्चाई बयान करती है जिसे जानना हम सबके लिए ज़रूरी है। [2 तीमुथियुस 3:16 पढ़िए। फिर पेज 187 खोलिए और पैराग्राफ 9 पढ़िए।] यह किताब आपको यह समझने में मदद देगी कि बाइबल की शिक्षाओं पर चलने से हमेशा अच्छे नतीजे मिलते हैं।”
वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा
“क्रिसमस की छुट्टियों के दौरान बहुत-से लोग यीशु को याद करते हैं। लेकिन दुनिया की बुराइयों को देखते हुए कुछ लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या यीशु को वाकई हमारी फिक्र है? इस बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?” जवाब के लिए रुकिए। अध्याय 24 खोलिए और थोड़े शब्दों में चर्चा कीजिए कि यीशु धरती पर क्यों आया था। इसके बाद यूहन्ना 15:13 पढ़कर इस बात पर ज़ोर दीजिए कि यीशु को सचमुच में इंसानों से गहरा प्यार है।
“जब कोई यीशु मसीह की बात करता है, तो अकसर लोगों के मन में या तो एक नन्हे बच्चे की, या फिर दर्द से तड़पते एक मरते आदमी की तसवीर उभर आती है। वे बस यीशु के जन्म और मौत के बारे में जानते हैं। अकसर वे धरती पर यीशु की कही शानदार बातों और उसके बढ़िया कामों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। उसने जो कुछ किया, उसका असर धरती पर जन्मे हर इंसान पर पड़ता है। इसलिए यह निहायत ज़रूरी है कि उसने हमारी खातिर जो अद्भुत काम किए हैं, हम उन सबके बारे में जितना ज़्यादा हो सके सीखें।” यूहन्ना 17:3 पढ़िए। प्रस्तावना का पहला पेज खोलिए और उसका चौथा पैराग्राफ पढ़िए।
परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है?
“आपको क्या लगता है, क्या परमेश्वर ने हमें इसलिए बनाया कि हम मुसीबतें झेलते रहें? [जवाब के लिए रुकिए। फिर मत्ती 6:10 पढ़िए।] क्या आपने कभी सोचा है कि परमेश्वर का राज्य असल में है क्या?” पाठ 6 खोलिए और शुरू में दिए सवाल पढ़िए। चाहे तो उसी वक्त पाठ पर चर्चा कीजिए या अगली मुलाकात में ऐसा करने का इंतज़ाम कीजिए।
“आज तरक्की के मामले में दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गयी है, फिर भी बीमारी और मौत की वजह से इंसान लगातार दुःख और पीड़ा सह रहा है। क्या आप जानते हैं कि यीशु बीमारों, बुज़ुर्गों, यहाँ तक कि मरे हुओं के लिए क्या करेगा?” जवाब के लिए रुकिए। अगर घर-मालिक इस सवाल का जवाब जानना चाहता है, तो पाठ 5 खोलिए और पैराग्राफ 5-6 के लिए दिए सवाल पढ़िए। फिर उन पैराग्राफों पर चर्चा कीजिए या अगली मुलाकात में ऐसा करने का इंतज़ाम कीजिए।
एकमात्र सच्चे परमेश्वर की उपासना करें
“आपके खयाल से, ज़िंदगी के तनाव को सहने के लिए हमें मदद कहाँ से मिल सकती है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर रोमियों 15:4 पढ़िए।] ध्यान दीजिए कि परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा शास्त्र हमें शिक्षा, शांति और आशा देता है जो हमें मुश्किल हालात को सहने की ताकत दे सकता है। इस किताब में बहुत-से कारगर सुझाव दिए हैं कि हम कैसे बाइबल की पढ़ाई से सबसे ज़्यादा फायदा पा सकते हैं।” पेज 30 में दिए चार मुद्दे पर ज़ोर दीजिए।
“यीशु के दिनों से लेकर आज तक बहुत-से लोगों ने परमेश्वर के राज्य के आने की प्रार्थना की है। आपने कभी सोचा है कि उस राज्य का आना, इंसान के लिए क्या मायने रखता है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर दानिय्येल 2:44 पढ़िए।] यह किताब समझाती है कि परमेश्वर का राज्य क्या है, यह भविष्य में क्या-क्या करनेवाला है और इसके धर्मी शासन से हमें कैसे फायदा पहुँच सकता है।” पेज 92-3 पर दी गयी तसवीर दिखाइए।