मदद कीजिए ताकि उन्हें आगे भी गवाही मिलती रहे
सुसमाचार सुनाते वक्त अकसर हमारी मुलाकात ऐसे लोगों से होती है जो हमारी कलीसिया के इलाके में नहीं रहते या जो दूसरी भाषा बोलते हैं जैसे कि साइन लैंग्वेज। यही नहीं, जिन लोगों के साथ हमने बाइबल पर अच्छी चर्चाएँ की हैं, वे शायद अपना घर बदलकर हमारे इलाके से कहीं और चले जाएँ। इन्हें आगे भी गवाही मिलती रहे, इसके लिए क्या किया जा सकता है? इसके लिए हमें प्लीज़ फॉलो अप (S-43) फॉर्म भरना होगा।
2 आम तौर पर जब लोगों को उनकी अपनी भाषा में सुसमाचार सुनाया जाता है, तो वे और भी ध्यान से सुनते हैं। (प्रेरि. 22:1, 2) यही वजह है कि जब हमें दूसरी भाषा बोलनेवाला कोई शख्स मिलता है, तो ज़्यादातर मामलों में हमें यह फॉर्म भरना चाहिए। फिर चाहे उस शख्स ने राज्य के संदेश में कोई दिलचस्पी न दिखायी हो। लेकिन अगर दूसरी भाषा बोलनेवाले काफी तादाद में हैं, और उन्हें अपनी भाषा में नियमित तौर पर गवाही दी जा रही है, तो हर घर में यह फॉर्म भरना ज़रूरी नहीं, सिर्फ उस घर में भरा जा सकता है जहाँ दिलचस्पी दिखायी गयी है।
3 फॉर्म भरना: बातों-बातों में उस शख्स का नाम, पता और टेलीफोन नंबर लीजिए। फॉर्म पर लिखिए कि उसने हमारे संदेश में किस हद तक दिलचस्पी दिखायी है, वह घर पर कब मिलेगा, उसे कौन-सा साहित्य दिया गया या उसने किस साहित्य की गुज़ारिश की है। यह भी लिखिए कि वह कौन-सी भाषा सबसे अच्छी तरह समझता है। सारी जानकारी भरने के बाद कलीसिया के सेक्रेट्री को फौरन यह फॉर्म दे दीजिए। वह इसे उस कलीसिया या समूह को भेज देगा जिसके इलाके में यह शख्स रहता है।
4 फॉर्म भेजना: अगर सेक्रेट्री को पता नहीं है कि किस कलीसिया या समूह को या किस पते पर यह फॉर्म भेजना चाहिए, तो वह शाखा दफ्तर को फोन करके ‘टेरिट्री डेस्क’ से इस बारे में ज़रूरी जानकारी हासिल कर सकता है। अब से यह फॉर्म भेजने के लिए सिटी ओवरसियर को इत्तला करने की ज़रूरत नहीं।
5 जब कभी एक कलीसिया या एक समूह को भरा हुआ प्लीज़ फॉलो अप फॉर्म मिलता है, तो उस इंसान के पास जाने का जल्द-से-जल्द इंतज़ाम किया जाना चाहिए। हम अपनी तरफ से मेहनत करते हुए इस बात का भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा ‘अनंत जीवन के लिए सही मन रखनेवालों’ का हृदय ज़रूर खोलेगा।—प्रेरि. 13:48, NW.