गैर-ईसाइयों के लिए ब्रोशर
क्या कभी युद्ध के बिना एक संसार होगा? (अँग्रेज़ी)
एक यहूदी को गवाही देते वक्त आप यह कह सकते हैं:
“हममें से ज़्यादातर लोग जानते हैं कि अपने किसी अज़ीज़ की मौत का गम क्या होता है। मगर क्या आपने कभी सोचा है कि मरने पर इंसान का क्या होता है?” जवाब के लिए रुकिए। फिर ब्रोशर के पेज 22 पर दिया बक्स दिखाइए जिसका शीर्षक है, “मौत और प्राण—ये क्या होते हैं?” इसके बाद, पेज 23 पर पैराग्राफ 17 पढ़िए जिसमें मरे हुओं को दोबारा ज़िंदा करने की बात कही गयी है। बताइए कि कुलपिता अय्यूब भी पुनरुत्थान की आशा रखता था। ब्रोशर पेश कीजिए और अगली मुलाकात में, पैराग्राफ 17 के आखिर में दी गयी आयतों पर चर्चा करने का इंतज़ाम कीजिए।—km-HI 11/99 पेज 8.
ख़ुदा की राहनुमाई—हमारे लिए फ़िरदौस की राह
एक मुसलिम व्यक्ति से बात करते वक्त आप यह कह सकते हैं:
“दरअसल, मैं खासकर मुसलिम लोगों से मिलने की कोशिश कर रहा हूँ। और जहाँ तक मैं समझता हूँ, आप मानते हैं कि सच्चा खुदा सिर्फ एक ही है, और आप सब नबियों को भी मानते हैं, है ना? [जवाब के लिए रुकिए।] मैं आपसे एक बहुत पुरानी भविष्यवाणी के बारे में बात करना चाहता हूँ जो बताती है कि इस ज़मीन को बदलकर अमन-चैन का एक बाग, एक फिरदौस बनाया जाएगा। इस बारे में एक नबी ने जो लिखा है, क्या मैं उसे पढ़कर सुना सकता हूँ? [जवाब के लिए रुकिए। फिर यशायाह 11:6-9 पढ़िए।] इस भविष्यवाणी से मुझे कुरान में लिखी एक बात याद आती है, जो इस ब्रोशर में दी गयी है।” पेज 9 खोलिए और मोटे अक्षरों में दिया हवाला पढ़िए। अगर वह दिलचस्पी दिखाता है, तो बातचीत जारी रखते हुए पिछले पेज पर दिए पैराग्राफ 7-9 पर चर्चा कीजिए।—km-HI 1/00 पेज 8.
“देख! मैं सबकुछ नया कर देता हूँ”
बौद्ध धर्म माननेवाले एक बुज़ुर्ग से आप यह कह सकते हैं:
“आजकल हमारे बच्चों पर हर तरफ से गंदे विचारों की बौछार हो रही है और इनका उन पर बुरा असर पड़ता है। इसके बारे में शायद आप भी चिंता करते होंगे। आखिर, जवानों में बदचलनी इतनी क्यों बढ़ गयी है? [जवाब के लिए रुकिए।] क्या आपको मालूम है कि एक किताब में ऐसे हालात के बारे में मुद्दतों पहले भविष्यवाणी की गयी थी? यह एक ऐसी किताब है, जिसकी लिखाई इसलाम, ईसाई और हिंदू धर्मों की शुरूआत से भी पहले हुई थी? [2 तीमुथियुस 3:1-3 पढ़िए।] गौर कीजिए कि लोगों के ज्ञान का भंडार तो बढ़ता ही जा रहा है, मगर दुनिया के हालात वैसे-के-वैसे ही हैं। [आयत 7 पढ़िए।] इस साहित्य ने मुझे एक ऐसी सच्चाई सीखने में मदद दी है जो ज़्यादातर लोग कभी नहीं सीखते। क्या आप इसे पढ़ना चाहेंगे?”—km-HI 8/99 पेज 8.
हमारी समस्याएँ—उन्हें हल करने में कौन हमारी मदद करेगा?
हिंदू धर्म के एक नौजवान से आप यह कह सकते हैं:
“आप परमेश्वर को ज़रूर मानते होंगे। आपकी राय में परमेश्वर ने हम इंसानों को किस मकसद से बनाया है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर उत्पत्ति 1:28 पढ़िए।] आज दुनिया के कई देशों में आबादी बहुत ज़्यादा है और समस्याएँ भी बढ़ती जा रही हैं। क्या आपको लगता है कि हमारी समस्याओं को हल करने में सिरजनहार हमारी मदद करेगा?” जवाब के लिए रुकिए। फिर ब्रोशर पेश कीजिए।—km-HI 9/99 पेज 8.
हमें क्यों परमेश्वर की उपासना प्रेम और सच्चाई से करनी चाहिए? (अँग्रेज़ी)
बाल-बच्चेवाले एक हिंदू आदमी से यह कहकर उसकी दिलचस्पी जगायी जा सकती है:
“मैं ऐसे लोगों से मिल रहा हूँ जो आजकल के परिवारों की हालत देखकर परेशान हैं। अगर एक परिवार को टूटने से बचाना है तो आपके खयाल में हमें क्या करना चाहिए? [जवाब के लिए रुकिए।] कुछ लोग जानते हैं कि परिवार के बारे में हिंदू शास्त्रों में क्या लिखा है, लेकिन उन्हें कभी यह जानने का मौका नहीं मिला कि इसी विषय पर बाइबल क्या कहती है। इस बारे में, मैं आपको बाइबल से यह दिखाना चाहता हूँ। [कुलुस्सियों 3:12-14 पढ़िए।] यह ब्रोशर भारत के पवित्र ग्रंथों, साथ ही बाइबल की जाँच करता है।” ब्रोशर पेश कीजिए और पेज 8-9 और 20-1 दिखाइए।—km-HI 9/99 पेज 8.
हमेशा की शांति और खुशी—कैसे पाएँ (अँग्रेज़ी)
एक चीनी विद्यार्थी को गवाही देते वक्त आप यह कह सकते हैं:
“मैंने देखा है कि लगभग सभी विद्यार्थी यही चाहते हैं कि वे शांति और खुशी पाएँ। क्या आपको भी लगता है कि ज़िंदगी में इनका होना ज़रूरी है? [जवाब के लिए रुकिए।] क्या आपको नहीं लगता कि सदियों पहले लिखी यह भविष्यवाणी अगर आज पूरी हो, तो कितना अच्छा होगा?” भजन 37:11 पढ़िए और ब्रोशर पेश कीजिए।—km-HI 2/98 पेज 5.