सार्वजनिक जगहों पर असरदार तरीके से गवाही देना
1. आज के मसीही, पहली सदी के मसीहियों की मिसाल पर चलते हुए कैसे सार्वजनिक जगहों पर गवाही दे रहे हैं, और इसका क्या नतीजा रहा है?
यीशु के शुरूआती चेलों को जहाँ कहीं भी लोग मिले, उन्होंने उन्हें खुशखबरी सुनायी। (प्रेरि. 16:13; 17:17; 20:20, 21) आज, मसीही भी ऐसा ही कर रहे हैं। वे पार्क, बस स्टॉप जैसी सार्वजनिक जगहों पर लोगों को गवाही देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। नतीजा, वे दिलचस्पी दिखानेवाले ऐसे लोगों से मिल पा रहे हैं जिनसे घर पर मिलना बहुत मुश्किल है।
2. सार्वजनिक जगहों पर गवाही देने के लिए हमें समझ से काम लेने की ज़रूरत क्यों है, और हर काम तरतीब से हो, इसके लिए हम क्या कर सकते हैं?
2 सार्वजनिक जगहों पर गवाही देने के लिए हमें समझ से काम लेना होगा। ऐसी जगहों पर प्रचार करते वक्त हमें सावधानी बरतनी चाहिए ताकि हम बेवजह लोगों का ध्यान अपनी तरफ न खींचें। मिसाल के लिए, अगर बहुत-से प्रचारक एक ही इलाके में प्रचार करें, या फिर उन्हीं दुकानों या दफ्तरों में बार-बार गवाही देने जाएँ, तो कुछ लोग चिढ़ सकते हैं। इससे हमारे काम की शोभा घट जाती है और शायद हमें अच्छे नतीजे न मिलें। ऐसा न हो, इसके लिए क्या किया जा सकता है? कुछ कलीसियाओं के प्रचार इलाके में बहुत-सी सार्वजनिक जगहें हैं जहाँ पर गवाही दी जा सकती है। उन्होंने इन जगहों के अलग टेरिट्री कार्ड बनाए हैं। इससे वे अच्छी व्यवस्था और कायदे के साथ प्रचार कर पाए हैं। (1 कुरि. 14:40) इसके अलावा, जो इलाके हमारी कलीसिया को दिए गए हैं, हमें सिर्फ उन्हीं इलाकों में प्रचार करना चाहिए। अगर हमारी कलीसिया की सेवा समिति ने दूसरी कलीसिया की मदद करने का इंतज़ाम किया है, तब हम उस कलीसिया के इलाके में प्रचार कर सकते हैं। इस तरह हर काम तरतीब से होगा।—नवंबर 1998 की हमारी राज्य सेवकाई, पेज 5-6, पैरा. 18-19 देखिए।
3. सार्वजनिक जगहों पर गवाही देने के लिए कुछ प्रचारकों ने कौन-सा तरीका असरदार पाया है?
3 लोगों से बातचीत शुरू करना: जब यीशु ने कुँए के पास एक स्त्री से बात की, तो उसने कुछ ही शब्दों में अपनी बातचीत शुरू की। फिर जैसे-जैसे उस स्त्री ने दिलचस्पी दिखायी, यीशु उसे और भी बातें बताने लगा। (यूह. 4:7-26) आज भी कुछ जगहों पर बातचीत शुरू करने के लिए यीशु का यह तरीका काफी असरदार है। कुछ प्रचारकों ने पाया है कि राज्य का संदेश देने से पहले, कुछ मिनट के लिए लोगों से हैलो या नमस्ते कहकर उनकी खैरियत पूछने और उनमें दिलचस्पी लेने से ज़्यादा अच्छे नतीजे मिलते हैं। इसके बाद प्रचारक उस इलाके या शहर में हुई किसी घटना का ज़िक्र करते हैं और इससे उनके बीच बातचीत शुरू हो जाती है। जब लोग अपनी चिंताओं के बारे में बताते हैं, तो प्रचारक बड़े ध्यान से उनकी सुनते हैं। और फिर वे परमेश्वर के वचन से उन्हें दिलासा देते हैं।—रोमि. 15:4.
4. हम लोगों की दिलचस्पी को कैसे बढ़ा सकते हैं?
4 दिलचस्पी बढ़ाना: हर बार जब हमारी किसी के साथ अच्छी चर्चा होती है, तो हमें उसकी दिलचस्पी बढ़ाने का इंतज़ाम करना चाहिए। यह हम कैसे कर सकते हैं? बातचीत के आखिर में आप अपनी नोटबुक निकालते हुए कह सकते हैं: “आप से बात करके मुझे बहुत अच्छा लगा। क्या हम इस बातचीत को अगली बार जारी रख सकते हैं?” या फिर यह कहिए: “मेरे पास एक लेख है जिसे पढ़ने में आपको ज़रूर दिलचस्पी होगी। क्या मैं आपके घर या दफ्तर आकर वह लेख आपको दे सकता हूँ?” कुछ प्रचारक सीधे पूछते हैं: “क्या आप अपना टेलिफोन नंबर दे सकते हैं ताकि मैं आपसे संपर्क कर सकूँ?” इससे अकसर लोग खुशी से अपना नंबर दे देते हैं।
5. सार्वजनिक जगहों पर गवाही देने में हमारा क्या लक्ष्य होना चाहिए?
5 सार्वजनिक जगहों पर मिलनेवाले कई लोग बाइबल अध्ययन करने के लिए राज़ी हुए हैं। ऐसे लोगों के साथ उनके घर पर, नौकरी की जगह पर, किसी सार्वजनिक जगह पर, या फिर टेलिफोन के ज़रिए अध्ययन चलाया जा सकता है। आइए हम यह लक्ष्य रखें कि सार्वजनिक जगहों पर असरदार तरीके से गवाही देंगे और इस तरह लोगों के साथ बाइबल अध्ययन शुरू करेंगे।