वह स्कूल जो सीखी हुई बातों पर अमल करने में हमारी मदद करता है
सन् 2006 के लिए, परमेश्वर की सेवा स्कूल के कार्यक्रम में बाइबल की शिक्षाओं पर जो जानकारी दी गयी है, उसका अध्ययन करने के साथ-साथ हम उससे फायदा पाने की भी कोशिश करेंगे। कैसे? उन शिक्षाओं को अपनी पवित्र सेवा और रोज़मर्रा के जीवन में लागू करने के ज़रिए। आइए हम ठान लें कि सेवा स्कूल में हम जो कुछ सीखेंगे उस पर अमल भी करेंगे।—यूह. 13:17; फिलि. 4:9.
2 जवाब देना: इस साल बाइबल झलकियों में श्रोताओं के जवाबों के लिए एक और मिनट दिया गया है। इसलिए जो भाई झलकियाँ पेश करता है, उसे ध्यान रखना चाहिए कि अब उसे छः मिनट के बजाय पाँच मिनट के अंदर अपना भाग खत्म करना है। जवाब देनेवाले भाई-बहनों को भी वक्त का ध्यान रखना चाहिए। अगर पहले से अच्छी तैयारी की जाए, तो 30 सैकंड या उससे भी कम समय के अंदर हम ऐसे जवाब दे सकते हैं जिससे सभी को फायदा हो। श्रोताओं के लिए दिए गए पाँच मिनट के अंदर तकरीबन दस लोगों को बढ़िया जवाब देने का मौका मिलना चाहिए।
3 ऐसे भाषण जिनसे कुछ सीखने को मिलता है: बाइबल की झलकियाँ और हिदायत भाषण पेश करनेवाले भाई को जानकारी की अहमियत पर ज़ोर देकर समझाना चाहिए कि वह जानकारी हमारे प्रचार काम पर और रोज़मर्रा ज़िंदगी के दूसरे पहलुओं पर कैसे लागू होती है। एक वक्ता का काम सिर्फ इतना नहीं कि वह श्रोताओं के अंदर सीखी हुई बातों के मुताबिक कदम उठाने की इच्छा जगाए। उसे यह भी ठीक-ठीक बताना चाहिए कि उन्हें क्या कदम उठाने की ज़रूरत है, वह कदम कैसे उठाया जा सकता है और ऐसा करने के फायदे क्या हैं। शायद कुछ ऐसा कहना ठीक रहेगा: “इस तरह यह आयत हमें फलाँ काम करने की हिदायत देती है,” या “इन आयतों को हम प्रचार में यूँ इस्तेमाल कर सकते हैं।” प्राचीनों और सहायक सेवकों को अपनी कलीसिया के हालात के बारे में पता रहता है, इसलिए जहाँ तक हो सके उन्हें अपने भाषण में साफ-साफ बताना चाहिए कि कलीसिया को किस तरह जानकारी पर अमल करने की कोशिश करनी चाहिए।
4 जानकारी पर कैसे अमल किया जा सकता है, यह समझाने के लिए बाइबल में बताए किरदारों का हवाला देना खासकर मददगार हो सकता है। बाइबल के किसी किरदार का ज़िक्र करने के बाद, भाई कह सकता है: “शायद आप भी कुछ ऐसे ही हालात से गुज़र रहे हों।” वक्ता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बाइबल के किरदार से मिलनेवाले सबक के बारे में वह जो भी बताता है, वह चर्चा के विषय पर सही बैठे, पूरी बाइबल की समझ के मुताबिक हो और “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के साहित्य से मेल खाए।—मत्ती 24:45.
5 बुद्धि वह काबिलीयत है जिससे ज्ञान और समझ को सही तरह से इस्तेमाल करके कामयाबी हासिल की जाती है। बाइबल बताती है कि “बुद्धि श्रेष्ठ है।” (नीति. 4:7) इसलिए आइए हम परमेश्वर की सेवा स्कूल में अध्ययन के ज़रिए व्यावहारिक बुद्धि हासिल करते रहें, और दूसरों को बुद्धि की बातें सिखाने का हुनर भी बढ़ाते रहें।