हमारे बाइबल साहित्य का सोच-समझकर इस्तेमाल कीजिए
“मैं सन् 1965 से आपकी किताबें-पत्रिकाएँ पढ़ता आया हूँ। इन्हें पढ़ते वक्त मैं इनमें दिए बाइबल के हवाले भी खोलकर पढ़ता हूँ और मैंने पाया है कि आपके साहित्य में बतायी हर बात बाइबल से मेल खाती है। मेरी हमेशा से यह ख्वाहिश रही है कि मैं परमेश्वर और यीशु के बारे में सच्चाई जानूँ। और मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि आपकी किताबों-पत्रिकाओं और बाइबल की मदद से मुझे अपने सवालों के सही-सही जवाब मिल रहे हैं।” यह बात एक आदमी ने यहोवा के साक्षियों के मुख्यालय को एक खत में लिखी थी। उसी खत में उसने बाइबल अध्ययन की गुज़ारिश भी की थी।
2 इस आदमी की तरह, संसार-भर में ऐसे लाखों लोग हैं जो “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” की तरफ से मिलनेवाले बाइबल साहित्य की बहुत कदर करते हैं। (मत्ती 24:45) हर साल, भारी तादाद में ऐसी किताबें-पत्रिकाएँ छापी जाती हैं ताकि इनकी मदद से नेकदिल लोग “सत्य को भली भांति पहचान” सकें। (1 तीमु. 2:4) बाइबल की समझ देनेवाले इस साहित्य का हम सोच-समझकर इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं?
3 ज़ाया मत कीजिए: हो सकता है, वक्त के गुज़रते हमारे पास इतनी किताबें-पत्रिकाएँ जमा हो जाएँ कि हम उन सबका इस्तेमाल न कर पाएँ। ऐसे में हम क्या कर सकते हैं ताकि हमारा यह अनमोल साहित्य बेकार न जाए? प्रचार के लिए जब हम कलीसिया से साहित्य लेते हैं, तब हमें समझ से काम लेना चाहिए। किसी साहित्य की ढेर सारी कॉपियाँ लेने के बजाय, अच्छा होगा अगर हम सिर्फ एक-दो कॉपियाँ लें और फिर बाद में ज़रूरत पड़ने पर और साहित्य लें। तब हमारे घरों में किताबों-पत्रिकाओं का अंबार नहीं लगेगा। उसी तरह, अगर हमारे पास बहुत-सी पत्रिकाएँ पड़ी हैं, तो पत्रिकाओं का ऑर्डर कम कर देना ठीक रहेगा।
4 जिस साहित्य का कलीसिया में ज़्यादा स्टॉक है: अगर एक कलीसिया के पास किसी साहित्य का बहुत ज़्यादा स्टॉक है, तो लिट्रेचर कोऑर्डिनेटर अपने इलाके की दूसरी कलीसियाओं से पूछ सकता है कि क्या वे इस साहित्य का इस्तेमाल कर सकती हैं। प्रचारक अपने परिवार के अविश्वासी सदस्यों, बाइबल विद्यार्थियों और दूसरों को पुरानी किताबें-पत्रिकाएँ दे सकते हैं। जिन्होंने हाल ही में कलीसिया के साथ संगति करना शुरू किया है, उन्हें अगर आध्यात्मिक किताबों की अपनी लाइब्रेरी में रखने के लिए पुराने साहित्य मिल जाएँ तो उन्हें बड़ी खुशी होगी।
5 हम चाहते हैं कि हमारे साहित्य को जिस मकसद से छापा जाता है, वह मकसद पूरा हो, यानी नेकदिल लोगों को यहोवा के शानदार उद्देश्यों के बारे में ज़्यादा सीखने में मदद मिले। यीशु ने चमत्कार करके लोगों की भीड़ को खाना खिलाया था और उसके बाद, उसने बचा हुआ खाना फेंका नहीं। उसी तरह, हमें भी अपने अनमोल बाइबल साहित्य का बढ़िया-से-बढ़िया इस्तेमाल करने का लक्ष्य रखना चाहिए। (यूह. 6:11-13) अगर हमारी किताबें-पत्रिकाएँ हमारी शेल्फ पर या बैग में ही पड़ी रहेंगी, तो उसमें दिया जीवनदायी संदेश उन लोगों के दिल तक नहीं पहुँच पाएगा जो धार्मिकता से प्यार करते हैं। इसलिए हमें उतना ही साहित्य लेना चाहिए जितना हम प्रचार में दे सकते हैं और फिर उनका सोच-समझकर इस्तेमाल करना चाहिए ताकि दूसरों को फायदा हो।—फिलि. 4:5.
[अध्ययन के लिए सवाल]
1, 2. हमारे साहित्य के बारे में कई लोग कैसा महसूस करते हैं, और इससे क्या सवाल उठता है?
3. हम क्या कर सकते हैं ताकि हम पत्रिकाओं को ज़ाया न करें?
4. अगर एक कलीसिया के पास किसी साहित्य का ज़्यादा स्टॉक है तो क्या किया जा सकता है?
5. हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम अपने साहित्य की कदर करते हैं?