परमेश्वर की सेवा स्कूल की चर्चा
अप्रैल 30, 2007 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए गए सवालों पर चर्चा होगी। स्कूल अध्यक्ष, 30 मिनट के लिए मार्च 5 से अप्रैल 30, 2007 तक के हफ्तों में पेश किए भागों पर हाज़िर लोगों के साथ चर्चा करेगा। [ध्यान दीजिए: जिस सवाल के बाद कोई हवाला नहीं दिया गया है, उसके जवाब के लिए आपको खुद खोजबीन करनी है।—सेवा स्कूल किताब के पेज 36-7 देखिए।]
भाषण के गुण
1. हम अपनी आउटलाइन सरल कैसे रख सकते हैं? [be-HI पेज 168 पैरा. 4]
2. ऐसे चार तरीके बताइए जिनका इस्तेमाल करके हम जानकारी को तर्क के मुताबिक सिलसिलेवार ढंग से पेश कर सकते हैं। [be-HI पेज 170 पैरा. 3–पेज 172 पैरा. 4]
3. यह तय करते वक्त कि एक भाषण में क्या-क्या जानकारी शामिल करें, हमें कौन-सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए? [be-HI पेज 173 पैरा. 1-2]
4. नोट्स बार-बार देखे बिना बात करने के कुछ फायदे क्या हैं? [be-HI पेज 175 पैरा. 3-5]
5. बोलचाल की शैली में बातचीत करने की क्या अहमियत है, और हम इस काबिलीयत को कैसे बढ़ा सकते हैं? [be-HI पेज 179 पैरा. 4, बक्स; पेज 180, बक्स]
भाग नं. 1
6. जब एक भाई को हफ्ते की बाइबल पढ़ाई से झलकियाँ पेश करने का भाग सौंपा जाता है, तो उसे कैसे तैयारी करनी चाहिए? [be-HI पेज 47 पैरा. 3-4]
7. यीशु की छुड़ौती से मिलनेवाले फायदों से भी बढ़कर अहम बात क्या है? [w05-HI 11/1 पेज 14 पैरा. 1]
8. एक वक्ता को जन भाषण की आउटलाइन में दी आयतों के हवालों का कैसे इस्तेमाल करना चाहिए? [be-HI पेज 53 पैरा. 1-2]
9. एक शिक्षक के तौर पर यीशु का क्या मकसद था, और हम उसकी मिसाल पर कैसे चल सकते हैं? [be-HI पेज 57 पैरा. 1]
10. सिखाते वक्त, तुलना करके फर्क बताना क्यों असरदार है? [be-HI पेज 57 पैरा. 3-4]
हफ्ते की बाइबल पढ़ाई
11. यिर्मयाह 6:16 में ‘प्राचीनकाल के अच्छे मार्ग’ पर चलने की जो सलाह दी गयी है, उसे हम अपने जीवन में लागू करने की कोशिश कैसे कर सकते हैं?
12. यहोवा ने विश्वासघाती यहूदियों को सबक देने के लिए लगलग पक्षी की ही मिसाल क्यों दी, और इससे हम क्या सीख सकते हैं? (यिर्म. 8:7)
13. हम यिर्मयाह 15:17 में दी सलाह को आज के मनोरंजन पर कैसे लागू कर सकते हैं?
14. इंसान, महान कुम्हार यहोवा के हाथों में मिट्टी के लोंदे की तरह कैसे हैं? (यिर्म. 18:5-11)
15. यिर्मयाह 25:17-26 में जिस क्रम में अलग-अलग जातियों का ब्यौरा दिया गया है, वह आज हमारे लिए क्या मायने रखता है?