जब लोग घर पर नहीं मिलते
1. घर-घर प्रचार करते वक्त, हम सभी को किस समस्या का सामना करना पड़ता है?
कई इलाकों में, लोगों से घर पर मिलना दिनोंदिन मुश्किल होता जा रहा है। इन ‘कठिन समयों’ में अपना गुज़ारा करने के लिए, बहुत-से लोगों को मजबूरन ज़्यादा घंटे काम करना पड़ता है। (2 तीमु. 3:1) इसके अलावा, कुछ लोग शायद घर पर इसलिए भी नहीं मिलते, क्योंकि वे या तो खरीदारी के लिए बाज़ार में या दुकानों पर जाते हैं, या फिर कहीं और मनोरंजन का आनंद उठा रहे होते हैं। ऐसे लोगों तक हम सुसमाचार कैसे पहुँचा सकते हैं?
2. हम ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे घर पर न मिलनेवालों से बाद में, मुलाकात की जा सके?
2 अच्छा रिकॉर्ड रखिए: सबसे पहला कदम है, उन घरों के पते लिखना जिनमें लोग नहीं मिलते। ऐसा करना खासकर तब ज़रूरी होता है जब आपको ऐसे इलाके में जाना हो, जहाँ कई बार प्रचार हो चुका है। क्या आप अपने रिकॉर्ड में सड़क का नाम, टेरिट्री कार्ड का नंबर, खुद का नाम और तारीख भी लिखते हैं? ये सारी बातें लिखने के बाद, आप कुछ खाली जगह छोड़ सकते हैं, ताकि जब आप या कोई दूसरा प्रचारक दोबारा उन घरों पर जाए, तो घर-मालिक से मिलने पर कुछ और जानकारी लिख सके। प्रचार खत्म करने के बाद, उस भाई को ये रिकॉर्ड देना मत भूलिए जिसके पास टेरिट्री कार्ड होता है। लेकिन अगर आप दोबारा उन घरों पर जाने के लिए उस भाई से पूछते हैं और वह हाँ कहता है, तो आपको उसे रिकॉर्ड देने की ज़रूरत नहीं है। ध्यान रखिए कि दिलचस्पी दिखानेवालों का नाम और पता, एक अलग कागज़ पर लिखिए ताकि उनसे वापसी भेंट की जा सके।
3. जो लोग घर पर नहीं मिलते, उन तक सुसमाचार पहुँचाने के कुछ सुझाव क्या हैं?
3 किसी और वक्त पर जाने की कोशिश कीजिए: कुछ लोग जो सोमवार से शुक्रवार तक दिन के वक्त घर पर नहीं होते, वे शायद शाम को या फिर शनिवार-रविवार को घर पर रहते हों। क्या आप अपने शेड्यूल में फेरबदल करके ऐसे समय पर उन्हें गवाही देने जा सकते हैं? (1 कुरि. 10:24) अगर आपके लिए यह मुमकिन नहीं तो आप, घर पर न मिलनेवालों का रिकॉर्ड एक ऐसे प्रचारक को दे सकते हैं, जो किसी और वक्त पर जाकर उनसे मुलाकात कर सकता है। या फिर, आप उन्हें चिट्ठी या टेलिफोन के ज़रिए गवाही दे सकते हैं। इसमें आप उन प्रचारकों को शामिल कर सकते हैं, जो खराब सेहत की वजह से घर-घर के प्रचार में हिस्सा नहीं ले पाते हैं। नतीजा, उन्हें बड़ी खुशी मिलेगी।
4. कौन-सा अनुभव दिखाता है कि जो लोग घर पर नहीं होते, उनसे मिलने की बार-बार कोशिश करना बहुत ज़रूरी है?
4 जो लोग घर पर नहीं होते, उनसे मिलने की बार-बार कोशिश करना कितना ज़रूरी है, यह समझने के लिए आइए एक अनुभव पर गौर करें। एक जगह पर, प्रचारक लगातार तीन साल तक एक घर पर जाते रहे, मगर वह हमेशा बंद मिलता था। आखिरकार, उनकी मुलाकात उस घर में रहनेवाली एक स्त्री से हो ही गयी। उससे बात करने पर साक्षियों को पता चला कि वह उन सालों के दौरान इसी इंतज़ार में थी कि कब एक साक्षी आएगा और उसके साथ दोबारा बाइबल अध्ययन शुरू करेगा। वह स्त्री उस इलाके में आकर बसने से पहले, बाइबल अध्ययन करती थी।
5. यह कब कहा जा सकता है कि प्रचार का इलाका पूरा हो चुका है?
5 प्रचार का इलाका पूरा कीजिए: यह कब कहा जा सकता है कि प्रचार का इलाका पूरा हो चुका है? आम तौर पर, जब हर घर पर लोगों से मिलकर उन्हें गवाही देने की पुरज़ोर कोशिश की गयी हो, तब यह कहा जा सकता कि प्रचार का इलाका पूरा हो चुका है। लेकिन अगर कोई घर बंद मिलता है, तो अच्छा होगा कि वहाँ एक ट्रैक्ट या कोई पुरानी पत्रिका इस तरह छोड़ दी जाए जिससे कोई और उसे उठाकर न ले जाए। ऐसा खासकर उन इलाकों में किया जाना चाहिए, जहाँ कई बार प्रचार हो चुका है। प्रचार के एक इलाके को चार महीनों के अंदर-अंदर पूरा किया जाना चाहिए। फिर टेरिट्री कार्ड, प्रचार के इलाकों की देखरेख करनेवाले सेवक को लौटा दिया जाना चाहिए, ताकि वह अपने रिकॉर्ड में इलाके के पूरे किए जाने की ताज़ा जानकारी दर्ज़ कर सके।
6. हमें अपने इलाके के सभी लोगों तक सुसमाचार पहुँचाने की कोशिश क्यों करनी चाहिए?
6 हम चाहते हैं कि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को यह सीखने का मौका मिले कि वे कैसे यहोवा का नाम लेकर उद्धार पा सकते हैं। (रोमि. 10:13, 14) इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो उस वक्त घर पर नहीं मिलते जब हम उनके यहाँ प्रचार करने जाते हैं। इसलिए प्रेरित पौलुस की तरह, हमारी भी यही ख्वाहिश होनी चाहिए कि हम “परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार” के बारे में अच्छी तरह ‘गवाही दें।’—प्रेरि. 20:24.