परमेश्वर की सेवा स्कूल की चर्चा
25 फरवरी,2008 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए गए सवालों पर चर्चा होगी। स्कूल अध्यक्ष, 30 मिनट के लिए 7 जनवरी से 25 फरवरी,2008 तक के हफ्तों में पेश किए भागों पर हाज़िर लोगों के साथ चर्चा करेगा। [ध्यान दीजिए: जिस सवाल के बाद कोई हवाला नहीं दिया गया है, उसके जवाब के लिए आपको खुद खोजबीन करनी है।—सेवा स्कूल किताब के पेज 36-7 देखिए।]
भाषण के गुण
1. हमें सुननेवालों को आयतों का मतलब समझने में क्या मदद देनी चाहिए और क्यों? [be-HI पेज 228 पैरा. 2-3]
2. यह क्यों ज़रूरी है कि हम अपने भाग को इस तरह पेश करें, जिससे हमारे सुननेवाले सीख सकें, और हम यह कैसे कर सकते हैं? [be-HI पेज 230 पैरा. 3-5, बक्स]
3. अगर हम अपने भाषण को इस तरह पेश करना चाहते हैं, जिससे सुननेवाले सीखें, तो विषय के बारे में खोजबीन करने से हमें कैसी मदद मिल सकती है? [be-HI पेज 231 पैरा. 1-3]
4. हम जानी-पहचानी आयतों को कैसे पेश कर सकते हैं, ताकि सुननेवाले उनसे कुछ सीख सकें? [be-HI पेज 231 पैरा. 4-5]
5. हम जो आयतें पढ़ते हैं, उन पर तर्क करना क्यों ज़रूरी है? [be-HI पेज 232 पैरा. 3-4]
भाग नं. 1
6. क्या बात दिखाती है कि मत्ती की किताब खासकर यहूदियों को ध्यान में रखकर लिखी गयी थी? [bsi08-1-HI पेज 4 पैरा. 6-7]
7. परमेश्वर, वक्ता के ज़रिए हमें जो शिक्षा देता है, उसे सुनने के लिए हम अपना हृदय कैसे तैयार कर सकते हैं? (2 इति. 20:33, NW) [be-HI पेज 13 पैरा. 4–पेज 14 पैरा. 4]
8. माता-पिता अपने नन्हे-मुन्नों को कैसे तालीम दे सकते हैं, ताकि वे “उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान” बन सकें? (2 तीमु. 3:15) [be-HI पेज 16 पैरा. 3-4]
9. मत्ती की सुसमाचार की किताब कैसे बाइबल की भविष्यवाणियों का पूरा होना दिखाती है? [bsi08-1-HI पेज 5 पैरा. 32]
10. मत्ती की सुसमाचार की किताब में यीशु को वादा किया गया मसीहा और राजा बताया गया है, लेकिन मरकुस की सुसमाचार की किताब उसके बारे में क्या बताती है? [bsi08-1-HI पेज 7 पैरा. 7-8]
हफ्ते की बाइबल पढ़ाई
11. क्या किसी पर अपना गुस्सा उतारना, मन में नाराज़गी पालने से भी ज़्यादा गंभीर पाप है? (मत्ती 5:21,22) [w08 1/15-HI “यहोवा का वचन जीवित है—मत्ती किताब की झलकियाँ”]
12. मसीही कैसे अपनी “आंख निर्मल” बनाए रखते हैं? (मत्ती 6:22,23) [w06 10/1-HI पेज 30]
13. यीशु ने जब अपने चेलों से पूछा, “क्या तुम ने ये सब बातें समझीं?” तो उसके सवाल का क्या मतलब था? (मत्ती 13:51,52) [w08 1/15-HI “यहोवा का वचन जीवित है—मत्ती किताब की झलकियाँ”]
14. आम तौर पर यीशु जिन लोगों को चंगा करता था, वह उन्हें यह आदेश क्यों देता था कि “मुझे प्रगट न करना”? (मत्ती 12:16) [w90 4/1-HI पेज 9; cl-HI पेज 93-4]
15. यीशु ने जब कहा, “जिस नाप से तुम नापते हो,” तो उसके कहने का क्या मतलब था? (मरकुस 4:24,25) [gt-HI अध्या. 43]