“मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो”
आज हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं, जहाँ हमें हर वक्त दबावों और चिंताओं का सामना करना पड़ता है। मगर फिर भी, हमें यीशु के जूए के नीचे आकर ताज़गी पाने के उसके प्यार-भरे न्यौते को कबूल करके सही मायनों में राहत मिली है। (मत्ती 11:29, 30) यीशु का चेला बनने का जूआ उठाने में एक ऐसा काम शामिल है, जो न सिर्फ चुनौती-भरा है, बल्कि जो ताज़गी भी देता है। वह काम है, लोगों को राज्य का सुसमाचार सुनाना और अपने साथ उन्हें भी यीशु के प्यार-भरे जूए में ताज़गी पाने के लिए मदद देना।—मत्ती 24:14; 28:19, 20.
2 प्रचार काम से मिलनेवाली ताज़गी: यीशु ने अपने चेलों से यह नहीं कहा कि वे अपने बोझ के साथ-साथ उसका बोझ भी उठाएँ। इसके बजाय, यीशु ने कहा कि वे अपना भारी बोझ उतारकर उसका हलका बोझ उठाएँ। ऐसा करने की वजह से ही इस दुनिया की चिंताएँ और निराशा हम पर हावी नहीं होतीं और न ही हम दौलत के पीछे भागते हैं, जो बस पल-दो-पल की है। (लूका 21:34; 1 तीमु. 6:17) हालाँकि हम अपने काम-काज में मसरूफ रहते हैं, और अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए मेहनत भी करते हैं, मगर फिर भी हम अपनी ज़िंदगी में परमेश्वर की उपासना को पहली जगह देते हैं। (मत्ती 6:33) अगर हम इस बारे में सही नज़-रिया रखें कि ज़िंदगी में किस बात को ज़्यादा अह-मियत देनी चाहिए, तो प्रचार काम हमें बोझ नहीं लगेगा बल्कि इससे हमें ताज़गी मिलेगी।—फिलि. 1:10.
3 लाज़िमी है कि जो बातें हमारे दिल के करीब होती हैं, हम उन्हीं बारे में बात करना पसंद करते हैं। (लूका 6:45) यहोवा और उसके राज्य में मिलनेवाली आशीषें हम सब मसीहियों को बहुत अज़ीज़ हैं। इसलिए, दूसरों को “अच्छी बातों का सुसमाचार” सुनाने और रोज़मर्रा की चिंताओं को भूलकर प्रचार में हिस्सा लेने से हमें क्या ही ताज़गी मिलती है! (रोमि. 10:15) बेशक, जब हम कोई काम बार-बार करते हैं, तो हम उसमें माहिर हो जाते हैं और हमारी खुशी भी बढ़ती जाती है। इसलिए, अगर हम प्रचार में ज़्यादा वक्त बिताएँ, तो इससे हमें और भी ताज़गी मिलेगी। ज़रा सोचिए, जब प्रचार में कोई हमारे संदेश में दिलचस्पी दिखाता है, तो हमें कितना अच्छा लगता है! (प्रेरि. 15:3) लेकिन प्रचार में जब लोग हमारे संदेश में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते या हमारा विरोध करते हैं, तब क्या? ऐसे में भी हमें प्रचार काम से ताज़गी मिल सकती है, बशर्ते हम यह याद रखें कि हमारी मेहनत से यहोवा को खुशी होती है और हमें जो बढ़िया नतीजे मिलते हैं, वे उसी की आशीष से मिलते हैं।—प्रेरि. 5:41; 1 कुरि. 3:9.
4 जब हम यीशु का न्यौता कबूल करते हैं, तो हमें यहोवा के साक्षी के तौर पर यीशु के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर काम करने का सुअवसर मिलता है। (यशा. 43:10; प्रका. 1:5) इससे ज़्यादा ताज़गी पहुँचानेवाली बात हमारे लिए और क्या हो सकती है!