सन् 2009 के लिए परमेश्वर की सेवा स्कूल का कार्यक्रम
हिदायतें
सन् 2009 के दौरान, परमेश्वर की सेवा स्कूल आगे दी गयी हिदायतों के मुताबिक चलाया जाएगा।
किताबें: द होली बाइबल हिंदी [O.V.], प्रहरीदुर्ग [w-HI], पारिवारिक सुख का रहस्य [fy-HI] और सजग होइए! [ g-HI]।
स्कूल वक्त पर शुरू होना चाहिए। स्वागत के चंद शब्दों से स्कूल की शुरूआत करने के बाद नीचे दी हिदायतों के मुताबिक स्कूल चलाया जाना चाहिए। हर भाग के बाद स्कूल अध्यक्ष अगले भाग का परिचय देगा।
बाइबल पढ़ाई की झलकियाँ: 10 मिनट। यह भाग एक काबिल प्राचीन या सहायक सेवक पेश करेगा। उसे पहले चार मिनट के लिए हफ्ते की बाइबल पढ़ाई से कुछ आयतों पर चर्चा करनी चाहिए। लेकिन जब हफ्ते की बाइबल पढ़ाई में बाइबल की किसी किताब के शुरूआती अध्याय हों, तब भाई को पहले चार मिनट के लिए “यहोवा का वचन जीवित है” लेख से जानकारी पेश करनी चाहिए। (इस श्रृंखला लेख की शुरूआत 1 जनवरी, 2004 की प्रहरीदुर्ग से की गयी थी।) उदाहरण के लिए, 5 जनवरी से शुरू होनेवाले हफ्ते में उत्पत्ति किताब के पहले पाँच अध्यायों पर चर्चा की जाएगी। तो फिर, वक्ता को “यहोवा का वचन जीवित है—उत्पत्ति किताब की झलकियाँ—भाग I और II” लेखों के शुरूआती पैराग्राफों से कुछ खास मुद्दे बताने चाहिए। उसे समझाना चाहिए कि यह जानकारी कैसे लागू की जा सकती है और इससे कलीसिया को क्या फायदा होगा। चर्चा चाहे हफ्ते की बाइबल पढ़ाई के किसी हिस्से पर हो या “यहोवा का वचन जीवित है” लेख में दिए मुद्दों पर, इस भाग का खास मकसद है, हाज़िर लोगों को यह समझने में मदद देना कि यह जानकारी उनके लिए क्यों और कैसे अहमियत रखती है। भाई को चार मिनट से ज़्यादा वक्त नहीं लेना चाहिए। उसे यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वह छः मिनट हाज़िर लोगों के जवाबों के लिए रखे, ताकि वे चंद शब्दों में 30 या उससे कम सेकंड में बता सकें कि उन्हें उस हफ्ते की बाइबल पढ़ाई में कौन-सी बात अच्छी लगी। इसके बाद स्कूल अध्यक्ष, विद्यार्थियों को अपने-अपने क्लासरूम में जाने के लिए कहेगा।
भाग नं. 1: 4 मिनट या उससे कम। यह पढ़ाई का भाग है, जो एक भाई पेश करेगा। विद्यार्थी को दिया गया भाग सिर्फ पढ़ना चाहिए, उसे शुरूआत और आखिर में कुछ कहने की ज़रूरत नहीं। स्कूल अध्यक्ष खासकर ये काबिलीयतें बढ़ाने में विद्यार्थियों की मदद करेगा: समझ और प्रवाह के साथ पढ़ना, सही तरीके से मतलब पर ज़ोर देना, आवाज़ में उतार-चढ़ाव लाना, सही ठहराव देना और सहजता से पढ़ना।
भाग नं. 2: 5 मिनट। यह भाग किसी बहन को दिया जाएगा। इस भाग के लिए उसे परमेश्वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए किताब के पेज 82 पर दी गयी सूची में से या तो एक सैटिंग दी जाएगी, या फिर वह खुद उसमें से एक सैटिंग चुन सकती है। बहन को दिए गए विषय का ही इस्तेमाल करना चाहिए। उस विषय को प्रचार के किसी पहलू पर इस तरह लागू करना चाहिए कि वह सच्चा लगे और अपने इलाके में प्रचार करने के लिए कलीसिया के काम आए। अगर कार्यक्रम में यह नहीं बताया गया है कि इस भाग के लिए कहाँ से जानकारी लेनी है, तो विद्यार्थी को हमारे साहित्य से खुद खोजबीन करके जानकारी इकट्ठी करनी होगी। स्कूल अध्यक्ष खासकर इस बात पर ध्यान देगा कि विद्यार्थी किस तरह जानकारी पेश करती और समझाती है, और कैसे घर-मालिक को बाइबल की आयतों पर गहराई से सोचने और भाषण के खास मुद्दों को समझने में मदद देती है। स्कूल अध्यक्ष एक और बहन को उसकी सहायक ठहराएगा।
भाग नं. 3: 5 मिनट। यह भाग किसी भाई या बहन को दिया जा सकता है। विद्यार्थी को दिए गए विषय पर ही अपना भाग पेश करना चाहिए। अगर कार्यक्रम में यह नहीं बताया गया है कि इस भाग के लिए कहाँ से जानकारी लेनी है, तो विद्यार्थी को हमारे साहित्य से खुद खोजबीन करके जानकारी इकट्ठी करनी होगी। जब यह भाग एक भाई को सौंपा जाता है, तो उसे राज्य घर में हाज़िर लोगों को ध्यान में रखकर इसे एक भाषण के रूप में पेश करना चाहिए। लेकिन जब यह भाग एक बहन को दिया जाता है, तो उसे भाग नं. 2 की हिदायतें माननी चाहिए। ध्यान दीजिए कि जिन विषयों के साथ यह निशान (*) दिया गया है, वे विषय सिर्फ भाइयों को दिए जाने चाहिए, जो इन्हें भाषण के रूप में पेश करेंगे। अगर आपकी कलीसिया में काफी प्राचीन और सहायक सेवक हैं, तो यह भाग उन्हें दिया जाना चाहिए।
सलाह: 1-2 मिनट। स्कूल अध्यक्ष हर विद्यार्थी-भाग से पहले यह नहीं बताएगा कि विद्यार्थी, भाषण के किस गुण पर काम कर रहा है। भाग नं. 1, 2 और 3 के बाद, स्कूल अध्यक्ष बताएगा कि भाई/बहन के भाग में क्या-क्या बातें काबिले-तारीफ थीं और भाई/बहन का फलाँ गुण क्यों असरदार था। ऐसा करते वक्त स्कूल अध्यक्ष अकसर सेवा स्कूल किताब का इस्तेमाल करेगा। अगर विद्यार्थी को सुधार करने की ज़रूरत है, तो उसे सभा के बाद या दूसरे वक्त पर अलग से कारगर सलाह दी जा सकती है।
वक्त: हर भाग दिए गए वक्त के अंदर खत्म होना चाहिए और सलाहकार को भी उतना ही वक्त लेना चाहिए, जितना उसे दिया गया है। अगर भाग नं. 1, 2 और 3 पेश करनेवाले विद्यार्थियों का समय पूरा हो जाता है, तो समझ-बूझ के साथ उन्हें रुकने का इशारा किया जाना चाहिए। और अगर बाइबल पढ़ाई से झलकियाँ पेश करनेवाला भाई ज़्यादा समय ले लेता है, तो उसे अकेले में सलाह दी जानी चाहिए। सभी को अपना भाग वक्त पर खत्म करने का ध्यान रखना चाहिए। पूरे कार्यक्रम का कुल समय है: 30 मिनट।
सलाह परचा: सेवा स्कूल किताब में है।
सहायक सलाहकार: स्कूल अध्यक्ष के अलावा अगर कोई और काबिल प्राचीन है, तो उसे प्राचीनों का निकाय सहायक सलाहकार ठहरा सकता है। अगर कलीसिया में कई योग्य प्राचीन हैं, तो हर साल यह भूमिका अलग-अलग प्राचीन निभा सकते हैं। सहायक सलाहकार की ज़िम्मेदारी है, ज़रूरत पड़ने पर बाइबल झलकियाँ पेश करनेवाले भाइयों को अकेले में सलाह देना। मगर ज़रूरी नहीं कि जब भी प्राचीन या सहायक सेवक यह भाग पेश करें, तो वह उन्हें सलाह दे।
परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा: 20 मिनट। हर दो महीने में एक बार स्कूल अध्यक्ष सीखी बातों पर चर्चा करेगा। यह चर्चा, पिछले दो महीनों और उस हफ्ते के स्कूल में दी जानकारी पर होगी। इस चर्चा से पहले, ऊपर बताए इंतज़ाम के मुताबिक बाइबल पढ़ाई की झलकियाँ पेश की जाएँगी। जिस हफ्ते सीखी बातों पर चर्चा होनी है, अगर उस हफ्ते आपकी कलीसिया का सर्किट सम्मेलन है या सर्किट अध्यक्ष आपकी कलीसिया का दौरा करने आता है, तो यह चर्चा अगले हफ्ते के लिए छोड़ दी जानी चाहिए। और अगले हफ्ते के भाग नं. 1, 2 और 3 इस हफ्ते पेश किए जाने चाहिए। मगर हफ्ते की बाइबल पढ़ाई के शेड्यूल में और बाइबल की झलकियाँ पेश करने के भाग में कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम
5 जन. बाइबल पढ़ाई: उत्पत्ति 1-5
नं. 1: उत्पत्ति 3:1-15
नं. 2: दबाव का सामना करता परिवार (fy-HI पेज 5-9 पैरा. 1-14)
नं. 3: क्या व्यर्थ नहीं है? (1 कुरि. 15:58)
12 जन. बाइबल पढ़ाई: उत्पत्ति 6-10
नं. 1: उत्पत्ति 9:1-17
नं. 2: मैं अपने भाई या बहन से अलग, अपनी एक पहचान कैसे बनाऊँ? ( g04 1/8-HI पेज 13-15)
नं. 3: सुखी परिवार का राज़ (fy-HI पेज 9-12 पैरा. 15-23)
19 जन. बाइबल पढ़ाई: उत्पत्ति 11-16
नं. 1: उत्पत्ति 14:1-16
नं. 2: क्या आप शादी के लिए तैयार हैं? (fy-HI पेज 13-15 पैरा. 1-6)
नं. 3: यहोवा हमें कैसे ढालता है? (यशा. 64:8)
26 जन. बाइबल पढ़ाई: उत्पत्ति 17-20
नं. 1: उत्पत्ति 17:1-17
नं. 2: आपके अज़ीज़ जब आपका धर्म नहीं मानते ( g04 1/8-HI पेज 20, 21)
नं. 3: पहले अपने आपको जानिए (fy-HI पेज 16-18 पैरा. 7-10)
2 फर. बाइबल पढ़ाई: उत्पत्ति 21-24
नं. 1: उत्पत्ति 22:1-18
नं. 2: रीति-रिवाज़ और बाइबल (fy-HI पेज 17)
नं. 3: a अपने प्यार का दायरा बढ़ाने के तरीके (2 कुरि. 6:11-13)
9 फर. बाइबल पढ़ाई: उत्पत्ति 25-28
नं. 1: उत्पत्ति 25:1-18
नं. 2: किसी को अपना जीवन-साथी बनाने से पहले उसमें कौन-से गुण देखने चाहिए? (fy-HI पेज 13-15 पैरा. 1-6)
नं. 3: बच्चे—उन्हें माता-पिता से क्या चाहिए ( g04 4/8-HI पेज 3-11)
16 फर. बाइबल पढ़ाई: उत्पत्ति 29-31
नं. 1: उत्पत्ति 29:1-20
नं. 2: हमें क्यों ‘चिन्ता नहीं करनी’ चाहिए (मत्ती 6:25)
नं. 3: पहले से पता कीजिए (fy-HI पेज 22-24 पैरा. 16-19)
23 फर. बाइबल पढ़ाई: उत्पत्ति 32-35
परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
2 मार्च बाइबल पढ़ाई: उत्पत्ति 36-39
नं. 1: उत्पत्ति 39:1-16
नं. 2: शादी से पहले की मुलाकातों में मर्यादा बनाए रखना (fy-HI पेज 24, 25 पैरा. 20, 21)
नं. 3: सिर्फ परमेश्वर का राज्य, इंसानों की असल ज़रूरतें पूरी कर सकता है
9 मार्च बाइबल पढ़ाई: उत्पत्ति 40-42
नं. 1: उत्पत्ति 40:1-15
नं. 2: शादी के दिन के बाद की ज़िंदगी के बारे में सोचिए (fy-HI पेज 25, 26 पैरा. 22, 23)
नं. 3: b मनमानी करने के रवैए से खबरदार रहिए!
16 मार्च बाइबल पढ़ाई: उत्पत्ति 43-46
नं. 1: उत्पत्ति 44:1-17
नं. 2: शादी के बँधन को अटूट बनाने की पहली कुंजी (fy-HI पेज 27-29 पैरा. 1-6)
नं. 3: होमवर्क करने के लिए मैं वक्त कैसे निकालूँ? ( g04 4/8-HI पेज 21-23)
23 मार्च बाइबल पढ़ाई: उत्पत्ति 47-50
नं. 1: उत्पत्ति 48:1-16
नं. 2: क्या हमें इब्लीस से खौफ खाना चाहिए?
नं. 3: शादी के बँधन को अटूट बनाने की दूसरी कुंजी (fy-HI पेज 30, 31 पैरा. 7-10)
30 मार्च बाइबल पढ़ाई: निर्गमन 1-6
नं. 1: निर्गमन 1:1-19
नं. 2: बीमारियों के खिलाफ लड़ाई ( g04 7/8-HI पेज 3-13)
नं. 3: मसीह जैसा मुखियापन (fy-HI पेज 31-33 पैरा. 11-15)
6 अप्रै. बाइबल पढ़ाई: निर्गमन 7-10
नं. 1: निर्गमन 9:1-19
नं. 2: पत्नी के नाते पति के अधीन रहना (fy-HI पेज 34, 35 पैरा. 16-19)
नं. 3: c गलतियों 6:2 और 6:5 में लिखी बातें कैसे एक-दूसरे से मेल खाती हैं?
13 अप्रै. बाइबल पढ़ाई: निर्गमन 11-14
नं. 1: निर्गमन 12:21-36
नं. 2: शादी के बँधन को अटूट बनाए रखने के लिए ज़रूरी है अच्छी बातचीत (fy-HI पेज 35-38 पैरा. 20-26)
नं. 3: परमेश्वर क्यों हमें दुःख-तकलीफों से गुज़रने देता है? ( g04 7/8-HI पेज 14-16)
20 अप्रै. बाइबल पढ़ाई: निर्गमन 15-18
नं. 1: निर्गमन 15:1-19
नं. 2: झूठी उपासना को ठुकराने में क्या बात शामिल है?
नं. 3: चादर देखकर पाँव फैलाइए (fy-HI पेज 39-41 पैरा. 1-6)
27 अप्रै. बाइबल पढ़ाई: निर्गमन 19-22
परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
4 मई बाइबल पढ़ाई: निर्गमन 23-26
नं. 1: निर्गमन 24:1-18
नं. 2: घर के काम-काज में सभी को हाथ बँटाना चाहिए (fy-HI पेज 42-44 पैरा. 7-11)
नं. 3: शादी को एक पवित्र बंधन क्यों मानें? ( g04 7/8-HI पेज 20, 21)
11 मई बाइबल पढ़ाई: निर्गमन 27-29
नं. 1: निर्गमन 29:1-18
नं. 2: घर की साफ-सफाई—ज़रूरी क्यों? (fy-HI पेज 45-49 पैरा. 12-20) d
नं. 3: e गलत किस्म की वफादारी और उसके खतरे
18 मई बाइबल पढ़ाई: निर्गमन 30-33
नं. 1: निर्गमन 31:1-18
नं. 2: हौसला-अफज़ाई से हम फलते-फूलते हैं (fy-HI पेज 49, 50 पैरा. 21, 22)
नं. 3: शादी से पहले सेक्स में क्या खराबी है? ( g04 10/8-HI पेज 16-18)
25 मई बाइबल पढ़ाई: निर्गमन 34-37
नं. 1: निर्गमन 37:1-24
नं. 2: बच्चे को तालीम देने के बारे में बाइबल का नज़रिया कबूल कीजिए (fy-HI पेज 51, 52 पैरा. 1-5)
नं. 3: f नैतिकता के मामले में खुली छूट देने का क्या मतलब है और हमें इससे क्यों बचना चाहिए?
1 जून बाइबल पढ़ाई: निर्गमन 38-40
नं. 1: निर्गमन 40:1-19
नं. 2: अपने बच्चे की ज़रूरतें पूरी करना (fy-HI पेज 53-55 पैरा. 6-9)
नं. 3: अपने बच्चे की परवरिश करने की अहमियत ( g05 1/8-HI पेज 3-6)
8 जून बाइबल पढ़ाई: लैव्यव्यवस्था 1-5
नं. 1: लैव्यव्यवस्था 4:1-15
नं. 2: अपने बच्चे के दिल में बाइबल की सच्चाई बिठाइए (fy-HI पेज 55-59 पैरा. 10-19)
नं. 3: g मसीहियों को अपने अधिकार का कैसे इस्तेमाल करना चाहिए?
15 जून बाइबल पढ़ाई: लैव्यव्यवस्था 6-9
नं. 1: लैव्यव्यवस्था 8:1-17
नं. 2: माँ-बाप होने के नाते आपकी ज़िम्मेदारी ( g05 1/8-HI पेज 7-10)
नं. 3: परिवार में अनुशासन की अहमियत (fy-HI पेज 59-61 पैरा. 20-23) h
22 जून बाइबल पढ़ाई: लैव्यव्यवस्था 10-13
नं. 1: लैव्यव्यवस्था 11:29-45
नं. 2: अपने बच्चे की हिफाज़त कीजिए (fy-HI पेज 61, 62 पैरा. 24-26)
नं. 3: बपतिस्मा-शुदा चेलों को मिलनेवाली आशीषें
29 जून बाइबल पढ़ाई: लैव्यव्यवस्था 14-16
परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
6 जुला. बाइबल पढ़ाई: लैव्यव्यवस्था 17-20
नं. 1: लैव्यव्यवस्था 19:1-18
नं. 2: परमेश्वर का अनुशासन देते हुए बच्चों की परवरिश करना ( g05 1/8-HI पेज 20, 21)
नं. 3: बच्चे को तालीम देने के लिए परमेश्वर से मार्गदर्शन माँगिए (fy-HI पेज 63 पैरा. 27, 28)
13 जुला. बाइबल पढ़ाई: लैव्यव्यवस्था 21-24
नं. 1: लैव्यव्यवस्था 22:17-33
नं. 2: किशोर उम्र में समझ से काम लीजिए (fy-HI पेज 64 पैरा. 1-3)
नं. 3: सच्चे मसीही गरीबों के लिए परवाह कैसे दिखाते हैं
20 जुला. बाइबल पढ़ाई: लैव्यव्यवस्था 25-27
नं. 1: लैव्यव्यवस्था 25:39-54
नं. 2: परिवार में खुलकर बातचीत करना (fy-HI पेज 65, 66 पैरा. 4-7)
नं. 3: मैं नाकामी की भावना का सामना कैसे करूँ? ( g05 1/8-HI पेज 23-25)
27 जुला. बाइबल पढ़ाई: गिनती 1-3
नं. 1: गिनती 3:1-20
नं. 2: कोमलता दिखाने के लिए संयम की ज़रूरत क्यों है?
नं. 3: परिवार के लोग आपस में किस बारे में बातचीत कर सकते हैं? (fy-HI पेज 67, 68 पैरा. 8-11)
3 अग. बाइबल पढ़ाई: गिनती 4-6
नं. 1: गिनती 4:1-16
नं. 2: माँ के सामने आनेवाली चुनौतियाँ ( g05 4/8-HI पेज 3-8)
नं. 3: पारिवारिक बाइबल अध्ययन (fy-HI पेज 69, 70 पैरा. 12-14)
10 अग. बाइबल पढ़ाई: गिनती 7-9
नं. 1: गिनती 9:1-14
नं. 2: परिवार में अनुशासन और एक-दूसरे के लिए आदर (fy-HI पेज 71, 72 पैरा. 15-18)
नं. 3: हम यहोवा के लिए अपनी वफादारी कैसे दिखा सकते हैं?
17 अग. बाइबल पढ़ाई: गिनती 10-13
नं. 1: गिनती 13:17-33
नं. 2: पूरे परिवार को मिलकर काम करना और खेलना चाहिए (fy-HI पेज 72, 73 पैरा. 19-22)
नं. 3: माँ की भूमिका, वाकई आदर के लायक ( g05 4/8-HI पेज 9-11)
24 अग. बाइबल पढ़ाई: गिनती 14-16
नं. 1: गिनती 14:26-43
नं. 2: परमेश्वर की व्यवस्था से प्रीति रखने का क्या मतलब है? (भज. 119:97)
नं. 3: किशोर उम्र से लेकर जवानी तक (fy-HI पेज 74, 75 पैरा. 23-25)
31 अग. बाइबल पढ़ाई: गिनती 17-21
परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
सितं. 7: बाइबल पढ़ाई: गिनती 22-25
नं. 1: गिनती 22:20-35
नं. 2: परिवार में बागी किसे कहते हैं? (fy-HI पेज 76-78 पैरा. 1-6)
नं. 3: बच्चों पर वह ध्यान देना जिसकी उन्हें ज़रूरत है ( g05 4/8-HI पेज 12, 13)
14 सितं. बाइबल पढ़ाई: गिनती 26-29
नं. 1: गिनती 27:1-14
नं. 2: चितावनी देने का क्या मतलब है और यह क्यों ज़रूरी है? (इफि. 6:4)
नं. 3: बगावत की वजह (fy-HI पेज 78, 79 पैरा. 7, 8)
21 सितं. बाइबल पढ़ाई: गिनती 30-32
नं. 1: गिनती 32:1-15
नं. 2: क्या सभी मसीहियों को स्वर्ग में जीने की आशा है?
नं. 3: ढील देनेवाला एली और सख्ती बरतनेवाला रहूबियाम (fy-HI पेज 80, 81 पैरा. 9-13)
28 सितं. बाइबल पढ़ाई: गिनती 33-36
नं. 1: गिनती 33:1-23
नं. 2: बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने से बगावत रोकी जा सकती है (fy-HI पेज 82-84 पैरा. 14-18) i
नं. 3: किन मायनों में परमेश्वर का राज्य इंसानी सरकारों से कहीं बेहतर है?
5 अक्टू. बाइबल पढ़ाई: व्यवस्थाविवरण 1-3
नं. 1: व्यवस्थाविवरण 2:1-15
नं. 2: मैं क्यों करूँ मेहनत के काम? ( g05 4/8-HI पेज 20-22)
नं. 3: जब बच्चे मुश्किल में फँस जाते हैं (fy-HI पेज 85-87 पैरा. 19-23)
12 अक्टू. बाइबल पढ़ाई: व्यवस्थाविवरण 4-6
नं. 1: व्यवस्थाविवरण 4:15-28
नं. 2: जब बच्चे ने बगावत करने की ठान ली हो, तब क्या करना चाहिए (fy-HI पेज 87-89 पैरा. 24-27)
नं. 3: कब कहा जा सकता है कि थोड़ा ही धन उत्तम होता है? (नीति. 15:16)
19 अक्टू. बाइबल पढ़ाई: व्यवस्थाविवरण 7-10
नं. 1: व्यवस्थाविवरण 9:1-14
नं. 2: आपके बच्चों को कौन सिखाएगा? (fy-HI पेज 90-92 पैरा. 1-7)
नं. 3: बाइबल के मुताबिक, कितने लोगों को स्वर्ग में जीने की आशा है?
26 अक्टू. बाइबल पढ़ाई: व्यवस्थाविवरण 11-13
परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
2 नवं. बाइबल पढ़ाई: व्यवस्थाविवरण 14-18
नं. 1: व्यवस्थाविवरण 15:1-15
नं. 2: परमेश्वर का भय मानने में क्या बात शामिल है?
नं. 3: लैंगिक संबंध के बारे में परमेश्वर का नज़रिया (fy-HI पेज 92-94 पैरा. 8-11)
9 नवं. बाइबल पढ़ाई: व्यवस्थाविवरण 19-22
नं. 1: व्यवस्थाविवरण 22:1-19
नं. 2: माता-पिताओं को क्या तैयारी करने की ज़रूरत है? (fy-HI पेज 94, 95 पैरा. 12, 13)
नं. 3: j मुझे उस लड़की के साथ कैसे पेश आना चाहिए जो मुझमें दिलचस्पी लेती है? ( g05 7/8-HI पेज 18-20)
16 नवं. बाइबल पढ़ाई: व्यवस्थाविवरण 23-27
नं. 1: व्यवस्थाविवरण 25:1-16
नं. 2: आपके बच्चों के दोस्त (fy-HI पेज 95-97 पैरा. 14-18)
नं. 3: k हमें किन चीज़ों को पवित्र मानना चाहिए?
23 नवं. बाइबल पढ़ाई: व्यवस्थाविवरण 28-31
नं. 1: व्यवस्थाविवरण 30:1-14
नं. 2: बाइबल के मुताबिक “बड़ी भीड़” के लिए क्या आशा है?
नं. 3: परिवार के लिए किस किस्म का मनोरंजन अच्छा है (fy-HI पेज 98-101 पैरा. 19-25) l
30 नवं. बाइबल पढ़ाई: व्यवस्थाविवरण 32-34
नं. 1: व्यवस्थाविवरण 32:1-21
नं. 2: “यहोवा का भयानक दिन” क्या है? (सप. 1:14)
नं. 3: आपका परिवार संसार पर जीत हासिल कर सकता है (fy-HI पेज 101, 102 पैरा. 26, 27)
7 दिसं. बाइबल पढ़ाई: यहोशू 1-5
नं. 1: यहोशू 5:1-15
नं. 2: हमें ऐसे लोगों से दोस्ती करनी चाहिए, जो परमेश्वर से प्यार करते हों
नं. 3: ऐसे परिवार भी सफल हो सकते हैं, जिनमें अकेली माँ या अकेला पिता घर चलाता है (fy-HI पेज 103, 104 पैरा. 1-4)
14 दिसं. बाइबल पढ़ाई: यहोशू 6-8
नं. 1: यहोशू 8:1-17
नं. 2: घर के काम-काज में कुशल होना (fy-HI पेज 104, 105 पैरा. 5-8)
नं. 3: सभोपदेशक 7:21, 22 में दर्ज़ सलाह क्यों कारगर है?
21 दिसं. बाइबल पढ़ाई: यहोशू 9-11
नं. 1: यहोशू 9:1-15
नं. 2: परिवार का पेट पालने की चुनौती (fy-HI पेज 105, 106 पैरा. 9, 10)
नं. 3: परमेश्वर की खुशहाल नयी दुनिया में आप रह सकते हैं
28 दिसं. बाइबल पढ़ाई: यहोशू 12-15
परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
[फुटनोट]
a यह भाग सिर्फ भाइयों को सौंपिए। अच्छा होगा अगर वे प्राचीन या सहायक सेवक हों।
b यह भाग सिर्फ भाइयों को सौंपिए। अच्छा होगा अगर वे प्राचीन या सहायक सेवक हों।
c यह भाग सिर्फ भाइयों को सौंपिए। अच्छा होगा अगर वे प्राचीन या सहायक सेवक हों।
d यह भाग सिर्फ भाइयों को सौंपिए। अच्छा होगा अगर वे प्राचीन या सहायक सेवक हों।
e यह भाग सिर्फ भाइयों को सौंपिए। अच्छा होगा अगर वे प्राचीन या सहायक सेवक हों।
f यह भाग सिर्फ भाइयों को सौंपिए। अच्छा होगा अगर वे प्राचीन या सहायक सेवक हों।
g यह भाग सिर्फ भाइयों को सौंपिए। अच्छा होगा अगर वे प्राचीन या सहायक सेवक हों।
h यह भाग सिर्फ भाइयों को सौंपिए। अच्छा होगा अगर वे प्राचीन या सहायक सेवक हों।
i बक्स में दी जानकारी भी शामिल कीजिए।
j बक्स में दी जानकारी भी शामिल कीजिए।
k बक्स में दी जानकारी भी शामिल कीजिए।
l बक्स में दी जानकारी भी शामिल कीजिए।