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◼ टेलिफोन से घर पर सभाओं का कार्यक्रम सुनने के मामले में सूझ-बूझ से काम लेना क्यों ज़रूरी है?

कभी-कभी कुछ मसीही, बीमारी या किसी और वजह से मंडली की सभाओं के लिए राज्य घर नहीं जा पाते। उनके हालात को मद्देनज़र रखते हुए कई मंडलियों ने टेलिफोन से घर पर ही उन्हें सभाओं का कार्यक्रम सुनाने का इंतज़ाम किया है। इस प्यार-भरे इंतज़ाम का फायदा उन्हें मिलना चाहिए, जिन्हें वाकई इसकी ज़रूरत है। इसलिए प्राचीनों को चाहिए कि वे इस मामले में अच्छी व्यवस्था और सूझ-बूझ से काम लें, ताकि “सब बातें कायदे से और अच्छे इंतज़ाम के मुताबिक हों।”—1 कुरिं. 14:40.

प्राचीन यह ध्यान रखेंगे कि इस इंतज़ाम का फायदा पहले ऐसे प्रचारकों को मिले, जो लंबे समय से बीमार हैं या बुढ़ापे या किसी और वजह से घर से बाहर आ-जा नहीं सकते। इनके अलावा, जो प्रचारक कुछ समय के लिए बीमार हैं या चल-फिर नहीं सकते, या तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन जो घर से बाहर आ-जा नहीं सकते, ऐसे लोगों के लिए भी यह इंतज़ाम किया जा सकता है और सभा की हाज़िरी लेते वक्‍त इनकी हाज़िरी ली जा सकती है। अगर मंडली के पास टेलिफोन की इतनी लाइनें नहीं हैं कि सभी ज़रूरतमंद भाई-बहनों को कार्यक्रम सुनाया जा सके, तो दूसरे इंतज़ाम किए जा सकते हैं। जैसे, वे उन्हें कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग सुना सकते हैं।

बेशक खुद सभाओं में हाज़िर होने का जो फायदा है, उसकी तुलना किसी और इंतज़ाम से नहीं की जा सकती। जब हम सभाओं में अपने भाइयों के साथ होते हैं तो हम ‘एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते’ हैं। साथ ही, नए लोगों को सभाओं में हाज़िर होने की अहमियत ज़्यादा अच्छी तरह समझ आती है। सभाओं में मौजूद होने से हम प्रदर्शनों से ज़्यादा सीख पाते हैं, प्राचीन हमें निजी मदद दे पाते हैं और हम भाइयों की बिरादरी के प्यार को और भी अच्छी तरह महसूस कर पाते हैं। एक बुज़ुर्ग बहन जब राज्य घर से बाहर जा रही थी, तब किसी ने उसे गले लगाया। उस वक्‍त उसने जो बात कही, वह कितनी सच है! उसने कहा: “टेलिफोन पर ऐसा प्यार पाना मुमकिन कहाँ?”—रोमि. 1:11, 12.

जिस तरह हन्‍ना “मंदिर से कभी गैर-हाज़िर नहीं रहती थी,” उसी तरह आज हमारे कई बुज़ुर्ग भाई-बहन अपने हालात और सेहत के मुताबिक जहाँ तक हो सके मसीही सभाओं में हाज़िर होते हैं। (लूका 2:36, 37) हालाँकि ज़रूरत की घड़ी में वे टेलिफोन से सभा का कार्यक्रम सुनते हैं, मगर वे कभी ऐसा नहीं सोचते कि जब टेलिफोन से कार्यक्रम घर बैठे सुना जा सकता है, तो राज्य घर जाने की ज़रूरत क्या है? उनके अच्छे उदाहरणों पर चलते हुए आइए हम भी खुशी-खुशी सभाओं में हाज़िर होने और अपने महान परमेश्‍वर यहोवा की उपासना करने की भरसक कोशिश करें।—भज. 95:1-3, 6; 122:1.

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