हम हरदम तैयार रहते हैं
1. हम कैसे जानते हैं कि पहली सदी के प्रचारक, खुशखबरी सुनाने के लिए हरदम तैयार रहते थे?
पहली सदी के प्रचारकों में “बिना नागा” खुशखबरी सुनाने का इतना जोश था कि जहाँ कहीं भी लोग मिलते, वे उन्हें प्रचार करते। (प्रेषि. 5:42) तो क्या ऐसा हो सकता है कि घर-घर के प्रचार में जाते वक्त उन्होंने रास्ते में लोगों को प्रचार नहीं किया होगा? या क्या उन्होंने प्रचार के बाद बाज़ार में खरीदारी करते वक्त मौका ढूँढ़कर गवाही नहीं दी होगी? ऐसा हम सोच भी नहीं सकते। यीशु की तरह, वे मानते थे कि खुशखबरी सुनाने के लिए उन्हें हरदम तैयार रहना चाहिए।—मर. 6:31-34.
2. ‘यहोवा के साक्षी,’ इस नाम के मुताबिक जीने का क्या मतलब है?
2 हमेशा तैयार रहिए: हमें यहोवा के साक्षियों के नाम से जाना जाता है। इस नाम से न सिर्फ यह पता चलता है कि हम क्या करते हैं, बल्कि यह भी कि हम कौन हैं। (यशा. 43:10-12) इसलिए हम अपनी आशा की पैरवी करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, तब भी जब हम घर-घर का प्रचार नहीं कर रहे होते। (1 पत. 3:15) क्या आप पहले से सोचकर रखते हैं कि आपके सामने गवाही देने के कौन-से मौके आ सकते हैं और उस वक्त आप क्या कहेंगे? क्या आप अपने साथ कुछ साहित्य रखते हैं, ताकि आप इन्हें दिलचस्पी दिखानेवालों को दे सकें? (नीति. 21:5) क्या आप सिर्फ घर-घर के प्रचार में हिस्सा लेते हैं? या अगर हालात इजाज़त दें, तो क्या आप दूसरे मौकों पर भी लोगों को खुशखबरी सुनाते हैं?
3. सड़क पर, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन, पार्क और बिज़नेस इलाकों में प्रचार करने को हमें क्यों कम नहीं आँकना चाहिए?
3 “सरेआम” गवाही दीजिए: हम सड़क पर, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन, पार्क और बिज़नेस इलाकों में प्रचार करते हैं। लेकिन क्या ये तरीके बहुत अनोखे हैं और घर-घर के प्रचार से हटकर हैं? क्या इनमें हिस्सा लेना या न लेना हमारी मरज़ी पर छोड़ा गया है? जी नहीं! प्रेषित पौलुस ने कहा कि वह लोगों को “सरेआम” और घर-घर जाकर प्रचार करता था। (प्रेषि. 20:20) माना कि घर-घर का प्रचार, लोगों तक राज का संदेश पहुँचाने का हमारा सबसे अहम और असरदार तरीका है। लेकिन पहली सदी के प्रचारकों ने अपना ध्यान सिर्फ घर-घर के प्रचार पर ही नहीं लगाया, बल्कि वे ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों तक अपना संदेश पहुँचाना चाहते थे। इसलिए वे प्रचार के हर पहलू का फायदा उठाते थे, फिर चाहे वह सरेआम गवाही देना हो, मौका ढूँढ़कर प्रचार करना होa या घर-घर की प्रचार सेवा हो। आइए हम भी उनके जैसा रवैया अपनाएँ, ताकि हम अपनी सेवा को अच्छी तरह पूरी कर सकें।—2 तीमु. 4:5.
[फुटनोट]
a मौका ढूँढ़कर प्रचार करना और सरेआम गवाही देना, दोनों एक नहीं हैं। मौका ढूँढ़कर प्रचार करने का मतलब है, उन लोगों को खुशखबरी सुनाना जिनसे हम रोज़मर्रा के काम करते वक्त मिलते हैं।