असरदार बातचीत की शुरूआत—तैयारी कैसे करें?
1. पेशकश का दिलचस्प और असरदार होना क्यों ज़रूरी है?
1 हम सब जानते हैं कि अपिटाइज़र (जैसे, सूप) लेने से स्वादिष्ट पकवान खाने की भूख बढ़ जाती है। उसी तरह, दिलचस्प और असरदार पेशकश से लोगों में बाइबल पर आधारित चर्चा करने की इच्छा बढ़ जाती है। असरदार पेशकश छोटी या बड़ी दोनों हो सकती हैं। स्वादिष्ट भोजन की तरह, एक पेशकश को असरदार बनाने के लिए, पहले से सोचना और तैयारी करना ज़रूरी है। (नीति. 15:28) क्या बात एक पेशकश को असरदार बनाती है?
2. दिलचस्पी जगानेवाली बातचीत की शुरूआत की तैयारी कैसे करें?
2 दिलचस्प लगनेवाले विषय चुनिए: हमारी बातचीत की शुरूआत दिलचस्प होनी चाहिए नहीं तो, घर-मालिक से हमारी बातचीत वहीं खत्म हो सकती है। इसलिए तैयारी करते वक्त ऐसे विषयों के बारे में सोचिए, जो आपके इलाके में लोगों को दिलचस्प लगेंगे। क्या इलाके के लोग अच्छी सरकार, खुशहाल परिवार या फिर युद्धों का अंत कब होगा, इस बारे में बातचीत करने में दिलचस्पी रखते हैं? लोग अकसर अपनी राय बताना पसंद करते हैं, इसलिए अच्छा होगा कि आप एक ऐसा सवाल तैयार करें, जो सामनेवाले को सोचने पर मजबूर कर दे। हमारी राज-सेवा में बातचीत की शुरूआत करने के जो नमूने दिए गए हैं, क्या आप उन्हें इस्तेमाल करने और इलाके के लोगों के मुताबिक उन्हें ढालने के बारे में सोच सकते हैं? तो क्यों न आप कभी-कभार अपनी पारिवारिक उपासना की शाम, थोड़ा समय निकालकर इन नमूनों का इस्तेमाल करने की तैयारी करें?
3. इलाके की संस्कृति और माहौल को ध्यान में रखकर, हम कैसे अपनी बातचीत की शुरूआत में फेरबदल कर सकते हैं?
3 संस्कृति और माहौल का ध्यान रखिए: कुछ जगहों पर, हमसे उम्मीद की जाती है कि हम सीधे मुद्दे पर आएँ और अपने आने की वजह बताएँ। लेकिन वहीं दूसरी जगहों पर, अगर घर आया मेहमान, घर-मालिक का हाल-चाल न पूछे या अपना परिचय न दे, तो उसे बुरा माना जाता है। कुछ ऐसे इलाके हैं, जहाँ पर लोगों के धार्मिक विश्वास की वजह से, अपनी बातचीत की शुरूआत में शब्द बाइबल का इस्तेमाल करने में लोगों को कोई एतराज़ नहीं है। (प्रेषि. 2:14-17) मगर जिन इलाकों में गैर-ईसाई धर्म के लोग रहते हैं या फिर जहाँ लोगों का धर्म से कोई वास्ता नहीं, वहाँ अच्छा होगा कि आप बातचीत की शुरूआत में शब्द बाइबल का इस्तेमाल न करें। इसके बजाय, आप वापसी-भेंट करते वक्त बाइबल का ज़िक्र कर सकते हैं।—प्रेषि. 17:22-31.
4. शुरूआती शब्दों के बारे में हमें क्या बात ध्यान में रखनी चाहिए?
4 शुरूआती शब्द: शुरूआती शब्दों की तैयारी बड़े ध्यान से कीजिए। छोटे और सरल शब्दों में बातचीत कीजिए। हम शुरूआती शब्दों को जिस लहज़े में पेश करते हैं वह मायने रखता है। जोश के साथ बात कीजिए। ऐसा करते वक्त, घर-मालिक में निजी और सच्ची दिलचस्पी दिखाइए, साथ ही चेहरे पर दोस्ताना मुसकान ज़ाहिर कीजिए। इन सुझावों को लागू करने से हम अपने इलाके के लोगों के आगे अपिटाइज़र यानी दिलचस्प तरीके से अपनी बातचीत की शुरूआत कर रहे होंगे, ताकि “यहोवा की मेज़” से खाना खाने की उनकी भूख बढ़ा सकें।—1 कुरिं. 10:21.