प्रचार में अपना हुनर बढ़ाना—शुरूआती शब्दों की तैयारी करना
यह क्यों ज़रूरी है: अगर हमारे शुरूआती शब्द दिलचस्पी जगानेवाले न हों, तो गवाही देने से पहले ही घर-मालिक हमारी बातचीत खत्म कर सकता है। इसीलिए बहुत-से प्रचारक शुरूआती शब्दों को अपनी पेशकश का सबसे ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। हालाँकि हमारी राज-सेवा में पेशकश दी जाती हैं, लेकिन उनमें हमेशा यह नहीं बताया जाता कि हमें अपनी पेशकश कैसे शुरू करनी चाहिए। यह इसलिए ताकि हम हालात के मुताबिक फेरबदल कर सकें। भले ही राज-सेवा में पूरी पेशकश का नमूना दिया हो, फिर भी प्रचारक चाहें तो इसमें फेरबदल कर सकते हैं या अपनी पेशकश तैयार कर सकते हैं। इसलिए अगर हम ध्यान से अपने शुरूआती शब्दों की तैयारी करें, तो हम और भी असरदार तरीके से गवाही दे पाएँगे, बजाय इसके कि घर-मालिक के दरवाज़ा खोलते ही जो हमारे मन में आए वह कह दें।—नीति. 15:28.
कैसे कर सकते हैं:
• कोई विषय चुनिए। ऐसा विषय जो पेश करनेवाले साहित्य पर आधारित हो और इलाके के लोगों को दिलचस्प लगे।
• दुआ-सलाम करने के बाद आप जो शुरूआती वाक्य बोलनेवाले हैं, उन्हें सोच-समझकर तैयार कीजिए। आप शुरूआत में कुछ ऐसा कह सकते हैं: “हम आपसे इसलिए मिलने आए हैं क्योंकि . . . ,” “कई लोगों को इस बात की चिंता है कि . . . ”, “मैं जानना चाहता हूँ कि इस विषय पर आपकी क्या राय है. . . ” या फिर कोई दूसरा तरीका जो आपको कारगर लगे। अकसर छोटे और सरल शब्दों में कहे गए वाक्य ज़्यादा असरदार होते हैं। कुछ प्रचारक अपने शुरूआती शब्द याद कर लेते हैं।
• घर-मालिक की राय जानने के लिए एक सवाल तैयार कीजिए ताकि वह भी बातचीत में शामिल हो सके। (मत्ती 17:25) याद रखिए कि आपके पहुँचने से पहले शायद घर-मालिक कई तरह की बातों पर सोच रहा हो। इसलिए कोई ऐसा सवाल मत पूछिए जिसका जवाब देना उसे मुश्किल लगे या फिर आपका सवाल अजीब लगे।
महीने के दौरान इसे आज़माइए:
• शुरूआती शब्दों की तैयारी करने और उनका अभ्यास करने के लिए पारिवारिक उपासना के दौरान अलग से समय निकालिए।
• आपने अपनी पेशकश जिस तरह शुरू करने की सोची है, उस बारे में अपने साथी प्रचारक से बात कीजिए। (नीति. 27:17) अगर आपके शुरूआती शब्द असरदार न लगें, तो उनमें फेरबदल कीजिए।