परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
23 फरवरी, 2015 से शुरू होनेवाले हफ्ते में परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी।
सलोफाद की बेटियों ने कौन-सी बेहतरीन मिसाल रखी? (यहो. 17:3, 4) [5 जन., प्रहरीदुर्ग 08 2/15 पेज 4 पैरा. 10]
यहोशू कैसे पूरे भरोसे के साथ यहोशू 23:14 में दर्ज़ बात कह पाया और क्यों हम भी यहोवा के वादों पर पूरा भरोसा रख सकते हैं? [12 जन., प्रहरीदुर्ग 07 11/1 पेज 27 पैरा. 19]
अपनी विरासत पर कब्ज़ा करने के लिए सबसे पहले यहूदा गोत्र को क्यों चुना गया? (न्यायि. 1:2, 4) [19 जन., प्रहरीदुर्ग 05 1/15 पेज 24 पैरा. 5]
बाराक ने क्यों ज़िद की कि नबिया दबोरा उसके साथ जंग के मैदान में आए? (न्यायि. 4:8) [19 जन., प्रहरीदुर्ग 05 1/15 पेज 25 पैरा. 4]
गिदोन ने जिस तरह स्वर्गदूत को जवाब दिया उससे हम क्या सीख सकते हैं? (न्यायि. 6:17-22, 36-40) [26 जन., प्रहरीदुर्ग 05 1/15 पेज 26 पैरा. 5]
गिदोन ने जिस तरह मर्यादा दिखायी उससे हम क्या सीख सकते हैं? (न्यायि. 6:11-15; 8:1-3, 22, 23) [2 फर., प्रहरीदुर्ग 05 1/15 पेज 26 पैरा. 4]
जब यिप्तह ने मिन्नत माँगी तब क्या उसके मन में किसी इंसान की बलि चढ़ाने का खयाल था? (न्यायि. 11:30, 31) [9 फर., प्रहरीदुर्ग 05 1/15 पेज 26 पैरा. 1]
न्यायियों 11:35-37 के मुताबिक, किस बात ने यिप्तह की बेटी को उसके पिता की शपथ पूरा करने में मदद दी? [9 फर., प्रहरीदुर्ग 11 12/15 पेज 20-21 पैरा. 15-16]
जब इसराएल में कोई राजा नहीं था और “जिसको जो ठीक सूझ पड़ता था वही वह करता था” तो क्या इस वजह से देश में चारों तरफ खलबली मची हुई थी? समझाइए। (न्यायि. 17:6) [16 फर., प्रहरीदुर्ग 05 1/15 पेज 27 पैरा. 7]
जब इसराएली बिन्यामीन के गोत्रों के हाथों दूसरे गोत्रों से दो बार हार गए, उससे हम लगातार प्रार्थना करने के बारे में क्या सीखते हैं? (न्यायि. 20:14-48) [23 फर., प्रहरीदुर्ग 05 1/15 पेज 27 पैरा. 8]