परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
29 जून, 2015 से शुरू होनेवाले हफ्ते में परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। हर मुद्दे पर कब चर्चा की जानी है, उसकी तारीख दी गयी है, ताकि हर हफ्ते स्कूल की तैयारी करते वक्त उस पर खोजबीन की जा सके।
हम 2 शमूएल 6:1-7 से क्या सबक सीख सकते हैं? [11 मई, प्रहरीदुर्ग 05 5/15 पेज 17 पैरा. 8]
भविष्यवक्ता नातान ने दाविद को यहोवा का मंदिर बनाने की मंज़ूरी दी थी। इस पर जब यहोवा ने नातान की सोच सुधारी, तो उसने कैसा रवैया दिखाया? (2 शमू. 7:2, 3) [11 मई, प्रहरीदुर्ग 12 2/15 पेज 24 पैरा. 6, 7]
नातान ने दाविद को सीधे-सीधे यह बताने के बजाय कि उसने गंभीर पाप किया है, उसे 2 शमूएल 12:1-7 में दर्ज़ कहानी क्यों बतायी? यह ब्यौरा हमें एक अच्छा शिक्षक बनने में कैसे मदद करता है? [18 मई, प्रहरीदुर्ग 12 2/15 पेज 24 पैरा. 2, 3]
इसराएली कैसे अबशालोम के बहकावे में आ गए? और आज हम अबशालोम जैसे लोगों से खुद की हिफाज़त कैसे कर सकते हैं? (2 शमू. 15:6) [25 मई, प्रहरीदुर्ग 12 7/15 पेज 13 पैरा. 7]
यहोवा ने दाविद की ज़रूरत की घड़ी में कैसे मदद की? और इससे हम क्या सीख सकते हैं? (2 शमू. 17:27-29) [1 जून, प्रहरीदुर्ग 08 9/15 पेज 6 पैरा. 15, 16]
दाविद जिस तरह इत्तै नाम के परदेसी से पेश आया, उससे हम क्या सीख सकते हैं? (2 शमू. 18:2) [1 जून, प्रहरीदुर्ग 09 5/15 पेज 28 पैरा. 1]
हम अबीशै से क्या सबक सीखते हैं? (2 शमू. 21:15-17) [8 जून, प्रहरीदुर्ग 13 1/15 पेज 30, 31 पैरा. 13, 14]
परमेश्वर की नम्रता कैसे एक इंसान को “बढ़ाती” है? (2 शमू. 22:36) [15 जून, प्रहरीदुर्ग 12 11/15 पेज 17 पैरा. 7]
नातान ने यहोवा की तरफ वफादारी कैसे दिखायी और हम आज उसकी मिसाल पर कैसे चल सकते हैं? (1 राजा 1:11-14) [22 जून, प्रहरीदुर्ग 12 2/15 पेज 25 पैरा. 1, 4, 5]
सुलैमान की तरह, यहोवा का एक सेवक कैसे अपनी ज़िंदगी में यहोवा की आज्ञाएँ तोड़कर, अपने फैसले को सही ठहराने के लिए खुद को झूठी दलीलें दे सकता है? (1 राजा 3:1) [29 जून, प्रहरीदुर्ग 11 12/15 पेज 10 पैरा. 12-14]