बढ़िया तरीके से सिखाने के लिए तैयारी करना ज़रूरी है
कम-से-कम दो मौकों पर यीशु से हमेशा की ज़िंदगी पाने के बारे में सवाल पूछे गए, लेकिन दोनों बार उसने सवाल पूछनेवालों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए जवाब दिया। (लूका 10:25-28; 18:18-20) उसी तरह, भले ही हम बाइबल का अध्ययन कराने के लिए तैयार किए गए प्रकाशनों से अच्छी तरह वाकिफ हों, फिर भी हमें विद्यार्थी की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए अध्ययन कराने से पहले तैयारी करनी चाहिए। उसे कौन-सी बातें समझने या कबूल करने में मुश्किल होगी? जो आयतें दी गयी हैं, उनमें से कौन-सी आयतें हमें उसके साथ पढ़नी चाहिए? हमें उसके साथ कितने पैराग्राफों पर चर्चा करनी चाहिए? जानकारी समझने में उसकी मदद करने के लिए हम एक मिसाल के बारे में सोच सकते हैं या फिर सोच सकते हैं कि हम उसे वह बात कैसे खुलकर समझा सकते हैं। या हम उससे पूछने के लिए कुछ ऐसे सवाल तैयार कर सकते हैं, जिनसे वह उस बात को समझ पाए। इसके अलावा, यहोवा ही एक व्यक्ति के दिल में सच्चाई के बीज को बढ़ाता है, इसलिए हमें बाइबल अध्ययन कराने की तैयारी पर, अपने विद्यार्थी पर और परमेश्वर के साथ उसका एक अच्छा रिश्ता हो, उसके लिए हम जो मेहनत करते हैं उस पर, यहोवा की आशीष माँगनी चाहिए।—1 कुरिं. 3:6; याकू. 1:5.