मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
6-12 नवंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | आमोस 1-9
“यहोवा की खोज कर और जीता रह”
यहोवा को खोजिए जो दिलों को जाँचता है
20 उस ज़माने में, किसी भी इस्राएली के लिए यहोवा का वफादार रहना आसान नहीं था। आज भी सभी मसीहियों को पता है कि दुनिया से अलग नज़र आना कितना मुश्किल है। यह नदी की तेज़ धारा के खिलाफ तैरने जैसा है। मगर फिर भी परमेश्वर के लिए प्यार और उसे खुश करने की इच्छा ने कुछ इस्राएलियों को उभारा कि वे सच्ची उपासना करें। उन लोगों को यहोवा ने आमोस 5:4 में दर्ज़ यह प्यार-भरा न्यौता दिया: “मेरी खोज में लगो, तब जीवित रहोगे।” आज भी परमेश्वर उन पर दया करता है जो पश्चाताप दिखाते हैं और उसके वचन का सही-सही ज्ञान लेते और उसकी मरज़ी पूरी करने के ज़रिए उसे खोजते हैं। यह करना आसान नहीं है, मगर ऐसा करनेवालों को आखिर में अनंत जीवन मिलेगा।—यूहन्ना 17:3.
जेहोवाज़ डे पेज 90-91 पै 16-17
यहोवा के ऊँचे स्तरों पर चलकर उसकी सेवा कीजिए
16 पहले इंसान आदम ने सही-गलत के स्तरों के मामले में सही फैसला न करके बड़ी मूर्खता की। क्या हम सही फैसला करेंगे? आमोस ने इस मामले में सलाह दी, “बुराई से नफरत करो और भलाई से प्यार करो।” (आमोस 5:15) विलियम रेनी हार्पर, शिकागो विश्वविद्यालय में यहूदियों की भाषाओं और साहित्य के प्रोफेसर थे। उन्होंने इस आयत के बारे में कहा, “सही-गलत के बारे में [आमोस के] स्तर याहवे की मरज़ी के मुताबिक थे।” यह एक अहम बात है, जो हम 12 भविष्यवक्ताओं (इब्रानी शास्त्र की आखिरी 12 किताबों के लेखक) से सीख सकते हैं। क्या हम सही-गलत के बारे में यहोवा के स्तरों को मानने के लिए तैयार हैं? ये ऊँचे स्तर बाइबल में बताए गए हैं और इनके बारे में तजुरबेकार मसीहियों यानी “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने हमें समझाया है।—मत्ती 24:45-47.
17 जब हम बुराई से नफरत करते हैं, तो हम परमेश्वर को नाखुश करनेवाली चीज़ों से दूर रह पाते हैं। उदाहरण के लिए, हो सकता है कि एक आदमी जानता हो कि इंटरनेट पर अश्लील तसवीरें देखने से नुकसान होता है और इसलिए वह उन्हें न देखे। लेकिन गौरतलब बात यह है कि उसका “अंदर का इंसान” कैसा है। क्या वह इन तसवीरों से दिल से भी नफरत करता है? (इफिसियों 3:16) आमोस 5:15 में दी परमेश्वर की सलाह मानने से उसके लिए बुरी बातों से नफरत करना आसान होगा। इस तरह परमेश्वर के साथ अपना रिश्ता मज़बूत बनाने के संघर्ष में वह सफल होगा।
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योएल और आमोस किताबों की झलकियाँ
2:12. हमें मेहनत करनेवाले पायनियरों, सफरी अध्यक्षों, मिशनरियों, या बेथेल परिवार के सदस्यों की यह कहकर हिम्मत नहीं तोड़नी चाहिए कि वे अपनी सेवा छोड़कर आम लोगों की तरह ज़िंदगी जीएँ। इसके बजाय, हमें उनको बढ़ावा देना चाहिए कि वे अपने अच्छे काम में लगे रहें।
योएल और आमोस किताबों की झलकियाँ
8:1, 2—“धूपकाल के फलों से भरी हुई एक टोकरी” किस बात की तरफ इशारा कर रही थी? यह इस बात की तरफ इशारा कर रही थी कि यहोवा का दिन निकट है। धूपकाल के फलों को कटनी के मौसम के आखिर में, यानी कृषि-वर्ष के आखिर में तोड़ा जाता था। जब यहोवा ने आमोस को “धूपकाल के फलों से भरी एक टोकरी” दिखायी, तो इसका मतलब था कि इस्राएल का अंत करीब है। इसलिए परमेश्वर ने आमोस से कहा: “मेरी प्रजा इस्राएल का अन्त आ गया है; मैं अब उसको और न छोड़ूंगा।”
13-19 नवंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | ओबद्याह 1–योना 4
“अपनी गलतियों से सबक सीखिए”
विश्वास की मिसाल पेज 114 पै 22-23
उसने अपनी गलतियों से सबक सीखा
22 क्या योना ने सबक सीखा और यहोवा की आज्ञा मानकर अपनी एहसानमंदी दिखायी? तीन दिन और तीन रात के बाद, वह मछली योना को सीधे समुंदर के किनारे ले गयी और उसे “सूखी ज़मीन पर उगल दिया।” (योना 2:10) सोचिए, योना को किनारे तक तैरने की ज़रूरत भी नहीं पड़ी! हाँ, उसे किनारे से आगे का रास्ता ज़रूर ढूँढ़ना पड़ा। फिर जल्द ही उसे यह दिखाने का मौका मिला कि वह यहोवा का एहसानमंद है या नहीं। योना 3:1, 2 में लिखा है, “यहोवा ने दूसरी बार योना से कहा, “जा! उस बड़े शहर नीनवे को जा और उसे वह संदेश सुना, जो मैं तुझे बताता हूँ।” इस बार योना ने क्या किया?
23 वह बिलकुल नहीं हिचकिचाया। हम पढ़ते हैं, “योना ने यहोवा की आज्ञा मानी और वह नीनवे गया।” (योना 3:3) उसने अपनी गलतियों से सबक सीख लिया था। इस मामले में भी हमें योना के विश्वास की मिसाल पर चलना चाहिए। हम सब पाप करते हैं, गलतियाँ करते हैं। (रोमि. 3:23) लेकिन क्या हम इस वजह से निराश होकर हार मान लेते हैं? या हम अपनी गलतियों से सबक सीखकर यहोवा के पास लौट आते हैं और उसकी आज्ञा मानकर उसकी सेवा करते हैं?
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ओबद्याह, योना और मीका किताबों की झलकियाँ
10—एदोम किस तरह “सदा के लिये नाश” हो गया? जैसे कि भविष्यवाणी की गयी थी, एदोम राष्ट्र अपनी सरकार और प्रजा समेत मिट गया। बाबुली राजा नबोनाइडस ने सा.यु.पू. छठी सदी के बीच के सालों में एदोम को जीत लिया। फिर सा.यु.पू. चौथी सदी के आते-आते, नबायोती कहलानेवाली एक जाति ने एदोमियों के इलाके पर कब्ज़ा कर लिया। इसलिए एदोमियों को मजबूरन यहूदिया के दक्षिणी हिस्से, नेगेब के इलाके में रहना पड़ा, जो आगे चलकर इदूमिया कहलाया। जब सा.यु. 70 में रोमियों ने यरूशलेम को तबाह किया, तब एदोमियों का वजूद मिट गया।
जेहोवाज़ डे पेज 112 पै 4-5
लोगों से वैसा ही व्यवहार कीजिए, जैसा परमेश्वर चाहता है
4 यहोवा ने इसराएल के पड़ोसी देश एदोम को जिस तरह फटकार लगायी, उससे हम सबक सीख सकते हैं। उसने कहा, “तूने यह अच्छा नहीं किया, अपने भाई की बरबादी के दिन, उसकी बुरी हालत पर तूने खुशियाँ मनायीं, जिस दिन यहूदा के लोगों का नाश हुआ, उस दिन तूने जश्न मनाया।” (ओबद्याह 12) सोर के लोग शायद व्यापार के मामले में इसराएलियों के “भाइयों” जैसे थे। लेकिन एदोम के लोग तो सच में इसराएलियों के ‘भाई’ थे, क्योंकि वे याकूब के जुड़वा भाई एसाव के वंशज थे। यहोवा ने भी एदोम के लोगों को इसराएलियों के ‘भाई’ कहा था। (व्यवस्थाविवरण 2:1-4) इस वजह से एदोम के लोगों का उस वक्त खुशी मनाना कितनी बुरी बात थी, जब यहूदी बैबिलोन की गुलामी में चले गए।—यहेजकेल 25:12-14.
5 इससे पता चलता है कि एदोम के लोग अपने यहूदी भाइयों से जिस तरह पेश आए, वह परमेश्वर को बिलकुल अच्छा नहीं लगा। हम खुद से पूछ सकते हैं, ‘मैं अपने भाइयों से जिस तरह बरताव करता हूँ, वह परमेश्वर को कैसा लगता होगा?’ जैसे, अगर किसी भाई के साथ हमारी अनबन हो जाती है, तो हम उसे किस नज़र से देखते हैं और उसके साथ कैसा बरताव करते हैं? सोचिए कि एक मसीही ने आपको या आपके किसी रिश्तेदार को ठेस पहुँचायी है। अगर आपके पास “शिकायत की कोई वजह है,” तो क्या आप उसे माफ करने या उससे बात करने के बजाय नाराज़गी पाले रहेंगे? (कुलुस्सियों 3:13; यहोशू 22:9-30; मत्ती 5:23, 24) ऐसा करने से उस भाई के प्रति आपका व्यवहार बदल सकता है। आप शायद दिखावा तो ऐसे करें कि कुछ नहीं हुआ। लेकिन असल में आप शायद उससे कतराएँ या दूसरों से उसकी बुराई करें। सोचिए कि आगे चलकर उस भाई से कोई गलती होती है, जिस वजह से मंडली के प्राचीन उसे सुधारने के लिए शायद सलाह दें। (गलातियों 6:1) तब क्या आप एदोम के लोगों की तरह बरताव करेंगे? क्या आप अपने भाई की इस हालत पर खुशी मनाएँगे? ऐसे में परमेश्वर आपसे क्या उम्मीद करेगा?
20-26 नवंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | मीका 1-7
“यहोवा हमसे क्या चाहता है?”
हमें दूसरों के साथ कैसा बर्ताव करना चाहिए?
20 परमेश्वर की नज़र में, भाइयों के साथ हमारा रिश्ता सच्ची उपासना का एक अहम हिस्सा है। प्राचीन समय में अगर कोई अपने भाई के साथ बुरा सलूक करता, तो उसका चढ़ाया कोई भी बलिदान यहोवा के सामने बेमाने होता। (मीका 6:6-8) इसलिए यीशु ने अपने चेलों को उकसाया कि वे ‘झटपट मेल मिलाप करें।’ (मत्ती 5:25) पौलुस ने भी लिखा: “क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे। और न शैतान को अवसर दो।” (इफि. 4:26, 27) चाहे गुस्सा होने के हमारे पास वाजिब कारण क्यों न हो, हमें क्रोध करने और शैतान को मौका देने के बजाय मामले को जल्द-से-जल्द निपटाना चाहिए।—लूका 17:3, 4.
प्र12 11/1 पेज 22 पै 4-7, अँग्रेज़ी
“यहोवा इसे छोड़ तुझसे और क्या चाहता है”?
“तू न्याय करे।”एक किताब के मुताबिक जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “न्याय” किया गया है, “उसका यह भी मतलब है, समाज में लोगों के साथ सही और उचित तरह से पेश आना।” परमेश्वर चाहता है कि हम लोगों के साथ उस तरह पेश आएँ, जो उसके स्तरों के मुताबिक सही और उचित है। जब हम पक्षपात नहीं करते, सही या भले काम करते हैं और ईमानदार रहते हैं, तो हम न्याय से पेश आ रहे होते हैं। (लैव्यव्यवस्था 19:15; यशायाह 1:17; इब्रानियों 13:18) जब हम दूसरों के साथ न्याय से पेश आते हैं, तो शायद उनका भी मन करे कि वे हमारे साथ न्याय से पेश आएँ।—मत्ती 7:12.
‘तू वफादारी से लिपटा रहे।’ जिस इब्रानी शब्द (कसद) का अनुवाद “वफादारी” किया गया है, उसका मतलब “कृपा” या “अटल प्यार” भी हो सकता है। यहाँ परमेश्वर हमसे यह नहीं कह रहा कि हम वफादारी या कृपा दिखाएँ, बल्कि उससे लिपटे रहें या लगाव रखें। बाइबल के एक विद्वान ने कहा, ‘कसद शब्द का अनुवाद प्यार, दया, या कृपा किया जाता है, जो अपने-आप में काफी नहीं है, क्योंकि इसके मतलब में इनमें से कोई एक गुण नहीं, बल्कि ये सारे गुण आते हैं।’ अगर हम वफादार या कृपा से लगाव रखते हैं, तो हम खुशी-खुशी अपने कामों से ये गुण ज़ाहिर करेंगे। हम ज़रूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे। इससे हमें वह खुशी मिलेगी, जो किसी को कुछ देने से मिलती है।—प्रेषितों 20:35.
‘तू मर्यादा में रहकर अपने परमेश्वर के साथ चले।’ बाइबल में ‘चलने’ का मतलब होता है, “कोई काम किसी एक खास तरीके से करना।” परमेश्वर के साथ चलने का मतलब है कि हम उस तरह से ज़िंदगी जीएँ, जिस तरह बाइबल में लिखा है। इस तरह ज़िंदगी जीने के लिए हमें “मर्यादा में” रहना होगा। कैसे? जब हम मर्यादा में रहते हैं, तो हम खुद को उतना ही समझते हैं, जितना समझना चाहिए और यह मानते हैं कि हम सबकुछ नहीं कर सकते। तो फिर ‘मर्यादा में रहकर परमेश्वर के साथ चलने’ का मतलब है, यह समझना कि वह हमसे क्या चाहता है और हम उसके लिए कितना कर सकते हैं।
खुशी की बात है कि यहोवा हमसे ऐसा कुछ नहीं चाहता, जो हम नहीं कर सकते। जब हम उसकी सेवा जी-जान से करते हैं, तो वह खुश होता है। (कुलुस्सियों 3:23) वह हमारी सीमाएँ जानता है। (भजन 103:14) जब हम मर्यादा में रहते हैं और यह मानते हैं कि हम सबकुछ नहीं कर सकते, तो हमें परमेश्वर के साथ-साथ चलने में खुशी मिलेगी। तो क्यों न परमेश्वर के साथ-साथ चलना सीखें? ऐसा करने से परमेश्वर बेशुमार आशीषें देता है।—नीतिवचन 10:22.
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ओबद्याह, योना और मीका किताबों की झलकियाँ
2:12—‘इस्राएल के बचे हुओं को इकट्ठा करने’ की भविष्यवाणी कब पूरी हुई? इसकी पहली पूर्ति सा.यु.पू. 537 में हुई, जब बचे हुए यहूदी बाबुल की बंधुआई से वापस अपने वतन लौटे। आज हमारे समय में, यह भविष्यवाणी “परमेश्वर के इस्राएल” पर पूरी हुई है। (गलतियों 6:16) जिस तरह “बाड़ों में भेड़ों” (NHT) को इकट्ठा किया जाता है, उसी तरह सन् 1919 से अभिषिक्त मसीहियों को इकट्ठा किया गया है। और खासकर सन् 1935 से उनके संग ‘अन्य भेड़ों’ की “बड़ी भीड़” जा मिली है, जिस वजह से अभिषिक्त मसीही ‘मनुष्यों की बहुतायत के मारे कोलाहल मचा’ रहे हैं। (यूहन्ना 10:16, NW; प्रकाशितवाक्य 7:9) ये दोनों समूह मिलकर पूरे ज़ोर-शोर से सच्ची उपासना को बढ़ावा देते हैं।
यहोवा हमसे क्या उम्मीद करता है?
20 परमेश्वर की आशीष पाने पर हम ठीक वैसा ही महसूस करते हैं जैसा मीका ने किया। वह अटल इरादे के साथ कहता है: “मैं अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर की बाट जोहता रहूंगा।” (मीका 7:7) इन शब्दों का यहोवा के साथ मर्यादा में चलने का क्या नाता है? अगर हम बाट जोहने का रवैया दिखाएँगे, या धीरज धरेंगे तो हम यह सोचकर निराश नहीं होंगे कि यहोवा का दिन क्यों अब तक नहीं आया है। (नीतिवचन 13:12) सच पूछो तो हम सभी इस दुष्ट संसार के अंत का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। लेकिन जब हम यह ध्यान रखेंगे कि अभी भी हर हफ्ते हज़ारों लोग परमेश्वर के साथ चलने का सफर शुरू कर रहे हैं तो हमें बाट जोहते रहने का हौसला मिलेगा। लंबे समय से सच्चाई में रहनेवाले एक साक्षी ने कहा: “प्रचार काम में बिताए पिछले 55 सालों को जब मैं याद करता हूँ, तो मुझे पक्का यकीन होता है कि यहोवा के वक्त के इंतज़ार में मैंने कुछ खोया नहीं है। इसके बजाय, मैं कितनी ही मुसीबतों से बचा हूँ।” क्या आपका भी ऐसा ही अनुभव रहा है?
27 नवंबर–3 दिसंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | नहूम 1–हबक्कूक 3
“चौकन्ना रहिए, परमेश्वर की सेवा में लगे रहिए”
नहूम, हबक्कूक और सपन्याह किताबों की झलकियाँ
2:1. हबक्कूक की तरह हमें भी यहोवा की सेवा में सतर्क और सरगर्म बने रहना चाहिए। इसके अलावा, अगर हमें “उलाहना” या ताड़ना दी जाती है, तो हमें उसके मुताबिक अपनी सोच बदलने के लिए तैयार होना चाहिए।
2:3; 3:16. यहोवा के आनेवाले दिन का विश्वास के साथ इंतज़ार करते हुए आइए हम वक्त की नज़ाकत को कभी न भूलें।
2:4. यहोवा के न्याय के दिन से बचने के लिए हमें वफादारी दिखाते हुए धीरज धरना होगा।—इब्रानियों 10:36-38.
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
नहूम, हबक्कूक और सपन्याह किताबों की झलकियाँ
2:6 (NHT)—“नदियों के फाटक” क्या थे जो खोल दिए गए थे? यहाँ फाटकों का मतलब वे दरारें हैं, जो नीनवे की दीवारों में टिग्रिस नदी के थपेड़ों से बन गयी थीं। जब बाबुल और मादी सेनाओं ने सा.यु.पू. 632 में नीनवे पर धावा बोला, तब नीनवे को कोई डर महसूस नहीं हुआ। अपनी ऊँची-ऊँची शहरपनाहों की वजह से वह खुद को सुरक्षित महसूस कर रही थी और मानती थी कि दुश्मन उसका बाल भी बाँका नहीं कर सकता। लेकिन, मूसलाधार बारिश की वजह से टिग्रिस नदी में बाढ़ आ गयी। इतिहासकार डाइडोरस के मुताबिक, इससे “नगर की दीवारों का ज़्यादातर हिस्सा ढह गया और नगर का एक हिस्सा पानी में डूब गया।” इस मायने में नदियों के फाटक खोल दिए गए थे। और ठीक जैसे भविष्यवाणी में बताया गया था, नीनवे ऐसे नाश हो गया, जैसे सूखी खूँटी पल-भर में आग से भस्म हो जाती है।—नहूम 1:8-10.
नहूम, हबक्कूक और सपन्याह किताबों की झलकियाँ
3:17-19. अरमगिदोन से पहले और उसके दौरान हम पर कई मुश्किलें आ सकती हैं। लेकिन अगर हम खुशी-खुशी यहोवा की सेवा करते रहें, तो हम यकीन रख सकते हैं कि वह हमें इन मुश्किलों का सामना करने के लिए ‘बल’ ज़रूर देगा।