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  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2017
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  • 2-8 अक्टूबर
  • 9-15 अक्टूबर
  • 16-22 अक्टूबर
  • 23-29 अक्टूबर
  • 30 अक्टूबर–5 नवंबर
मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2017
mwbr17 अक्टूबर पेज 1-6

मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले

2-8 अक्टूबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | दानियेल 7-9

“दानियेल ने मसीहा के आने की भविष्यवाणी की”

इंसाइट-2 पेज 902 पै 2

सत्तर हफ्ते

1 अपराध और पाप मिटा दिए गए। यीशु को काट डाले जाने यानी उसकी मौत होने, उसे ज़िंदा किए जाने और स्वर्ग जाने की वजह से ‘अपराध मिटा दिए गए, पाप का अंत किया गया और गुनाह के लिए प्रायश्‍चित किया गया।’ (दान 9:24) कानून के करार से यहूदियों के पाप ज़ाहिर हुए, वे पापी ठहरे और करार तोड़ने की वजह से वे शापित हुए। मगर जहाँ पाप “बढ़ा” यानी कानून की वजह से उनके पाप और भी बढ़कर ज़ाहिर हुए, वहीं उन पर मसीह के ज़रिए परमेश्‍वर की दया और कृपा और भी बहुतायत में हुई। (रोम 5:20) मसीह के बलिदान की वजह से पश्‍चाताप करनेवाले पापियों के अपराध और पाप माफ किए जा सकते हैं और उन्हें सज़ा नहीं दी जाती।

इंसाइट-2 पेज 900 पै 7

सत्तर हफ्ते

‘69 हफ्ते’ बाद मसीहा आता है। “62 हफ्ते” (दान 9:25) भी 70 हफ्ते का ही भाग हैं और इनका ज़िक्र आयत में 7 हफ्ते के बाद किया गया है। इन 62 हफ्तों की शुरूआत “7 हफ्ते” का समय खत्म होने पर होती है। इसका मतलब है कि यरूशलेम को दोबारा बनाने की ‘आज्ञा दी जाने से लेकर मसीहा यानी अगुवे के आने तक’ 7 और 62 “हफ्ते” बीतेंगे यानी कुल 69 “हफ्ते।” इन 69 हफ्तों की शुरूआत ईसा पूर्व 455 में होती है और ईसवी सन्‌ 29 में खत्म होती है, जो 483 साल का दौर है। जैसा पहले ज़िक्र किया गया था, ईसवी सन्‌ 29 के पतझड़ में यीशु ने पानी में बपतिस्मा लिया, पवित्र शक्‍ति से उसका अभिषेक किया गया और उसने “मसीहा यानी अगुवे” के तौर पर सेवा शुरू की।—लूक 3:1, 2, 21, 22.

इंसाइट-2 पेज 901 पै 2

सत्तर हफ्ते

आधा हफ्ता बीतने पर मसीहा “काट डाला” जाता है। जिब्राईल ने दानियेल से यह भी कहा, “62 हफ्तों के बीतने पर मसीहा काट डाला जाएगा और उसके पास कुछ नहीं बचेगा।” (दान 9:26) यह घटना ‘7 और 62 हफ्तों’ का समय पूरा होने के कुछ वक्‍त बाद घटती है यानी इन 69 हफ्तों के पूरे होने के करीब साढ़े तीन साल बाद मसीहा को काठ पर मार डाला गया। उसने इंसानों की खातिर फिरौती बलिदान देकर खुद को पूरी तरह दे दिया। (यश 53:8) सबूतों से पता चलता है कि शुरू के आधे “हफ्ते” (साढ़े तीन साल) यीशु ने प्रचार काम किया। एक बार यीशु ने एक मिसाल दी, जिसमें उसने यहूदा राष्ट्र की तुलना अंजीर के पेड़ से की। (मत 17:15-20; 21:18, 19, 43 से तुलना कीजिए)। मिसाल में बताए अंजीर के पेड़ में “तीन साल” से कोई फल नहीं आया था। फिर माली ने बाग के मालिक से कहा, “मालिक, एक और साल इसे रहने दे ताकि मैं इसके चारों तरफ खुदाई करके इसमें खाद डालूँ। और अगर यह भविष्य में फल दे, तो अच्छी बात है। लेकिन अगर नहीं, तो तू इसे कटवा देना।” (लूक 13:6-9) यहाँ यीशु शायद उन तीन सालों की बात कर रहा था जिस दौरान उसने यहूदियों को परमेश्‍वर का संदेश सुनाया, पर उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। यीशु ने यह मिसाल शायद ईसवी सन्‌ 32 के पतझड़ के दौरान दी थी, जब उसे प्रचार करते हुए करीब तीन साल हो गए थे और वह यह काम चौथे साल में भी करता।

इंसाइट-2 पेज 901 पै 5

सत्तर हफ्ते

70वें हफ्ते का ‘आधा हफ्ता’ सात साल के बीच में खत्म होता यानी साढ़े तीन साल बाद। 70वाँ “हफ्ता” ईसवी सन्‌ 29 के पतझड़ में शुरू हुआ, जब यीशु का बपतिस्मा हुआ और मसीह के तौर पर उसका अभिषेक हुआ। इसका मतलब है कि 70वें हफ्ते का आधा हफ्ता (साढ़े तीन साल) ईसवी सन्‌ 33 के वसंत तक चला, जो फसह का वक्‍त (नीसान 14) भी था। ग्रेगरियन कैलेंडर के मुताबिक वह दिन ईसवी सन्‌ 33 का 1 अप्रैल था। प्रेषित पौलुस ने कहा कि यीशु ‘परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने आया था’ और वह मरज़ी थी, ‘पहले इंतज़ाम को खत्म करना [कानून के मुताबिक बलिदान और चढ़ावा] ताकि वह दूसरा इंतज़ाम शुरू करे।’ उसने अपना शरीर बलिदान करके ऐसा किया।—इब्र 10:1-10.

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प्र01 5/15 पेज 27

पाठकों के प्रश्‍न

दानिय्येल 9:24 की भविष्यवाणी के मुताबिक “परमपवित्र” का अभिषेक कब किया गया था?

दानिय्येल 9:24-27 की भविष्यवाणी, “अभिषिक्‍त प्रधान” यानी मसीह के प्रकट होने के संबंध में है। इसलिए इस भविष्यवाणी में बताए गए “परमपवित्र” का अभिषेक करने का मतलब, यरूशलेम के मंदिर के अति पवित्र-स्थान को अभिषेक करना नहीं है। इसके बजाय, यह शब्द “परमपवित्र,” स्वर्ग में परमेश्‍वर के निवासस्थान को सूचित करता है, जो कि यहोवा के महान आत्मिक मंदिर का स्वर्गीय अति पवित्र-स्थान है।—इब्रानियों 8:1-5; 9:2-10, 23.

परमेश्‍वर के आत्मिक मंदिर ने कब से काम करना शुरू किया था? यह जानने के लिए पहले इस बात पर गौर कीजिए कि जब सा.यु. 29 में यीशु ने बपतिस्मे के लिए खुद को प्रस्तुत किया, तब क्या हुआ था। उस समय से भजन 40:6-8 में लिखे शब्द यीशु पर पूरे होने लगे। प्रेरित पौलुस ने बाद में बताया कि यीशु ने बपतिस्मे के वक्‍त परमेश्‍वर से यह प्रार्थना की थी: “बलिदान और भेंट तू ने न चाही, पर मेरे लिये एक देह तैयार किया।” (इब्रानियों 10:5) यीशु जानता था कि परमेश्‍वर ने यह ‘नहीं चाहा’ कि यरूशलेम के मंदिर में जानवरों की बलि चढ़ाने का काम जारी रहे। इसके बजाय, यहोवा ने यीशु के लिए एक सिद्ध मानव देह तैयार की थी ताकि वह उसे एक बलिदान के तौर पर अर्पित कर सके। अपने दिल की इच्छा ज़ाहिर करते हुए यीशु ने प्रार्थना में आगे कहा: “देख, मैं आ गया हूं, (पवित्र शास्त्र में मेरे विषय में लिखा हुआ है) ताकि हे परमेश्‍वर तेरी इच्छा पूरी करूं।” (इब्रानियों 10:7) और तब यहोवा ने क्या किया? इस बारे में सुसमाचार की किताब, मत्ती कहती है: “यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिये आकाश खुल गया; और उस ने परमेश्‍वर के आत्मा को कबूतर की नाई उतरते और अपने ऊपर आते देखा। और देखो, यह आकाशवाणी हुई, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्त प्रसन्‍न हूं।”—मत्ती 3:16, 17.

इस तरह जब यीशु ने अपनी देह बलिदान के लिए प्रस्तुत की और यहोवा ने उसे स्वीकार किया, तब यह ज़ाहिर हुआ कि यरूशलेम के मंदिर की वेदी से कहीं बढ़कर एक महान वेदी अस्तित्त्व में आई है। यह परमेश्‍वर की “इच्छा” की वेदी थी या दूसरे शब्दों में कहें तो यीशु के मानव जीवन के बलिदान को स्वीकार करने का एक इंतज़ाम था। (इब्रानियों 10:10) पवित्र आत्मा से यीशु का अभिषेक किए जाने से यह ज़ाहिर हुआ कि परमेश्‍वर ने अब अपने पूरे आत्मिक मंदिर की व्यवस्था शुरू कर दी है। इसलिए, परमेश्‍वर के स्वर्गीय निवासस्थान का अभिषेक, यीशु के बपतिस्मे के समय हुआ था यानी परमेश्‍वर के स्वर्गीय निवासस्थान को महान आत्मिक मंदिर की व्यवस्था में “परमपवित्र” के तौर पर अलग किया गया था।

प्र07 9/1 पेज 21 पै 4

दानिय्येल किताब की झलकियाँ

9:27—कौन-सी वाचा 70वें सप्ताह के खत्म होने तक, यानी सा.यु. 36 तक ‘बहुतों के संग दृढ़ता से बँधे रही’? व्यवस्था वाचा सा.यु. 33 में हटा दी गयी थी, जब यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था। लेकिन यहोवा ने इब्राहीम के साथ बाँधी वाचा को सा.यु. 36 तक कायम रखा और इस तरह यहूदियों को, जो इब्राहीम के वंशज थे, उसकी आशीषें पाने का और भी मौका दिया। मगर “परमेश्‍वर के इस्राएल” के मामले में, इब्राहीम के साथ बाँधी वाचा अब भी कायम है।—गलतियों 3:7-9, 14-18, 29; 6:16.

9-15 अक्टूबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | दानियेल 10-12

“यहोवा ने राजाओं का भविष्य पहले से बताया”

दानिय्येल पेज 212-213 पै 5-6

दो राजाओं के बीच संघर्ष

5 फारसी जाति से निकलनेवाले पहले तीन राजा थे, कुस्रू महान, कैमबीसिस II और दारा I (हिस्तसपीज़)। कैमबीसिस II के भाई, बारदिया (या शायद बारदिया होने का दावा करनेवाले गौमाता नाम के एक जालसाज़) ने सिर्फ सात महीने तक राज किया, इसलिए इस भविष्यवाणी में उसके छोटे-से शासनकाल को कोई अहमियत नहीं दी गयी और यह भविष्यवाणी उस पर लागू नहीं होती। तीसरे फारसी राजा दारा I ने, सा.यु.पू. 490 में दूसरी बार यूनान देश पर चढ़ाई की। लेकिन यूनानियों ने फारस की सेनाओं को मैरेथॉन इलाके से मार भगाया, इसलिए वे पीछे हटकर एशिया माइनर में भाग गए। इसके बाद, एक बार फिर दारा I ने यूनान पर चढ़ाई करने के लिए बहुत सोच-समझकर और अच्छी तैयारी की लेकिन वह चढ़ाई नहीं कर सका और चार साल बाद मर गया। अब यह काम उसके बेटे, यानी फारस के ‘चौथे’ राजा जरक्सीज़ I के कंधों पर आ गया। यही जरक्सीज़ I, बाइबल में बताया गया राजा क्षयर्ष है जिसने एस्तेर से शादी की थी।—एस्तेर 1:1; 2:15-17.

6 उस वक्‍त सारा यूनानी इलाका अलग-अलग राज्यों में बँटा हुआ था। जरक्सीज़ I ने इसी ‘यूनान के राज्य के विरुद्ध सब लोगों को उभारा,’ यानी हर एक साधन का इस्तेमाल किया। वह कैसे? किताब मादी और फारसी—विजेता और राजनयिक (अंग्रेज़ी) कहती है कि “जरक्सीज़ के सबसे खास मित्र और मंत्रियों पर यूनान से बदला लेने और उसको तहस-नहस करने का जुनून सवार था, और उन्हीं के दबाव में आकर जरक्सीज़ ने जल और थल दोनों तरफ से यूनान पर धावा बोलने की तैयारी की।” सा.यु.पू. पाँचवी सदी के यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस लिखते हैं कि “इससे पहले किसी ने लड़ाई के लिए इतने बड़े पैमाने पर तैयारी नहीं की थी।” हेरोडोटस कहते हैं कि मेरे हिसाब से समुद्री सेना में “कुल मिलाकर 5,17,610 सैनिक थे। थल सेना में, 17,00,000 सैनिक और 80,000 घुड़सवार थे। इनके अलावा ऊँटों पर लड़नेवाले अरबी लोग थे, और लीबिया के लड़ाई के रथ भी थे जो मेरे हिसाब से 20,000 थे। इस तरह जल और थल की फौज की कुल गिनती 23,17,610 थी।”

दानिय्येल पेज 214 पै 8

दो राजाओं के बीच संघर्ष

8 उस स्वर्गदूत ने कहा: “उसके बाद एक पराक्रमी राजा उठकर अपना राज्य बहुत बढ़ाएगा, और अपनी इच्छा के अनुसार ही काम किया करेगा।” (दानिय्येल 11:3) यह राजा सिकंदर था। वह वाकई “पराक्रमी” साबित हुआ इसीलिए वह सिकंदर महान कहलाया। सा.यु.पू. 336 में बीस साल का सिकंदर “उठकर” मकिदुनिया के छोटे से राज्य का राजा बना। लेकिन जल्द ही अपने पिता फिलिप्प II की योजना के मुताबिक उसने फारस साम्राज्य के इलाके, एशिया माइनर के पश्‍चिम और उत्तर-पूर्व में कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद वह फरात और टिग्रिस नदी को पार करके आगे बढ़ा। गौगमेला में उसके 47,000 सैनिकों ने फारस के सम्राट, दारा III की 2,50,000 की बड़ी फौज को तित्तर-बित्तर कर दिया। हारा हुआ दारा वहाँ से भाग गया और बाद में उसी के लोगों ने उसका कत्ल कर दिया। दारा की मौत के साथ ही फारसी राजाओं का राजवंश खत्म हो गया। अब यूनान विश्‍वशक्‍ति बन गया था। सिकंदर, यूनान के बड़े साम्राज्य पर हुकूमत करने लगा। उसने ‘अपने राज्य को बहुत बढ़ाया, और अपनी इच्छा के अनुसार ही काम किया।’

दानिय्येल पेज 215 पै 11

दो राजाओं के बीच संघर्ष

11 सिकंदर की मौत के बाद उसका राज्य “चारों दिशाओं में बटकर अलग अलग” हो गया। सिकंदर के कई सेनापतियों ने उसके साम्राज्य के अलग-अलग हिस्सों पर अपना कब्ज़ा जमाने के लिए आपस में लड़ाई की। उसका एक सेनापति एन्टिगोनस I, एक आँख से काना था। उसने सिकंदर के पूरे साम्राज्य पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। लेकिन वह फ्रिजीया के इपसस नगर में एक युद्ध में मारा गया। सा.यु.पू. 301 तक, दूर-दूर तक फैले सिकंदर के साम्राज्य पर उसके सेनापतियों ने कब्ज़ा कर लिया था। सेनापति कसांडर ने मकिदुनिया और ग्रीस को ले लिया। सेनापति लिसिमाकस ने एशिया माइनर और थ्रेस को ले लिया। सेल्युकस I निकेटोर ने मेसोपोटामिया और सीरिया पर कब्ज़ा कर लिया। और टॉल्मी लेगस ने मिस्र (इजिप्ट) और इस्राएल देश पर कब्ज़ा कर लिया। ठीक जैसा भविष्यवाणी में लिखा था सिकंदर का बड़ा यूनान साम्राज्य चार छोटे-छोटे राज्यों में बँट गया।

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प्र13 7/15 पेज 13 पै 16, फुटनोट

“देखो! मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ”

दानिय्येल 12:3 कहता है कि “सिखानेवालों [अभिषिक्‍त मसीहियों] की चमक आकाशमण्डल की सी होगी।” जब तक वे धरती पर हैं, वे प्रचार काम में हिस्सा ले रहे हैं और इस मायने में चमक रहे हैं। लेकिन मत्ती 13:43 में उस समय के बारे में बताया गया है जब वे स्वर्ग में परमेश्‍वर के राज में चमकेंगे। पहले हमारा मानना था कि ये दोनों आयतें प्रचार काम के बारे में बताती हैं।

दानिय्येल पेज 314-315 पै 18

यहोवा बेहतरीन इनाम देने का दानिय्येल से वायदा करता है

18 दानिय्येल की किताब, परमेश्‍वर के एक ऐसे शानदार वायदे से खत्म होती है जो उसने शायद ही कभी किसी दूसरे इंसान से किया होगा। यहोवा के स्वर्गदूत ने दानिय्येल से कहा: “उन दिनों के अन्त में तू अपने निज भाग पर खड़ा होगा।” उसके कहने का आखिर क्या मतलब था? उसने अभी-अभी कहा था कि दानिय्येल “विश्राम” करेगा जिसका मतलब है कि वह मौत की नींद सोएगा। तो फिर स्वर्गदूत का अब यह वादा करना कि दानिय्येल ‘खड़ा होगा,’ इसका एक ही मतलब हो सकता है कि दानिय्येल फिर जी उठेगा या उसका पुनरुत्थान होगा! दरअसल कई विद्वानों का यह कहना है कि इब्रानी शास्त्र में पहली बार इतने साफ शब्दों में, पुनरुत्थान का ज़िक्र दानिय्येल की किताब के 12 अध्याय में ही पाया जाता है। (दानिय्येल 12:2) लेकिन उनका यह कहना सही नहीं है। क्योंकि दानिय्येल खुद पुनरुत्थान की आशा के बारे में पहले से ही जानता था।

16-22 अक्टूबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | होशे 1-7

“यहोवा अटल प्यार से खुश होता है—आपके बारे में क्या?”

प्र10 8/15 पेज 25 पै 18

‘अटल कृपा’ अपनी बोली में ज़ाहिर कीजिए

18 भाई-बहनों के साथ हमारे व्यवहार में हमेशा सच्चा प्यार दिखायी देना चाहिए। हालात चाहे कितने भी मुश्‍किल क्यों न हों, अटल कृपा हमारी ज़ुबान पर हमेशा झलकनी चाहिए। जब इसराएलियों के बीच से अटल कृपा “सवेरे उड़ जानेवाली ओस के समान” गायब हो गयी, तो यहोवा बहुत नाराज़ हुआ। (होशे 6:4, 6) वहीं दूसरी तरफ अगर अटल कृपा दिखाना हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बना जाता है तो इससे यहोवा बहुत खुश होता है। गौर कीजिए कि जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें यहोवा कैसी आशीषें देता है।

प्र07 10/1 पेज 4 पै 13

होशे किताब की झलकियाँ

6:6. एक इंसान का लगातार पाप करना दिखाता है कि उसके दिल में परमेश्‍वर के लिए सच्चा प्यार नहीं है। चाहे वह कितने भी आत्मिक बलिदान क्यों न चढ़ाए, मगर उनसे वह इस कमी की भरपाई नहीं कर सकता।

प्र07 7/1 पेज 20 पै 7

आपका आज्ञाकारी होना, यहोवा की नज़र में अनमोल है

7 इसी सिलसिले में, याद कीजिए कि यहोवा ने बीते ज़माने में अपने लोगों को क्या जताया था। यही कि आज्ञा मानना, जानवरों के बलिदान चढ़ाने से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है। (नीतिवचन 21:3, 27; होशे 6:6; मत्ती 12:7) यहोवा ने ऐसा क्यों कहा? क्या उसी ने लोगों को बलिदान चढ़ाने की आज्ञा नहीं दी थी? ज़रा सोचिए, एक इंसान किस इरादे से बलिदान चढ़ाता है? यहोवा को खुश करने के लिए? या बस खानापूर्ति के लिए? अगर वह सचमुच यहोवा को खुश करना चाहता है, तो वह उसकी सब आज्ञाओं को मानेगा। परमेश्‍वर को जानवरों के बलिदानों की कोई ज़रूरत नहीं। मगर जब हम उसकी आज्ञाएँ मानते हैं, तो हम उसे बलिदानों से कहीं ज़्यादा अनमोल चीज़ दे रहे होते हैं।

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प्र07 10/1 पेज 3 पै 7

होशे किताब की झलकियाँ

1:7—यहूदा के घराने पर कब दया की गयी थी और कब उनका उद्धार किया गया था? यह भविष्यवाणी सा.यु.पू. 732 में, राजा हिजकिय्याह की हुकूमत के दौरान पूरी हुई। उस वक्‍त, यरूशलेम पर अश्‍शूरियों का खतरा मँडरा रहा था। यहोवा ने अपना एक स्वर्गदूत भेजा, जिसने एक ही रात में 1,85,000 अश्‍शूरियों को मार गिराया। (2 राजा 19:34, 35) इस तरह यहोवा ने “धनुष वा तलवार वा युद्ध वा घोड़ों वा सवारों के द्वारा नहीं,” बल्कि एक स्वर्गदूत के ज़रिए यहूदा का उद्धार किया।

प्र05 11/15 पेज 20 पै 16

होशे की भविष्यवाणी, परमेश्‍वर के साथ-साथ चलने में हमारी मदद करती है

16 परमेश्‍वर ने अपना यह वादा भी पूरा किया: “उस समय मैं उनके लिये बन-पशुओं और आकाश के पक्षियों और भूमि पर के रेंगनेवाले जन्तुओं के साथ वाचा बान्धूंगा, और धनुष और तलवार तोड़कर युद्ध को उनके देश से दूर कर दूंगा; और ऐसा करूंगा कि वे लोग निडर सोया करेंगे।” (होशे 2:18) बाबुल से जो बचे हुए यहूदी अपने वतन लौटे, वे वहाँ निडर बसे रहे। उन्हें जंगली जानवरों से कोई खतरा नहीं था। यह भविष्यवाणी एक बार फिर सा.यु. 1919 में पूरी हुई जब आत्मिक इस्राएल के शेष जन ‘बड़े बाबुल’ से यानी झूठे धर्म से आज़ाद हुए जो दुनिया-भर में एक साम्राज्य की तरह फैला है। अब वे आध्यात्मिक फिरदौस में अपने उन साथियों के साथ बेखौफ और खुशी-खुशी जी रहे हैं जिन्हें नयी दुनिया में हमेशा की ज़िंदगी पाने की आशा है। इन सच्चे मसीहियों में जानवरों जैसा खूँखार स्वभाव नहीं है।—प्रकाशितवाक्य 14:8; यशायाह 11:6-9; गलतियों 6:16.

सज05 9/8 पेज 12 पै 2, अँग्रेज़ी

जब पूरी दुनिया में शांति और एकता होगी

उस वक्‍त धरती पर एक नए किस्म की शांति और एकता होगी। तब परमेश्‍वर वफादार इंसानों को सिखाएगा कि वे अपने घर यानी इस धरती की कैसे अच्छी तरह देखभाल कर सकते हैं। यहाँ तक कि वह जंगली जानवरों के साथ “एक करार करेगा,” जिससे वे इंसानों के अधीन रहेंगे और शांति बनाए रखेंगे।—होशे 2:18; उत्पत्ति 1:26-28; यशायाह 11:6-8.

23-29 अक्टूबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | होशे 8-14

“अपनी सबसे बढ़िया भेंट यहोवा को चढ़ाइए”

प्र07 4/1 पेज 20 पै 2, अँग्रेज़ी

ऐसे बलिदान चढ़ाइए जिनसे परमेश्‍वर खुश होता है

इसके अलावा बाइबल बताती है कि यहोवा की तारीफ करना भी उसे बलिदान चढ़ाने के बराबर है। भविष्यवक्‍ता होशे ने ‘होंठों से तारीफ के बोल’ की तुलना ‘बैलों के बलिदान’ से की। (होशे 14:2) इससे पता चलता है कि जब हम परमेश्‍वर की तारीफ करते हैं, तो वह उसे उम्दा किस्म का बलिदान समझता है। प्रेषित पौलुस ने इब्रानी मसीहियों को बढ़ावा दिया कि वे “परमेश्‍वर को तारीफ का बलिदान हमेशा चढ़ाएँ, यानी अपने होंठों का फल जो उसके नाम का सरेआम ऐलान करते हैं।” (इब्रानियों 13:15) आज पूरी दुनिया में यहोवा के साक्षी खुशखबरी का प्रचार करने और सब राष्ट्र के लोगों को चेला बनाने के काम में जी-जान से लगे हुए हैं। (मत्ती 24:14; 28:19, 20) वे दिन-रात परमेश्‍वर की तारीफ के बलिदान चढ़ाते हैं।—प्रकाशितवाक्य 7:15.

प्र11 2/15 पेज 16 पै 15

परमेश्‍वर की मंज़ूरी पाने से हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी

15 यहोवा को बलि चढ़ाने के लिए इसराएली जो जानवर खरीदते थे, उनमें बैल सबसे महँगा होता था। लेकिन जैसा कि उन्होंने कहा कि “बैल नहीं, वरन्‌ स्तुतिगान” चढ़ाएँगे, तो उन्हें स्तुति का उत्तम बलिदान चढ़ाना था। इसका मतलब है कि उन्हें दिल से, सोचे-समझे शब्दों का इस्तेमाल करके सच्चे परमेश्‍वर की महिमा करनी थी। ऐसे बलिदान चढ़ानेवालों के बारे में यहोवा ने क्या कहा? “मैं सेंतमेंत [या, “खुलकर,” NHT] उन से प्रेम करूंगा।” (होशे 14:4) यहोवा ऐसे लोगों को माफ करता है, अपनी मंज़ूरी देता और उनसे दोस्ती करता है।

जेहोवाज़ डे पेज 87 पै 11

यहोवा के ऊँचे स्तरों के मुताबिक उसकी सेवा कीजिए

11 होशे 14:9 में यह भी बताया गया है कि सीधी राह पर चलने के क्या फायदे हैं। जब हम यहोवा की उम्मीदों पर खरे उतरते हैं, तो हमें कई फायदे और आशीषें मिलती हैं। सृष्टिकर्ता होने के नाते वह हमें अच्छी तरह जानता है। वह हमसे जो उम्मीद करता है, उसमें हमारी ही भलाई है। हमारे और परमेश्‍वर के बीच के रिश्‍ते की तुलना हम एक गाड़ी और उसके बनानेवाले से कर सकते हैं। गाड़ी का बनानेवाला उसकी बनावट अच्छी तरह जानता है। जैसे उसे पता है कि गाड़ी में कब-कब तेल बदलना चाहिए। सोचिए अगर आप यह बात नज़रअंदाज़ करें और यह सोचकर तेल न बदलें कि वह ठीक चल रही है, तो क्या हो सकता है? इंजन जल्दी खराब हो सकता है और बंद पड़ सकता है। हम इंसानों के साथ भी कुछ ऐसा ही है। हमारे सृष्टिकर्ता ने हमें कुछ आज्ञाएँ दी हैं। अगर हम उन्हें मानें, तो इसमें हमारी ही भलाई है। (यशायाह 48:17, 18) जब हम यह समझेंगे, तो हमारा और भी मन करेगा कि हम उसके स्तरों पर चलें और उसकी आज्ञाएँ मानें।—भजन 112:1.

ढूँढ़ें अनमोल रत्न

प्र05 11/15 पेज 28 पै 7

“यहोवा के मार्ग सीधे हैं”

7 अगर हम यहोवा की उपासना बिना किसी कपट से और खराई के साथ करें, तो हम उसकी निरंतर प्रेम-कृपा या सच्चा प्यार पाएँगे। भटके हुए इस्राएलियों से कहा गया था: “अपने लिये धर्म का बीज बोओ, तब करुणा के अनुसार खेत काटने पाओगे; अपनी पड़ती भूमि को जोतो; देखो, अभी यहोवा के पीछे हो लेने का समय है, कि वह आए और तुम्हारे ऊपर उद्धार बरसाए।”—होशे 10:12.

प्र11 8/15 पेज 10 पै 10

उन्होंने मसीहा के आने की आस लगायी

10 इसराएलियों की तरह मसीहा को भी मिस्र से बुलाया जाएगा। (होशे 11:1) हेरोदेस के यह आदेश देने से पहले कि बच्चों को मार डाला जाए, एक स्वर्गदूत ने यूसुफ से कहा कि वह मरियम और यीशु को लेकर मिस्र चला जाए। इसके बाद यूसुफ उन दोनों के साथ “हेरोदेस की मौत तक वहीं रहा। इस तरह, वह बात पूरी हुई जो यहोवा ने अपने भविष्यवक्‍ता के ज़रिए कही थी: ‘मैंने अपने बेटे को मिस्र देश से बुलाया।’” (मत्ती 2:13-15) बेशक, अपने जन्म और बचपन के बारे में की गयी भविष्यवाणियों पर यीशु का कोई बस नहीं था।

30 अक्टूबर–5 नवंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | योएल 1-3

“तुम्हारे बेटे-बेटियाँ भविष्यवाणी करेंगे”

प्र02 8/1 पेज 15 पै 4-5

“परमेश्‍वर के बड़े बड़े कामों” के बारे में सुनकर वे जोश से भर गए

4 पवित्र आत्मा पाने के बाद, यरूशलेम में यीशु के चेलों ने बिना वक्‍त गँवाए दूसरों को उद्धार का सुसमाचार सुनाया और उस सुबह इकट्ठी हुई भीड़ से ही उन्होंने शुरूआत की। उनके प्रचार से एक खास भविष्यवाणी पूरी हुई जिसे उस घटना के आठ सौ साल पहले, पतूएल के पुत्र योएल ने लिखा था: “यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहले,” “मैं सब प्राणियों पर अपना आत्मा उण्डेलूंगा; तुम्हारे बेटे-बेटियां भविष्यद्वाणी करेंगी, और तुम्हारे पुरनिये स्वप्न देखेंगे, और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे। तुम्हारे दास और दासियों पर भी मैं उन दिनों में अपना आत्मा उण्डेलूंगा।”—योएल 1:1; 2:28, 29, 31; प्रेरितों 2:17, 18, 20.

5 क्या इसका मतलब यह था कि परमेश्‍वर, दाऊद, योएल और दबोरा की तरह भविष्यवक्‍ताओं और भविष्यवक्‍तिनों की पूरी एक पीढ़ी तैयार करता और उनके ज़रिए आनेवाली घटनाओं की भविष्यवाणी करवाता? जी नहीं। मसीही ‘बेटे-बेटियां और दास-दासियाँ’ इस अर्थ में भविष्यवाणी करते कि यहोवा की आत्मा की प्रेरणा से, उन्हें उन “बड़े बड़े कामों” का ऐलान करने के लिए उसाया जाता जो यहोवा ने अब तक किए हैं और आगे भी करेगा। इस तरह वे परमप्रधान परमेश्‍वर की तरफ से बोलनेवालों का काम करते। मगर, भीड़ ने ये बातें सुनकर क्या किया?—इब्रानियों 1:1, 2.

जेहोवाज़ डे पेज 167 पै 4

“राष्ट्रों के बीच ऐलान करो”

4 एक दूसरे नज़रिए से मामले को देखिए। यहोवा परमेश्‍वर ने भविष्यवक्‍ता योएल को ऐसे वक्‍त के बारे में बताया, जब मानो हर किस्म के लोग भविष्यवाणी करेंगे। इस बारे में उसने कहा, “इसके बाद मैं हर तरह के इंसान पर अपनी पवित्र शक्‍ति उँडेलूँगा और तुम्हारे बेटे-बेटियाँ भविष्यवाणी करेंगे, तुम्हारे बुज़ुर्ग खास सपने देखेंगे, तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे।” (योएल 2:28-32) प्रेषित पतरस ने इन आयतों को उस घटना पर लागू किया, जो ई.सन्‌ 33 में पिन्तेकुस्त के दिन यरूशलेम में एक घर के ऊपरी कमरे में हुई थी। वहाँ जो लोग इकट्ठा हुए थे, उन पर पवित्र शक्‍ति उँडेली गयी और वे “परमेश्‍वर के शानदार कामों के बारे में” प्रचार करने लगे। (प्रेषितों 1:12-14; 2:1-4, 11, 14-21) अब हमारे समय के बारे में सोचिए। योएल की भविष्यवाणी बीसवीं सदी की शुरूआत से ही बड़े पैमाने पर पूरी होने लगी। पवित्र शक्‍ति से अभिषिक्‍त किए गए मसीही, फिर चाहे वे स्त्री हों या पुरुष, बूढ़े हों या जवान, सब “भविष्यवाणी” करने लगे यानी “परमेश्‍वर के शानदार कामों” का ऐलान करने लगे। इन कामों में उस राज की खुशखबरी सुनाना भी शामिल है, जो अब स्वर्ग में शुरू हो चुका है।

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योएल और आमोस किताबों की झलकियाँ

2:32, NHT—‘यहोवा का नाम लेने’ का मतलब क्या है? परमेश्‍वर का नाम लेने का मतलब है, उसके नाम को जानना, उस नाम की दिल से इज़्ज़त करना, और उस नाम के धारण करनेवाले पर भरोसा रखना।—रोमियों 10:13, 14.

ढूँढ़ें अनमोल रत्न

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योएल और आमोस किताबों की झलकियाँ

2:12,13. सच्चा पश्‍चाताप उसे कहते हैं जो दिल से किया जाता है। इसमें ‘अपने वस्त्र को फाड़ना’ नहीं, बल्कि ‘अपने मन को फाड़ना’ शामिल है।

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योएल और आमोस किताबों की झलकियाँ

3:14—“निबटारे की तराई” क्या है? यह एक लाक्षणिक जगह है, जहाँ परमेश्‍वर अपने दुश्‍मनों का न्यायदंड चुकाएगा। यहूदा के राजा यहोशापात (जिसके नाम का मतलब है, “यहोवा न्यायी है”) के समय में यहूदा को आस-पास की जातियों से खतरा था। परमेश्‍वर ने यहूदा को उन जातियों से बचाने के लिए उनकी सेनाओं के बीच गड़बड़ी पैदा कर दी। इसलिए निबटारे की तराई को “यहोशापात की तराई” भी कहा जाता है। (योएल 3:2, 12) हमारे दिनों में यह तराई एक ऐसी लाक्षणिक जगह को सूचित करती है, जहाँ तमाम राष्ट्रों को ऐसे रौंदा जाएगा जैसे मदिरा के कुंड में दाख रौंदी जाती है।—प्रकाशितवाक्य 19:15.

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