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  • हफ्ते के बीच होनेवाली सभा में कुछ नया!

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  • हफ्ते के बीच होनेवाली सभा में कुछ नया!
  • हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2017
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हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2017
mwb17 दिसंबर पेज 5
नयी दुनिया अनुवाद के ऑनलाइन अध्ययन संस्करण में खुशखबरी की किताब, मत्ती

जीएँ मसीहियों की तरह

हफ्ते के बीच होनेवाली सभा में कुछ नया!

जनवरी 2018 से हफ्ते के बीच होनेवाली सभा में पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद के ऑनलाइन अध्ययन संस्करण से अध्ययन के लिए जानकारी और तसवीरों और वीडियो पर चर्चा की जाएगी, फिर चाहे यह संस्करण फिलहाल आपकी भाषा में उपलब्ध न हो। बेशक इस नयी खासियत से आप सभाओं की अच्छी तैयारी कर पाएँगे। इससे भी बढ़कर आप अपने प्यारे पिता यहोवा के और करीब आ पाएँगे।

अध्ययन के लिए जानकारी

इसमें बाइबल के ज़माने की संस्कृति, भाषा और जगहों के बारे में ऐसी जानकारी दी गयी है जो हमें बाइबल की कई आयतों की बेहतर समझ देती है।

मत्ती 12:20

टिमटिमाती बाती: आम तौर पर घरों में मिट्टी के दीए होते थे। इनमें जैतून का तेल डाला जाता था और इनकी बाती अलसी के सन से बनी होती थी। “टिमटिमाती बाती” के लिए जो यूनानी शब्द इस्तेमाल किए गए हैं उनका मतलब एक ऐसी बाती हो सकती है जो बस बुझनेवाली है या बुझ गयी है, लेकिन उसमें से अब भी धुआँ निकल रहा है। यशायाह 42:3 में यीशु की करुणा के बारे में भविष्यवाणी की गयी है और बताया गया है कि वह दीन और कुचले हुए लोगों में उम्मीद की जो आखिरी लौ जल रही है, उसे नहीं बुझाएगा।

मत्ती 26:13

सच: यूनानी शब्द आमीन, इब्रानी शब्द आमेन से लिया गया है जिसका मतलब है, “ऐसा ही हो” या “ज़रूर।” यीशु अकसर कोई बात, वादा या भविष्यवाणी करने से पहले इस शब्द का इस्तेमाल करता था ताकि वह जो कह रहा है उस पर लोगों को यकीन हो। यीशु ने जिस तरह “सच” यानी आमीन शब्द का इस्तेमाल किया, वैसा दूसरी धार्मिक किताबों में नहीं हुआ है। जहाँ यह शब्द साथ-साथ आया है (आमीन-आमीन), वहाँ उस शब्द का अनुवाद “सच-सच” किया गया है। इसकी एक मिसाल खुशखबरी की किताब यूहन्‍ना में दी गयी है।—यूह 1:51.

तसवीरें और वीडियो

तसवीरों, चित्रों, मूक वीडियो और एनिमेशन की मदद से हम बाइबल में दी अलग-अलग बातों को समझ पाते हैं।

बैतफगे, जैतून पहाड़ और यरूशलेम

इस छोटे-से वीडियो में पूरब से यरूशलेम तक का रास्ता दिखाया गया है। यह रास्ता एट-टूर गाँव से होकर जैतून पहाड़ की एक ऊँची जगह तक जाता है। मालूम होता है कि एट-टूर, बाइबल में बताया गया बैतफगे गाँव है। इसके पूरब में यानी जैतून पहाड़ की पूर्वी ढलान पर बैतनियाह गाँव बसा था। जब यीशु यरूशलेम आता था तो वह और उसके चेले अकसर बैतनियाह में रात काटते थे जो आज एल-अज़ारीया (या एल आइज़ारीया) के नाम से जाना जाता है। यह एक अरबी नाम है जिसका मतलब है “लाज़र की जगह।” यीशु यहीं मारथा, मरियम और लाज़र के घर रुकता था। (मत 21:17; मर 11:11; लूक 21:37; यूह 11:1) जब यीशु उनके घर से यरूशलेम जाता था, तो शायद वह उसी रास्ते से जाता था जो इस वीडियो में दिखाया गया है। ईसवी सन्‌ 33 के नीसान 9 को जब यीशु एक गधी के बच्चे पर सवार होकर जैतून पहाड़ से यरूशलेम में दाखिल हुआ, तो वह बैतफगे के रास्ते से होकर आया होगा।

जिस रास्ते से शायद यीशु बैतनियाह से यरूशलेम गया
  1. बैतनियाह से बैतफगे का रास्ता

  2. बैतफगे

  3. जैतून पहाड़

  4. किदरोन घाटी

  5. मंदिर

एड़ी की हड्डी में कील

इंसान की एड़ी की हड्डी में कील ठोंका गया

इस तसवीर में दिखाया गया है कि कैसे एक इंसान की एड़ी में 11.5 सेंटीमीटर (या 4.5 इंच) लंबी एक लोहे की कील ठोंकी गयी है। यह सचमुच की एड़ी की हड्डी नहीं बल्कि उसका नमूना है। असली हड्डी का टुकड़ा तो 1968 में पुरातत्वज्ञानियों को उत्तरी यरूशलेम में खुदाई के वक्‍त मिला था। यह टुकड़ा रोमी लोगों के ज़माने का था। इससे पता चलता है कि लोगों को कीलों से काठ पर ठोंका जाता था। रोमी सैनिकों ने शायद इसी तरह की कीलों से यीशु मसीह को काठ पर ठोंका था। हड्डी का वह टुकड़ा पत्थर के एक बक्से में मिला था जिसमें लाश के सड़ जाने पर उसकी हड्डियाँ रखी जाती थीं। इससे पता चलता है कि किसी को काठ पर लटकाकर मार डालने के बाद कभी-कभी उसे दफनाया जाता था।—मत 27:35.

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