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  • “मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका” के लिए हवाले

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  • “मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका” के लिए हवाले
  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2024
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  • 2-8 सितंबर
  • 9-15 सितंबर
  • 16-22 सितंबर
  • 23-29 सितंबर
  • 30 सितंबर–6 अक्टूबर
  • 7-13 अक्टूबर
  • 14-20 अक्टूबर
  • 21-27 अक्टूबर
  • 28 अक्टूबर–3 नवंबर
मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2024
mwbr24 सितंबर पेज 1-14

मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले

© 2024 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania

2-8 सितंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 79-81

यहोवा के गौरवशाली नाम के लिए अपना प्यार ज़ाहिर कीजिए

प्र17.02 पेज 9 पै 5

फिरौती​—पिता की तरफ से एक “उत्तम देन”

5 हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम यहोवा के नाम से प्यार करते हैं? अपने चालचलन से। यहोवा चाहता है कि हम पवित्र बने रहें। (1 पतरस 1:15, 16 पढ़िए।) इसलिए हम सिर्फ यहोवा की उपासना करते हैं और पूरे दिल से उसकी आज्ञा मानते हैं। यहाँ तक कि जब हम पर ज़ुल्म किए जाते हैं, तब भी हम उसके स्तरों पर चलने की पूरी कोशिश करते हैं। इस तरह हम यहोवा के नाम की महिमा करते हैं। (मत्ती 5:14-16) हम यह भी साबित करते हैं कि यहोवा के नियम अच्छे हैं और शैतान झूठा है। हम परिपूर्ण नहीं हैं इसलिए हम गलतियाँ करेंगे। लेकिन जब हम कोई गलत काम कर देते हैं, तो हमें पश्‍चाताप करना चाहिए और उस काम को छोड़ देना चाहिए जिससे परमेश्‍वर के नाम का अनादर होता है।​—भज. 79:9.

बाइबल के वचनों की समझ 3 पै 4-5

रोमियों 10:13​—“जो कोई प्रभु का नाम लेगा”

बाइबल में ‘यहोवा का नाम पुकारने’ का मतलब सिर्फ परमेश्‍वर का नाम जानना और उसका नाम लेकर उपासना करना नहीं है। (भजन 116:12-14) इसमें उस पर भरोसा करना और मदद के लिए उसे पुकारना भी शामिल है।​—भजन 20:7; 99:6.

यीशु मसीह के लिए परमेश्‍वर का नाम बहुत मायने रखता था। जब उसने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया, तो उसने सबसे पहले यह कहा, “हे हमारे पिता तू जो स्वर्ग में है, तेरा नाम पवित्र किया जाए।” (मत्ती 6:9) यीशु ने यह भी कहा कि अगर हम हमेशा के लिए जीना चाहते हैं, तो यह ज़रूरी है कि हम परमेश्‍वर के नाम के साथ-साथ उसे जानें कि वह कैसा है और उससे प्यार करें और उसकी आज्ञा मानें।​—यूहन्‍ना 17:3, 6, 26.

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इंसाइट-2 पेज 111

यूसुफ

यूसुफ के नाम को अहमियत दी गयी: याकूब के बेटों में से यूसुफ की एक खास जगह थी। इसलिए कभी-कभी उसका नाम इसराएल के सभी गोत्रों के लिए (भज 80:1) या उत्तरी राज्य के दस गोत्रों के लिए इस्तेमाल किया गया। बाइबल की भविष्यवाणियों में भी उसके नाम का ज़िक्र किया गया है।​—यहे 37:15-26; 47:13; 48:32, 35; ओब 18; जक 10:6; प्रक 7:8.

9-15 सितंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 82-84

यहोवा के लिए आप जो भी कर पा रहे हैं, उसकी कदर कीजिए

जन16 अंक6 पेज 8 पै 2-3, अँग्रेज़ी

आसमान के पंछियों से मिलनेवाली सीख

यरूशलेम के लोग, अबाबील चिड़िया को अच्छी तरह जानते थे। ये चिड़ियाँ अकसर अपना घोंसला इमारत की छत के नीचे बनाती हैं। कुछ चिड़ियों ने अपना घोंसला सुलैमान के मंदिर के आस-पास बनाया था। वहाँ वे शायद सुरक्षित महसूस करती थीं और उन्हें कोई नहीं भगाता था। इसलिए वे हर साल अपने बच्चों को वहीं बड़ा करती थीं।

भजन 84 का लिखनेवाला, कोरह का एक बेटा था। वह हर छ: महीने में एक बार, एक हफ्ते के लिए मंदिर में सेवा करता था। उसने मंदिर में बने उन घोंसलों को देखा। उसे लगा कि काश! अबाबील की तरह वह भी हमेशा यहोवा के भवन में रह पाता। इसलिए उसने कहा, “हे सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा, तेरा महान डेरा कितना प्यारा है! मेरा मन यहोवा के आँगनों में जाने के लिए तरस रहा है, आस लगाते-लगाते मैं पस्त हो गया हूँ। . . . हे सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा, मेरे राजा और मेरे परमेश्‍वर, देख! पंछी तेरी महान वेदी के पास आशियाना बनाता है, अबाबील अपना घोंसला बनाती है, जहाँ वह अपने बच्चों की देखभाल करती है!” (भजन 84:1-3) क्या हम भी, यहाँ तक कि हमारे बच्चे और नौजवान भी मंडली की सभाओं और भाई-बहनों की कदर करते हैं? क्या हम सभाओं में जाने और भाई-बहनों से मिलने के लिए तरसते हैं?​—भजन 26:8, 12.

प्र08 7/15 पेज 30-31 पै 3-4

अपने हालात के मुताबिक लक्ष्य रखिए और खुशी पाइए

बुढ़ापे की मार या खराब सेहत की वजह से आप शायद यहोवा की सेवा में उतना न कर पाएँ, जितना आप पहले करते थे। और अगर आप बाल-बच्चेदार हैं, तो आपको शायद लगे कि आप निजी अध्ययन या मसीही सभाओं से पूरा-पूरा फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। क्योंकि आपका ज़्यादातर समय और ताकत अपने छोटे बच्चों की देखभाल में निकल जाती है। लेकिन अपनी सीमाओं पर बहुत ज़्यादा ध्यान देने से आप उन कामों को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं, जिन्हें करना आपके बस में है।

एक लेवी की मिसाल पर ध्यान दीजिए जो आज से हज़ारों साल पहले जीया था। उसने यहोवा के मंदिर की वेदी के पास अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ार देने की इच्छा ज़ाहिर की। मगर उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकती थी, क्योंकि लेवियों को साल में सिर्फ दो हफ्ते मंदिर में सेवा करने का खास सम्मान मिलता था। (भज. 84:1-3) फिर भी, वह वफादार लेवी कैसे अपनी खुशी बनाए रख सका? उसने यह बात मन में रखी कि यहोवा के आँगनों में एक दिन भी बिताना, बहुत बड़े सम्मान की बात है। (भज. 84:4, 5, 10) हमें भी उस लेवी की तरह उन बातों पर ध्यान देना चाहिए जो हम कर सकते हैं, ना कि उन पर जो हम नहीं कर सकते।

प्र20.01 पेज 17 पै 12

यहोवा आपको अनमोल समझता है!

12 अगर आप किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, तो यकीन रखिए कि यहोवा आपकी तकलीफ समझता है। यहोवा से गिड़गिड़ाकर बिनती कीजिए कि वह सही नज़रिया रखने में आपकी मदद करे। परमेश्‍वर का वचन पढ़िए जिसमें यहोवा ने बहुत सारी अच्छी बातें लिखवायी हैं और जिससे आपको दिलासा मिल सकता है। आप खासकर उन आयतों पर ध्यान दे सकते हैं, जिनसे पता चलता है कि यहोवा अपने सेवकों को कितना अनमोल समझता है। इससे आपको एहसास होगा कि यहोवा उन सभी लोगों से प्यार करता है, जो उसके वफादार रहते हैं।​—भज. 84:11.

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इंसाइट-1 पेज 816

अनाथ

इसराएल में जब लोग अनाथ बच्चों की अच्छी देखभाल करते थे, तो यह दिखाता था कि उनका यहोवा के साथ अच्छा रिश्‍ता है। (भज 82:3; 94:6; यश 1:17, 23; यिर्म 7:5-7; 22:3; यहे 22:7; जक 7:9-11; मला 3:5) अगर कोई किसी अनाथ बच्चे के साथ बुरा व्यवहार करता था, तो उस पर यहोवा का शाप पड़ता था। (व्य 27:19; यश 10:1, 2) यहोवा ऐसे अनाथ बच्चों का हमेशा खयाल रखता है। (व्य 10:17, 18; भज 10:14; 68:5; 146:9; नीत 23:10, 11; यिर्म 49:11; हो 14:3) सच्चे मसीही होने की एक निशानी यह है कि हम उन लोगों के लिए प्यार और परवाह दिखाएँ, जिन्होंने अपने माता-पिता को खोया है।​—याकू 1:27.

16-22 सितंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 85-87

प्रार्थना करने से हमें धीरज रखने में मदद मिलती है

प्र12 5/15 पेज 25 पै 10

क्या आप यहोवा की महिमा झलका रहे हैं?

10 परमेश्‍वर की महिमा झलकाने के लिए ‘प्रार्थना में लगे रहना’ भी ज़रूरी है। (रोमि. 12:12) हमें यहोवा से प्रार्थना में मदद माँगनी चाहिए कि हम उसकी ऐसी उपासना कर सकें जो उसे कबूल हो। हम परमेश्‍वर से प्रार्थना कर सकते हैं कि वह हमें पवित्र शक्‍ति दे, हमारा विश्‍वास बढ़ाए और परीक्षाओं का सामना करने के लिए हमारी मदद करे। इसके अलावा, हम “सच्चाई के वचन को सही तरह से इस्तेमाल” करने के लिए भी उससे मदद माँग सकते हैं। (2 तीमु. 2:15; मत्ती 6:13; लूका 11:13; 17:5) जिस तरह एक बच्चा अपने पिता पर भरोसा रखता है, उसी तरह हमें भी स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता पर भरोसा रखना चाहिए। अगर हम उसकी सेवा बेहतर तरीके से करने के लिए उससे मदद माँगें, तो वह हमारी मदद ज़रूर करेगा। हमें कभी नहीं सोचना चाहिए कि हम उसके लिए एक बोझ हैं! इसके बजाय, आइए हम प्रार्थना में उसकी महिमा करें, उसे धन्यवाद दें और उसके मार्गदर्शन की दरखास्त करें, खासकर परीक्षा की घड़ी में। साथ ही उससे बिनती करें कि हम अपनी सेवा से उसके पवित्र नाम की महिमा कर सकें।​—भज. 86:12; याकू. 1:5-7.

प्र23.05 पेज 13 पै 17-18

यहोवा हमारी प्रार्थनाओं का जवाब कैसे देता है?

17 भजन 86:6, 7 पढ़िए। दाविद को पूरा भरोसा था कि यहोवा ने उसकी प्रार्थनाएँ सुनीं और उनका जवाब दिया। दाविद के जैसा भरोसा हम भी रख सकते हैं। इस लेख में हमने जिन लोगों के उदाहरणों पर चर्चा की, उनसे हमें यकीन हो जाता है कि यहोवा हमारी प्रार्थनाओं का भी जवाब देगा। वह हमें बुद्धि दे सकता है और मुश्‍किलों का सामना करने की ताकत दे सकता है। शायद वह भाई-बहनों के ज़रिए हमारी मदद करे या उनके ज़रिए जो फिलहाल उसकी उपासना नहीं करते।

18 शायद यहोवा हर बार उस तरह हमारी प्रार्थनाओं का जवाब ना दे जैसे हम चाहते हैं, पर वह जवाब देगा ज़रूर। वह जानता है कि हमें कब किस चीज़ की ज़रूरत है और वह हमें वही देगा। तो यहोवा से प्रार्थना करते रहिए और विश्‍वास रखिए कि आज वह आपका खयाल रखेगा और नयी दुनिया में “हरेक जीव की इच्छा पूरी” करेगा।​—भज. 145:16.

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इंसाइट-1 पेज 1058 पै 5

दिल, मन

“पूरे दिल” से सेवा करना: यह दिखाता है कि एक इंसान का लाक्षणिक दिल (यानी उसके अंदर का इंसान) बँटा हुआ हो सकता है। (भज 86:11, फु.) ऐसे में वह शायद आधे मन से परमेश्‍वर की उपासना करे, उसकी सेवा करने में ढीला पड़ जाए। (भज 119:113; प्रक 3:16) यही नहीं, एक इंसान ‘दोहरे मन’ या ‘दोरंगे मन’ का भी हो सकता है। यानी वह शायद दो मालिकों की सेवा करने की कोशिश करे या वह सोचता कुछ है, करता कुछ और है। (1इत 12:33, फु.; भज 12:2) यीशु ने ऐसे कपटी लोगों की कड़ी निंदा की।​—मत 15:7, 8.

23-29 सितंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 88-89

यहोवा की हुकूमत करने का तरीका ही सबसे बढ़िया है

प्र17.06 पेज 28 पै 5

यहोवा की हुकूमत का साथ दीजिए!

5 दूसरी वजह पर गौर कीजिए कि क्यों यहोवा को हुकूमत करने का हक है। वह हमेशा सही  तरीके से और न्याय  के मुताबिक अपने अधिकार का इस्तेमाल करता है। वह कहता है, “मैं यहोवा हूँ, जो अटल प्यार ज़ाहिर करता है, न्याय करता है और धरती पर नेकी करता है, क्योंकि मैं इन्हीं बातों से खुश होता हूँ।” (यिर्म. 9:24) यहोवा को इंसानों के बनाए नियमों की ज़रूरत नहीं। सही क्या है, इसके स्तर वह खुद ठहराता है। यहोवा का न्याय खरा है और इसी आधार पर उसने इंसानों को कानून दिए हैं। भजन के एक लेखक ने कहा, “नेकी और न्याय तेरी राजगद्दी की बुनियाद हैं।” इसलिए यहोवा का हर कानून, सिद्धांत और फैसला एकदम सही है। (भज. 89:14; 119:128) शैतान दावा तो करता है कि यहोवा सही तरह से हुकूमत नहीं करता मगर शैतान खुद इस दुनिया में इंसाफ कायम नहीं कर पाया है।

प्र17.06 पेज 29 पै 10-11

यहोवा की हुकूमत का साथ दीजिए!

10 यहोवा एक कठोर राजा नहीं है। उसकी हुकूमत के अधीन रहनेवाले आज़ाद महसूस करते हैं और खुश  रहते हैं। (2 कुरिं. 3:17) दाविद ने यहोवा के बारे में कहा, “उसके सामने प्रताप और वैभव है, उसके निवास-स्थान में शक्‍ति और आनंद है।” (1 इति. 16:7, 27) भजन के एक रचनाकार एतान ने लिखा, “सुखी हैं वे लोग जो खुशी से तेरी जयजयकार करते हैं। हे यहोवा, वे तेरे मुख के प्रकाश में चलते हैं। तेरे नाम के कारण वे सारा दिन आनंद मनाते हैं, तेरी नेकी के ज़रिए वे ऊँचे उठाए जाते हैं।”​—भज. 89:15, 16.

11 हम यहोवा की भलाई के गुण पर जितना ज़्यादा मनन करते हैं उतना ही हमारा यकीन बढ़ता है कि वही सबसे अच्छा राजा है। हम भजन के एक रचनाकार जैसा महसूस करते हैं जिसने परमेश्‍वर से कहा, “तेरे आँगनों में एक दिन बिताना, कहीं और हज़ार दिन बिताने से कहीं बेहतर है!” (भज. 84:10) यहोवा ने हमें रचा है। वह ठीक-ठीक जानता है कि किस बात से हमें खुशी मिलती है और वह दिल खोलकर हमें वे चीज़ें भी देता है। वह हमसे जो भी करने को कहता है उसमें हमारी ही भलाई है। इसके लिए चाहे हमें जो भी त्याग करने पड़े, हम भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा की आज्ञा मानने से हम हमेशा खुश रहेंगे।​—यशायाह 48:17 पढ़िए।

प्र14 10/15 पेज 10-11 पै 14

परमेश्‍वर के राज पर अटूट विश्‍वास रखिए

14 यहोवा ने इसराएल के राजा दाविद से एक वादा किया, जिसे दाविद से किया गया करार  कहा जाता है। (2 शमूएल 7:12, 16 पढ़िए।) यहोवा ने इस करार के ज़रिए साफ बताया कि वंश किस खानदान से आएगा। उसने वादा किया कि वह दाविद के ही खानदान से आएगा। (लूका 1:30-33) यहोवा ने कहा कि दाविद के इस वारिस के पास मसीहाई राज का राजा बनने का कानूनी अधिकार होगा। (यहे. 21:25-27) दाविद का शासन हमेशा तक कायम रहेगा, क्योंकि यीशु, जो दाविद के खानदान से है, “सर्वदा रहेगा, और उसकी राजगद्दी सूर्य की नाईं . . . ठहरी रहेगी।” (भज. 89:34-37) जी हाँ, दाविद से किया गया करार इस बात की गारंटी देता है कि मसीहा का राज कभी भ्रष्ट नहीं होगा और इस राज से इंसानों को हमेशा-हमेशा तक आशीषें मिलती रहेंगी!

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यहोवा के करीब पेज 281-282 पै 4-5

“केवल तू ही वफादार है”

4 इब्रानी शास्त्र में, “वफादारी” शब्द का मतलब ऐसी कृपा है जो बड़े प्यार से किसी के साथ जुड़ जाती है और तब तक उसका साथ नहीं छोड़ती, जब तक उसके बारे में उसका मकसद पूरा न हो जाए। वफादार इंसान प्यार करता है। गौर करने लायक बात है कि भजनहार ने चंद्रमा को ‘आकाशमण्डल का विश्‍वासयोग्य साक्षी’ कहा, क्योंकि वह हर रात बिना नागा आसमान में दिखायी देता है। (भजन 89:37) इस मायने में, चाँद विश्‍वासयोग्य या भरोसे के लायक है। मगर चंद्रमा, किसी इंसान जैसी वफादारी नहीं दिखा सकता। वह क्यों? क्योंकि एक इंसान की वफादारी उसके प्रेम का सबूत होती है​—और बेजान चीज़ें प्रेम नहीं कर सकतीं।

5 बाइबल में वफादारी के गुण में प्यार, स्नेह और लगाव भी शामिल है। वफादारी का होना ही इस बात का सबूत है कि यह जिसे दिखायी जाती है और जो वफादारी दिखाता है, वे एक रिश्‍ते में बंधे हुए हैं। यह वफादारी चार दिन की नहीं होती। यह सागर की उन लहरों की तरह नहीं, जो हवाओं के रुख के मुताबिक अपना रुख बदल देती हैं। इसके बजाय, वफादारी या सच्चे प्यार में वह स्थिरता, और वह मज़बूती होती है जो मुश्‍किल-से-मुश्‍किल बाधाओं से पार लगा सकती है।

30 सितंबर–6 अक्टूबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 90-91

लंबी उम्र सिर्फ यहोवा दे सकता है

जन19 अंक3 पेज 5 पै 3-5

लंबी ज़िंदगी की तलाश

कई वैज्ञानिकों का मानना है कि बुढ़ापे को रोकने के लिए जो इलाज निकले हैं, उनसे इंसान की ज़िंदगी ज़्यादा नहीं बढ़ सकती। हालाँकि कि उन्‍नीसवीं सदी से लेकर आज तक के आँकड़े दिखाते हैं कि इंसान की आयु बढ़ती गयी है। लेकिन यह खासकर इस वजह से हुआ है क्योंकि आज लोग साफ-सफाई का ज़्यादा ध्यान रखने लगे हैं और दवाइयों और टीकों से अब कुछ संक्रामक और दूसरी तरह की बीमारियों को रोका जा सकता है। कुछ वैज्ञानिक यह मानते हैं कि अब इंसान की ज़िंदगी जितनी लंबी है, उसे और बढ़ाया नहीं जा सकता है।

करीब 3, 500 साल पहले शास्त्र में यह बात लिखी थी, “हमारी उम्र 70 साल की होती है, अगर किसी में ज़्यादा दमखम हो तो 80 साल की होती है पर ये साल भी दुख और मुसीबतों से भरे होते हैं, ये जल्दी बीत जाते हैं और हम गायब हो जाते हैं।” (भजन 90:10) इंसान की काफी कोशिशों के बावजूद हमारी ज़िंदगी बहुत लंबी नहीं हुई है, बल्कि यह वैसी ही है जैसा भजन की किताब में बताया गया है।

कुछ जीव-जंतु इंसानों के मुकाबले बहुत लंबी ज़िंदगी जीते हैं। जैसे कुछ कछुए 150 से भी ज़्यादा साल जीते हैं और सिकुआ पेड़ हज़ारों साल जीते हैं। इस बारे में सोचकर शायद हमारे मन में यह खयाल आए, ‘जब इनकी उम्र इतनी लंबी होती है, तो इंसान सिर्फ 70 या 80 साल क्यों जीता है?’

जन19 अंक1 पेज 5, बक्स

परमेश्‍वर को किसने बनाया?

यह सवाल कई लोगों के मन में उठता है। शायद आपने भी इस बारे में सोचा होगा। इस दुनिया में जो कुछ है, उसे किसी-न-किसी ने बनाया है। तो सवाल उठता है कि परमेश्‍वर को किसने बनाया?

ज़्यादातर वैज्ञानिक मानते हैं कि इस विश्‍वमंडल की एक शुरूआत थी। बाइबल की सबसे पहली आयत में भी कुछ इसी तरह की बात कही गयी है, “शुरूआत में  परमेश्‍वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।”​—उत्पत्ति 1:1.

यह विश्‍वमंडल अपने आप नहीं बन गया होगा क्योंकि यह ज़ाहिर-सी बात है कि हर एक रचना के पीछे किसी रचनाकार का हाथ होता है। अगर एक सृष्टिकर्ता नहीं होता, तो इस दुनिया की कोई भी चीज़ वजूद में नहीं आती। हम भी वजूद में नहीं आते। पर सवाल यह है कि वह सृष्टिकर्ता कौन है? बाइबल बताती है कि वह एक अदृश्‍य व्यक्‍ति है, जो बहुत शक्‍तिशाली और बुद्धिमान है। उसका नाम यहोवा है।​—यूहन्‍ना 4:24.

बाइबल में परमेश्‍वर के बारे में लिखा है, “इससे पहले कि पहाड़ पैदा हुए, या तू पृथ्वी और उपजाऊ ज़मीन को वजूद में लाया, तू ही परमेश्‍वर था। हाँ, तू हमेशा से परमेश्‍वर रहा है और हमेशा रहेगा।”  (भजन 90:2) तो परमेश्‍वर को किसी ने नहीं बनाया, वह हमेशा से ही रहा है। उसी ने “शुरूआत में” यह धरती, आकाश और सारी चीज़ें बनायीं।​—प्रकाशितवाक्य 4:11.

प्र22.06 पेज 18 पै 16-17

यहोवा का प्यार दिलाए डर पर जीत!

16 शैतान जानता है कि हम सबको अपनी जान बहुत प्यारी है। उसका दावा है कि अपनी जान बचाने के लिए हम कुछ भी करने को तैयार हो जाएँगे, यहोवा के साथ अपनी दोस्ती भी तोड़ देंगे। (अय्यू. 2:4, 5) यह सरासर झूठ है! लेकिन शैतान के पास हमें “मार डालने की ताकत है,” इसलिए वह हमें डराने की कोशिश करता है ताकि हम यहोवा को छोड़ दें। (इब्रा. 2:14, 15) कई बार वह कुछ लोगों या सरकारों के ज़रिए हमें डराता-धमकाता है कि अगर हमने यहोवा की सेवा करना नहीं छोड़ा, तो हमें मार डाला जाएगा। या अगर कभी हम बहुत बीमार पड़ जाएँ, तो वह डॉक्टरों या हमारे परिवारवालों के ज़रिए हम पर दबाव डाल सकता है कि हम जान बचाने के लिए खून चढ़वा लें या कोई ऐसा इलाज करवा लें जो बाइबल के हिसाब से गलत है।

17 हममें से कोई भी मरना नहीं चाहता। लेकिन हम जानते हैं कि अगर हमारी मौत भी हो जाए, तब भी यहोवा हमसे प्यार करता रहेगा। (रोमियों 8:37-39 पढ़िए।) जब यहोवा के दोस्तों की मौत हो जाती है, तो वह उन्हें भूलता नहीं है। वे उसकी याद में महफूज़ रहते हैं और वह उन्हें दोबारा जीवन देने के लिए तरस रहा है। (लूका 20:37, 38; अय्यू. 14:15) उसने हमें “हमेशा की ज़िंदगी” देने के लिए अपने इकलौते बेटे तक को कुरबान कर दिया। (यूह. 3:16) इसमें कोई शक नहीं कि यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है और उसे हमारी बहुत परवाह है। इसलिए अगर हम कभी बीमार पड़ जाएँ या लोग हमें डराएँ-धमकाएँ तो हम यहोवा से मुँह नहीं मोड़ेंगे, बल्कि उससे कहेंगे कि वह हमें बुद्धि, हिम्मत और दिलासा दे। वैलेरी और उसके पति ने भी ऐसा ही किया।​—भज. 41:3.

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जन17 अंक5 पेज 5

क्या हर इंसान की हिफाज़त के लिए एक स्वर्गदूत होता है?

बाइबल यह नहीं सिखाती कि हर इंसान की हिफाज़त के लिए एक-एक स्वर्गदूत है। एक बार यीशु ने कहा, “ध्यान रहे कि तुम इन छोटों [यीशु के शिष्यों] में से किसी को भी तुच्छ न समझो। मैं तुमसे कहता हूँ कि इनके स्वर्गदूत हमेशा स्वर्ग में मेरे पिता के सामने मौजूद रहते हैं।” (मत्ती 18:10) यहाँ उसके कहने का यह मतलब नहीं था कि हर व्यक्‍ति की हिफाज़त के लिए एक स्वर्गदूत ठहराया गया है। यीशु बस यह कह रहा था कि स्वर्गदूतों को उसके हर शिष्य में गहरी दिलचस्पी है। इस वजह से परमेश्‍वर के उपासकों को यह सोचकर कभी बेवजह अपनी जान जोखिम में नहीं डालनी चाहिए कि स्वर्गदूत आकर उन्हें बचा लेंगे।

क्या इसका यह मतलब है कि स्वर्गदूत इंसानों की कोई मदद नहीं करते? नहीं, ऐसा नहीं है। (भजन 91:11) कुछ लोगों को तो पूरा यकीन है कि परमेश्‍वर ने स्वर्गदूतों के ज़रिए उनकी हिफाज़त की और उन्हें सही राह दिखायी। पहले लेख में ज़िक्र किए गए केनट को भी यही लगा। हम दावे के साथ तो नहीं कह सकते, पर हो सकता है कि उसका मानना सही हो। जब यहोवा के साक्षी लोगों को परमेश्‍वर के बारे में बताते हैं, तो कई बार उन्हें लगता है कि स्वर्गदूत उनकी मदद कर रहे हैं। हम स्वर्गदूतों को देख नहीं सकते, इसलिए यह तो नहीं कहा जा सकता कि परमेश्‍वर उनके ज़रिए किस हद तक लोगों की मदद करता है। लेकिन वह हमारी जैसे भी मदद करता है, उसके लिए हम उसका धन्यवाद ज़रूर कर सकते हैं।​—कुलुस्सियों 3:15; याकूब 1:17, 18.

7-13 अक्टूबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 92-95

यहोवा की सेवा करना, जीने का सबसे बढ़िया तरीका है!

प्र18.04 पेज 26 पै 5

नौजवानो, क्या आप यहोवा की सेवा में अपने लक्ष्यों को पहली जगह देंगे?

5 यहोवा की सेवा में लक्ष्य रखने की सबसे अहम वजह है कि हम यहोवा के प्यार और उसके उपकारों के लिए उसका धन्यवाद करना चाहते हैं। भजन के एक लेखक ने कहा, “हे यहोवा, यह सही है कि तेरा शुक्रिया अदा किया जाए . . . क्योंकि हे यहोवा, तूने अपने कामों से मुझे मगन किया है। तेरे हाथ के कामों के कारण मैं खुशी से जयजयकार करता हूँ।” (भज. 92:1, 4) ज़रा सोचिए, यहोवा ने आपको क्या-कुछ नहीं दिया है। आपकी ज़िंदगी, आपका विश्‍वास, बाइबल, मंडली और फिरदौस में हमेशा तक जीने की आशा, सब उसी की देन है। यहोवा की सेवा को पहली जगह देकर आप इन आशीषों के लिए एहसानमंदी दिखा सकते हैं और यहोवा के और भी करीब आ सकते हैं।

प्र18.11 पेज 20 पै 8

आपकी सोच कौन ढालता है?

8 अच्छे माता-पिता की तरह यहोवा भी चाहता है कि उसके बच्चे अपनी ज़िंदगी में कामयाब हों और खुश रहें। (यशा. 48:17, 18) इस वजह से वह हमें कुछ अहम सिद्धांत सिखाता है कि हमारा चालचलन और लोगों के साथ हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए। वह चाहता है कि हम मामलों को उसकी नज़र से देखना सीखें और उसके सिद्धांतों पर चलें। ऐसा करना कोई बंदिश नहीं है। इसके बजाय इससे हम और भी समझदार बनेंगे। (भज. 92:5; नीति. 2:1-5; यशा. 55:9) हम सही फैसला कर पाएँगे और अपनी पसंद के हिसाब से जो करना चाहते हैं, वह भी कर पाएँगे। इससे हमें खुशी मिलेगी। (भज. 1:2, 3) वाकई यहोवा जैसी सोच रखने से बहुत-से फायदे होते हैं!

प्र20.01 पेज 19 पै 18

यहोवा आपको अनमोल समझता है!

18 हम यकीन रख सकते हैं कि बूढ़े होने पर भी हम यहोवा के काम आ सकते हैं। (भज. 92:12-15) यीशु ने सिखाया था कि भले ही यहोवा की सेवा में हमारा काम मामूली क्यों न लगे, लेकिन यहोवा उसे बहुत अनमोल समझता है। (लूका 21:2-4) इस वजह से हमें इस बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए कि हम क्या नहीं कर पा रहे हैं, बल्कि हम क्या कर सकते हैं। जैसे, हम यहोवा के बारे में दूसरों को बता सकते हैं, भाई-बहनों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं और उनका हौसला बढ़ा सकते हैं ताकि वे यहोवा के वफादार रहें। यहोवा हमें अपना सहकर्मी समझता है, इसलिए नहीं कि हममें कोई काबिलीयत या हुनर है बल्कि इसलिए कि हम उसकी आज्ञा मानने को तैयार रहते हैं।​—1 कुरिं. 3:5-9.

ढूँढ़ें अनमोल रत्न

यहोवा के करीब पेज 176 पै 18

‘आहा! परमेश्‍वर की बुद्धि क्या ही गहरी है!’

18 ध्यान दीजिए कि प्रेरित पौलुस ने कैसे यहोवा की बुद्धि के बेजोड़ होने की बात कही: “आहा! परमेश्‍वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गहरा है! उस के फ़ैसले समझ से बाहर और उस की राहें बेनिशान हैं।” (रोमियों 11:33, हिन्दुस्तानी बाइबिल) इस आयत की शुरूआत में पौलुस ने हैरत से भरकर “आहा!” कहा, जिससे उसकी गहरी भावनाओं का, खासकर उसके ज़बरदस्त विस्मय का पता लगता है। इस आयत में उसने “गहरा” शब्द के लिए जिस यूनानी शब्द को चुना वह “अथाह कुंड” के लिए लिखे जानेवाले शब्द से ताल्लुक रखता है। इसलिए, उसके शब्दों से हमारे मन में एक तसवीर उभर आती है। जब हम यहोवा की बुद्धि के बारे में सोचते हैं, तो यह ऐसा है मानो हम एक अंतहीन, अथाह खाई में झाँक रहे हों। वह इतनी गहरी और इतनी विशाल है कि हम कभी यह समझ ही नहीं सकते कि वह कितनी बड़ी है, फिर उसकी एक-एक बात समझाने या एक-एक बारीकी दिखानेवाला नक्शा बनाने की बात तो हम सोच भी नहीं सकते। (भजन 92:5) यह जानकर क्या हमारे अंदर नम्रता पैदा नहीं होनी चाहिए?

14-20 अक्टूबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 96-99

‘खुशखबरी सुनाओ’!

प्र11 3/1 पेज 6 पै 1-2, अँग्रेज़ी

खुशखबरी क्या है?

मसीहियों से कहा गया है कि उन्हें ‘राज की खुशखबरी’ का प्रचार करना है। उन्हें लोगों को समझाना है कि यह राज एक ऐसी सरकार है, जो भविष्य में परमेश्‍वर के नेक स्तरों के मुताबिक धरती पर शासन करेगी। लेकिन बाइबल में दूसरी “खुशखबरी” के बारे में भी बताया गया है। जैसे, ‘उद्धार की खुशखबरी’ (भजन 96:2), “परमेश्‍वर की खुशखबरी” (रोमियों 15:16) और “यीशु मसीह के बारे में खुशखबरी।”​—मरकुस 1:1.

सरल शब्दों में कहें तो खुशखबरी का मतलब है वे सारी सच्चाइयाँ जो यीशु ने बतायी थीं और जिनके बारे में उसके चेलों ने लिखा था। स्वर्ग जाने से पहले यीशु ने चेलों से कहा, “इसलिए जाओ और सब राष्ट्रों के लोगों को मेरा चेला बनना सिखाओ और उन्हें पिता, बेटे और पवित्र शक्‍ति के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें वे सारी बातें मानना सिखाओ जिनकी मैंने तुम्हें आज्ञा दी है।” (मत्ती 28:19, 20) इसलिए सच्चे मसीहियों को सिर्फ लोगों को राज के बारे में बताना ही नहीं है, बल्कि उन्हें चेला बनाने की भी कोशिश करनी है।

प्र12 9/1 पेज 16 पै 1, अँग्रेज़ी

परमेश्‍वर के न्याय के दिन क्या होगा?

बहुत-से लोगों को लगता है कि न्याय के दिन, करोड़ों लोगों की आत्माओं का उनके कर्मों के मुताबिक न्याय किया जाएगा। कुछ आत्माओं को स्वर्ग में ज़िंदगी मिलेगी और बाकियों को नरक में तड़पाया जाएगा। लेकिन बाइबल में बताया गया है कि न्याय के दिन लोगों को अन्याय से छुटकारा मिलेगा। (भजन 96:13) परमेश्‍वर ने यीशु को न्यायी चुना है जो सभी इंसानों को इंसाफ दिलाएगा।​—यशायाह 11:1-5; प्रेषितों 17:31 पढ़िए।

प्र12 9/15 पेज 12 पै 18-19

शांति का बोलबाला​—हज़ार साल तक और उसके बाद भी!

18 शैतान के बहकावे में आकर जब इंसान ने यहोवा की हुकूमत के खिलाफ बगावत की, तो परमेश्‍वर के साथ उनका रिश्‍ता टूट गया। लेकिन परमेश्‍वर और इंसानों के बीच शांति और एकता दोबारा कायम करने के लिए मसीहाई राज सन्‌ 1914 से कदम उठा रहा है। (इफि. 1:9, 10) फिलहाल जो बातें “अनदेखी” हैं, उन्हें हज़ार साल के राज में हकीकत का रूप दिया जाएगा। इसके बाद मसीह के हज़ार साल के राज का “अंत” आ जाएगा। तब क्या होगा? हालाँकि यीशु को “स्वर्ग में और धरती पर सारा अधिकार” दिया गया है, फिर भी उसमें बड़ा बनने की चाहत नहीं है। वह यहोवा का पद नहीं हथियाना चाहता। नम्रता दिखाते हुए “वह अपने परमेश्‍वर और पिता के हाथ में राज सौंप देगा।” जी हाँ, यीशु अपनी खास पदवी और अधिकार का इस्तेमाल हमेशा ‘परमेश्‍वर की महिमा’ के लिए करता है।​—मत्ती 28:18; फिलि. 2:9-11.

19 उस वक्‍त तक परमेश्‍वर के राज की प्रजा सिद्ध हो जाएगी। सभी लोग यीशु की मिसाल पर चलेंगे और नम्र होकर खुशी-खुशी यह कबूल करेंगे कि पूरे विश्‍व पर हुकूमत करने का हक सिर्फ यहोवा को है। और आखिरी परीक्षा में खरे उतरकर वे दिखाएँगे कि वे यहोवा की हुकूमत को कबूल करते हैं। (प्रका. 20:7-10) उसके बाद सभी बागियों का हमेशा-हमेशा के लिए खात्मा कर दिया जाएगा फिर चाहे वे इंसान हों, या स्वर्गदूत। स्वर्ग में और धरती पर यहोवा का पूरा परिवार उसकी महिमा करेगा और वह “सबके लिए सबकुछ” होगा। वह क्या ही खुशी का समाँ होगा!​—भजन 99:1-3 पढ़िए।

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इंसाइट-2 पेज 994

गीत

‘नए गीत’ का ज़िक्र भजन में और बाइबल की दूसरी किताबों में किया गया है। (भज 33:3; 40:3; 96:1; 98:1; 144:9; 149:1; यश 42:10; प्रक 5:9; 14:3) इन आयतों की आस-पास की आयतों से पता चलता है कि ज़्यादातर ‘नए गीत’ तब गाए गए थे, जब यहोवा ने पूरे जहान के मालिक होने के नाते अपने अधिकार का इस्तेमाल करके कुछ नया किया था। यहोवा ने जो नया किया और इसका स्वर्ग और धरती पर जो असर हुआ, उसी विषय पर ‘नया गीत’ रचा गया।​—भज 96:11-13; 98:9; यश 42:10, 13.

21-27 अक्टूबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 100-102

यहोवा के अटल प्यार की कदर कीजिए

प्र23.03 पेज 12-13 पै 18-19

बपतिस्मे के लिए कैसे तैयारी करें?

18 आपमें जो खूबियाँ या गुण हैं, उनमें सबसे खास है यहोवा के लिए आपका प्यार। (नीतिवचन 3:3-6 पढ़िए।) यहोवा के लिए गहरा प्यार आपको मुश्‍किलों में भी डटे रहने की हिम्मत दे सकता है। बाइबल में कई बार बताया गया है कि यहोवा अपने लोगों से जो प्यार करता है, वह अटल है। इसका मतलब, वह कभी अपने लोगों का साथ नहीं छोड़ता और हमेशा उनसे प्यार करता है। (भज. 100:5) आपको भी यहोवा की छवि में बनाया गया है। (उत्प. 1:26) तो आप इस तरह का प्यार ज़ाहिर कैसे कर सकते हैं?

19 सबसे पहले एहसानमंद होना सीखिए। (1 थिस्स. 5:18) हर दिन खुद से पूछिए, ‘आज यहोवा ने कैसे दिखाया कि वह मुझसे प्यार करता है?’ फिर जब आप प्रार्थना करें, तो खासकर उन बातों के लिए यहोवा का धन्यवाद कीजिए। प्रेषित पौलुस की तरह यह देखने की कोशिश कीजिए कि यहोवा आपसे प्यार करता है, इसलिए उसने खासकर आपके लिए क्या-क्या किया है। (गलातियों 2:20 पढ़िए।) तो खुद से पूछिए, ‘क्या मैं भी अपने कामों से दिखाना चाहता हूँ कि मैं यहोवा से प्यार करता हूँ?’ यहोवा के लिए आपका प्यार आपको गलत कामों से दूर रहने और मुश्‍किलों का डटकर सामना करने की हिम्मत देगा। आपका मन करेगा कि आप उपासना से जुड़े कामों में लगे रहें और इस तरह हर दिन दिखाएँ कि आप अपने पिता यहोवा से कितना प्यार करते हैं।

प्र23.02 पेज 17 पै 10

“अपने होश-हवास बनाए रखो, चौकन्‍ने रहो!”

10 जिन बातों से यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता खतरे में पड़ सकता है, उनमें से कुछ हैं, इश्‍कबाज़ी या फ्लर्ट करना, खूब शराब पीना, हद-से-ज़्यादा खाना-पीना, चोट पहुँचानेवाली बातें कहना, मार-धाड़वाले कार्यक्रम या फिल्में देखना और गंदी तसवीरें या वीडियो देखना। ऐसी बातों से हमें दूर रहना चाहिए। (भज. 101:3) हमारा दुश्‍मन शैतान दिन-रात यह कोशिश करता रहता है कि किसी तरह यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता तोड़ दे। (1 पत. 5:8) अगर हम चौकन्‍ने ना रहें, तो शैतान हमारे मन में कुछ ज़हरीले बीज बो सकता है। जैसे, शायद हम दूसरों से ईर्ष्या करने लगें, झूठ बोलने लगें या बेईमानी करने लगें, लालच करने लगें, घमंडी बन जाएँ, दूसरों से नाराज़गी पाले रहें या उनसे नफरत करने लगें। (गला. 5:19-21) शुरू-शुरू में तो शायद हमें लगे कि ये बातें इतनी भी बुरी नहीं हैं। लेकिन अगर हम इन्हें तुरंत अपने दिलों-दिमाग से ना निकालें, तो ये ज़हरीले बीज बढ़ते जाएँगे और इससे हमें बहुत नुकसान हो सकता है।​—याकू. 1:14, 15.

प्र11 7/15 पेज 16 पै 7-8

क्या आप यहोवा की साफ चेतावनियों पर ध्यान देंगे?

7 झूठे शिक्षकों से हम कैसे दूर रह सकते हैं? हम न तो उन्हें अपने घर में बुलाएँगे, ना ही दुआ-सलाम करेंगे। इसके अलावा, हम उनके साहित्य पढ़ने, टीवी पर उनके कार्यक्रम देखने, इंटरनेट पर उनकी खोज करने या उनके ब्लॉग पर अपनी टिप्पणियाँ देने से भी दूर रहेंगे। हम ऐसा करने का अटल इरादा क्यों करते हैं? प्यार की वजह से। हम “सत्यवादी ईश्‍वर” से प्यार करते हैं इसलिए हम तोड़-मरोड़कर पेश की गयी ऐसी शिक्षाओं में दिलचस्पी नहीं लेते, जो परमेश्‍वर के सच्चे वचन से बिलकुल मेल नहीं खातीं। (भज. 31:5; यूह. 17:17) हम यहोवा के संगठन से भी प्यार करते हैं, जो हमें दमदार सच्चाइयाँ सिखाता है जिनमें यहोवा का नाम और उसका मतलब, धरती के लिए उसका मकसद, मृत लोगों की हालत और दोबारा जीने की आशा शामिल है। क्या आप याद कर सकते हैं कि जब आपने पहली बार इस तरह की अनमोल सच्चाइयों के बारे में जाना था, तब आपने कैसा महसूस किया था? किसी की बातों में आकर आपको यहोवा के संगठन से नाता नहीं तोड़ना चाहिए, जिसके ज़रिए आपने ये सच्चाइयाँ सीखीं।​—यूह. 6:66-69.

8 झूठे शिक्षक चाहे कुछ भी कहें हम उनकी बातों में नहीं आएँगे! हम क्यों धोखा खाने और निराश होने के लिए सूखे कुएँ के पास जाएँ? इसके बजाय आइए ठान लें कि हम यहोवा और उसके संगठन के वफादार रहेंगे जो बरसों से परमेश्‍वर के वचन की सच्चाई से हमारी प्यास बुझाता आ रहा है। सच्चाई का यह पानी शुद्ध और ताज़गी देनेवाला है।​—यशा. 55:1-3; मत्ती 24:45-47.

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इंसाइट-2 पेज 596

हवासिल

हवासिल अकसर बहुत सारा खाना खाने के बाद उड़कर एक शांत जगह चला जाता है। वहाँ वह एक ही जगह बैठ जाता है और अपना सिर झुका लेता है। कई बार तो वह घंटों तक ऐसे ही बैठा रहता है, मानो बहुत दुखी हो। इसलिए जब भजन के लिखनेवाले ने खुद की तुलना वीराने के हवासिल से की तो वह यह बताना चाह रहा था कि वह कितना दुखी है।​—भज 102:6.

28 अक्टूबर–3 नवंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 103-104

“वह याद रखता है कि हम मिट्टी ही हैं”

प्र23.07 पेज 21 पै 5

यहोवा की तरह लिहाज़ करनेवाले हों!

5 यहोवा इसलिए लिहाज़ करता है और फेरबदल करने को तैयार रहता है, क्योंकि वह नम्र है और उसके दिल में लोगों के लिए करुणा है। ज़रा एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए जिससे पता चलता है कि यहोवा कितना नम्र है। उसने फैसला कर लिया था कि वह सदोम के दुष्ट लोगों का नाश कर देगा। उसने अपने स्वर्गदूतों को भेजकर अपने नेक सेवक लूत को हिदायत दी कि वह पहाड़ी प्रदेश में भाग जाए। पर लूत वहाँ जाने से डर रहा था, इसलिए उसने परमेश्‍वर से गुज़ारिश की कि क्या वह और उसका परिवार पास के छोटे-से नगर सोआर में जा सकते हैं। यहोवा सोआर का भी नाश करनेवाला था, इसलिए वह लूत से कह सकता था कि उससे जो कहा गया है, वह वैसा ही करे। लेकिन उसने लूत का लिहाज़ किया और उसकी गुज़ारिश मान ली। इस वजह से उसने सोआर को बख्श दिया। (उत्प. 19:18-22) सदियों बाद यहोवा ने नीनवे के लोगों पर करुणा की। कैसे? उसने भविष्यवक्‍ता योना को वहाँ यह ऐलान करने के लिए भेजा था कि वह जल्द ही उस शहर और वहाँ के सभी दुष्ट लोगों का नाश करनेवाला है। लेकिन फिर नीनवे के लोगों ने पश्‍चाताप किया। इसलिए यहोवा को उन पर तरस आया और उसने उनका और उनके शहर का नाश नहीं किया।​—योना 3:1, 10; 4:10, 11.

प्र23.09 पेज 6-7 पै 16-18

शिमशोन की तरह यहोवा पर निर्भर रहिए

16 हालाँकि शिमशोन को अपनी गलती के दर्दनाक अंजाम भुगतने पड़े, फिर भी वह यहोवा की मरज़ी पूरी करने की कोशिश करता रहा। उसी तरह अगर हमसे कोई गलती हो जाए और हमें सुधारा जाए या हमसे कोई ज़िम्मेदारी ले ली जाए, तो हमें हार नहीं माननी चाहिए। याद रखिए, यहोवा हमें माफ करने को तैयार रहता है, वह हमें छोड़ नहीं देता। तो हमें भी उसकी सेवा करना नहीं छोड़ना चाहिए। (भज. 103:8-10) हमसे गलती होने के बाद भी यहोवा हमें उसकी मरज़ी पूरी करने की हिम्मत दे सकता है जैसे उसने शिमशोन को दी थी।

17 ज़रा माइकल नाम के एक जवान भाई के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। वह यहोवा की सेवा से जुड़े कामों में बहुत व्यस्त रहता था। वह एक सहायक सेवक था और पायनियर सेवा कर रहा था। पर दुख की बात है कि उससे एक गलती हो गयी जिसकी वजह से मंडली में उसके पास ज़िम्मेदारियाँ नहीं रहीं। वह कहता है, “अब तक गाड़ी बहुत अच्छे-से चल रही थी, मैं जोश से यहोवा की सेवा कर रहा था। लेकिन फिर अचानक सबकुछ खत्म हो गया, मानो मेरी गाड़ी किसी दीवार से जा टकरायी। मैंने कभी यह तो नहीं सोचा कि यहोवा मुझे छोड़ देगा, लेकिन कई बार मेरे मन में ऐसे खयाल ज़रूर आते थे कि पता नहीं यहोवा के साथ मेरा रिश्‍ता पहले जैसा हो पाएगा या नहीं या क्या मैं मंडली में पहले की तरह यहोवा की सेवा कर पाऊँगा।”

18 खुशी की बात है कि माइकल ने हार नहीं मानी। वह बताता है, “मैंने यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता सुधारने के लिए मेहनत की। मैं बार-बार यहोवा से प्रार्थना करता था, उसे अपने दिल की हर बात बताता था, अध्ययन करता था और मनन करता था।” कुछ समय बाद माइकल का मंडली में फिर से एक अच्छा नाम हो गया। अब वह एक प्राचीन और पायनियर के तौर पर सेवा कर रहा है। वह कहता है, “भाई-बहनों ने जिस तरह मेरा साथ दिया और मेरा हौसला बढ़ाया, खासकर प्राचीनों ने, उससे मुझे एहसास हुआ कि यहोवा अब भी मुझसे प्यार करता है और मैं एक बार फिर साफ ज़मीर से मंडली में सेवा कर सकता हूँ। इस अनुभव से मैंने सीखा कि जो लोग सच्चा पश्‍चाताप करते हैं, उन्हें यहोवा माफ कर देता है।” इससे हम क्या सीखते हैं? गलती हो जाने पर भी अगर हम सुधार करने की पूरी कोशिश करें और यहोवा पर निर्भर रहें, तो हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमें अपनी मरज़ी पूरी करने का मौका देगा और हमें आशीषें देगा।​—भज. 86:5; नीति. 28:13.

प्र23.05 पेज 26 पै 2

आप अपना लक्ष्य हासिल कर सकते हैं!

2 अगर आपने कोई लक्ष्य रखा है, पर अब तक उसे हासिल नहीं कर पाए हैं, तो यह मत सोचिए कि आपसे कुछ नहीं हो सकता। एक छोटा-सा लक्ष्य हासिल करने में भी कई बार काफी वक्‍त और मेहनत लगती है। फिर भी अगर आप अपना लक्ष्य हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, तो यह दिखाता है कि आप यहोवा के साथ अपने रिश्‍ते को बहुत अनमोल समझते हैं और आप उसकी अच्छे-से सेवा करना चाहते हैं। यहोवा आपकी मेहनत की बहुत कदर करता है। और वह कभी आपसे कुछ ऐसा करने की उम्मीद नहीं करता, जो आप नहीं कर सकते। (भज. 103:14; मीका 6:8) इसलिए अपने हालात को ध्यान में रखकर ऐसे लक्ष्य रखिए जिन्हें आप हासिल कर सकें। आइए कुछ सुझावों पर ध्यान दें जिन्हें मानने से आप अपने लक्ष्य हासिल कर पाएँगे।

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यहोवा के करीब पेज 55 पै 18

सृजने की शक्‍ति​—‘आकाश और पृथ्वी का कर्त्ता’

18 यहोवा ने सृजने की शक्‍ति को जिस तरह इस्तेमाल किया है, उससे हम क्या सीखते हैं? सृष्टि में जीवों की अलग-अलग किस्म देखकर हम दंग रह जाते हैं। एक भजनहार ने ताज्जुब करते हुए कहा: “हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! . . . पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है।” (भजन 104:24) यह कितना सच है! जीव-विज्ञानियों ने कहा है कि इस धरती पर दस लाख से ज़्यादा अलग-अलग किस्म के प्राणी रहते हैं; लेकिन, कई यह भी कहते हैं कि धरती पर शायद प्राणियों की एक या तीन करोड़ या शायद उससे ज़्यादा किस्में मौजूद हैं। कभी-कभी एक कलाकार को लगता है कि उसकी कला एक ढर्रा बनकर रह गयी है, और उसमें कोई ताज़गी और नयापन नहीं है। मगर, यहोवा की रचना-शक्‍ति​—नयी और अलग-अलग चीज़ों की ईजाद करने और बनाने की काबिलीयत से कभी खाली नहीं हो सकती।

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