मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
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4-10 नवंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 105
“वह अपना करार सदा तक याद रखता है”
जल्द दुनिया होगी नयी—यहोवा के वादे पर कैसे विश्वास बढ़ाएँ?
11 यहोवा के कुछ ऐसे वादों पर ध्यान दीजिए जिनका पूरा होना नामुमकिन-सा लग रहा था। जैसे, उसने अब्राहम और सारा से कहा कि उनके बुढ़ापे में उन्हें एक बेटा होगा। (उत्प. 17:15-17) उसने अब्राहम से यह भी कहा कि उसके वंशजों को कनान देश दिया जाएगा। लेकिन कई सालों तक अब्राहम के वंशज यानी इसराएली मिस्र में गुलाम रहे। इसलिए शायद लोगों को लगा हो कि यह वादा कभी पूरा नहीं होगा। लेकिन यहोवा ने अपना यह वादा पूरा किया। फिर इसके हज़ारों साल बाद, यहोवा ने इलीशिबा से वादा किया कि उसके एक बेटा होगा, जबकि उस वक्त वह बूढ़ी हो चुकी थी। यहोवा ने मरियम से भी एक वादा किया। वैसे तो वह कुँवारी थी, पर यहोवा ने उससे कहा कि वह उसके बेटे को जन्म देगी, जिसके बारे में उसने हज़ारों साल पहले अदन के बाग में वादा किया था। यहोवा ने अपना यह वादा भी पूरा किया!—उत्प. 3:15.
12 जब हम इस बारे में सोचते हैं कि परमेश्वर ने कौन-कौन-से वादे किए और उन्हें किस तरह पूरा किया, तो हम समझ पाते हैं कि यहोवा में गज़ब की ताकत है। इससे यहोवा के इस वादे पर हमारा विश्वास और बढ़ जाता है कि वह नयी दुनिया ज़रूर लाएगा। (यहोशू 23:14; यशायाह 55:10, 11 पढ़िए।) तब हम दूसरों को भी पूरे यकीन से यह बता पाते हैं कि परमेश्वर ने नयी दुनिया लाने का जो वादा किया है, वह कोई सपना या कोरी कल्पना नहीं है। यहोवा ने खुद भी नए आकाश और नयी पृथ्वी के लाने के बारे में कहा कि ये बातें “भरोसे के लायक और सच्ची हैं।”—प्रका. 21:1, 5.
इंसाइट-2 पेज 1201 पै 2
वचन
यहोवा का वचन भरोसे के लायक है। वह जो भी वादा करता है, उसे ज़रूर पूरा करता है। (व्य 9:5; भज 105:42-45) वह अपना मकसद पूरा करने के लिए अपनी किसी भी सृष्टि का इस्तेमाल कर सकता है। (भज 103:20; 148:8) उसने यकीन दिलाया है कि उसका वचन ‘हमेशा तक कायम रहेगा,’ वह उसका मकसद पूरा किए बिना वापस नहीं लौटेगा।—यश 40:8; 55:10, 11; 1पत 1:25.
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प्र86 11/1 पेज 19 पै 15, अँग्रेज़ी
नौजवानो—एक खुशहाल और एकता के बंधन में बंधे परिवार में आपका भाग
15 “उन्होंने तब तक [यूसुफ के] पैरों में बेड़ियाँ डालीं, उसकी गरदन में लोहे की ज़ंजीरें डालीं, जब तक कि परमेश्वर की बात सच साबित न हुई, यहोवा की कही बात ने ही उसे शुद्ध किया।” (भज 105:17-19) यहोवा का वादा पूरा होने तक यूसुफ को 13 साल तक एक गुलाम और कैदी बनकर रहना पड़ा। इस दौरान वह “यहोवा की कही बात” पर भरोसा करता रहा। इससे उसे “शुद्ध किया” गया, यानी वह अपने अंदर कई अच्छे गुण बढ़ा पाया, जैसे सब्र, नम्रता और कोई भी मुश्किल काम करने का पक्का इरादा। यही नहीं, वह यहोवा के साथ एक मज़बूत रिश्ता भी बना पाया। जिस तरह सोने को आग में तपाकर शुद्ध किया जाता है, उसी तरह मुश्किलों से गुज़रकर यूसुफ शुद्ध हुआ। वह यहोवा के लिए और भी अनमोल हो गया। फिर यहोवा ने उसे लाजवाब तरीके से इस्तेमाल किया।—उत 41:14, 38-41, 46; 42:6, 9.
11-17 नवंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 106
“वे अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भूल गए”
क्या आप यहोवा की तरफ हैं?
13 जिस तरह यहोवा ने खुद को ज़ाहिर किया, वह देखकर इसराएली बहुत डर गए। इस वजह से मूसा सीनै पहाड़ पर गया और उसने उनकी तरफ से यहोवा से बात की। (निर्ग. 20:18-21) काफी वक्त बीत गया और मूसा पहाड़ से नीचे नहीं आया। लोगों को लगा कि वे उस वीराने में फँस गए हैं, क्योंकि अब उन्हें रास्ता दिखानेवाला कोई नहीं है। शायद इसराएली एक इंसान पर कुछ ज़्यादा ही निर्भर हो गए थे। उन्हें चिंता होने लगी और उन्होंने हारून से कहा, “पता नहीं उस मूसा का क्या हुआ, जो हमें मिस्र से निकालकर यहाँ ले आया था। इसलिए अब हमारी अगुवाई के लिए तू एक देवता बना दे।”—निर्ग. 32:1, 2.
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भजन संहिता किताब के तीसरे और चौथे भाग की झलकियाँ
106:36, 37. ये आयतें दिखाती हैं कि मूर्तिपूजा का ताल्लुक पिशाचों या दुष्टात्माओं को बलिदान चढ़ाने से है। इसका मतलब है कि जो इंसान मूर्तियों का इस्तेमाल करता है, वह दुष्टात्माओं की जकड़ में आ सकता है। इसलिए बाइबल हमसे गुज़ारिश करती है: “अपने आप को मूरतों से बचाए रखो।”—1 यूहन्ना 5:21.
18-24 नवंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 107-108
“यहोवा का शुक्रिया अदा करो क्योंकि वह भला है”
कलीसिया, यहोवा की महिमा करे
2 कलीसिया, महज़ लोगों का एक गुट नहीं है। ना ही यह कोई संघ या क्लब है, जिसके सभी सदस्य एक ही माहौल से आए हों, या वे एक ही किस्म के खेल में दिलचस्पी रखते हों, या फिर उन सभी का एक ही शौक हो। इसके बजाय, कलीसिया का खास मकसद है, यहोवा परमेश्वर की महिमा करना। और जैसे भजनों की किताब में ज़ोर देकर बताया गया है, प्राचीन समय से सभा या कलीसिया का यही मकसद रहा है। मिसाल के लिए, भजन 35:18 में हम पढ़ते हैं: “मैं बड़ी सभा में तेरा धन्यवाद करूंगा; बहुतेरे लोगों के बीच मैं तेरी स्तुति करूंगा।” उसी तरह, भजन 107:31, 32 हमें बढ़ावा देता है: “लोग यहोवा की करुणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें। और सभा में उसको सराहें।”
यहोवा का धन्यवाद करो और आशीषें पाओ
4 अगर हम यहोवा के एहसानमंद बने रहना चाहते हैं, तो हमें दो चीज़ें करने की ज़रूरत है। एक, हमें यह पहचानने की ज़रूरत है कि यहोवा ने हमें किन अलग-अलग तरीकों से आशीषों से नवाज़ा है। और दूसरा, हमें इस बात पर मनन करने की ज़रूरत है कि कैसे उसने इन आशीषों के ज़रिए हमें निजी तौर पर अपना प्यार दिखाया है। जब भजनहार ने ऐसा किया, तो वह यह देखकर हैरान रह गया कि परमेश्वर ने उसके लिए कितने हैरतअंगेज़ काम किए हैं।—भजन 40:5; 107:43 पढ़िए।
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इंसाइट-2 पेज 420 पै 4
मोआब
जब दाविद राजा था, तो इसराएल और मोआब के बीच एक युद्ध हुआ। दाविद की सेना ने मोआब के लोगों को हरा दिया और उनके दो-तिहाई सैनिकों को मार डाला। (2शम 8:2, 11, 12; 1इत 18:2, 11) इसी युद्ध में शायद यहोयादा के बेटे बनायाह ने “मोआब के रहनेवाले अरीएल के दो बेटों को मार गिराया।” (2शम 23:20; 1इत 11:22) इस बढ़िया जीत से बिलाम की भविष्यवाणी पूरी हुई जो उसने करीब 400 साल पहले की थी। (गि 24:17) भजन के लिखनेवाले ने शायद इसी जीत को ध्यान में रखकर कहा कि मोआब ‘परमेश्वर के हाथ-पैर धोने का बर्तन’ है।—भज 60:8; 108:9.
25 नवंबर–1 दिसंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 109-112
राजा यीशु का साथ दीजिए
भजन संहिता किताब के पाँचवें भाग की झलकियाँ
110:1, 2—“[दाऊद के] प्रभु,” यीशु मसीह ने परमेश्वर के दाहिने हाथ बैठकर क्या किया? पुनरुत्थान के बाद, यीशु स्वर्ग लौट गया और परमेश्वर के दाहिने हाथ बैठकर उस घड़ी का इंतज़ार करने लगा जब वह राजा की हैसियत से अपनी हुकूमत शुरू करता। सन् 1914 में जाकर उसके इंतज़ार की यह घड़ी खत्म हुई। मगर तब तक यीशु ने अपने अभिषिक्त चेलों पर राज किया और उन्हें प्रचार करने और चेला बनाने के काम में मार्गदर्शन देता रहा। साथ ही, उसने उन्हें अपने राज्य में राजाओं की हैसियत से हुकूमत करने के लिए भी तैयार किया।—मत्ती 24:14; 28:18-20; लूका 22:28-30.
परमेश्वर के खिलाफ लड़नेवाले जीत नहीं सकते!
3 दरअसल बीसवीं सदी की शुरूआत से ही यहोवा के सेवकों का विरोध किया गया। परमेश्वर के लोगों का सबसे बड़ा दुश्मन शैतान है और वह “गर्जनेवाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।” (1 पतरस 5:8) उसी के भड़काने में आकर बहुत से देशों में दुष्ट लोगों ने ना सिर्फ प्रचार के काम में बाधा डाली बल्कि इसे मिटा देने की कोशिश की। खासकर सन् 1914 से परमेश्वर के विरोधियों के हमले तेज़ हो गए। क्योंकि सन् 1914 में “अन्य जातियों का समय” पूरा हुआ, और यहोवा ने अपने बेटे को पृथ्वी का नया राजा बनाकर उसे आज्ञा दी: “अपने शत्रुओं के बीच में शासन कर।” (लूका 21:24; भजन 110:2) मसीह ने शैतान को स्वर्ग से नीचे पृथ्वी पर फेंक दिया। शैतान अच्छी तरह जानता है कि अब उसका थोड़ा ही समय बाकी है इसलिए वह अभिषिक्त जनों और उनके साथियों पर अपनी जलजलाहट निकाल रहा है। (प्रकाशितवाक्य 12:9, 17) लेकिन क्या परमेश्वर के दुश्मन जीत पाए?
आगे बढ़ते जाइए—तरक्की करते रहिए
प्रेरित पौलुस ने, अपने वरदान को इस्तेमाल करने का जो बढ़ावा दिया, उसमें खुद पहल करना भी शामिल है। क्या आप भाई-बहनों के साथ मिलकर प्रचार करने में पहल करते हैं? क्या आप अपनी कलीसिया के नए लोगों, नौजवानों और बीमारों की मदद करने के मौके ढूँढ़ते हैं? क्या आप किंगडम हॉल की साफ-सफाई करने या अधिवेशनों और सम्मेलनों में कुछ और तरीके से हाथ बँटाने के लिए अपना नाम देते हैं? क्या आप समय-समय पर ऑक्ज़लरी पायनियर के तौर पर सेवा कर सकते हैं? क्या आप रेग्युलर पायनियर बनकर सेवा कर सकते हैं या ऐसी कलीसिया में जा सकते हैं, जिसे मदद की सख्त ज़रूरत है? अगर आप एक भाई हैं, तो क्या आप शास्त्र की माँगों को पूरा करके सहायक सेवक या प्राचीन बनने के लिए आगे बढ़ रहे हैं? खुशी-खुशी मदद करने की आपकी ख्वाहिश और अपने कंधे पर ज़िम्मेदारी लेने में आपकी पहल, आपकी उन्नति की एक निशानी है।—भज. 110:3.
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इंसाइट-1 पेज 524 पै 2
करार
मेल्कीसेदेक जैसा याजक होने का करार: भजन 110:4 के मुताबिक, यहोवा ने यीशु मसीही के साथ एक करार किया कि वह मेल्कीसेदेक जैसा याजक होगा। जब यीशु ने अपने चेलों के साथ राज का करार किया, तो शायद उसने इसी करार का ज़िक्र किया। (लूक 22:29) मेल्कीसेदेक एक राजा और परमेश्वर का एक याजक था। उसी तरह, यीशु भी राजा और महायाजक होता। पर उसे मेल्कीसेदेक की तरह धरती पर नहीं बल्कि स्वर्ग में ये ओहदे मिलते। (इब्र 6:20; 7:26, 28; 8:1) यहोवा के निर्देशन में यीशु हमेशा के लिए राजा और महायाजक बना रहेगा। इसलिए यह करार सदा लागू रहेगा।—इब्र 7:3.
2-8 दिसंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 113-118
हम यहोवा का एहसान कैसे चुका सकते हैं?
प्रेम से हिम्मत पाइए
13 यीशु के शब्दों से साफ ज़ाहिर है कि सबसे पहले हमें यहोवा से प्रेम करना है। मगर, यहोवा के लिए प्रेम, हमारे अंदर पैदाइशी नहीं होता। इस प्रेम को हमें खुद पैदा करना और बढ़ाना है। जब हमने पहली बार यहोवा के बारे में सुना था तो हम उसकी तरफ आकर्षित हुए थे। धीरे-धीरे हमने जाना कि उसने कैसे इस ज़मीन को इंसानों के लिए तैयार किया। (उत्पत्ति 2:5-23) हमने जाना कि वह इंसानों के साथ कैसा व्यवहार करता आया है। जब मानव परिवार पर पहली बार पाप का हमला हुआ तो उसने हमें बेसहारा नहीं छोड़ दिया बल्कि छुटकारा दिलाने का इंतज़ाम किया। (उत्पत्ति 3:1-5, 15) जो वफादार थे, उनके साथ वह बड़े प्यार से पेश आया और आखिरकार उसने हमारे पापों की माफी के लिए अपने एकलौते बेटे तक को भेंट चढ़ा दिया। (यूहन्ना 3:16, 36) जैसे-जैसे हम यहोवा के बारे में जानते गए, वैसे-वैसे उसके लिए हमारी कदरदानी और भी बढ़ती गयी। (यशायाह 25:1) राजा दाऊद ने कहा कि वह यहोवा की प्यार भरी परवाह के लिए उससे प्रेम करता है। (भजन 116:1-9) आज, यहोवा हमारी परवाह करता है, हमें राह दिखाता है, हिम्मत देता है और हमारा हौसला बढ़ाता है। हम जितना ज़्यादा उसके बारे में सीखते हैं, उसके लिए हमारा प्रेम भी उतना ही गहरा होता जाता है।—भजन 31:23; सपन्याह 3:17; रोमियों 8:28.
एहसान-भरे दिल से लीजिए—दिल खोलकर दीजिए
भजनहार ने खुद से पूछा: “यहोवा ने मेरे लिए जितने उपकार किए हैं मैं उनके बदले में उसे क्या दूँ?” (भज. 116:12, NHT) यहोवा ने उस पर कौन-से उपकार किए थे? यहोवा ने “संकट और शोक” के समय उसे सँभाला, यहाँ तक कि उसके ‘प्राण को मृत्यु से बचाया।’ अब भजनहार, यहोवा को “बदले में” कुछ देना चाहता था। वह क्या दे सकता था? उसने कहा: “मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें . . . पूरी करूंगा।” (भज. 116:3, 4, 8, 10-14) उसने ठान लिया कि वह यहोवा से किए अपने सारे वादे निभाएगा और अपनी जवाबदारी पूरी करेगा।
आप भी ऐसा कर सकते हैं। कैसे? परमेश्वर के नियमों और सिद्धांतों के मुताबिक ज़िंदगी जीकर। इसलिए यह ध्यान रखिए कि आपकी ज़िंदगी में यहोवा की उपासना हमेशा पहली जगह पर हो और आप हर काम में पवित्र शक्ति के मार्गदर्शन पर चलते रहें। (सभो. 12:13; गला. 5:16-18) हाँ, यह सच है कि आप यहोवा के एहसानों का बदला कभी नहीं चुका पाएँगे। फिर भी, जब आप दिलो-जान से उसकी सेवा करते हैं, तो उसका “मन आनन्दित” होता है। (नीति. 27:11) यहोवा को खुश करना, हमारे लिए कितने सम्मान की बात है!
लैव्यव्यवस्था की किताब से हमें क्या सीख मिलती है?
9 दूसरी सीख: हम यहोवा के एहसानमंद हैं, इसलिए उसकी सेवा करते हैं। इस बात को समझने के लिए आइए प्राचीन इसराएल में सच्ची उपासना के एक और पहलू पर ध्यान दें। वह है शांति-बलियाँ। लैव्यव्यवस्था की किताब में बताया गया है कि “परमेश्वर को धन्यवाद देने के लिए” शांति-बलियाँ चढ़ायी जाती थीं। (लैव्य. 7:11-13, 16-18) यह बलिदान चढ़ाना ज़रूरी नहीं था, लेकिन एक इसराएली यहोवा से प्यार करने की वजह से खुशी-खुशी यह बलिदान चढ़ाता था। बलिदान देनेवाला, उसका घराना और याजक, सब मिलकर उस बलिदान में से खाते थे। लेकिन बलिदान किए गए जानवर के कुछ हिस्से सिर्फ यहोवा को दिए जाते थे, कोई और उन्हें नहीं खा सकता था। ये कौन-से हिस्से थे?
10 तीसरी सीख: प्यार की वजह से हम यहोवा को अपना सबसे अच्छा देते हैं। यहोवा की नज़र में जानवरों का सबसे बढ़िया हिस्सा उनकी चरबी होती थी। यहोवा ने यह भी साफ-साफ बताया था कि कुछ और हिस्से खास मायने रखते थे जैसे, जानवर के गुर्दे। (लैव्यव्यवस्था 3:6, 12, 14-16 पढ़िए।) इस वजह से जब एक इसराएली अपनी इच्छा से ये हिस्से और चरबी यहोवा को चढ़ाता था, तो यहोवा को बहुत खुशी होती थी। इस तरह वह ज़ाहिर करता था कि वह यहोवा से प्यार करता है और उसे अपनी सबसे बढ़िया भेंट देना चाहता है। यीशु भी यहोवा से बहुत प्यार करता था, इसलिए उसने तन-मन से यहोवा की सेवा करके उसे अपनी सबसे बढ़िया भेंट चढ़ायी। (यूह. 14:31) यीशु को यहोवा के कानून से बहुत लगाव था और उसकी मरज़ी पूरी करने से उसे खुशी मिलती थी। (भज. 40:8) यहोवा यह देखकर फूला नहीं समाया होगा कि यीशु खुशी-खुशी उसकी सेवा कर रहा है!
11 हमारी सेवा भी शांति-बलियों की तरह है। अपनी इच्छा से यहोवा की सेवा करके हम ज़ाहिर करते हैं कि हम उसके बारे में कैसा महसूस करते हैं। हम उससे पूरे दिल से प्यार करते हैं, इसलिए उसे अपना सबसे अच्छा देना चाहते हैं। जब यहोवा यह देखता है कि लाखों लोग उसकी सेवा कर रहे हैं, क्योंकि वे उससे और उसके स्तरों से प्यार करते हैं, तो उसे कितना अच्छा लगता होगा! लेकिन यहोवा न सिर्फ हमारे कामों पर ध्यान देता है बल्कि यह भी देखता है कि क्या बात हमें ये काम करने के लिए उभारती है। क्या इससे आपको दिलासा नहीं मिलता? मान लीजिए, आप एक बुज़ुर्ग हैं और अब आप यहोवा की सेवा में उतना नहीं कर पाते, जितना आप चाहते हैं। क्या इसका मतलब है कि आप यहोवा को अपना सबसे अच्छा नहीं दे रहे हैं? ऐसी बात नहीं है। यकीन रखिए, यहोवा आपकी सीमाएँ जानता है। आपको शायद लगे कि आप यहोवा के लिए ज़्यादा नहीं कर पा रहे हैं, मगर यहोवा देख सकता है कि आप उससे कितना प्यार करते हैं और आपसे जितना हो सकता है, वह आप कर रहे हैं। यह आपकी तरफ से सबसे बढ़िया भेंट है और यहोवा उसे खुशी-खुशी स्वीकार करता है।
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आपने पूछा
परमेश्वर की प्रेरणा से भजनहार ने लिखा: “यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है।” (भज. 116:15) यहोवा अपने हर सच्चे उपासक के जीवन को अनमोल समझता है। लेकिन इस आयत में किसी एक इंसान की मौत की बात नहीं की गयी है।
जब एक मसीही की अंत्येष्टि पर भाषण दिया जाता है, तो भजन 116:15 को मरनेवाले पर लागू करना सही नहीं होगा, भले ही उसकी मौत एक वफादार सेवक के तौर पर हुई हो। क्यों? भजनहार के इस वाक्य का मतलब यह है कि एक समूह के तौर पर अपने सभी वफादार सेवकों की मौत होने देना, यहोवा की नज़र में एक भारी कीमत चुकाने जैसा है। इसलिए वह ऐसा हरगिज़ नहीं होने देगा।—भजन 72:14; 116:8 देखिए।
भजन 116:15 हमें यह यकीन दिलाता है कि यहोवा एक समूह के तौर पर अपने भक्तों को धरती पर से कभी मिटने नहीं देगा। हमारा आधुनिक इतिहास इस बात का गवाह है। कड़ी परीक्षाओं और ज़ुल्मो-सितम के बावजूद हम मज़बूत खड़े रह पाए हैं।
9-15 दिसंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 119:1-56
“एक जवान कैसे साफ-सुथरी ज़िंदगी बिता सकता है?”
प्र87 11/1 पेज 18 पै 10, अँग्रेज़ी
क्या आप हर मामले में शुद्ध बने रहते हैं?
10 हर साल हज़ारों भाई-बहनों को नाजायज़ यौन-संबंध रखने की वजह से सुधारा जाता है या उन्हें बहिष्कृत किया जाता है। बाइबल में बताया गया है कि जो कोई यह पाप करता है, वह “अपने ही शरीर के खिलाफ पाप करता है।” (1 कुरिंथियों 6:18; इफिसियों 5:5) अकसर एक मसीही से यह पाप इसलिए होता है क्योंकि वह ‘[परमेश्वर के] वचन के मुताबिक सावधानी नहीं बरतता।’ (भजन 119:9) कई भाई-बहन जब छुट्टियों पर होते हैं तो वे नैतिकता के मामलों में सतर्क नहीं रहते। वे दूसरे भाई-बहनों से मिलने के बजाय दुनिया के लोगों से दोस्ती करने लगते हैं। कुछ तो उनके साथ मिलकर ऐसे काम करने लगते हैं जो परमेश्वर को पसंद नहीं। कुछ ऐसे भी हैं जो साथ काम करनेवालों के साथ कुछ ज़्यादा ही वक्त बिताने लगते हैं। ऐसा ही कुछ एक शादीशुदा प्राचीन के साथ हुआ। उसकी अपने साथ काम करनेवाली एक औरत से दोस्ती हो गयी और वह उसके साथ रहने लगा! नतीजा, प्राचीन का बहिष्कार हो गया। बाइबल में लिखी यह बात कितनी सही है, “बुरी संगति अच्छी आदतें बिगाड़ देती है।”—1 कुरिंथियों 15:33.
“तेरी चितौनियां मेरा सुखमूल . . . हैं”
यहोवा अपने लोगों को चितौनियाँ देता है ताकि वे मुश्किलों से भरे इस दौर में आनेवाले दबावों का सामना कर सकें। कुछ चितौनियाँ हमें तब मिलती हैं जब हम बाइबल पढ़ते हैं, तो कुछ हमें, मसीही सभाओं के दौरान दी जानेवाली जानकारी या फिर हाज़िर भाई-बहनों के जवाबों से मिलती हैं। अकसर ये चितौनियाँ हमारे लिए नयी नहीं होतीं। हम पहले भी इन्हें पढ़ या सुन चुके होते हैं। फिर भी, हमें यहोवा के उद्देश्यों, नियमों और हिदायतों के बारे में लगातार याद दिलाया जाना ज़रूरी है क्योंकि हमें भूलने की आदत होती है। हमें परमेश्वर की चितौनियों के लिए उसके एहसानमंद होना चाहिए। क्योंकि ये चितौनियाँ, हमें हमेशा याद दिलाती हैं कि हमने परमेश्वर की मरज़ी के मुताबिक जीने का फैसला क्यों किया था और इस तरह ये हमारा हौसला बढ़ाती हैं। इसलिए भजनहार ने अपने गीत में यहोवा से कहा: “तेरी चितौनियां मेरा सुखमूल . . . हैं।”—भजन 119:24.
व्यर्थ की चीज़ों से अपनी आँखें हटा दो!
2 लेकिन हम अपनी आँखों से जो देखते हैं वह कई बार हमें नुकसान भी पहुँचा सकता है। हमारी आँखों का हमारे दिमाग के साथ बहुत गहरा नाता है। हम जो देखते हैं उसका हमारी सोच पर गहरा असर पड़ता है और यही सोच हमारे दिल की भावनाओं पर असर करती है। यानी, हम जो देखते हैं उससे हमारे दिल की इच्छाएँ सुलगने लगती हैं और लालसाएँ ज़ोर पकड़ने लगती हैं। आज हम शैतान की दुनिया में जी रहे हैं जो गिरी हुई है, जहाँ सिर्फ अपना स्वार्थ पूरा करने का बढ़ावा दिया जाता है। (1 यूह. 5:19) आए दिन हम पर गंदे दृश्यों, फिल्मों, विज्ञापनों और बुरी बातों की इतनी बौछार होती है कि हम बड़ी आसानी से भटक सकते हैं, फिर चाहे हम इनकी एक झलक ही क्यों न देखें। हमारी आँखें हमें खतरे में डाल सकती हैं। इसलिए ताज्जुब नहीं कि भजनहार ने परमेश्वर से यह फरियाद की: “व्यर्थ वस्तुओं की ओर से मेरी आंखें हटा; मुझे अपने मार्ग के लिए जीवन दे।”—भज. 119:37, नयी हिन्दी बाइबिल।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
यहोवा के वचन पर भरोसा रखिए
2 भजन 119 का एक खास मुद्दा है, परमेश्वर के वचन या संदेश का मोल। इसके रचियता ने इसकी 176 आयतें इब्रानी वर्णमाला के अक्षरों के क्रम में लिखी हैं। शायद इसलिए कि इसे आसानी से याद रखा जा सके। मूल इब्रानी में, इस भजन के 22 छंदों में से हर छंद में 8 पंक्तियाँ हैं, जो एक ही अक्षर से शुरू होती हैं। इस भजन में परमेश्वर के वचन, उसकी व्यवस्था, चितौनियों, उसके मार्गों, उपदेशों, उसकी विधियों, आज्ञाओं और धर्ममय नियमों का ज़िक्र है। इस लेख और अगले लेख में, बाइबल के इब्रानी पाठ के एक सही अनुवाद के मुताबिक भजन 119 पर चर्चा की जाएगी। बीते ज़माने और आज के यहोवा के सेवकों के अनुभवों पर मनन करने से, ईश्वर-प्रेरणा से लिखे इस भजन के बारे में हमारी समझ बढ़ेगी और परमेश्वर के लिखित वचन, बाइबल के लिए हमारी कदरदानी भी गहरी होगी।
16-22 दिसंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 119:57-120
मुश्किलें सहने के तरीके
“मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं!”
2 आप शायद पूछें: “आखिर, भजनहार को परमेश्वर की व्यवस्था से कैसे सुकून मिला?” उसे पूरा भरोसा था कि यहोवा उसकी परवाह करता है और इसी बात ने उसे सँभाल रखा। साथ ही, परमेश्वर की व्यवस्था को लागू करने से उसे कई फायदे मिले, इसलिए दुश्मनों के विरोध के बावजूद भी वह खुश था। वह जानता था कि यहोवा ने उसके साथ भलाई की है। और-तो-और, व्यवस्था की हिदायतों को मानने से भजनहार अपने दुश्मनों से कहीं ज़्यादा बुद्धिमान बना और उसकी जान भी बची। साथ ही, उसे मन की शांति और साफ विवेक मिला।—भजन 119:1, 9, 65, 93, 98, 165.
क्या आप यहोवा की चितौनियों से बहुत प्रीति रखते हैं?
3 भजनहार को परमेश्वर की चितौनियाँ बहुत प्यारी थीं इसलिए उसने भजन में गाया: “मैं ने तेरी आज्ञाओं के मानने में विलम्ब नहीं, फुर्ती की है। मैं दुष्टों की रस्सियों से बन्ध गया हूं, तौभी मैं तेरी व्यवस्था को नहीं भूला।” (भजन 119:60, 61) यहोवा की चितौनियाँ हमें हर तरह की तकलीफों को सहने की ताकत देती हैं क्योंकि हमें पूरा विश्वास होता है कि स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता हमें दुष्टों के बंधनों से मुक्त कर सकता है। सही समय पर परमेश्वर हमारी सभी बाधाओं को दूर कर देता है और हम राज्य का प्रचार काम जारी रख पाते हैं।—मरकुस 13:10.
भजन संहिता किताब के पाँचवें भाग की झलकियाँ
119:71—दुःख सहने से कैसे एक इंसान का भला हो सकता है? दुःख-तकलीफों से गुज़रकर, हम और भी ज़्यादा यहोवा पर भरोसा रखना, दिल की गहराई से प्रार्थना करना, साथ ही पूरी लगन के साथ बाइबल का अध्ययन करना और उसमें दी बातों पर अमल करना सीखते हैं। इसके अलावा, मुसीबत की घड़ी में हम जिस तरह से पेश आते हैं, उससे हमारी वे खामियाँ उभरकर सामने आती हैं जिन्हें हमें दूर करने की ज़रूरत है। जी हाँ, अगर हम तकलीफों के हाथों खुद को निखरने दें तो हम कभी कड़वाहट से नहीं भरेंगे।
“रोनेवालों के साथ रोओ”
3 यहोवा हमारा दयालु पिता है। वही एक मुख्य ज़रिया है जिससे हमें दिलासा मिलता है। (2 कुरिंथियों 1:3, 4 पढ़िए।) वह दूसरों से बढ़कर हमारा दर्द समझता है और अपने लोगों से वादा करता है कि “दिलासा देनेवाला मैं ही हूँ।”—यशा. 51:12; भज. 119:50, 52, 76.
5 हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि यहोवा दुख की घड़ी में हमारी मदद ज़रूर करेगा। इसलिए हमें बेझिझक उससे प्रार्थना करनी चाहिए और उसे बताना चाहिए कि हम किस दर्द से गुज़र रहे हैं। हमें यह जानकर कितना सुकून मिलता है कि यहोवा हमारी भावनाओं को समझता है और हमें दिलासा देता है। लेकिन वह किस तरह हमें दिलासा देता है?
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भजन संहिता किताब के पाँचवें भाग की झलकियाँ
119:96, फुटनोट—‘सारी पूर्णता के अंत’ का क्या मतलब है? भजनहार यहाँ इंसानी नज़रिए के बारे में बता रहा था। हो सकता है, उसके मन में यह खयाल रहा हो कि सिद्धता के बारे में इंसान की समझ बहुत सीमित है। लेकिन परमेश्वर की आज्ञा की कोई सीमा नहीं। यह ज़िंदगी के सभी दायरों पर लागू होती है। न्यू हिन्दी ट्रांस्लेशन बाइबल में यह आयत कहती है: “मैंने समस्त पूर्णता की एक सीमा देखी है, परन्तु तेरी आज्ञा तो असीमित है।”
23-29 दिसंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 119:121-176
हम बेवजह खुद को मुसीबत में डालने से कैसे बच सकते हैं?
परमेश्वर के नियमों और सिद्धांतों से ज़मीर का प्रशिक्षण कीजिए
5 अगर हम परमेश्वर के नियमों से फायदा पाना चाहते हैं, तो उन नियमों के बारे में सिर्फ पढ़ना या उन्हें जानना काफी नहीं होगा। हमें उनसे लगाव होना चाहिए और उन्हें मानना चाहिए। बाइबल में लिखा है, “बुराई से नफरत करो और भलाई से प्यार करो।” (आमो. 5:15) पर यह हम कैसे कर सकते हैं? हर मामले को हमें यहोवा की नज़र से देखना होगा। मान लीजिए कि आपको ठीक से नींद नहीं आती। डॉक्टर आपको सलाह देता है कि आप पौष्टिक खाना खाएँ, अच्छी तरह व्यायाम करें और अपने जीने के तरीके में कुछ बदलाव करें। आप उसकी सलाह मानते हैं और आपको नींद आने लगती है। तो क्या इसके बाद से आप डॉक्टर की हर सलाह नहीं मानेंगे?
6 उसी तरह हमारे सृष्टिकर्ता ने हमें नियम दिए हैं, ताकि हम पाप के बुरे अंजामों से बच सकें और अपनी ज़िंदगी सँवार सकें। बाइबल में साफ बताया गया है कि हमें किन कामों को नहीं करना चाहिए, जैसे झूठ बोलना, धोखाधड़ी, चोरी, अनैतिक काम, हिंसा और जादू-टोना। (नीतिवचन 6:16-19 पढ़िए; प्रका. 21:8) जो फायदे हमें यहोवा की आज्ञाएँ मानने से होते हैं, उनकी वजह से यहोवा और उसके नियमों के लिए हमारा लगाव बढ़ने लगता है।
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नौजवानो—आप ज़िंदगी में क्या हासिल करना चाहते हैं?
12 बुराई से नफरत करना, उससे घिन करना सीखिए। (भजन 97:10) पर आप ऐसे काम से नफरत कैसे कर सकते हैं, जिसे करना शायद शुरू में आपको अच्छा लगे? उसके अंजामों के बारे में सोचिए। बाइबल में लिखा है, “धोखे में न रहो: परमेश्वर की खिल्ली नहीं उड़ायी जा सकती। एक इंसान जो बोता है, वही काटेगा भी। क्योंकि जो शरीर के लिए बोता है वह शरीर से विनाश की फसल काटेगा।” (गलातियों 6:7, 8) जब भी आपका कुछ गलत करने का मन करे, तो सबसे पहले सोचिए कि इससे यहोवा परमेश्वर को कितना दुख होगा। (भजन 78:41 से तुलना करें।) इसके अलावा, कुछ और भी बुरे अंजाम हो सकते हैं, जैसे अनचाहा गर्भ ठहरना या एड्स जैसी बीमारी लगना। आपका चैन और सुकून छिन सकता है। आप खुद की नज़रों में भी गिर सकते हैं। कुछ अंजाम तो लंबे समय तक रहते हैं, जैसे शादी में समस्याएँ। यही नहीं, एक मसीही अपनी ज़िम्मेदारियाँ खो सकता है या उसका बहिष्कार हो सकता है। (1 कुरिंथियों 5:9-13) क्या पल-भर के सुख के लिए इतनी बड़ी कीमत चुकाना सही होगा?
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भरोसा रखिए कि परमेश्वर के वचन में लिखी हरेक बात सच्ची है
2 लेकिन हमें यकीन है कि हमारा परमेश्वर यहोवा ‘सच्चाई का परमेश्वर’ है और वह हमेशा हमारा भला चाहता है। (भज. 31:5; यशा. 48:17) हम जानते हैं कि हम उसके वचन बाइबल पर भी भरोसा कर सकते हैं क्योंकि उसमें लिखी हरेक बात सच्ची है। (भजन 119:160 पढ़िए।) बाइबल के एक विद्वान ने इस बारे में बिलकुल सही लिखा, “परमेश्वर कभी झूठ नहीं बोलता, उसकी हर बात सच निकलती है। इसलिए परमेश्वर के लोगों को उस पर पूरा भरोसा है और वे उसकी कही बातों पर भी भरोसा कर सकते हैं।”
30 दिसंबर–5 जनवरी
पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 120-126
उन्होंने रोते हुए बोया, पर खुशी से काटा
परमेश्वर की महिमा करनेवाले धन्य हैं
10 जब हम यीशु के चेले बनने का जूआ उठा लेते हैं, तो हम शैतान के खिलाफ लड़ रहे होते हैं। याकूब 4:7 वादा करता है: “शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।” इसका मतलब यह नहीं कि शैतान का विरोध करना आसान है। परमेश्वर की सेवा करने के लिए हमें बहुत जद्दोजेहद करनी पड़ेगी। (लूका 13:24) मगर बाइबल, भजन 126:5 में यह वादा करती है: “जो आंसू बहाते हुए बोते हैं, वे जयजयकार करते हुए लवने पाएंगे।” जी हाँ, हमारा परमेश्वर ऐसा नहीं जो हमारी सेवा को भूल जाए। वह “अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है,” और जो उसे महिमा देते हैं उन्हें वह आशीष देता है।—इब्रानियों 11:6.
आपका विश्वास कितना पक्का है?
17 क्या आपके किसी अपने की मौत हो गयी है? अगर हाँ, तो बाइबल में ऐसे लोगों के बारे में पढ़िए, जिन्हें दोबारा ज़िंदा किया गया था और खुद को यकीन दिलाइए कि आपके अज़ीज़ को भी ज़िंदा किया जाएगा। क्या आपके किसी परिवारवाले का बहिष्कार हुआ है और आप दुखी हैं? तो अध्ययन करके खुद को यकीन दिलाइए कि यहोवा के सुधारने का तरीका ही सबसे अच्छा है। मुश्किल-से-मुश्किल हालात में भी अपना विश्वास बढ़ाइए। यहोवा को अपने दिल की सारी बात बताइए। भाई-बहनों के करीब रहिए, खुद को उनसे अलग मत कीजिए। (नीति. 18:1) जब आपको अपनी तकलीफों को याद करके रोना आए, तब भी परमेश्वर की सेवा में लगे रहिए। (भज. 126:5, 6) सभाओं में और प्रचार में जाइए और बाइबल पढ़ते रहिए। उन आशीषों के बारे में सोचते रहिए, जो बहुत जल्द यहोवा आपको देनेवाला है। जब आप देखेंगे कि यहोवा किस तरह आपकी मदद कर रहा है, तो उस पर आपका विश्वास बढ़ेगा।
कटनी के काम में लगे रहिए!
13 परमेश्वर की कटनी का काम करनेवालों को और खासकर जो इस काम की वजह से सताए जा रहे हैं, उनको भजन 126:5, 6 के इन शब्दों से काफी हौसला मिलता है: “जो आंसू बहाते हुए बोते हैं, वे जयजयकार करते हुए काटेंगे। जो बीज लेकर बोने के लिए रोता हुआ चला जाता है, वह निश्चय ही अपनी पूलियां लिए हुए जयजयकार के साथ लौट आएगा।” (NHT) बोने और काटने के संबंध में कहे गए भजनहार के इन शब्दों का मतलब था कि प्राचीन बाबुल की बंधुआई से छूटकर आए शेष जनों की यहोवा देखभाल करेगा और उनको आशीष देगा। जब वे आज़ाद हुए तो उन्हें बेहद खुशी हुई मगर जब उनके देश की 70 साल तक बंजर पड़ी हुई ज़मीन में बीज बोने का वक्त आया तो शायद उन्होंने दुःख से आँसू बहाए होंगे। मगर फिर भी जिन लोगों ने आगे बढ़कर बीज बोए और निर्माण काम किए, उनकी मेहनत रंग लायी और उन्हें अपने काम से खुशी मिली
14 आज जब हमें या हमारे भाई-बहनों को धार्मिकता की खातिर दुःख उठाना या परीक्षाओं से गुज़रना पड़ता है, तो शायद हम भी आँसू बहाएँ। (1 पतरस 3:14) शुरू में कटनी का काम करना हमारे लिए बहुत मुश्किल लग सकता है क्योंकि शायद हमें लगे कि इस काम में हम जो मेहनत करते हैं उसके सबूत में हमें कोई प्रतिफल नहीं मिला है। लेकिन अगर हम बीज बोने और सींचने का काम करते रहेंगे तो परमेश्वर उन्हें ज़रूर बढ़ाएगा और कभी-कभी तो हमारी उम्मीदों से बढ़कर कामयाबी दिलाएगा। (1 कुरिन्थियों 3:6) इसका एक अच्छा सबूत यह है कि जब हम बाइबल और बाइबल साहित्य बाँटते हैं, तो उसके बढ़िया परिणाम निकलते हैं।
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रक्षा करने की शक्ति—‘परमेश्वर हमारा शरणस्थान है’
15 सबसे पहले, आइए हमारी ज़िंदगी की हिफाज़त की बात पर ध्यान दें। हम यहोवा के उपासक हैं, इसलिए एक समूह के तौर पर यहोवा से हिफाज़त पाने की उम्मीद रख सकते हैं। अगर ऐसा न होता तो हम सब-के-सब कब के शैतान का निवाला बन चुके होते। ज़रा सोचकर देखिए: शैतान जो “इस जगत का सरदार” है, इससे बढ़कर और क्या चाहेगा कि वह दुनिया से सच्ची उपासना का नामो-निशान मिटा दे। (यूहन्ना 12:31; प्रकाशितवाक्य 12:17) दुनिया की सबसे शक्तिशाली सरकारों में से कई ऐसी हैं जिन्होंने हमारे प्रचार काम पर पाबंदी लगायी है और हमें जड़ से उखाड़ने की कोशिश की है। फिर भी, यहोवा के सेवक दृढ़ रहे और बिना थके प्रचार का काम करते रहे हैं! क्या वजह है कि दुनिया की आबादी के मुकाबले इतने कम और निहत्थे, बेसहारा लगनेवाले मसीहियों के इस झुंड को दुनिया के शक्तिशाली राष्ट्र मिटाने में कामयाब नहीं हो सके? वह इसलिए क्योंकि यहोवा ने उन्हें अपने शक्तिशाली पंखों की आड़ में छिपा रखा है!—भजन 17:7, 8.