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  • “मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका” के लिए हवाले

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  • “मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका” के लिए हवाले
  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2025
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  • 6-12 जनवरी
  • 13-19 जनवरी
  • 20-26 जनवरी
  • 27 जनवरी–2 फरवरी
  • 3-9 फरवरी
  • 10-16 फरवरी
  • 17-23 फरवरी
  • 24 फरवरी–2 मार्च
मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2025
mwbr25 जनवरी पेज 1-11

मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले

© 2024 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania

6-12 जनवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 127-134

माता-पिताओ, अपनी अनमोल विरासत की देखभाल करते रहिए

प्र21.08 पेज 5 पै 9

यहोवा के परिवार में आपकी अहमियत है

9 यहोवा ने इंसानों को बच्चे पैदा करने की काबिलीयत दी है। उसने उन्हें यह ज़िम्मेदारी भी दी है कि वे अपने बच्चों को उससे प्यार करना और उसकी सेवा करना सिखाएँ। यहोवा ने स्वर्गदूतों को बहुत-सी काबिलीयतें दी हैं, मगर बच्चे पैदा करने की नहीं। यह उसने सिर्फ इंसानों को दी है। माता-पिताओ, क्या आप इसके लिए परमेश्‍वर का एहसान मानते हैं? यहोवा ने आपको एक खास ज़िम्मेदारी दी है। वह चाहता है कि आप ‘उसकी मरज़ी के मुताबिक बच्चों को सिखाएँ और समझाएँ।’ (इफि. 6:4; व्यव. 6:5-7; भज. 127:3) आपकी मदद करने के लिए उसके संगठन ने कई प्रकाशन, वीडियो, संगीत और वेबसाइट पर लेख दिए हैं। इससे पता चलता है कि यहोवा और यीशु बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। (लूका 18:15-17) जब आप यहोवा पर भरोसा करते हैं और अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करते हैं, तो उसे बहुत खुशी होती है। और आप अपने बच्चों को भी यहोवा के परिवार का हिस्सा बनने का मौका देते हैं।

प्र19.12 पेज 26-27 पै 20

माता-पिताओ​—बच्चों को यहोवा से प्यार करना सिखाइए

20 समझ-बूझ से काम लीजिए। भजन 127 में बच्चों की तुलना तीर से की गयी है। (भजन 127:4 पढ़िए।) ज़रूरी नहीं कि हर तीर एक जैसा हो, क्योंकि तीर अलग-अलग आकार और धातु के बने हो सकते हैं। उसी तरह हर बच्चा एक जैसा नहीं होता। इस वजह से माता-पिता को सोचना चाहिए कि वे अपने हर बच्चे को कैसे सिखाएँगे। इज़राइल में एक माता-पिता ने अपने दो बच्चों की अच्छी परवरिश की और आगे चलकर वे यहोवा के सेवक बनें। ये माता-पिता बताते हैं कि किस बात ने उनकी मदद की, “हमने हर बच्चे के साथ अलग से बाइबल अध्ययन किया।” शायद ऐसा करना हर परिवार के लिए मुमकिन न हो या फिर ज़रूरी भी न हो, इसलिए हर परिवार के मुखिया को इस मामले में खुद तय करना होगा कि वह क्या करेगा।

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इंसाइट-1 पेज 543

बाइबल में बताए पेड़-पौधे

एक भजन के लिखनेवाले ने बेटों की तुलना जैतून पेड़ के ‘अंकुरों’ से की। (भज 128:1-3) अकसर एक बड़े जैतून पेड़ से उसका एक अंकुर या कलम काटकर एक नया पेड़ उगाया जाता है। लेकिन बहुत पुराने जैतून पेड़ों के ऊपर ही नहीं बल्कि उनकी जड़ों से भी नए अंकुर फूट सकते हैं। इसलिए जिस तरह एक पेड़ इन अंकुरों से घिरा हुआ नज़र आता है, उसी तरह एक पिता अपने बेटों से घिरा रहता है और उनसे परिवार में खुशहाली होती है।

13-19 जनवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 135-137

“हमारा प्रभु सभी देवताओं से कहीं ज़्यादा महान है”

इंसाइट-2 पेज 661 पै 4-5

शक्‍ति, ताकत, शक्‍तिशाली काम

प्राकृतिक शक्‍तियों पर परमेश्‍वर का काबू: अगर यहोवा सच्चा परमेश्‍वर है, तो उससे उम्मीद की जाती है कि उसका सारी प्राकृतिक शक्‍तियों पर काबू होगा और वह उनका खास तरीके से इस्तेमाल करेगा। (भज 135:5, 6) जब हम सूरज, चाँद-सितारों और ग्रहों को चक्कर लगाते देखते हैं या सृष्टि की दूसरी चीज़ों को अपना काम करते देखते हैं, तो यह हमारे लिए कोई नयी बात नहीं होती। लेकिन जब यहोवा सृष्टि की चीज़ों और प्राकृतिक शक्‍तियों का इस्तेमाल अपना मकसद पूरा करने में करता है, तो इससे साबित होता है कि वह ही सच्चा परमेश्‍वर है। और उसने ऐसा किया है। जैसे, अकाल, आँधी-तूफान जैसे हालात को ही ले लीजिए। हालाँकि आम तौर पर यह सब होता था, लेकिन जब यहोवा की भविष्यवाणी के मुताबिक ऐसे हालात उठे तो ये खास हो गए। (1रा 17:1; 18:1, 2, 41-45 से तुलना करें।) इसके अलावा, जब बड़े पैमाने पर ऐसे हालात उठे या वे ज़बरदस्त हुए, तो भी वे खास हो गए। (निर्ग 9:24) और कभी-कभी जब ये हालात ऐसे समय पर उठे जब किसी ने सोचा भी नहीं था या इस तरह से उठे जिस तरह वे पहले कभी नहीं उठे थे, तब भी वे खास हो गए। (निर्ग 34:10; 1शम 12:16-18) इस तरह यहोवा ने दिखाया कि सारी सृष्टि उसके काबू में है और वह ही सच्चा परमेश्‍वर है।

प्र21.11 पेज 6 पै 16

यहोवा आपसे अटल प्यार करता है

16 यहोवा हमारा गढ़ है, यह बात जानने से हम सुरक्षित महसूस करते हैं। लेकिन कभी-कभार ऐसा हो सकता है कि हम बहुत मायूस हो जाएँ। ऐसे वक्‍त में यहोवा हमारी किस तरह मदद करता है? (भजन 136:23 पढ़िए।) वह हमें निराशा से निकालता है। वह अपने बाहों से हमें थामता है, प्यार से हमें उठाता है ताकि हम वापस अपने पैरों पर खड़े हो जाएँ। (भज. 28:9; 94:18) हम मदद के लिए हमेशा यहोवा पर भरोसा कर सकते हैं। यह जानकर हमें कैसा लगता है? हमें खुशी होती है कि (1) हम चाहे कहीं पर भी हों, यहोवा हमारी हिफाज़त करेगा और (2) वह हमसे बेहद प्यार करता है।

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इंसाइट-1 पेज 1248

याह

आम तौर पर यहोवा की दिल से तारीफ करने के लिए जो गीत गाए गए और जो प्रार्थनाएँ की गयीं, उनमें “याह” शब्द इस्तेमाल किया गया है। और देखा गया है कि जब यहोवा ने अपने लोगों को दुश्‍मनों से बचाया या उन्हें जीत दिलायी, तब लोगों ने खुशी मनाने के लिए ये गीत गाए या प्रार्थनाएँ कीं। यहोवा ने जिस तरह अपनी शक्‍ति का इस्तेमाल किया, उसके लिए कदर दिखाने के लिए भी “याह” शब्द का इस्तेमाल किया गया है। ‘यहोवा की तारीफ करो!’ (हल्लिलूयाह!) ये शब्द भजन की किताब में कई बार इस्तेमाल किए गए हैं। पहली बार इनका ज़िक्र भजन 104:35 में आता है।

बाइबल की दूसरी किताबों में भी ऐसे गीतों और प्रार्थनाओं में “याह” शब्द इस्तेमाल किया गया है, जिनमें यहोवा की तारीफ की गयी है। (निर्ग 15:2) यशायाह ने यहोवा के नाम पर दुगना ज़ोर देने के लिए “याह यहोवा” दोनों नामों का एक-साथ इस्तेमाल किया। (यश 12:2; 26:4) जब यहोवा ने चमत्कार करके हिजकियाह को ठीक कर दिया, तो हिजकियाह ने खुशी के मारे “याह” नाम दो बार दोहराया। (यश 38:9, 11) दूसरे भजनों में “याह” शब्द ऐसी प्रार्थनाओं में भी इस्तेमाल किया गया है जिनमें यहोवा को इस बात के लिए धन्यवाद दिया गया है कि वह हमें बचाता है, हमारी हिफाज़त करता है और हमें सुधारता है।​—भज 94:12; 118:5, 14.

20-26 जनवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 138-139

डर के मारे पीछे मत हटिए

प्र19.01 पेज 10-11 पै 10

मंडली में यहोवा की तारीफ कीजिए

10 क्या आपके साथ ऐसा होता है कि आप जवाब देना तो चाहते हैं, लेकिन जब मौका आता है, तो आपके हाथ-पैर फूल जाते हैं? अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। सच कहें तो हममें से ज़्यादातर लोग जवाब देने से घबराते हैं। लेकिन इस डर पर काबू पाने के लिए पहले आपको समझना होगा कि आपको किस वजह से डर लगता है। क्या इस वजह से कि आप जवाब भूल जाएँगे या गलत जवाब दे देंगे? क्या आपको यह चिंता सताती है कि आपका जवाब दूसरों जितना अच्छा नहीं होगा? देखा जाए तो ऐसी चिंता या डर होना अच्छी बात है। यह दिखाता है कि आप नम्र हैं और दूसरों को खुद से बेहतर समझते हैं। यहोवा नम्र लोगों को देखकर खुश होता है। (भज. 138:6; फिलि. 2:3) लेकिन वह यह भी चाहता है कि आप सभाओं में उसकी तारीफ करें और भाई-बहनों का हौसला बढ़ाएँ। (1 थिस्स. 5:11) वह आपसे बहुत प्यार करता है और आपको जवाब देने की हिम्मत देगा।

प्र23.04 पेज 21 पै 7

सभाओं में एक-दूसरे की हिम्मत बँधाएँ

7 आप प्रहरीदुर्ग के पुराने लेखों में दिए कुछ सुझावों पर गौर कर सकते हैं। जैसे एक सुझाव है, अच्छे-से तैयारी कीजिए। (नीति. 21:5) जितनी अच्छी तरह आप जानकारी से वाकिफ होंगे, आपके लिए जवाब देना उतना ही आसान होगा। एक और सुझाव है, छोटे जवाब दीजिए। (नीति. 10:19; 15:23) जितना छोटा आपका जवाब होगा, उतनी ही आपको कम चिंता होगी। अगर आप बड़ा जवाब देंगे, जिसमें बहुत सारे मुद्दे हों, तो भाई-बहनों के लिए समझना मुश्‍किल हो सकता है। वहीं अगर आपका जवाब छोटा होगा, शायद एक या दो वाक्यों का, तो भाई-बहन उसे आसानी से समझ पाएँगे। तो अपने शब्दों में छोटा-सा जवाब दीजिए। इससे पता चलेगा कि आपने अच्छे-से तैयारी की है और जानकारी को अच्छे-से समझा है।

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प्र03 3/1 पेज 31 पै 2

यहोवा “पूरी रीति से” माफ करता है

इसके अलावा, मसीहियों से यह माँग की जाती है कि भले ही कोई उनके खिलाफ बहुत बार अपराध करके उनके दिल को ठेस पहुँचाए, फिर भी उसे माफ कर देना चाहिए। (लूका 17:3, 4; इफिसियों 4:32; कुलुस्सियों 3:13) परमेश्‍वर सिर्फ उन लोगों को माफी देता है जो दूसरों को माफ करते हैं। (मत्ती 6:14, 15) हो सकता है कि किसी गंभीर पाप की वजह से एक “कुकर्मी” को मसीही कलीसिया से बहिष्कृत किया जाए, मगर कुछ समय बाद अगर वह सच्चे दिल से पश्‍चाताप करता है, तो उसे माफी दी जाती है। उस वक्‍त कलीसिया के सभी भाई-बहन उसे अपने प्यार का यकीन दिला सकते हैं। (1 कुरिन्थियों 5:13; 2 कुरिन्थियों 2:6-11) लेकिन मसीहियों से ऐसे लोगों को माफ करने की माँग नहीं की जाती है जो दूसरों का बुरा चाहते हैं, जानबूझकर पाप में लगे रहते हैं और जिन्हें अपने किए का कोई पछतावा नहीं होता। ऐसे लोग खुद को परमेश्‍वर के दुश्‍मन बना लेते हैं।​—इब्रानियों 10:26-31; भजन 139:21, 22.

27 जनवरी–2 फरवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 140-143

प्रार्थना के मुताबिक कदम उठाइए

प्र22.02 पेज 12-13 पै 13-14

“बुद्धिमान की बातों पर कान लगा”

13 हमें याद रखना चाहिए कि सलाह परमेश्‍वर के प्यार का सबूत है। यहोवा हमारी भलाई चाहता है। (नीति. 4:20-22) वह हमसे बहुत प्यार करता है। इसलिए वह बाइबल, प्रकाशनों और दूसरे भाई-बहनों के ज़रिए हमें सलाह देता है। वह “हमारे फायदे के लिए हमें सुधारता है।”​—इब्रा. 12:9, 10.

14 हमें सलाह पर ध्यान देना चाहिए, सलाह देने के तरीके पर नहीं। कई बार शायद हमें लगे कि हमें जिस तरीके से सलाह दी गयी, वह सही नहीं है। यह सच है कि जो व्यक्‍ति सलाह देता है, उसे इस तरह सलाह देनी चाहिए कि सामनेवाले को उसे मानने में आसानी हो। (गला. 6:1) लेकिन अगर हमें सलाह मिल रही है, तो हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हमें क्या बताया जा रहा है। हम खुद से पूछ सकते हैं, ‘भले ही मुझे सलाह देने का उसका तरीका अच्छा नहीं लगा, लेकिन क्या उसकी बात में सच्चाई है? क्या मैं उसकी खामियाँ नज़रअंदाज़ करके सलाह मान सकता हूँ?’ समझदारी इसी में होगी कि हम सलाह मानने की पूरी कोशिश करें।​—नीति. 15:31.

प्र10 3/15 पेज 32 पै 4

संकटों से भरे आज के दौर में “मन की शुद्धता” बनाए रखना

विरोधियों से आनेवाले दबाव, पैसे की तंगी और गंभीर बीमारी ने परमेश्‍वर के कुछ सेवकों को बहुत निराश कर दिया है। ऐसे हालात ने कभी-कभी उनके दिल पर भी बुरा असर किया है। यहाँ तक कि राजा दाविद के साथ भी ऐसा हुआ था। उसने कहा: “मेरी आत्मा भीतर से व्याकुल हो रही है मेरा मन विकल है।” (भज. 143:4) दाविद को ऐसी भावनाओं पर काबू पाने में किस बात ने मदद दी? दाविद इस बारे में सोचता रहा कि परमेश्‍वर ने अपने सेवकों के लिए कैसे भले काम किए और कैसे दाविद को भी मुसीबतों के भँवर से निकाला। दाविद ने इस बारे में मनन किया कि यहोवा ने अपने महान नाम को अपवित्र होने से बचाने के लिए क्या किया। इस तरह उसने परमेश्‍वर के कामों पर मन लगाया। (भज. 143:5) अगर हम भी अपने सिरजनहार के बारे में और उसने अब तक जो किया है और आज जो कर रहा है, उस पर मनन करेंगे तो हमें मुसीबतों के दौर में भी शुद्ध मन बनाए रखने में मदद मिलेगी।

प्र15 3/15 पेज 32 पै 2

“सिर्फ प्रभु में” शादी करना​—क्या वाकई इसमें अक्लमंदी है

कई बार शायद आप दाविद की तरह महसूस करें, जिसने कहा था: “हे यहोवा, फुर्ती करके मेरी सुन ले; क्योंकि मेरे प्राण निकलने ही पर हैं! मुझ से अपना मुंह न छिपा।” (भज. 143:5-7, 10) ऐसे में हिम्मत मत हारिए। सब्र रखिए और यहोवा को यह ज़ाहिर करने दीजिए कि वह आपके लिए क्या चाहता है। बाइबल पढ़कर और उस पर गहराई से मनन करके यहोवा की सुनिए। ऐसा करके आप जान पाएँगे कि यहोवा आपसे क्या उम्मीद करता है और कैसे उसने बीते ज़माने में अपने सेवकों की मदद की थी। यहोवा की सुनने से आपको उसकी आज्ञा मानते रहने का बढ़ावा मिलेगा।

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इंसाइट-2 पेज 1151

साँप का ज़हर

लाक्षणिक मतलब: बुरे लोगों की ज़बान की तुलना साँप की जीभ से की गयी है, क्योंकि वे जो झूठ बोलते हैं और दूसरों को बदनाम करने के लिए जो बातें कहते हैं, वे साँपों के ज़हर जैसी होती हैं। इस तरह की बुरी बातों से एक व्यक्‍ति का अच्छा नाम खराब होता है।​—भज 58:3, 4; 140:3; रोम 3:13; याकू 3:8.

3-9 फरवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 144-146

“सुखी हैं वे लोग जिनका परमेश्‍वर यहोवा है!”

प्र18.04 पेज 32 पै 2-3

आपने पूछा

1. इस भजन की आयतों पर गौर कीजिए। आयत 12 में शब्द “तब” का जिस तरह इस्तेमाल हुआ है, उससे यही समझ आता है कि आयत 12-14 में जिन आशीषों की बात की गयी हैं, वे नेक जन को मिलेंगी। दूसरे शब्दों में कहें तो यह वह इंसान है जो आयत 11 में बिनती करता है कि परमेश्‍वर उसे दुष्टों से “छुड़ाकर बचा ले।” यह बात आयत 15 से भी मेल खाती है, जहाँ दो बार शब्द “सुखी” आता है और दोनों ही बार यह उन लोगों पर लागू होता है “जिनका परमेश्‍वर यहोवा है!”

2. यह समझ बाइबल की दूसरी आयतों से मेल खाती है, जहाँ परमेश्‍वर वादा करता है कि वह अपने वफादार सेवकों को आशीषें देगा। भजन 144 से ज़ाहिर होता है कि दाविद को पक्की आशा थी कि परमेश्‍वर, इसराएल राष्ट्र को दुश्‍मनों से छुड़ाएगा और फिर अपने लोगों को आशीषें देगा। वे सुखी रहेंगे और खुशहाली का आनंद उठाएँगे। (लैव्य. 26:9, 10; व्यव. 7:13; भज. 128:1-6) मिसाल के लिए, व्यवस्थाविवरण 28:4 बताता है, “तुम्हारे बच्चों पर, तुम्हारी ज़मीन की उपज पर और तुम्हारे बछड़ों और मेम्नों पर परमेश्‍वर की आशीष बनी रहेगी।” दाविद के बेटे सुलैमान के राज में यह बात बिलकुल सच साबित हुई। पूरे देश में ऐसी शांति और खुशहाली थी जैसी पहले कभी नहीं देखी गयी! यही नहीं, सुलैमान का शासन इस बात की एक झलक थी कि मसीहा के राज में हालात कैसे होंगे।​—1 राजा 4:20, 21; भज. 72:1-20.

प्र22.10 पेज 28 पै 16-17

अपनी आशा पक्की करते रहिए!

16 यहोवा ने हमें कितनी बढ़िया आशा दी है कि हम हमेशा तक जी सकते हैं। हमें उस वक्‍त का बेसब्री से इंतज़ार है जब यह पूरी होगी और हमें यकीन है कि ऐसा ज़रूर होगा। हमारी आशा एक लंगर की तरह है और तूफान जैसी मुश्‍किलों में हमें सँभाले रहती है। आशा होने की वजह से हम हर ज़ुल्म सह पाते हैं और यहोवा के वफादार रह पाते हैं, फिर चाहे हमारी जान पर ही क्यों ना बन आए। हमारी आशा एक टोप की तरह भी है और हमारी सोच की हिफाज़त करती है। इससे हम गलत बातों के बारे में सोचने के बजाय अच्छी बातों पर अपना ध्यान लगा पाते हैं। अपनी आशा की वजह से हम यहोवा के और करीब आ पाते हैं और हमें यकीन हो जाता है कि वह हमसे बहुत प्यार करता है। सच में, अपनी आशा को और पक्का करने से हमें कितने फायदे होते हैं।

17 पौलुस ने रोम में रहनेवाले मसीहियों से कहा, “अपनी आशा की वजह से खुशी मनाओ।” (रोमि. 12:12) पौलुस खुश था क्योंकि वह जानता था कि अगर वह वफादार रहेगा, तो उसे स्वर्ग में हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी। हम भी अपनी आशा की वजह से खुशी मना सकते हैं, क्योंकि हमें यकीन है कि यहोवा अपने वादे ज़रूर पूरे करेगा। भजन के एक लेखक ने भी कहा था, ‘सुखी है वह जो अपने परमेश्‍वर यहोवा पर आशा रखता है। उस परमेश्‍वर पर जो हमेशा विश्‍वासयोग्य रहता है।’​—भज. 146:5, 6.

प्र18.01 पेज 26 पै 19-20

किस तरह का प्यार सच्ची खुशी देता है?

19 शैतान की दुनिया में लोगों ने करीब 6,000 सालों से दुख-तकलीफों के सिवा कुछ नहीं देखा। आज जहाँ देखो वहाँ ऐसे लोग हैं जो खुद से, पैसों से और मौज-मस्ती से प्यार करते हैं। वे हमेशा यही सोचते हैं कि उन्हें दूसरों से क्या फायदा हो सकता है और अपनी इच्छाएँ पूरी करना ही उनकी ज़िंदगी का मकसद बन गया है। लेकिन ऐसे लोग सच्ची खुशी कभी नहीं पा सकते! बाइबल बताती है कि सच्ची खुशी या सुख कैसे मिलता है। इसमें लिखा है, “सुखी है वह जिसका मददगार याकूब का परमेश्‍वर है, जो अपने परमेश्‍वर यहोवा पर आशा रखता है।”​—भज. 146:5.

20 यहोवा के सेवक सचमुच उससे प्यार करते हैं और हर साल ऐसे लोगों की गिनती बढ़ती जा रही है जो उसके बारे में सीखते हैं और उससे प्यार करने लगते हैं। यह इस बात का सबूत है कि परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है और बहुत जल्द वह ऐसी आशीषें लाएगा जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। जब हम यहोवा की मरज़ी पर चलते हैं, तो हम उसे खुश करते हैं और यह बात हमें सच्ची खुशी देती है। यहोवा से प्यार करनेवाले हमेशा तक खुश रहेंगे! अगले लेख में हम देखेंगे कि जिन लोगों में गलत किस्म का प्यार है, उनमें कौन-से बुरे गुण आ जाते हैं। फिर हम चर्चा करेंगे कि इन बुरे गुणों और यहोवा के सेवकों में पाए जानेवाले अच्छे गुणों में क्या फर्क है।

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इंसाइट-1 पेज 111 पै 9

जानवर

बाइबल में बढ़ावा दिया गया है कि हम जानवरों पर क्रूरता ना करें बल्कि उनकी देखभाल करें। यहोवा प्यार से जानवरों को दाना-पानी देता है और उनका खयाल रखता है। (नीत 12:10; भज 145:15, 16) उसने जब इसराएलियों को मूसा का कानून दिया, तो उसमें यह भी लिखा था कि उन्हें अपने पालतू जानवरों का अच्छा खयाल रखना चाहिए। (निर्ग 23:4, 5; व्य 22:10; 25:4) इसके अलावा, सब्त के दिन उन्हें जानवरों को भी आराम करने देना था।​—निर्ग 20:10; 23:12; व्य 5:14.

10-16 फरवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना भजन 147-150

याह की तारीफ करने की कई वजहें

प्र17.07 पेज 18 पै 5-6

“याह की तारीफ” क्यों करें?

5 यहोवा ने न सिर्फ इसराएल राष्ट्र को बल्कि हरेक इसराएली को भी दिलासा दिया। यहोवा आज भी अपने सेवकों के साथ ऐसा करता है। भजन के लिखनेवाले ने कहा कि परमेश्‍वर “टूटे मनवालों को चंगा करता है, उनके घावों पर पट्टी बाँधता है।” (भज. 147:3) जब हम बीमार या मायूस होते हैं तो हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा को हमारी परवाह है। यहोवा हमें दिलासा देने और हमारे दिल पर लगे ज़ख्मों पर मरहम लगाने के लिए तैयार रहता है। (भज. 34:18; यशा. 57:15) वह हमें हर मुश्‍किल का सामना करने के लिए बुद्धि और हिम्मत देता है।​—याकू. 1:5.

6 इसके बाद, भजन के लेखक ने आसमान की तरफ देखकर कहा कि यहोवा “तारों की गिनती करता है, उनमें से हरेक को नाम से पुकारता है।” (भज. 147:4) लेखक तारों को तो निहार सकता था लेकिन उसे पता नहीं था कि असल में इनकी गिनती कितनी है। वैज्ञानिक बताते हैं कि सिर्फ हमारी मंदाकिनी की बात लें तो इसमें अरबों तारे हैं। पर कहा जाता है कि विश्‍व-मंडल में अरबों-खरबों मंदाकिनियाँ हैं! इतने तारों को गिनना इंसान के बस में नहीं, लेकिन इन्हें बनानेवाला ज़रूर ऐसा कर सकता है! दरअसल वह हर तारे को अच्छी तरह जानता है और उसने हरेक को नाम भी दिया है। (1 कुरिं. 15:41) अगर परमेश्‍वर जानता है कि हरेक तारा किस जगह पर है, तो क्या उसे आपके बारे में नहीं पता होगा कि आप कहाँ पर हैं, कैसा महसूस कर रहे हैं और आपको किस चीज़ की ज़रूरत है?

प्र17.07 पेज 18 पै 7

“याह की तारीफ” क्यों करें?

7 यहोवा अच्छी तरह जानता है कि आप पर क्या बीत रही है और वह उस मुश्‍किल से निकलने में आपकी मदद कर सकता है। (भजन 147:5 पढ़िए।) कभी-कभी शायद आपको लगे, “मैं अपने हालात से नहीं लड़ सकता, यह मेरे बस के बाहर है।” पर यकीन रखिए कि यहोवा हमारी सीमाएँ जानता है, उसे पता है कि “हम मिट्टी ही हैं।” (भज. 103:14) अपरिपूर्ण होने की वजह से हो सकता है कि हम एक ही गलती बार-बार करें। बाद में हमें अफसोस हो और हम मन-ही-मन कहें, “काश! मैंने वह बात न कही होती” या “काश! मेरे मन में वह गलत सोच या जलन की भावना न आयी होती।” यहोवा हमारी तरह अपरिपूर्ण नहीं, लेकिन वह हमारी भावनाएँ अच्छी तरह समझता है।​—यशा. 40:28.

प्र17.07 पेज 21 पै 18

“याह की तारीफ” क्यों करें?

18 भजन का लेखक जानता था कि यहोवा ने धरती के सब राष्ट्रों में से इसराएल राष्ट्र को अपने लोग होने के लिए चुना था। वही अकेला ऐसा राष्ट्र था जिसे परमेश्‍वर ने अपना “वचन” और “नियम” दिए थे। (भजन 147:19, 20 पढ़िए।) आज हमारे लिए यह बड़े सम्मान की बात है कि हम परमेश्‍वर के नाम से जाने जाते हैं। हम कितने एहसानमंद हैं कि हम यहोवा को जानते हैं और हमारे पास उसका वचन है जो हमारा मार्गदर्शन करता है। यही नहीं, हमें इस बात की भी खुशी है कि हम उसके साथ एक करीबी रिश्‍ता रख सकते हैं। भजन 147 के लेखक की तरह क्या आपके पास “याह की तारीफ” करने की ढेरों वजह नहीं हैं? क्या आप दूसरों को उसकी तारीफ करने का बढ़ावा देंगे?

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इंसाइट-1 पेज 316

चिड़ियाँ, पंछी

किस मायने में चिड़ियाँ यहोवा की तारीफ करती हैं? (भज 148:1, 10) चिड़ियों की बनावट बहुत जटिल है। उनके पंख अलग-अलग जोड़ से बने हैं, जिनकी रचना बहुत बारीक और पेचीदा है। उनकी हड्डियाँ खोखली हैं, जिस वजह से वे बहुत हलकी हैं और जैसे चाहे उड़ सकती हैं, वह भी बिना ज़्यादा ताकत लगाए। इसलिए वे नए ज़माने के हवाई-जहाज़ों को भी पीछे छोड़ देती हैं। चिड़ियों की लाजवाब बनावट से हम समझ पाते हैं कि इन्हें बनानेवाला, यहोवा परमेश्‍वर कितना महान है और हम उसकी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाते।

17-23 फरवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना नीतिवचन 1

नौजवानो, आप किसकी सुनेंगे?

प्र17.11 पेज 29 पै 16-17

कोई भी बात आपको इनाम से दूर न कर दे

16 हो सकता है, आप एक नौजवान हों और आपको लगे कि आपके माता-पिता आपको नहीं समझते या आपके साथ कुछ ज़्यादा ही सख्ती बरतते हैं। यह बात शायद आपको इतना गुस्सा दिलाए कि आप यह सोचने लगें कि यहोवा की सेवा करने का क्या फायदा। लेकिन अगर आप यहोवा को छोड़ दें, तो इस दुनिया में कोई आपको उतना प्यार नहीं करेगा जितना आपके माता-पिता और मंडली के भाई-बहन आपसे करते हैं।

17 इस बारे में सोचिए: अगर आपके माता-पिता आपको समझाएँगे और सुधारेंगे नहीं, तो आप कैसे जान पाएँगे कि उन्हें आपकी फिक्र है? (इब्रा. 12:8) माना कि वे परिपूर्ण नहीं और समझाने-सुधारने का उनका तरीका शायद आपको अच्छा न लगे। लेकिन उनके तरीके पर ध्यान मत दीजिए। इसके बजाय, यह समझने की कोशिश कीजिए कि वे जो कहते और करते हैं, उसके पीछे क्या वजह है। शांत रहिए और गुस्से से मत भड़किए। बाइबल बताती है, “जिसमें सच्चा ज्ञान होता है, वह सँभलकर बोलता है, जिसमें समझ होती है, वह शांत रहता है।” (नीति. 17:27) एक प्रौढ़ इंसान की तरह पेश आइए जो सलाह मिलने पर उसे कबूल करता है और उससे सीखता है, फिर चाहे वह सलाह किसी भी अंदाज़ में दी गयी हो। (नीति. 1:8) हमेशा याद रखिए, परमेश्‍वर से प्यार करनेवाले माता-पिता सचमुच एक आशीष हैं। वे चाहते हैं कि आप हमेशा-हमेशा तक जीएँ और खुश रहें।

प्र05 2/15 पेज 19-20 पै 11-12

अपनी मसीही पहचान की रक्षा करना

11 इंसान को नहीं, परमेश्‍वर को खुश करने की कोशिश में रहिए। यह कोई नयी बात नहीं कि लोग कुछ हद तक अपनी पहचान कायम करने के लिए किसी समूह के साथ खुद को जोड़ लेते हैं। हर किसी को दोस्तों की ज़रूरत होती है, और जब लोग हमें पसंद करते हैं तो हमें अच्छा लगता है। लड़कपन में और बड़े होने के बाद भी, साथियों का हम पर ज़बरदस्त दबाव हो सकता है और इस वजह से हम हर हाल में उनके जैसा बनने या उन्हें खुश करने की कोशिश करते हैं। मगर हमारे दोस्त और साथी हमेशा हमारी भलाई नहीं सोचते। कभी-कभी उन्हें कोई गलत काम करने के लिए बस किसी का साथ चाहिए होता है। (नीतिवचन 1:11-19) जब एक मसीही साथियों के दबाव में आकर कोई गलत काम कर बैठता है, तो वह अकसर अपनी पहचान छिपाने की कोशिश करता है। (भजन 26:4) प्रेरित पौलुस ने खबरदार किया: “अपनी चारों तरफ की दुनिया के चालचलन के मुताबिक खुद को न ढालो।” (रोमियों 12:2, द जॆरूसलेम बाइबल) यहोवा हमें अंदरूनी ताकत देता है ताकि हम दुनिया की सी चाल चलने के बाहर से आनेवाले दबाव का सामना कर सकें।​—इब्रानियों 13:6.

12 जब बाहर से आनेवाले दबाव की वजह से मसीही होने के हमारे एहसास के मिटने का खतरा हो, तब यह याद रखना अच्छा होगा कि हमारे लिए परमेश्‍वर का वफादार रहना ज़्यादा ज़रूरी है बजाय इसके कि लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे या ज़्यादातर लोग ऐसी हालत में क्या करेंगे। निर्गमन 23:2 (NHT) के सिद्धांत से हमारी हिफाज़त होगी: “तू बुराई करने के लिए भीड़ के पीछे न हो लेना।” जब ज़्यादातर इस्राएलियों को यकीन नहीं हो रहा था कि यहोवा अपने वादे पूरे करने की काबिलीयत रखता है, तब कालेब ने भीड़ का साथ देने से साफ इनकार कर दिया। उसे पूरा यकीन था कि परमेश्‍वर के वादों पर आँख मूँदकर विश्‍वास किया जा सकता है और इस अटल फैसले की वजह से उसे बेहिसाब आशीषें मिलीं। (गिनती 13:30; यहोशू 14:6-11) क्या आप भी परमेश्‍वर के साथ अपने रिश्‍ते की हिफाज़त करने के लिए, कालेब की तरह ज़माने से लड़ने को तैयार हैं?

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इंसाइट-1 पेज 846

मूर्ख

बाइबल में हमेशा “मूर्ख” का मतलब ऐसा इंसान नहीं है, जिसमें कोई अक्ल नहीं। आम तौर पर यह शब्द ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल किया गया है, जो समझ से काम नहीं लेते और यहोवा के स्तरों के मुताबिक ज़िंदगी नहीं जीते। बाइबल में ऐसे लोगों के लिए अलग-अलग इब्रानी और यूनानी शब्द इस्तेमाल किए गए हैं।​—नीत 1:22; 12:15; 17:7; 13:1; लूक 12:20; गल 3:1; मत 23:17; 25:2.

24 फरवरी–2 मार्च

पाएँ बाइबल का खज़ाना नीतिवचन 2

हमें क्यों मन लगाकर निजी अध्ययन करना चाहिए?

प्र22.08 पेज 19 पै 16

सच्चाई की राह पर चलते रहिए

16 शायद हममें से हर किसी को पढ़ना या अध्ययन करना पसंद ना हो। लेकिन यहोवा चाहता है कि हम बाइबल की सच्चाइयों को ‘ढूँढ़ते रहें,’ उन्हें ‘खोजते रहें’ ताकि उन्हें और अच्छी तरह समझ सकें। (नीतिवचन 2:4-6 पढ़िए।) ऐसा करने से हमें बहुत फायदा होगा। कोरी नाम का एक भाई बताता है कि बाइबल पढ़ते वक्‍त वह एक-एक करके हर आयत को समझने की कोशिश करता है। वह कहता है, ‘पहले मैं आयत का हर एक फुटनोट पढ़ता हूँ। फिर उससे जुड़ी दूसरी आयतें देखता हूँ और अगर उस आयत के बारे में किसी प्रकाशन में समझाया गया है, तो उसे भी पढ़ता हूँ। इस तरह मैं बहुत-सी नयी बातें सीख पाता हूँ!’ हम चाहे किसी भी तरीके से अध्ययन करते हों, जब हम अध्ययन करने के लिए समय निकालते हैं और मेहनत करते हैं, तो इससे पता चलता है कि हमें सच्चाई से कितना प्यार है।​—भज. 1:1-3.

प्र22.10 पेज 19 पै 3-4

सच्ची बुद्धि पुकार रही है!

3 हम एक ऐसे व्यक्‍ति को बुद्धिमान कहते हैं जो समझ से काम लेता है और अच्छे फैसले करता है। लेकिन जहाँ तक सच्ची बुद्धि की बात है, इस बारे में बाइबल में लिखा है, “यहोवा का डर मानना बुद्धि की शुरूआत है, परम-पवित्र परमेश्‍वर के बारे में जानना, समझ हासिल करना है।” (नीति. 9:10) तो जब कभी हमें कोई ज़रूरी फैसला लेना हो, हमें यहोवा की सोच जानने की कोशिश करनी चाहिए। हम उसकी सोच कैसे जान सकते हैं? बाइबल और बाइबल पर आधारित प्रकाशन पढ़कर। और एक बार हम यहोवा की सोच जान लें, तो हम उसी हिसाब से फैसले लेंगे। इससे पता चलेगा कि हममें सच्ची बुद्धि है।​—नीति. 2:5-7.

4 सच्ची बुद्धि हमें यहोवा से ही मिल सकती है। (रोमि. 16:27) हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? इसकी तीन वजहों पर ध्यान दीजिए। पहली, उसी ने सबकुछ बनाया है और वह अपनी बनायी सृष्टि के बारे में सबकुछ जानता है। (भज. 104:24) दूसरी, वह जो भी करता है, उससे पता चलता है कि वह कितना बुद्धिमान है। (रोमि. 11:33) और तीसरी, यहोवा की सलाह मानने से हमेशा फायदा होता है। (नीति. 2:10-12) जब हम इन बातों के बारे में सोचेंगे, तो हमें यकीन हो जाएगा कि यहोवा ही सच्ची बुद्धि दे सकता है। फिर कोई भी काम करने से पहले या कोई भी फैसला लेने से पहले हम यहोवा की सोच जानने की कोशिश करेंगे।

प्र16.09 पेज 23-24 पै 2-3

नौजवानो, अपना विश्‍वास मज़बूत कीजिए

2 आज कई लोग यह नहीं मानते कि परमेश्‍वर ने हमें बनाया है। अगर आप यहोवा की सेवा करनेवाले एक जवान हैं या उसके बारे में सीख रहे हैं, तो शायद आप पर भी यह दबाव आए कि आप परमेश्‍वर के बजाय विकासवाद को मानें। ऐसे में आपको अपना विश्‍वास मज़बूत करने की ज़रूरत है। इसका एक तरीका है, अपनी “सोचने-परखने की शक्‍ति” का इस्तेमाल करना जो ‘आप पर नज़र रखेगी।’ (एन.डब्ल्यू.) सोचने-परखने की शक्‍ति का इस्तेमाल करने का मतलब है, आप जो सुनते या पढ़ते हैं उसके बारे में गहराई से सोचना और खुद को यकीन दिलाना। तब आप झूठी शिक्षाओं को ठुकरा पाएँगे और यहोवा पर अपना विश्‍वास मज़बूत कर पाएँगे।​—नीतिवचन 2:10-12 पढ़िए।

3 यहोवा पर अपना भरोसा बढ़ाने के लिए ज़रूरी है कि हम उसे अच्छी तरह जानें। (1 तीमु. 2:4) इसलिए जब आप बाइबल और हमारी किताबों-पत्रिकाओं से कुछ पढ़ते हैं तो थोड़ा रुककर उनके बारे में सोचिए। उन्हें समझने की कोशिश कीजिए। (मत्ती 13:23) इस लेख में बताया जाएगा कि अगर आप इस तरह से अध्ययन करेंगे, तो आपको इस बात के ढेरों सबूत मिलेंगे कि यहोवा हमारा सृष्टिकर्ता है और बाइबल उसी की तरफ से है।​—इब्रा. 11:1.

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इंसाइट-1 पेज 1211 पै 4

निर्दोष, निर्दोष चालचलन

अगर हम निर्दोष बने रहना चाहते हैं, यानी पूरे दिल से यहोवा से प्यार करना और उसकी भक्‍ति करना चाहते हैं, तो ज़रूरी है कि हम उस पर पूरा विश्‍वास करें, उस पर भरोसा रखें और यकीन करें कि वह हमें बचा सकता है। (भज 25:21) यहोवा वादा करता है कि वह निर्दोष चाल चलनेवालों के लिए एक “ढाल” और “मज़बूत गढ़” होगा। (नीत 2:6-8; 10:29; भज 41:12) जब निर्दोष चाल चलनेवाले यहोवा की मंज़ूरी पाने की कोशिश करते हैं, यानी उसकी मरज़ी के मुताबिक जीते हैं, तो वे सही राह पर बने रहते हैं। (भज 26:1-3; नीत 11:5; 28:18) और भले ही वे कई मुश्‍किलों का सामना करें या उनकी मौत हो जाए, फिर भी यहोवा नहीं भूलता कि उन्होंने कैसे अपनी पूरी ज़िंदगी बितायी है। और वह उन्हें आशीषें देने का भी वादा करता है।​—अय 9:20-22; भज 37:18, 19, 37; 84:11; नीत 28:10.

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