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  • चरवाहों ने प्यार से सिखाया

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  • चरवाहों ने प्यार से सिखाया
  • 2017 यहोवा के साक्षियों की सालाना किताब
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  • सभाओं से उन्होंने प्रचार का हुनर बढ़ाना सीखा
  • ज़्यादा प्रकाशनों की ज़रूरत
  • एक नया मोड़
  • अनुवाद काम को संगठित करना सिखाया गया
  • अशांति के माहौल में भी प्रकाशन पहुँचाए गए
  • सही समय पर हौसला बढ़ाया गया
  • प्यार-भरे इंतज़ामों से बढ़ोतरी हुई
2017 यहोवा के साक्षियों की सालाना किताब
yb17 पेज 118-127

जॉर्जिया | 1991-1997

चरवाहों ने प्यार से सिखाया

सन्‌ 1990 के बाद के कुछ सालों में जोनी शालाम्बेरीद्‌ज़े और तामाज़ी बीब्लाइया

सन्‌ 1990 के बाद के कुछ सालों में जोनी शालाम्बेरीद्‌ज़े और तामाज़ी बीब्लाइया

सन्‌ 1990 के बाद के कुछ सालों के दौरान जॉर्जिया की ज़्यादातर मंडलियों में एक ही प्राचीन या सहायक सेवक होता था। आम तौर पर एक मंडली कई समूहों से मिलकर बनी होती थी जो सभाओं के लिए अलग-अलग जगहों में इकट्ठा होते थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि प्रचारक दूर-दूर तक फैले कई कसबों और गाँवों में रहते थे।

जोनी शालाम्बेरीद्‌ज़े और पावले आब्दुशेलीश्‍वीली दूर-दराज़ के इलाकों में सेवा कर चुके थे। इसलिए उन्हें काखेती प्रांत के तेलावी शहर में मदद करने के लिए भेजा गया। वहाँ की मंडली में 300 प्रचारक थे, मगर एक भी प्राचीन नहीं था। उस मंडली में 13 समूह थे जो अलग-अलग जगहों में मिलते थे।

पावले आब्दुशेलीश्‍वीली

पावले आब्दुशेलीश्‍वीली

जोनी और पावले ने उस शहर में जाते ही गौर किया कि क्या बात वहाँ के भाइयों को तरक्की करने से रोक रही थी। जोनी समझाता है, “कई भाइयों के बड़े-बड़े खेत और अंगूरों के बाग थे। उन देहाती इलाकों में यह रिवाज़ था कि पड़ोसी एक-दूसरे को खेती के काम में मदद देते थे। इस वजह से हमारे भाई दुनिया के लोगों के साथ कुछ ज़्यादा ही वक्‍त बिता रहे थे।”—1 कुरिं. 15:33.

जोनी और पावले ने भाइयों को सुझाव दिया कि वे कटाई के काम के लिए मसीही भाइयों से ही मदद माँगें। तब वे खेती-बाड़ी करने के साथ-साथ अच्छी संगति का फायदा उठा पाते। (सभो. 4:9, 10) जोनी बताता है, “इसके बाद मंडली में भाइयों के बीच प्यार का बंधन मज़बूत हो गया।” जब जोनी और पावले ने तीन साल बाद काखेती छोड़ा तब तक वहाँ 5 प्राचीन और 12 सहायक सेवक थे।

सभाओं से उन्होंने प्रचार का हुनर बढ़ाना सीखा

सन्‌ 1990 के बाद के कुछ सालों तक हमारे काम पर कुछ पाबंदियाँ लगी थीं। इसलिए साक्षी छोटे-छोटे समूहों में मिलते थे और वह भी सिर्फ मंडली पुस्तक अध्ययन और प्रहरीदुर्ग अध्ययन के लिए। हालाँकि इन सभाओं से उन्हें बहुत हौसला मिला, मगर इनका मकसद प्रचार का हुनर सिखाना नहीं था।

जब कम्यूनिस्ट राज खत्म हुआ तो हालात बेहतर हो गए। अब यहोवा के संगठन ने मंडलियों को निर्देश दिया कि वे हफ्ते के बीच होनेवाली सभाओं में परमेश्‍वर की सेवा स्कूल और सेवा सभा भी रखें।

नायीली खुत्सीश्‍वीली और उसकी बहन लाली आलेक्पेरोवा के पास उन सभाओं की मीठी यादें हैं। लाली कहती है, “वह बड़ा ही रोमांचक समय था। सबको यह जानकर खुशी हुई कि अब बहनें भी कार्यक्रम में हिस्सा ले सकती हैं।”

नायीली बताती है, “एक प्रदर्शन में दिखाया गया कि एक औरत स्टेज पर बैठी अखबार पढ़ रही है। फिर वह सुनती है कि कोई दरवाज़ा खटखटा रहा है। जब वह अंदर आने के लिए कहती है तो दो बहनें सामनेवाले दरवाज़े से अंदर आती हैं और चलकर स्टेज पर जाती हैं।” लाली बताती है, “कभी-कभी सभाएँ थोड़ी अजीब-सी होती थीं, मगर उनसे हमने प्रचार का हुनर बढ़ाना सीखा।”

ज़्यादा प्रकाशनों की ज़रूरत

कई साल तक कुछ भाई कॉपियाँ बनानेवाली मशीनों से, जो हाथ से चलायी जाती थीं, बाइबल के प्रकाशन छापते थे। जब ज़्यादा प्रकाशनों की ज़रूरत पड़ी तो भाई छपाई करनेवाली कंपनियों के पास गए जो सही दाम पर हमारे प्रकाशन छापने के लिए तैयार थीं।

एक भाई अखबार से अक्षर काट रहा है

जॉर्जियाई भाषा में पत्रिकाओं के नमूने तैयार करने के लिए भाई अखबारों से अक्षर काटकर अँग्रेज़ी पत्रिका के पहले पन्‍ने पर चिपकाते थे

हमारे भाई छपाई के लिए प्रकाशन का नमूना बहुत बढ़िया तरीके से तैयार करते थे। वे जॉर्जियाई भाषा में अनुवाद की गयी जानकारी को अच्छी तरह टाइप करते थे ताकि वह अँग्रेज़ी पत्रिका जैसे दिखे। फिर वे अँग्रेज़ी पत्रिका से तसवीरें काटते और टाइप किए गए कागज़ पर उन्हें चिपकाते थे। आखिर में वे अखबारों से सुंदर अक्षर काटकर उन्हें अँग्रेज़ी पत्रिका के पहले पन्‍ने पर चिपकाते थे। इस तरह छपाईखाने में देने के लिए वे पत्रिका का एक नमूना तैयार करते थे।

जॉर्जियाई भाषा में शुरू की कुछ पत्रिकाएँ जो जॉर्जिया में छापी गयी थीं

जॉर्जियाई भाषा में शुरू की कुछ पत्रिकाएँ जो जॉर्जिया में छापी गयी थीं

जब कंप्यूटर उपलब्ध हो गए तो लेवानी कोपालीयानी और लेरी मीरज़ाश्‍वीली नाम के दो जवान भाइयों ने कंप्यूटर कोर्स किया ताकि वे उनका इस्तेमाल करना अच्छी तरह सीखें। लेरी कहता है, “हमें कोई तजुरबा नहीं था और कभी-कभी काम ठीक से नहीं होता था। मगर यहोवा की मदद से हम बहुत जल्द कंप्यूटर पर अपनी पत्रिकाओं को छपाई के लिए तैयार करने लगे।”

कई मुश्‍किलों के बावजूद जॉर्जिया में रंगीन तसवीरोंवाली पत्रिकाएँ छापी जाने लगीं और देश-भर की मंडलियों में पहुँचायी गयीं। मगर कुछ समय बाद प्रकाशनों की माँग इतनी बढ़ गयी कि उसे पूरा करना मुश्‍किल हो गया। फिर सही वक्‍त पर यहोवा के संगठन ने जॉर्जिया के भाइयों को इस बारे में प्यार से निर्देश दिया।

एक नया मोड़

सन्‌ 1992 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग शहर में एक अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ। वहाँ जॉर्जिया के भाइयों को जर्मनी के शाखा दफ्तर के प्रतिनिधियों से मिलने का मौका मिला। गेनादी गुदाद्‌ज़े बताता है, “उन्होंने हमें समझाया कि अनुवाद का काम कैसे किया जाता है। उन्होंने बताया कि कुछ समय बाद हमारे पास कोई आएगा और हमें अनुवाद करना सिखाएगा।”

जॉर्जियाई भाषा में बाइबल के प्रकाशन छापना इतना आसान नहीं था। इस भाषा की लिपि बिलकुल अनोखी है और तब तक संगठन के मल्टीलैंग्वेज इलेक्ट्रॉनिक पब्लिशिंग सिस्टम (मेप्स) में जॉर्जियाई भाषा के अक्षर नहीं थे। इसलिए जॉर्जियाई भाषा में प्रकाशन छापने के लिए नए फॉन्ट तैयार करने की ज़रूरत थी।

सन्‌ 1980 के कुछ साल पहले जॉर्जिया में रहनेवाला दातीकाश्‍वीली परिवार अमरीका जाकर बस गया था। उस परिवार की एक लड़की मारीना ने बाद में सच्चाई सीखी। ब्रुकलिन बेथेल के भाइयों ने मारीना की मदद से एक-एक करके जॉर्जियाई भाषा के सारे अक्षर तैयार किए ताकि उन्हें मेप्स में डाल सकें। कुछ ही समय बाद जर्मनी में जॉर्जियाई भाषा में “देख! मैं सब कुछ नया कर देता हूँ” ब्रोशर और कुछ ट्रैक्ट छापे गए।

अनुवाद काम को संगठित करना सिखाया गया

सन्‌ 1993 में माइकल फ्लेकनश्‍टाइन और उसकी पत्नी सिलवीया जर्मनी से तिब्लिसी आए ताकि वहाँ एक अनुवाद दफ्तर खोलने में मदद दें। माइकल कहता है, “मैंने सोचा था कि यहाँ के भाई अनुवाद के बारे में उतना ही जानते हैं जितना हमने सेंट पीटर्सबर्ग में उन्हें बताया था। मगर उस मुलाकात के 18 महीनों बाद जब हम तिब्लिसी आए तो यह देखकर हैरान रह गए कि वहाँ अनुवाद का एक दल बहुत अच्छी तरह काम कर रहा है!”

सन्‌ 1993 में तिब्लिसी के अनुवाद दफ्तर में लेरी मीरज़ाश्‍वीली, पाआता मोर्बेदाद्‌ज़े और लेवानी कोपालीयानी काम कर रहे हैं

सन्‌ 1993 में तिब्लिसी के अनुवाद दफ्तर में लेरी मीरज़ाश्‍वीली, पाआता मोर्बेदाद्‌ज़े और लेवानी कोपालीयानी काम कर रहे हैं

कुछ ही महीनों के अंदर, पूरे समय अनुवाद करनेवाले 11 जन एक छोटे-से अपार्टमेंट में बनाए गए दफ्तर में काम करने लगे। यहोवा के संगठन से मिले बढ़िया प्रशिक्षण की वजह से मंडलियों को नियमित तौर पर प्रकाशन मिलने लगे।

अशांति के माहौल में भी प्रकाशन पहुँचाए गए

सोवियत संघ के बिखरने के बाद कई इलाकों में, जो अब तक गणराज्य नहीं बने थे, दंगे-फसाद और जाति-भेद को लेकर लड़ाइयाँ होने लगीं। जॉर्जिया का भी यही हाल था। इसलिए इन इलाकों में सफर करना जोखिम भरा था, खासकर सरहदें पार करना।

भाई ज़ाज़ा जीकुराश्‍वीली और आलेको ग्वरीतीश्‍वीली और उनकी पत्नियाँ

भाई ज़ाज़ा जीकुराश्‍वीली और आलेको ग्वरीतीश्‍वीली (अपनी-अपनी पत्नी के साथ) मुश्‍किल सालों के दौरान प्रकाशन पहुँचाते थे

नवंबर 1994 में एक दिन जब आलेको ग्वरीतीश्‍वीली दो और भाइयों के साथ सरहद पार कर रहा था तो हथियारबंद आदमियों की एक टोली ने उन्हें रोक लिया और गाड़ी से बाहर आने को कहा। आलेको बताता है, “जब उन्होंने हमारे बाइबल के प्रकाशन देखे तो बहुत गुस्सा हो गए। उन्होंने हमें ऐसे खड़ा कर दिया मानो हमें मार डालेंगे। हमने यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना की। करीब दो घंटे बाद उनमें से एक ने हमसे कहा, ‘अपनी किताबें लो और निकलो यहाँ से। अगर तुम वापस आए तो हम तुम्हारी गाड़ी जला देंगे और तुम्हें भी खत्म कर देंगे।’”

हमारे भाई ऐसे खतरों के बावजूद मंडलियों तक प्रकाशन पहुँचाते रहे। भाई ज़ाज़ा जीकुराश्‍वीली, जिसने जॉर्जिया तक प्रकाशन पहुँचाने के लिए बहुत-से त्याग किए थे, बताता है: “हम जानते थे कि हमारे भाइयों को किताबों-पत्रिकाओं की सख्त ज़रूरत है। हमारी प्यारी पत्नियों ने इस काम में हमारा बहुत साथ दिया।”

आलेको बताता है, “हमारी किताबें पहुँचानेवाले ज़्यादातर भाई बाल-बच्चोंवाले थे।” खतरों के बावजूद वे क्यों यह काम करते रहे? आलेको बताता है, “इसकी खास वजह यह थी कि हम यहोवा के बहुत एहसानमंद थे और उससे प्यार करते थे। साथ ही, हम यहोवा की तरह अपने प्यारे भाई-बहनों की मदद करना चाहते थे।”

ऐसे भाइयों की त्याग की भावना की वजह से उन मुश्‍किल सालों के दौरान प्रकाशन पहुँचाने का काम कभी नहीं रुका। बाद में भाइयों ने जॉर्जिया से जर्मनी आने-जाने के लिए ऐसे रास्ते ढूँढ़ निकाले जो काफी सुरक्षित थे।

सही समय पर हौसला बढ़ाया गया

सन्‌ 1995 में जब राजनैतिक उथल-पुथल थम गयी तो साक्षियों ने पहला ज़िला अधिवेशन रखने का इंतज़ाम किया। सन्‌ 1996 की गरमियों में तीन जगहों में अधिवेशन रखा गया: गोरी, मारनेउली और तस्नोरी में। पूरे जॉर्जिया से करीब 6,000 भाई-बहन इन अधिवेशनों में हाज़िर हुए।

सन्‌ 1996 में गोरी के पास यहोवा के साक्षी ज़िला अधिवेशन में हाज़िर हैं

सन्‌ 1996 में गोरी के पास साक्षी अधिवेशन में हाज़िर हैं

जो लोग गोरी के अधिवेशन में हाज़िर हुए उनके लिए वह खास तौर से यादगार अधिवेशन था। एक वक्‍त था जब वहाँ के भाइयों को यकीन नहीं था कि स्मारक के लिए वहाँ का बड़ा हॉल भर जाएगा। मगर अब वे उम्मीद कर रहे थे कि अधिवेशन में 2,000 से ज़्यादा लोग आएँगे। इसके लिए उन्हें कोई बड़ी जगह नहीं मिल रही थी। इसलिए उन्होंने फैसला किया कि वे शहर से थोड़ी दूर, एक खूबसूरत पहाड़ के पास खुली जगह में अधिवेशन रखेंगे।

भाई काको लोमीद्‌ज़े ने, जो अधिवेशन-समिति का सदस्य था, बताया: “कार्यक्रम खत्म होने के बाद भाई-बहनों ने साथ वक्‍त बिताया, मिलकर गाने गए और एक-दूसरे की संगति का आनंद उठाया। सब लोग देख सकते थे कि परमेश्‍वर के लोगों के बीच प्यार और एकता का मज़बूत बंधन है।”—यूह. 13:35.

प्यार-भरे इंतज़ामों से बढ़ोतरी हुई

सन्‌ 1996 से यह इंतज़ाम किया गया कि सफरी निगरान देश की हर मंडली में एक हफ्ते के लिए दौरा करेंगे। इसलिए नए सफरी निगरान ठहराए गए ताकि वे उन भाइयों की तरह मंडलियों का दौरा करें जो पश्‍चिमी और पूर्वी जॉर्जिया में अब तक करते आए थे।

इन सफरी निगरानों ने ‘प्यार से जो कड़ी मेहनत’ की और लगातार सेवा की, उसकी वजह से मंडलियों में काफी बढ़ोतरी हुई और उन्हें संगठन की हिदायतें और भी अच्छी तरह मानने में मदद मिली। (1 थिस्स. 1:3) सन्‌ 1990 से 1997 तक जो बढ़ोतरी हुई वह सचमुच गौर करने लायक थी। सन्‌ 1990 में 904 प्रचारक अपनी सेवा की रिपोर्ट दे रहे थे, मगर सिर्फ सात साल बाद खुशखबरी सुनानेवालों की गिनती बढ़कर 11,082 हो गयी!

कई साल पहले खुशखबरी सुनाने का काम बस शुरू हुआ था, मगर अब खुशखबरी पूरे देश में फैल गयी और बढ़ोतरी साफ दिखायी दे रही थी। मगर यहोवा जॉर्जिया में अपने लोगों को और भी आशीषें देनेवाला था।

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