हल जोतना
अकसर पतझड़ के मौसम में खेतों में हल चलाया जाता था। वह इसलिए क्योंकि गरमियों में तपती धूप की वजह से ज़मीन सख्त हो जाती थी, लेकिन बारिश में ज़मीन नरम हो जाती थी और इसके बाद जुताई करना आसान होता था। (अति. ख15 देखें।) आम तौर पर हल लकड़ी का बना होता था। इसका निचला हिस्सा नुकीला होता था, जिसके सिरे पर शायद धातु लगी होती थी। हल को एक या उससे ज़्यादा जानवर खींचते थे। जुताई के बाद बीज बोया जाता था। इस काम से लोग वाकिफ थे और इब्रानी शास्त्र में लाक्षणिक तौर पर भी हल जोतने का ज़िक्र मिलता है। (न्या 14:18; यश 2:4; यिर्म 4:3; मी 4:3) यीशु ने भी कई मौकों पर लोगों को अहम बातें सिखाने के लिए खेती-बाड़ी से जुड़े कामों के बारे में बताया। मिसाल के लिए, उसने हल जोतने की बात कहकर यह समझाया कि उसका चेला बनने में क्या शामिल है। (लूक 9:62) अगर हल जोतनेवाले का ध्यान भटक जाए, तो हल से बननेवाली रेखाएँ टेढ़ी हो जाएँगी। उसी तरह, अगर मसीह के एक चेले का ध्यान भटक जाए या वह अपनी ज़िम्मेदारी निभाने से चूक जाए, तो वह परमेश्वर के राज के लायक नहीं रहेगा।
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