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तारतरस

मसीही यूनानी शास्त्र में इस शब्द का मतलब है, कैद में जैसी गिरी हुई हालत होती है वैसी ही हालत जिसमें नूह के दिनों के बागी स्वर्गदूतों को डाल दिया गया था। दूसरा पतरस 2:4 में क्रिया तारतारू (यानी “तारतरस में फेंकना”) इस्तेमाल हुई है। इसका यह मतलब नहीं कि ‘जिन स्वर्गदूतों ने पाप किया’ था उन्हें उस तारतरस में फेंका गया था जिसके बारे में झूठे धर्मों की कथा-कहानियों में बताया गया है (यानी ज़मीन के नीचे का कैदखाना और अँधेरी कोठरी, जहाँ छोटे-मोटे देवताओं को कैद किया जाता था)। इसके बजाय, इसका मतलब है कि परमेश्‍वर ने स्वर्ग में उन्हें उनकी जगह से हटा दिया, उनकी ज़िम्मेदारियाँ छीन लीं और उनके मनों को ऐसे घोर अंधकार में डाल दिया कि वे परमेश्‍वर के शानदार मकसद को कभी समझ न पाएँ। अंधकार इस बात की भी निशानी है कि उन स्वर्गदूतों का आखिर में क्या अंजाम होनेवाला है। शास्त्र बताता है कि उन्हें उनके राजा शैतान के साथ हमेशा के लिए नाश किया जाएगा। इसलिए तारतरस उन बागी स्वर्गदूतों की सबसे गिरी हुई हालत को दर्शाता है। यह प्रकाशितवाक्य 20:1-3 में बताया “अथाह-कुंड” नहीं है।

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