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मेरा बच्चा लापता है!

“वह मार्च ३१, १९८१ की बात है, मैं सुबह स्कूल जाने के लिए उसे तैयार कराने उठाने गई थी, तब मैं ने पहले यह नोट पाया।” ॲनेट याद करती है। “उस में लिखा था: ‘मैं जा रहा हूँ क्योंकि मैं यहाँ और नहीं रहना चाहता। मुझे किसी की नहीं सुननी पड़ेगी।’” वह कहती है, “यह अब से २५ वर्ष पहले की बात होने पर भी मैं यह बात कभी नहीं भूलूँगी।”

ॲनेट, मॅस्साचुसेट्‌स की २७ वर्षीय गृहिणी, के लिए एक लापता बच्चे का दुःस्वप्न आरम्भ हो रहा था। “मैं जानती थी कि यह उसकी लिखावट है,” वह कहती है। “मैं ऐसे महसूस करती रही कि ताज कहीं पर छिपा हुआ है, उसकी कोई सहायता कर रहा था। उसकी समस्याओं के बारे में किसी को जानकारी थी और वह उसकी सहायता करना चाहता था।” परन्तु पड़ोस के मित्रों और रिश्‍तेदारों को फोन करने पर भी नौ वर्षीय ताज के पता-ठिकाना के विषय में कोई जानकारी नहीं मिली।

जैसे ही पुलिस और दूसरी ऐजेन्सियों ने खोज आरम्भ किया, वह दहशत की स्थिति में आ गयी। निराशा, क्रोध, आशाभंग और दुःख का आवर्तन होता रहा, जो आज तक सतत है। ॲनेट कहती है, “इसका कोई अन्त ही नहीं, यह मृत्यु के समान नहीं है कि आप उसका स्वीकार कर सकते और कोई बेहतर स्थिति की ओर देख सकते। मैं इसे ठीक दृष्टिकोण से देख नहीं सकती हूँ क्योंकि मैं नहीं जानती कि मैं किस बात से व्यवहार कर रही हूँ। यह बहुत, बहुत निराशाजनक है।”

उतनी ही निराशा ॲनेट को इस बात की है कि वह अपने लापता पुत्र से नहीं कह सकती कि वह परिस्थिति जिस ने उसे भागने के लिए विवश किया था—एक सौतेला पिता, जो कि अचानक दुर्व्यवहार करता और उसे अपनी माता से बातचीत करने के लिए मना करता था, और उसकी हत्या किए जाने का भय—बदल गयी है। “जब कि बहुत से भागनेवाले जो निराशा के कारण भागते हैं जब घर लोटकर आते हैं तो वही स्थिति पाते हैं,” ॲनेट बताती है, “ताज की बात अलग है क्योंकि उसकी परिस्थिति सचमुच बदल गई है। अब उसे वैसे ही परिस्थिति प्राप्त नहीं होगी जहाँ उसे अपने सौतेले पिता से डर लगता था।”

ताज का लापता होने के करीब तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद, ॲनेट अब भी अपने लापता पुत्र की खोज में हैं। “मैं सदा सुनहरे बालोंवाले छोटे लड़कों को देखती रहती हूँ,” वह कहती है, “सदा। मैं कहीं भी जाऊँ—हवाई अड्डे पर, दूसरे शहरों में, मेरे अपने शहर में—हमेशा उनको देखती रहती हूँ और सोचती हूँ कि यदि वह मेरी तरफ घूमे तो शायद ताज होगा। मैं कभी भी अपनी खोज बन्द नहीं करूँगी।”

ॲनेट अकेली नहीं है। अक्षरशः ऐसे हज़ारों बच्चें हैं जिनकी प्रत्येक वर्ष अपने घरों से लापता होने की रिपोर्ट की जाती है और जिन्हें फिर कहीं भी देखा नहीं जाता। कुछेक, ताज की तरह घर की एक अप्रिय या धमकी-भरी परिस्थिति के कारण भाग जाते हैं। दूसरे छीने जाते हैं या फिर यों ही लापता हो जाते हैं। इन बच्चो का क्या होता है? ये लापता क्यों हैं?

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