दुनिया पर नज़र रखना
डाइनों की खोज अभी भी होती है
डाइनों के रूप में कलंकित, भारत के जनजातीय पृष्ठ-प्रदेशों में एक दर्जन से ज़्यादा स्त्रियों को दो-महीने की अवधि में पागल भीड़ द्वारा मार डाला गया, इंडिया टुडे रिपोर्ट करती है। “बीसियों अन्य स्त्रियों को पीटा गया, उत्पीड़ित किया गया, नंगा करके परेड करवाई गई, अत्यन्त पाशविक तरीक़े से अपमानित किया गया और उनके गाँवों से बाहर भगा दिया गया है।” यह प्रकोप धार्मिक जलूसों के साथ शुरू हुआ जो गाँव-गाँव गए। इस प्रथा से एक समाज सुधार आन्दोलन शुरू हुआ और अपराध में कमी हुई। लेकिन तब जलूसों में भाग लेनेवाली कुछ स्त्रियाँ “ग्रस्त” हो गईं और किसी-किसी गाँववालियों की पहचान स्थानीय समस्याओं के लिए ज़िम्मेदार डाइनों के रूप में करने लगीं। निर्दोषता की “परीक्षा” में असफल होने, जैसे कि यदि उस पर किसी की हत्या करने का दोष है तो उस व्यक्ति का पुनरुत्थान न कर पाने, का अर्थ था तात्कालिक दण्ड। कहा जाता है कि जादूगरी में विश्वास इसका मूल कारण है और, एक मानव-विज्ञानी के अनुसार, “जनजातीय समाजों में अलौकिक को नियंत्रण में करके काम में लाने, बुरी नज़र के विरुद्ध शक्ति, इच्छित लक्ष्यों को प्राप्त करने की शक्ति और उनकी इच्छा दूसरों पर लागू करने की शक्ति प्राप्त करने की लालसा से उत्पन्न होता है।”
महिला जासूस
जापान का आसाही इवनिंग न्यूज़ कहता है, “अगला शरलॉक होम्स् शायद एक स्त्री हो।” टोकयो में एक नए स्कूल में, तीन सौ विद्यार्थी जासूस बनने का प्रशिक्षण ले रहे हैं, और उनमें से दो तिहाई से ज़्यादा स्त्रियाँ हैं, जो कि अधिकांशतः २०-२५ साल से लेकर ४०-४५ साल तक की हैं। जासूसी उन्हें अलग-अलग कारणों से आकर्षक लगती है। रिपोर्ट किया गया कि एक ४६-वर्षीय गृहिणी ने स्कूल में अपना नाम इसलिए लिखवाया क्योंकि “वह परम्परागत कोर्सों से सन्तुष्ट नहीं थी जो स्त्रियों को सिखाते हैं कि कैसे फूलों को व्यवस्थित करना चाहिए और कैसे किमोनो को ढंग से पहनना चाहिए।” जबकि दूसरों के लिए, अध्ययन एक शौक से अधिक है। स्कूल में आधी से ज़्यादा गृहिणियों ने अपने पतियों को नहीं बताया है। उनमें से कुछ अपने बेवफ़ा पतियों की जाँच-पड़ताल करने के लिए कौशल अर्जित कर रही हैं।
पिताओं का भी दोष है
अब कुछ समय से, प्रत्याशित माताओं को ऐसी चीज़ों से दूर रहने की चेतावनी दी गई है जैसे कि शराब और धूम्रपान, जो पैदाइशी नुक़्स उत्पन्न कर सकती हैं, और पौष्टिक आहार खाने को कहा गया है। “अब समान सावधानियों का आग्रह भावी पिताओं से किया जा रहा है,” यू.एस. न्यूज़ एन्ड वर्ल्ड रिपोर्ट कहती है। “नया अनुसंधान सूचित करता है कि एक पुरुष का रसायनों के ख़तरे में पड़ना एक बच्चा पैदा करने की उसकी क्षमता को ही नहीं बल्कि उसके बच्चों के भावी स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।” प्रमाण दिखाता है कि पुरुष “जितना पहले समझा गया था उससे कहीं ज़्यादा अपनी पत्नियों में गर्भस्रावों और अपने बच्चों में विभिन्न अपरचनाओं, कैंसरों और विकासात्मक विलम्ब में योगदान देते हैं।” अब ऐसा प्रतीत होता है कि नशीले पदार्थ और अन्य रसायन (जिसमें धूम्रपान के उपोत्पादन सम्मिलित हैं), साथ ही ऐसे आहार जिनमें विटामिन सी से भरपूर पर्याप्त सब्ज़ियों और फलों की कमी होती है, शुक्राणु को नुक़सान पहुँचाते हैं। विष-विज्ञानी, डेवरा ली डेविस कहती है: “बहुत ज़्यादा समय तक हमने सिर्फ माताओं पर ध्यान केंद्रित किया है। स्वस्थ शिशु बनाने में पिता के महत्त्व की पूरी तरह क़दर नहीं की गई है।”
एक और फ़्लू महामारी?
न्यू यॉर्क टाइमस् मैगज़ीन कहती है, “सम्भवतः अगले कई सालों में, क़रीबन बिना किसी संदेह के, सर्वव्यापी इन्फ़्लूएन्ज़ा जब उभरेगी तो एक प्रमुख विपत्ति होगी।” वैज्ञानिकों के अनुसार, अब का समय १९१८ के फ़्लू के समान एक फ़्लू महामारी के लिए अनुकूल है जिसने २ करोड़ से ४ करोड़ लोगों की जान ली। बेथस्डा, मेरीलैंड में प्रत्यूर्जता और संक्रामक रोगों के राष्ट्रीय संस्थान में संक्रामक रोगों का प्रमुख, जॉन आर. ला मॉनटाने कहता है, “हर सम्भावना है कि यदि यह एक बार आयी है, तो यह फिर आ सकती है।” लेकिन, वाइरल उत्परिवर्तन जो इन्फ़्लूएन्ज़ा की विभिन्न प्रकार की महामारियाँ उत्पन्न करते हैं विरल हैं। इस शताब्दी में वे केवल तीन बार आए हैं: १९१८ का तथाकथित स्पैनिश फ़्लू, १९५७ का एशियन फ़्लू, और १९६८ का हाँग काँग फ़्लू; और आख़िरी दो अपेक्षाकृत मन्द थे। क्योंकि इन्फ़्लूएन्ज़ा वाइरस इतनी जल्दी-जल्दी और ऐसे बदलता है जिसका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता, इससे पहले कि एक सही वैक्सीन विकसित की जा सके एक घातक प्रकोप आ सकता है। लेख अन्त में कहता है: “यदि इतिहास कोई मार्गदर्शन है, तो सम्भवतः हम अगली शताब्दी के आने से पहले उन ऐंटिजनों के एक मुख्य रूपान्तरण की प्रत्याशा कर सकते हैं—जो इतना बड़ा होगा कि एक प्रचण्ड फ़्लू के संसारव्याप्त प्रकोप का कारण बने।”
मिल बाँटकर बालियाँ पहनना —एक स्वास्थ्य जोख़िम
ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी और चिल्डरेनस् हॉस्पिटल के डॉक्टर फिलिप डी. वॉलसन और माइकल टी. ब्रैडी दावा करते हैं, “लहू से संदूषित बालियाँ असंख्य जीवों, जिनमें यकृत शोथ बी और ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएन्सी वाइरस [सम्मिलित] हैं, से संक्रामण का संभावित स्रोत हैं।” अमरीकी चिकित्सा पत्रिका बाल चिकित्सा (Pediatrics) में प्रकाशित एक संयुक्त पत्र में, अनिष्कीटित बालियाँ मिल बाँटकर पहनने के प्रत्यक्षतः व्यापक अभ्यास के प्रति चिंता व्यक्त की गई। किशोरियाँ और युवा प्रौढ़ शायद लैंगिक क्रियाओं और सूइयों को मिल बाँटकर प्रयोग करने से सम्बन्धित स्वास्थ्य जोख़िमों से अवगत हों—लेकिन इस अभ्यास से नहीं हैं। दोनों डॉक्टर दावा करते हैं, इसमें “लहू द्वारा लगनेवाली बीमारियों को फैलाने की क्षमता है।” वे सलाह देते हैं कि चिकित्सकों को “अपने मरीज़ों को इस अभ्यास के लिए मना करना चाहिए।”
पर्याप्त भोजन, परन्तु कुपोषण बना हुआ है
जबकि विश्व जनसंख्या प्रभावशाली रूप से बढ़ी है, २० साल पहले ग़रीब देशों में जितने लोग कुपोषित थे अब उससे १५ करोड़ से अधिक संख्या में, कम लोग कुपोषित हैं। यू.एन. खाद्य एवं कृषि संगठन का निर्देशक, जॉन लूप्यैं कहता है, “खाद्य सप्लाई और किसानों ने खाद्य उत्पादन का दर जनसंख्या वृद्धि के बराबर बढ़ाया है और उससे ज़्यादा किया है। अभी भी, सभी लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन है, यदि वास्तव में यह उन लोगों तक पहुँच सके जिन्हें इसकी ज़रूरत है।” दुःख की बात है, दी इकॉनोमिस्ट रिपोर्ट करती है, “ग़रीब देशों में लगभग ७८ [करोड़] लोगों, उनके देशों की जनसंख्या के पाँच में से एक, को खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं मिलता। लगभग जिन २ अरब लोगों को पेट भरने के लिए पर्याप्त भोजन मिल जाता है फिर भी उन्हें उनके लिए ज़रूरी विटामिनों और खनिजों की कमी होती है। . . . लगभग ४०,००० छोटे बच्चे प्रतिदिन मरते हैं, अंशतः इसलिए कि कुपोषण उन्हें हर तरह की बीमारियों के ख़तरे में डाल देता है।” दूसरी ओर, अतिपोषण भी हानिकर प्रभाव उत्पन्न कर रहा है, समाज के धनी वर्गो के बीच हृदय रोग और कई प्रकार के कैंसर उत्पन्न कर रहा है।
हानिकर मनोरंजन
“गाली-गलौज, नग्नता, कामक्रिया, हिंसा, और हत्याओं से भरी अनगिनत फ़िल्में बनाने के लिए हॉलीवुड को शर्म आनी चाहिए।” यह कथन यू.एस.ए. टुडे अख़बार में हाल ही में प्रकाशित एक पूरे-पृष्ठ के विज्ञापन का भाग था। विज्ञापन के अनुसार, एक प्रमुख टी.वी. नेटवर्क ने एक कार्यक्रम को, जो जवान लोगों का मनपसन्द है, अनुमति दी है कि “हस्तमैथुन, अन्तयेष्टि-निर्वाहकों द्वारा मृत लोगों के साथ कामक्रिया करने” और अन्य आपत्तिजनक विषयों “के बारे में लघु नाटक प्रस्तुत करे।” विज्ञापन ने नोट किया कि टी.वी. कार्यक्रम देखने के द्वारा, “१६ साल का औसत बच्चा २,००,००० से ज़्यादा हिंसा की क्रियाओं और ३३,००० हत्याओं को देख [चुका] है।”
सिक्का खानेवाले
प्रति वर्ष हज़ारों बच्चों को सिक्के निगलने के बाद अस्पताल के आपत्काल कक्षों में महँगे एक्स-रे के लिए ले जाया जाता है। इनमें से अधिकांश सिक्के शरीर से सही-सलामत निकल जाते हैं, लेकिन कभी-कभी एक सिक्का भोजन-नलिका में अटक जाता है, जिससे आंतरिक रक्त-स्राव, संक्रामण, और कभी-कभी जब यह भोजन-नलिका में छेद कर देता है तो मृत्यु भी हो सकती है। एक सरल और पूर्ण रूप से सुरक्षित हस्तग्रहित धातु डिटेक्टर, उनके समान जो कभी-कभी हवाई अड्डा सुरक्षा द्वारा प्रयोग किए जाते हैं, अभिकल्पित किया गया है ताकि बाल-चिकित्सक निगले हुए सिक्के का पता लगा सकें। इलिनॉइस में बाल-चिकित्सा आपात्काल दवाई का एक निर्देशक और इस तकनीक के विकासकों में से एक, डॉ. साइमन रस कहता है कि यह यन्त्र आपात्काल कक्ष की एक भेंट करने की ज़रूरत मिटा देगा, “जहाँ सिक्के का पता लगाने में $३०० से ज़्यादा खर्च हो सकता है।” बाल-चिकित्सा और बाल-चिकत्सा आपात्काल देखरेख की पत्रिका (Journal of Pediatrics and Pediatric Emergency Care) में रिपोर्ट किया गया कि संभवतः यह तकनीक अपनी कुशलता और कम क़ीमत के कारण जल्द ही व्यापक रूप से प्रयोग की जाएगी।
कैफ़ीन पर दोष लगाना
अत्यधिक कॉफ़ी पीनेवाले लोग जो अचानक अपनी आदत छोड़ देते हैं बारंबार सिरदर्द, हताशा, थकान, चिंता, और यहाँ तक कि माँसपेशियों का दर्द, मतली, और उल्टी की भी शिकायत करते हैं। अब, जॉन हॉपकिनस् विश्वविद्यालय के अनुसंधायकों ने पता लगाया है कि ये रोग-लक्षण उन लोगों में भी पाए जाते हैं जो रोज़ सिर्फ़ एक या दो कप कॉफ़ी या चाय, या दो-चार बोतल ठंडा पेय पीते हैं जिसमें कैफ़ीन होता है, और जो दो दिन के लिए इसके बिना रहते हैं। निवर्तन प्रभाव इतने गंभीर हो सकते हैं कि उन्हें ऐसा लगे कि उन्हें डॉक्टर के पास जाना है। इसके शिकार वे हो सकते हैं जो सप्ताहातों पर दफ़्तर की कॉफ़ी मशीन से दूर होते हैं, लोग जो कैफ़ीनरहित सोडा पीना शुरू करते हैं, या मरीज़ जिन्हें ऑपरेशन से पहले उपवास करना पड़ता है। डॉक्टरों को सलाह दी जाती है कि उन मरीज़ों के कैफ़ीन अंतर्ग्रहण का रिकार्ड बनाएँ जो सिर दर्द और अन्य ऐसे रोग-लक्षणों की शिकायत करते हैं जो कि कैफ़ीन-निवर्तन का अनुभव करनेवाले व्यक्तियों के विशेषता-सूचक हैं। जो व्यक्ति अपने कैफ़ीन अंतर्ग्रहण को कम करना चाहते हैं उन्हें सलाह दी जाती है कि वे ऐसा धीरे-धीरे करें। अध्ययन ने यह प्रश्न भी उठाया कि क्या कैफ़ीन, और इसलिए कॉफ़ी को शारीरिक रूप से लत लगानेवाले नशीले पदार्थ के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए।
कोलम्बिया में गर्भपात
कोलम्बिया में, क़रीब डेढ़ करोड़ स्त्रियों ने कम से कम एक गर्भपात करवाया है। यह उस देश में सभी जनन-योग्य उम्रवाली स्त्रियों के २० प्रतिशत के क़रीब है। अनेक स्त्रियाँ गर्भपात-सम्बन्धी समस्याओं के कारण मरती हैं। कोलम्बियन पत्रिका सेमाना रिपोर्ट करती है कि “बोगोटा के मातृक-शिशु संस्थान [में], गर्भपातों के कारण बड़ी संख्या में मातृक मृत्यु होती हैं।” अनुमान लगाया गया है कि कोलम्बिया में प्रतिवर्ष लगभग ४,००,००० गर्भपात किए जाते हैं। यह प्रति घंटे ४५ गर्भपातों का औसत है।