आपके स्वास्थ्य को क्या निर्धारित करता है—आप क्या कर सकते हैं
चावल या आटे की तरह स्वास्थ्य किसी राहत कार्यकर्ता के द्वारा परोसा नहीं जा सकता। यह एक थैले में नहीं आता क्योंकि यह कोई सामान नहीं है बल्कि एक स्थिति है। डब्ल्यू.एच.ओ. (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की परिभाषानुसार “स्वास्थ्य पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तंदरुस्ती की स्थिति है।” लेकिन, उस तंदरुस्ती की हद को क्या निर्धारित करता है?
एक साधारण मकान शायद लकड़ी, कीलों, और नालीदार चादर का प्रयोग करके बना हो, लेकिन अलग-अलग हिस्से अकसर चार मुख्य खम्भों पर टिके होते हैं। उसी प्रकार, अनेक प्रभाव हमारे स्वास्थ्य को निर्धारित करते हैं, लेकिन ये सभी चार “मुख्य” प्रभावों से सम्बन्धित हैं। ये मुख्य प्रभाव हैं (१) व्यवहार, (२) वातावरण, (३) चिकित्सीय देखरेख, और (४) जैविक रचना। जैसे आप खम्भों की क्वालिटी अच्छी करने के द्वारा अपने मकान को मज़बूत बना सकते हैं, वैसे ही आप इन प्रभावी तत्त्वों की क्वालिटी सुधारने के द्वारा अपना स्वास्थ्य बेहतर बना सकते हैं। प्रश्न है कि यह सीमित साधनों के साथ कैसे किया जा सकता है?
आपका व्यवहार और आपका स्वास्थ्य
उन चार तत्त्वों में से आपका व्यवहार ही सबसे अधिक आपके नियंत्रण में है। इसे सुधारना मदद कर सकता है। माना कि ग़रीबी के कारण आप अपने आहार और आदतों में सीमित परिवर्तन ला सकते हैं, लेकिन जो चुनाव उपलब्ध हैं उनका लाभ उठाने के द्वारा आप काफ़ी बड़ा फ़र्क ला सकते हैं। निम्नलिखित उदाहरण पर ध्यान दीजिए।
अकसर एक माँ के पास यह चुनाव होता है कि अपने शिशु को स्तन-पान कराए या बोतल से पिलाए। संयुक्त राष्ट्र बाल निधि कहती है कि स्तन-पान कराना “शारीरिक और आर्थिक दोनों ही रूप से बेहतर चुनाव है।” विशेषज्ञ कहते हैं कि माँ का दूध “सर्वोत्तम स्वास्थ्य आहार” है, जो शिशु को “संगत वृद्धि के लिए ज़रूरी, एकदम ठीक मात्रा में प्रोटीन, वसा, लैक्टोस, विटामिन, खनिज और सूक्ष्म मात्रिक तत्त्व” देता है। स्तन-दूध बीमारी से लड़नेवाले प्रोटीन, या रोग-प्रतिकारक भी माँ से शिशु तक पहुँचाता है, जिससे शिशु को बीमारियों से लड़ने में एक अच्छी शुरूआत मिलती है।
ख़ासकर उष्णकटिबन्धी देशों में जहाँ सफ़ाई प्रबन्ध अच्छा नहीं है, स्तन-पान कराना सर्वोत्तम है। बोतल के दूध से भिन्न, स्तन-दूध को पैसा बचाने के लिए ज़्यादा पतला नहीं किया जा सकता, उसे तैयार करते समय ग़लती नहीं की जी सकती, और वह हमेशा एक साफ़ बर्तन से परोसा जाता है। इसकी विषमता में, सिनर्जी, कनेडियन सोसाइटी फ़ॉर इंटरनैशनल हैल्थ का एक समाचार-पत्र कहता है, “एक ग़रीब समुदाय में, उस शिशु की तुलना में जिसे मात्र स्तन-पान कराया जाता है बोतल का दूध पिलाए गए शिशु को अनुमानतः अतिसार के रोग से मरने की १५ गुणा अधिक संभावना है और निमोनिया से मरने की चार गुणा अधिक संभावना है।”
फिर आर्थिक लाभ है। विकासशील देशों में, पाउडर का दूध महँगा है। उदाहरण के लिए, ब्राज़िल में एक शिशु को बोतल का दूध पिलाने में एक ग़रीब परिवार की मासिक आमदनी का पाँचवाँ हिस्सा लग सकता है। स्तन-पान कराने के कारण बचाया गया पैसा पूरे परिवार के लिए—जिसमें माँ भी शामिल है—ज़्यादा स्वास्थ्यकारी भोजन प्रदान कर सकता है।
इन सब लाभों के कारण आप अपेक्षा करेंगे कि स्तन-पान का बहुत प्रचलन होगा। फिर भी, फिलीपींस के स्वास्थ्य कार्यकर्ता रिपोर्ट करते हैं कि वहाँ स्तन-पान के “लुप्त होने का गंभीर ख़तरा” है, और ब्राज़िल में एक अध्ययन ने दिखाया कि श्वास-संक्रमण से मरनेवाले शिशुओं से जुड़ा एक मुख्य तत्त्व है “स्तन-पान की कमी।” लेकिन, आपका शिशु इस नियति से बच सकता है। आपके पास एक चुनाव है।
लेकिन, शिशु के स्वास्थ्य को बचाने के माँ के प्रयासों को अकसर परिवार के अन्य सदस्यों के अस्वास्थ्यकर व्यवहार से क्षति पहुँचती है। उदाहरण के लिए नेपाल में एक माँ को लीजिए। वह एक सीलनवाले कमरे में अपने पति और तीन-वर्षीय बेटी के साथ रहती है। वह छोटा-सा कमरा, पैनास्कोप पत्रिका लिखती है, रसोई और तम्बाकू के धूएँ से भरा हुआ है। बच्ची श्वास-संक्रमण से पीड़ित है। “मैं अपने पति को धूम्रपान करने से नहीं रोक सकती,” माँ आह भरती है। “अब मैं अपने पति के लिए सिगरेट और अपनी बच्ची के लिए दवा ख़रीदती हूँ।”
दुःख की बात है कि उसकी समस्या अधिकाधिक सामान्य होती जा रही है क्योंकि विकासशील देशों में अधिकाधिक लोग धूम्रपान शुरू करने के द्वारा ऐसी आमदनी बरबाद करते हैं जिसकी बहुत ज़रूरत है। असल में, यूरोप या संयुक्त राज्य अमरीका में जितने लोग धूम्रपान करना छोड़ते हैं, उसके दुगुने लोग लातिन अमरीका या अफ्रीका में धूम्रपान करना शुरू करते हैं। डच पुस्तक रूकन वेलबसकोड कहती है कि भरमानेवाले विज्ञापनों का काफ़ी दोष है। ऐसे नारे “वैर्सिटी: उस उत्तम उन्मुक्त भावना के लिए” और “गोल्ड लीफ़: अति महत्त्वपूर्ण लोगों के लिए अति महत्त्वपूर्ण सिगरेट” ग़रीब लोगों को विश्वस्त कर देते हैं कि धूम्रपान करना उन्नति और समृद्धि से जुड़ा हुआ है। लेकिन इसका विपरीत सच है। यह आपका पैसा फूँक देता है और आपका स्वास्थ्य बरबाद कर देता है।
इस पर ध्यान दीजिए। हर बार जब एक व्यक्ति एक सिगरेट पीता है, तो वह अपनी प्रत्याशित आयु को दस मिनट घटा देता है और अपने दिल के दौरे और स्ट्रोक, साथ ही साथ फेफड़े, गले और मुँह के कैंसर और अन्य रोगों के ख़तरे को बढ़ाता है। यू.एन. क्रॉनिकल पत्रिका कहती है: “तम्बाकू का उपभोग संसार में असमय मृत्यु और अपंगता का काफ़ी हद तक सबसे बड़ा निरोध्य कारण है।” कृपया नोट कीजिए कि वह कहती है “निरोध्य कारण।” आप अपनी आख़िरी सिगरेट बुझा सकते हैं।
निःसंदेह, अन्य अनेक व्यवहार-सम्बन्धी चुनाव हैं जो आपके स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। इस लेख के पृष्ठ ११ पर दिया बक्स कुछ विषयों की सूची देता है जिन्हें आप यहोवा के साक्षियों के राज्यगृह के पुस्तकालय में पढ़ सकते हैं। सच है कि स्वयं को जानकार बनाने के लिए प्रयास लगता है। फिर भी, डब्ल्यू.एच.ओ. का एक अधिकारी कहता है: “प्रबुद्ध लोगों की अंतर्ग्रस्तता के बिना स्वस्थ समाज नहीं हो सकता, जिन्हें उनकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकारी और शिक्षा दी गयी है।” सो यह मुफ़्त स्वास्थ्य-वर्धक क़दम उठाइए: अपने आपको शिक्षित कीजिए।
स्वास्थ्य और घर का वातावरण
पुस्तक द पूअर डाइ यंग (अंग्रेज़ी) कहती है कि जो वातावरण आपके स्वास्थ्य को सबसे ज़्यादा प्रभावित करता है वह आपका घर और आपका पड़ोस है। पानी के कारण आपका वातावरण एक स्वास्थ्य ख़तरा हो सकता है। संक्रमण, त्वचा रोग, अतिसार, हैज़ा, पेचिश, आन्त्रज्वर (टाइफ़ॉइड), और अन्य पीड़ाएँ अपर्याप्त और गन्दे पानी के कारण होते हैं।
यदि हाथ धोने के लिए आपको सिर्फ़ नल खोलने की ज़रूरत होती है, तो आपके लिए यह समझना शायद मुश्किल हो कि जिन लोगों के घरों में निरन्तर पानी नहीं आता वे हर दिन कितना समय पानी लाने में बिताते हैं। अकसर ५०० से अधिक लोग एक नल को इस्तेमाल करते हैं। उसके लिए इन्तज़ार करने की ज़रूरत होती है। लेकिन निम्न-आय के लोग ज़्यादा देर तक काम करते हैं, और इन्तज़ार करना, पुस्तक एनवायर्नमेंटल प्रॉबलॆम्स इन थर्ड वर्ल्ड सिटीज़ (अंग्रेज़ी) कहती है, “उस समय को कम कर देता है जो आमदनी कमाने में प्रयोग किया जा सकता है।” इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि समय बचाने के लिए छः लोगों का परिवार अकसर ३० बाल्टी से कम पानी घर ले जाएगा जिसकी उतने बड़े परिवार के लिए हर दिन ज़रूरत है। लेकिन फिर भोजन, बर्तन, और कपड़े धोने और व्यक्तिगत सफ़ाई के लिए बहुत थोड़ा पानी होता है। यह उन परिस्थितियों की ओर ले जाता है जो, क्रमश: जूँओं और मक्खियों को आकर्षित करती हैं, जिससे परिवार के स्वास्थ्य को ख़तरा होता है।
इस स्थिति के बारे में सोचिए। यदि आप अपनी दूर की नौकरी पर पहुँचने के लिए एक साइकिल पर निर्भर हैं, तो क्या आप हर सप्ताह चेन में तेल डालने, ब्रेक को ठीक करने, या एक तीली को बदलने के लिए कुछ समय बिताने को एक नुक़सान मानेंगे? जी नहीं, क्योंकि आप समझते हैं कि यदि आप रख-रखाव के प्रति लापरवाही करने से अभी कुछ घंटे बचा भी लें, तो भी बाद में आप एक पूरे दिन का काम गवाँ सकते हैं जब आपकी साइकिल टूट जाती है। उसी प्रकार, आप हर सप्ताह कुछ घंटे और थोड़ा पैसा बचा सकते हैं यदि आप अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी नहीं भरते, लेकिन बाद में आप बहुत-सारे दिन और पैसे गवाँ सकते हैं जब ख़राब रख-रखाव के कारण आपका स्वास्थ्य टूट जाता है।
पर्याप्त पानी भरने को एक पारिवारिक परियोजना बनाया जा सकता है। जबकि शायद स्थानीय संस्कृति के अनुसार पानी लाना माँ और बच्चों का काम हो, फिर भी एक परवाह करनेवाला पिता स्वयं पानी भरने के लिए अपनी ताक़त इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेगा।
लेकिन, जब पानी घर पहुँच जाता है तब दूसरी समस्या खड़ी होती है—उसे साफ़ कैसे रखें। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह देते हैं: पीने के पानी को अन्य कामों में प्रयोग होनेवाले पानी के पास मत रखिए। पानी रखनेवाले बर्तन को हमेशा कस के बंद होनेवाले ढक्कन से ढँक कर रखिए। पानी को थोड़ी देर तक मत हिलाइए ताकि गन्दगी नीचे बैठ जाए। बर्तन से निकालते समय पानी को अपनी उँगलियों से मत छूइए, बल्कि एक लम्बे हैंडल वाला साफ़ कप प्रयोग कीजिए। पानी के बर्तनों को नियमित रूप से विरंजक घोल से साफ़ कीजिए, और उसके बाद उन्हें साफ़ पानी से खँगालिए। और बारिश का पानी? वह निश्चित ही एक अतिरिक्त लाभ है (बशर्ते की बारिश हो!), और वह सुरक्षित हो सकता है यदि कोई गन्दगी बारिश के पानी के साथ-साथ संग्रह-टंकी में न चली गयी हो और यदि टंकी कीड़ों और कृन्तकों और अन्य जानवरों से सुरक्षित हो।
जब आपको संदेह है कि पानी सुरक्षित है या नहीं, तो डब्ल्यू.एच.ओ. सुझाव देता है कि आप उसमें क्लोरीन-निकालनेवाला एक पदार्थ डालें, जैसे कि सोडियम हाइपोक्लोराइट या कैल्शियम हाइपोक्लोराइट। यह असरदार है, और सस्ता है। उदाहरण के लिए, पेरू में एक औसत परिवार को साल-भर में इस तरीक़े की क़ीमत दो डॉलर से भी कम पड़ती है।
स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवा
अकसर ग़रीबों को सिर्फ़ दो तरह की स्वास्थ्य सेवा दिखती है: (१) उपलब्ध लेकिन औक़ात से बाहर और (२) औक़ात के अन्दर लेकिन उपलब्ध नहीं। साओ पाउलो के लगभग ६,५०,००० बस्ती-वासियों में से एक, डोना मारीया पहले प्रकार की स्वास्थ्य-सेवा के बारे में समझाती है: “हमारे लिए, अच्छी स्वास्थ्य सेवा एक बाज़ार की ऊँची दुकान में सजी वस्तु के समान है। हम उसे देख सकते हैं, लेकिन वह हमारी पहुँच से बाहर है।” (वनडार पत्रिका) वस्तुतः, डोना मारीया एक ऐसे शहर में रहती है जहाँ के अस्पताल हार्ट-बाइपास ऑपरेशन, ट्रान्सप्लान्ट, कैट स्कैन, और अन्य उच्च-तकनीक चिकित्सा प्रस्तुत करते हैं। लेकिन, ये चीज़ें उसकी औक़ात से बाहर हैं।
यदि औक़ात से बाहर स्वास्थ्य सेवा किसी ऊँची दुकान में एक महँगी वस्तु के समान है, तो औक़ात के अन्दर स्वास्थ्य सेवा काफ़ी कुछ उस सस्ती वस्तु के समान है जिसके लिए सैकड़ों ग्राहक एक ही समय पर धक्का-मुक्की कर रहे हैं। एक दक्षिण अमरीकी देश में हाल ही में एक समाचार रिपोर्ट ने कहा: ‘बीमार लोग डॉक्टर से मिलने के लिए लाइन में दो दिन से खड़े हैं। कोई खाली जगह नहीं है। सार्वजनिक अस्पतालों में पैसे, दवा, और भोजन की कमी है। स्वास्थ्य-सेवा व्यवस्था बीमार है।’
जनता के लिए ऐसी बीमार स्वास्थ्य सेवा को सुधारने के लिए, डब्ल्यू.एच.ओ. ने धीरे-धीरे अपना काम रोग नियंत्रण से हटाकर रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के बारे में लोगों को शिक्षा देने के द्वारा स्वास्थ्य प्रवर्तन बना लिया है। प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा, जैसे कि उपयुक्त पोषण, साफ़ पानी, और मूल सफ़ाई को बढ़ावा देनेवाले कार्यक्रमों के कारण “विश्वव्यापी स्वास्थ्य में काफ़ी बड़ा सुधार” आया है, यू.एन. क्रॉनिकल लिखती है। क्या इन कार्यक्रमों से आपको लाभ होता है? इनमें से एक से शायद हुआ है। किस से? इ.पी.आइ. (एक्सपैन्डेड प्रोग्राम ऑन इम्युनाइज़ेशन)।
“घर और गाँव में सबसे जाना-माना भेंटकर्ता, डाकिये के बदले टीका लगानेवाला हो गया है,” इ.पी.आइ. पर एक रिपोर्ट कहती है। पिछले दशक के दौरान, अमाज़ोन से लेकर हिमालय तक टीके लगाए गए, और डब्ल्यू.एच.ओ. ने रिपोर्ट किया कि १९९० तक संसार के ८० प्रतिशत शिशुओं को छः जानलेवा बीमारियों से बचाव के टीके लगाए जा चुके थे।a सालाना, इ.पी.आइ. ३० लाख से अधिक बच्चों की जान बचा रहा है। अन्य ४,५०,००० बच्चे जो शायद अपंग हो गए होते, चल सकते, दौड़ सकते, और खेल सकते हैं। अतः, रोगों को रोकने के लिए अनेक माता-पिता अपने बच्चों को टीके लगवाने का व्यक्तिगत निर्णय लेते हैं।
कभी-कभी आप एक बीमारी को रोक नहीं सकते, लेकिन फिर भी आप शायद उसे नियंत्रण में करने में समर्थ हों। वर्ल्ड हॆल्थ (अंग्रेज़ी) पत्रिका कहती है कि “यह अनुमान लगाया गया है कि सारी स्वास्थ्य सेवा में से आधी से भी ज़्यादा आत्म-सेवा है या परिवार द्वारा की गयी सेवा है।” एक प्रकार की ऐसी आत्म-सेवा है नमक, चीनी, और साफ़ पानी का एक आसान, सस्ता मिश्रण, जिसे ओरल रिहाइड्रेशन सोल्यूशन (ओ.आर.एस.) कहते हैं।
अनेक स्वास्थ्य पेशेवर ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी को, जिसमें ओ.आर.एस. का प्रयोग भी सम्मिलित है, अतिसार के कारण हुए निर्जलन का सबसे प्रभावकारी उपचार समझते हैं। विकासशील देशों में सालाना जो १.५ अरब अतिसार के किस्से होते हैं उनके नियंत्रण के लिए यदि संसार-भर में इसका प्रयोग किया जाए, तो ओ.आर.एस. लवण का छोटा-सा पैकेट जिसकी क़ीमत मात्र दस सेंट है, हर साल अतिसार के रोगों से मरनेवाले ३२ लाख बच्चों में से अनेकों की जान बचा सकता है।
बचा तो सकता है, लेकिन कुछ देशों में अतिसार-रोधी दवाओं का प्रयोग, डब्ल्यू.एच.ओ. समाचार-पत्र एसेन्शल ड्रग्स मॉनिटर (अंग्रेज़ी) कहता है, अभी-भी “ओ.आर.एस. के प्रयोग से कहीं ज़्यादा प्रचलित” है। उदाहरण के लिए, कुछ विकासशील देशों में अतिसार के उपचार के लिए दवाओं को ओ.आर.एस. की तुलना में तीन गुणा अधिक प्रयोग किया जाता है। “दवाओं का यह अनावश्यक प्रयोग अत्यधिक महँगा है,” समाचार-पत्र कहता है। ग़रीब परिवारों को इस उद्देश्य के लिए भोजन भी बेचना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, वह चेतावनी देता है, अतिसार-रोधी दवाओं का कोई साबित व्यावहारिक मूल्य नहीं है, और कुछ तो ख़तरनाक हैं। “डॉक्टरों को ऐसी दवाएँ नहीं लिखनी चाहिए, . . . और परिवारों को उन्हें नहीं ख़रीदना चाहिए।”
दवाओं की सिफ़ारिश करने के बजाय, डब्ल्यू.एच.ओ. अब अतिसार का उपचार करने के लिए निम्नलिखित सुझाव देता है। (१) बच्चे को काँजी या चाय जैसे तरल पदार्थ ज़्यादा देने के द्वारा निर्जलन को रोकिए। (२) यदि बच्चा फिर भी जलविहीन हो जाता है, तो परीक्षण के लिए एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पास जाइए, और ओ.आर.एस. से बच्चे का उपचार कीजिए। (३) अतिसार के रोग के दौरान और उसके बाद बच्चे को सामान्य रूप से खिलाइए। (४) यदि बच्चा गंभीर रूप से जलविहीन हो गया है, तो उसे अंतःशिरा के द्वारा तरल चढ़ाया जाना चाहिए।b
यदि आप बना-बनाया ओ.आर.एस. नहीं प्राप्त कर सकते, तो ध्यानपूर्वक इस आसान विधि को अपनाइए: किनारे तक भरा हुआ एक छोटा चम्मच नमक, किनारे तक भरे हुए आठ छोटे चम्मच चीनी, और एक लीटर (२०० मिलीलीटर वाले कप से पाँच कप) साफ़ पानी को मिलाइए। हर बार दस्त होने पर एक कप पिलाइए, छोटे बच्चों को उसका आधा पिलाइए। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए पृष्ठ १० पर दिया बक्स देखिए।
लेकिन, तत्त्व नंबर चार, हमारी जैविक रचना के बारे में क्या? यह कैसे प्रभावित हो सकती है? अगला लेख इस प्रश्न पर चर्चा करता है।
[फुटनोट]
a ये छः जानलेवा बीमारियाँ हैं डिप्थीरिया, ख़सरा, पोलियो-माइलिटिस, टेटनस, तपेदिक, और काली खाँसी। डब्ल्यू.एच.ओ. सिफ़ारिश करता है कि हेपाटाइटिस बी. को भी असंक्रमीकरण कार्यक्रमों में सम्मिलित किया जाना चाहिए, जो अभी एड्स के कारण मरनेवालों से कहीं अधिक लोगों की जान लेता है।
b बच्चे के पेट की चमड़ी में चिकोटी काटिए। यदि चमड़ी सामान्य रूप लेने में दो सेकण्ड से अधिक समय लेती है, तो बच्चा शायद गंभीर रूप से जलविहीन है।
[पेज 8, 9 पर बक्स]
प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा—यह कैसे कार्य करती है?
इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए, सजग होइए! ने दक्षिण अमरीका में डब्ल्यू.एच.ओ. के एक प्रतिनिधि, डॉ. माइकल ओ’कैरल से बातचीत की। कुछ अंश उद्धृत हैं।
‘हमने एक ऐसी स्वास्थ्य-सेवा उत्तराधिकार में पायी है जो इस धारणा पर आधारित है कि स्वास्थ्य सेवा में मुख्यतः चिकित्सीय या शल्यक उपचार सम्मिलित है। यदि आप बीमार हैं, तो डॉक्टर के पास जाइए। इस तथ्य को भूल जाइए कि आपने दो बोतल विस्की पी थी। भूल जाइए कि आप कभी व्यायाम नहीं करते। आप डॉक्टर से मिलिए और कहिए: “डॉक्टर, मुझे ठीक कर दीजिए।” फिर डॉक्टर आपके मुँह में कुछ डाल देता है, आपकी बाँह में कुछ लगा देता है, कुछ काट निकालता है, या कुछ लगा देता है। जैसा कि आप समझ सकते हैं, सिर्फ़ बात समझाने के लिए मैं यहाँ मोटे तौर पर बोल रहा हूँ, लेकिन इस प्रकार की चिकित्सीय मनोवृत्ति प्रचलित रही है। हमने समाज की समस्याओं को नाहक़ चिकित्सीय समस्या समझा है। आत्महत्या, कुपोषण, और नशीले पदार्थों का दुष्प्रयोग चिकित्सीय समस्याएँ बन गयी हैं। लेकिन वे चिकित्सीय समस्याएँ नहीं हैं। वे स्वास्थ्य समस्याएँ भी नहीं हैं। वे सामाजिक समस्याएँ हैं जिनके स्वास्थ्य और चिकित्सीय परिणाम होते हैं।
‘फिर, पिछले २० सालों के दौरान लोगों ने कहा, “अरे, ठहरो। हम ग़लत तरीक़े से काम कर रहे हैं। हमें स्वास्थ्य के बारे में अपने दृष्टिकोण को बदलने की ज़रूरत है।” प्राथमिक-स्वास्थ्य-सेवा मनोवृत्ति के पीछे छिपे कुछ सिद्धान्त विकसित हुए, जैसे कि:
‘बीमारी का उपचार करने के बदले उसे रोकना ज़्यादा मानवी है और आगे चलकर ज़्यादा सस्ता पड़ता है। उदाहरण के लिए, ओपन हार्ट सर्जरी करने के लिए क्लिनिक बनाना इस सिद्धान्त के विरुद्ध है जब आप उसके कारणों के बारे में कुछ नहीं करते। इसका यह अर्थ नहीं कि बीमारियाँ होने पर आप उनका उपचार नहीं करते। निश्चय ही आप करते हैं। यदि सड़क पर एक गड्ढा है और वह सप्ताह के हर दिन दुर्घटना करवा रहा है, तो आप उस बेचारे इंसान का इलाज करेंगे जो उसमें गिरकर अपनी टाँग तोड़ता है, लेकिन ज़्यादा मानवी और सस्ता काम है: गड्ढे को भरना।
‘दूसरा सिद्धान्त है अपने स्वास्थ्य साधनों को प्रभावी रीति से प्रयोग करना। एक ऐसी समस्या के लिए किसी को क्लिनिक भेजना जो घर पर ही निपटायी जा सकती है इस सिद्धान्त के विरुद्ध है। या किसी को एक ऐसी समस्या से निपटने के लिए बड़े अस्पताल में भेजना जिसे क्लिनिक में ठीक किया जा सकता था। यह भी इस सिद्धान्त के विरुद्ध है कि एक ऐसे डॉक्टर को टीका लगाने के लिए भेजना जिसने एक विश्वविद्यालय में दस साल का प्रशिक्षण पाया है, जबकि एक व्यक्ति जिसने छः महीने का प्रशिक्षण पाया है वही काम कर सकता है। जब उस काम को करने की ज़रूरत है जिसके लिए वह डॉक्टर प्रशिक्षित है तब उसे उपलब्ध होना चाहिए। प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा हमें यह बता रही है: लोगों को शिक्षित कीजिए, बीमारियों को रोकिए, और अपने स्वास्थ्य साधनों को बुद्धिमानी से प्रयोग कीजिए।’
[पेज 10 पर बक्स]
हैज़े के लिए एक और ओ.आर.एस.
अब डब्ल्यू.एच.ओ. सिफ़ारिश करता है कि हैज़े के मरीज़ों के उपचार में सामान्य रूप से प्रयोग किए जानेवाले ग्लूकोस-युक्त ओ.आर.एस. (ओरल रिहाइड्रेशन सोल्यूशन) के बदले चावल-युक्त ओ.आर.एस. का प्रयोग करें। अध्ययन दिखाते हैं कि जिन हैज़े के मरीज़ों का उपचार चावल-युक्त ओ.आर.एस. से किया गया उन्होंने हैज़े के उन मरीज़ों की तुलना में जिनको सामान्य ओ.आर.एस. दिया गया था, ३३ प्रतिशत कम मल त्याग किया और उनको कम अतिसार हुआ। एक लीटर चावल-युक्त ओ.आर.एस. को बीस ग्राम चीनी के बदले पचास से अस्सी ग्राम पका हुआ चावल-चूर्ण मिलाने के द्वारा बनाया जाता है।—एसेन्शल ड्रग्स मॉनिटर।
[पेज 11 पर बक्स]
अतिरिक्त जानकारी
व्यवहार: “अच्छा स्वास्थ्य—आप इसके बारे में क्या कर सकते हैं?” (अवेक!, दिसम्बर ८, १९८९) “तम्बाकू और आपका स्वास्थ्य—क्या वास्तव में एक सम्बन्ध है?” (अवेक!, जुलाई ८, १९८९) “जीवित रहने में बच्चों की मदद करना!” (अवेक!, सितम्बर २२, १९८८) “शराब आपके शरीर को क्या करती है” —अवेक!, मार्च ८, १९८०.
वातावरण: “सफ़ाई के कठिन कार्य को पूरा करना” (अवेक!, सितम्बर २२, १९८८) “साफ़ रहिए, स्वस्थ रहिए!”—अवेक!, सितम्बर २२, १९७७.
स्वास्थ्य सेवा: “अन्य जीवन-रक्षक क़दम” (अवेक!, सितम्बर २२, १९८८) “एक नमकीन पेय जो जीवन बचाता है!”—अवेक!, सितम्बर २२, १९८५.
[पेज 7 पर तसवीर]
पानी इकट्ठा करने के लिए प्रतीक्षा और श्रम की ज़रूरत होती है
[चित्र का श्रेय]
Mark Peters/Sipa Press
[पेज 9 पर तसवीर]
पर्याप्त साफ़ पानी—अच्छे स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी
[चित्र का श्रेय]
Mark Peters/Sipa Press