उसने अनेकों की ज़िन्दगी को छू लिया
नवम्बर १९, १९९४ के दिन, २६ साल की उम्र में कैथी रॉबरसन की मृत्यु हो गयी। वह नियमित रूप से अपनी मृत्यु के सप्ताह तक मसीही सभाओं में उपस्थित रही। नौ वर्ष की उम्र से कैंसर के विरुद्ध उसका संघर्ष, अगस्त २२, १९९४ की सजग होइए! (अंग्रेज़ी) में इस शीर्षक के नीचे अभिलिखित किया गया था, “जब ज़िन्दगी आसान नहीं होती।” लेख पढ़ने के बाद, संसार-भर से अनेक व्यक्तियों ने चिट्ठियों के द्वारा प्रतिक्रिया दिखायी और बताया कि कैथी के साहसी उदाहरण ने कैसे उन्हें गहराई तक छू लिया था।
युवजन परमेश्वर की सेवा करने के लिए प्रोत्साहित
स्पेन से, लोइडा ने लिखा: “मेरी उम्र १६ साल है, और जब मैं ने कैथी की सहन-शक्ति के बारे में यह अनुभव पढ़ा तो मैं रो पड़ी। मैं मरने से डरती थी, लेकिन इस लेख के कारण, मुझे समझ आया कि, जैसे उसने कहा, ‘जो बात सचमुच महत्त्वपूर्ण है, वह यह नहीं है कि हम अब जीवित हैं या मर जाएँ, बल्कि यह कि हम यहोवा परमेश्वर की आशीष प्राप्त करते हैं या नहीं, वह जो हमें अनन्त जीवन दे सकता है।’”
जापान से मारी ने लिखा: “क्योंकि मैं उम्र में लगभग कैथी के बराबर हूँ और मेरा बपतिस्मा उसी दिन हुआ था, उसका अनुभव पढ़ते वक़्त ऐसा लगा मानो एक क़रीबी सहेली की एक प्रोत्साहक चिट्ठी पढ़ रही हूँ। उसकी आशा से, कि उसकी कहानी अनेकों को अपना स्वास्थ्य, व्यर्थ कामों में नहीं, परन्तु यहोवा की सेवा में बुद्धिमत्ता से प्रयोग करने के लिए प्रेरित करेगी, मेरा दिल उत्साह से भर गया, क्योंकि मैं नियमित पायनियर कार्य [पूर्ण-समय सेवकाई] शुरू करने ही वाली हूँ।”
इटली से नोएमी ने समान रूप से लिखा, और कहा कि युवाओं के लिए कैथी की इच्छा कि वे अपने स्वास्थ्य को, व्यर्थ कामों में नहीं, परन्तु यहोवा की सेवा में बुद्धिमत्ता से प्रयोग करें “हज़ारों युवाओं के लिए एक प्रोत्साहन होगी, जिसमें मैं भी शामिल हूँ।” नोएमी ने आगे कहा: “मैं उससे नए संसार में मिलने का बेताबी से इंतज़ार कर रही हूँ, जब यह सबकुछ गुज़र चुका होगा। अपनी हाइस्कूल की पढ़ाई ख़त्म करते ही मैं पायनियर कार्य शुरू करनेवाली हूँ।”
फ्लोरिडा, अमरीका से रशेल ने लिखा: “मेरी उम्र १८ साल है, और कुछ समय से मैं पायनियर कार्य के बारे में विचार करती रही हूँ। जब मैं ने यह लेख पढ़ा ‘जब ज़िन्दगी आसान नहीं होती,’ तब किसी व्यक्ति को जो मेरी तरह युवा है ऐसी कठिनाइयों को सहन करते देखकर, मुझे बहुत प्रोत्साहन मिला। कैथी ने मुझे प्रेरित किया है कि अपना स्वास्थ्य, जैसे उसने कहा, ‘व्यर्थ कामों में नहीं, परन्तु यहोवा की सेवा में बुद्धिमत्ता से प्रयोग करूँ।’”
माइक्रोनेशिया में चूक द्वीप से कुछ मिशनरियों ने लिखा: “हमारे पायनियर यहाँ भौतिक रूप से ग़रीब हैं। लेकिन बहन रॉबरसन के अनुभव ने उनकी मदद की कि उनके पास जो है उसकी क़दर करें। उन्हें समझ आया कि यद्यपि वे भौतिक रूप से ग़रीब हैं, उन्हें बलवन्त शरीर की आशीष प्राप्त है जो उन्हें यहोवा की सेवा पूर्ण-समय करने में समर्थ करता है। यह उनके लिए एक अच्छा अनुस्मारक था कि जो उनके पास है उसके लिए शुक्रगुज़ार हों और अपने बल को यहोवा की सेवा में प्रयोग करें।”
फ्राँस में पायनियर स्कूल में उपस्थित होनेवाले १६ विद्यार्थियों का एक समूह कैथी को सोसन के फूलों की एक तस्वीर इस प्रोत्साहन के साथ भेजने के लिए प्रेरित हुआ: “हमारे महान सृष्टिकर्ता के लिए अपने समय का प्रयोग करने के आपके प्रोत्साहन को हम नहीं भूलेंगे।”
फ्राँस से एक और युवा ने लिखा: “युवा और शैतान के मुख्य निशाना होते हुए, कभी-कभी हमें यहोवा के प्रति निष्ठावान रहना कठिन लगता है। फिर भी, जब हम ऐसी बढ़िया और दिल को छूनेवाली कहानियाँ पढ़ते हैं, तो यह जानकर कि कैथी जैसे अन्य युवा तकलीफ़ के बावजूद अपनी खराई रखते हैं, हमें नया बल और उत्साह मिलता है। क्या ही बढ़िया उदाहरण!”
“मैं लगभग आपकी उम्र की हूँ और मेरा स्वास्थ्य बहुत अच्छा है,” ओहायो, अमरीका से नेडीन ने लिखा। “कई बार मैं छोटी बातों को यहोवा के लिए मेरी सेवा में हस्तक्षेप करने देती हूँ। आपकी कहानी के पठन ने मुझे अपने जीवन को गंभीरतापूर्वक जाँचने के लिए मजबूर किया, मुझे एहसास हुआ कि मैं ने कितना क़ीमती वक़्त बरबाद कर दिया है। आप मेरे लिए एक प्रेरणा रही हैं।”
ब्राज़ील से एक युवती ने कहा: “उसने मेरे दिल को छू लिया और हमारे परमेश्वर की सेवा और पूर्ण रूप से करने के लिए मेरी इच्छा को बढ़ाया।”
कनाडा की एक युवा ने लिखा: “मेरी उम्र १५ साल है। दो साल पहले, मुझे पता चला कि मैं ऑटोइम्यून हॆपटाइटिस से पीड़ित हूँ। कैथी रॉबरसन के अनुभव के कारण, मुझे समझ आया कि मेरी स्वास्थ्य स्थिति के बावजूद, मैं भी जब तक वक़्त है यहोवा की सेवा वफ़ादारी से कर सकती हूँ और कि मुझे पूरी तरह ठीक होने के लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञात नयी व्यवस्था का धीरज से इंतज़ार करना है।”
न्यू जर्सी, अमरीका से जनॆट ने लिखा: “जिन-जिन बाधाओं को उसने पार किया और जो विश्वास उसने प्रदर्शित किया, हम सभी की मदद करते हैं कि ऐसी किसी भी समस्याओं के बावजूद जो हमें हो सकती हैं, यहोवा की सेवा में ज़्यादा करने के लिए प्रयास करते रहने को दृढ़संकल्पी रहें। मैं उसके अनुभव को अपने कुछ बाइबल विद्यार्थियों के लिए इस्तेमाल करने की सोच रही हूँ, ताकि स्कूल से स्नातक होने पर पायनियर सेवा करने का लक्ष्य रखने के लिए उन्हें प्रेरित करूँ।”
बड़े-बूढ़े भी प्रोत्साहित
कैलिफोर्निया, अमरीका से एक स्त्री ने लिखा: “आपने हमारी ज़िन्दगी की छोटी बातों को निश्चय ही अलग कर दिया है और ज़िन्दगी को इसके बुनियादी, मूल तत्व—यहोवा के साथ हमारे सम्बन्ध—तक ले आयीं।” उसने आगे कहा: “यद्यपि मेरी युवावस्था बहुत पीछे रह गयी है, आपके अनुभवों ने और आपके नज़रिए ने मुझे गहराई तक छू लिया और मुझे प्रेरित किया। इसने मुझे मेरी प्राथमिकताओं पर फिर से विचार करने में मदद की है।”
कैलिफोर्निया से एक और चिट्ठी ने कहा: “आप जिस दौर से गुज़री हैं वह ऐसी किसी भी परीक्षा जितनी बड़ी है जिससे जर्मनी या मलावी या अन्य किसी जगह, जिसके बारे में मैं ने पढ़ा है, के हमारे भाई-बहन गुज़रे। मैं अब ६८ साल की हूँ, इसलिए मैं ने ढेर सारे अनुभव देखे, सुने और पढ़े हैं। आपकी कहानी छोटे-बड़े सभी के लिए एक आशीष होगी।”
साऊथ कैरोलीना, अमरीका से एक स्त्री ने स्वीकार किया: “मैं बच्ची नहीं हूँ। मेरी उम्र क़रीब-क़रीब ७० साल है।” उसने मूल्यांकन व्यक्त करते हुए लिखा: “आप एक और अय्यूब हो। आशा करती हूँ कि छोटे-बड़े सभी आपके धीरज पर ध्यान देंगे।”
एक और चिट्ठी ने कहा: “कैथी के विश्वास और संकल्प ने मेरे दिल को छू लिया। मेरी उम्र क़रीब-क़रीब ५७ साल है, और मेरा एक लक्ष्य था कि सेवानिवृत्त होने पर यहोवा की सेवा में ज़्यादा समय दूँ, लेकिन हाल ही में रोग-निदान किया गया कि मुझे कैंसर है। मैं कितना पछताता हूँ कि जब मेरी उम्र कम थी और मेरा स्वास्थ्य अच्छा था, तब मैं ने यहोवा के लिए ज़्यादा काम नहीं किया! हम में से कोई नहीं बता सकता कि एक गंभीर बीमारी कब इस विशेषाधिकार को छीन लेगी।”
एक मसीही प्राचीन ने लिखा: “मैं इस लेख को एक ख़ास फाइल में रखनेवाला हूँ, उस वक़्त पढ़ने के लिए जब जीवन अचानक ऐसे मोड़ लेता है जिससे मेरे विश्वास की परीक्षा हो सकती है। मैं इस लेख को अपनी रखवाली फाइल में भी रखनेवाला हूँ, ऐसे प्रिय दोस्तों को प्रोत्साहित करने में इस्तेमाल करने के लिए जिन पर, जैसे-जैसे इस व्यवस्था का अन्त निकट आता है, कठिनाइयों की मानो बमवर्षा होती है।”
वाक़ई, हमें अपने विश्वव्यापी भाईचारे के सभी सदस्यों के विश्वास और साहस से बल प्राप्त होता है। (१ पतरस ५:९) हम सभी, जैसे कैथी ने किया, उस समय के बारे में बाइबल की प्रतिज्ञा की पूर्ति का उत्सुकता से इंतज़ार करते हैं, जब “मृत्यु न रहेगी।” (प्रकाशितवाक्य २१:३, ४) तब वह क्या ही शानदार समय होगा जब “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।”—यशायाह ३३:२४.
[पेज 30 पर तसवीरें]
कैथी रॉबरसन