क्या आपने एक थाइलसाइन देखा है?
ऑस्ट्रेलिया में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
‘मैंने एक क्या देखा है?’ शायद आप पूछें। ‘मैं तो यह भी नहीं जानता कि थाइलसाइन है क्या।’
असल में, “थाइलसाइन,” जंतुविज्ञानी नाम थाइलसाइनस साइनोसिफेलस का छोटा रूप है और ऑस्ट्रेलिया के एक आकर्षक जानवर, तस्मानियाई बाघ, या तस्मानियाई भेड़िए का नाम है।
थाइलसाइनस साइनोसिफेलस का शाब्दिक अर्थ है “भेड़िए के सिरवाला शिशु-धानी कुत्ता,” लेकिन इस जानवर को ऑस्ट्रेलिया के छोटे द्वीप राज्य, तस्मानिया के प्रारंभिक यूरोपीय अधिवासियों ने काफ़ी सरल विभिन्न नाम दिए। ऐसे नाम जैसे ज़ेबरा ओपोस्सम, हाइना, ज़ेबरा वूल्फ, और डॉग-हेडड ओपोस्सम सामान्य थे। आदिवासियों ने, जो तस्मानिया में केवल २०० साल पहले आए श्वेत लोगों से काफ़ी पहले से रहते थे, थाइलसाइन को कॉरिना नाम से पुकारा।
तस्मानियाई बाघ को अब विलुप्त समझा जाता है, लेकिन भरी हुई खालों के नमूनों को अब भी अजायबघरों में पाया जा सकता है। आख़री ज्ञात थाइलसाइन, १९३६ में तस्मानिया की राजधानी, होबार्ट में एक चिड़ियाघर में मरा। लेकिन, ऐसे लोग हैं जो दावा करते हैं कि तस्मानियाई जंगलों में छुपे हुए अब भी कुछ जीवित थाइलसाइन हैं, और उनको देखने की रिपोर्टें आती रहती हैं।
यद्यपि यह वास्तव में बाघ के परिवार का नहीं है, तस्मानियाई बाघ नाम संभवतः इसलिए पड़ा क्योंकि यह जानवर धारीदार है और क्योंकि यह माँस खाता है। स्पष्ट, गहरे-भूरे रंग की, लगभग काली, धारियाँ इसकी पीठ के आरपार और इसकी लम्बी, सख़्त पूँछ तक चली जाती हैं। एक और आकर्षक तथ्य यह है कि थाइलसाइन एक शिशु-धानी प्राणी है—अर्थात्, इसकी मादा के पास एक शिशु-धानी होती है। इसके बच्चे बहुत छोटे, अप्रौढ़ और दृष्टिहीन पैदा होते हैं, परन्तु वे अपनी माँ की शिशु-धानी तक पहुँच जाते हैं, जहाँ उन्हें तब तक दूध पिलाया जाता है जब तक कि वे पूरी तरह बड़े नहीं हो जाते और बाहर निकलने के लिए पर्याप्त रूप से योग्य नहीं हो जाते। यह छोटा-सा नवजात प्राणी बाहर निकलने से पहले अपनी थाइलसाइन माँ की शिशु-धानी में लगभग तीन महीने तक रहता है। लेकिन, शिशु-धानी से बाहर निकलने के बाद जल्द ही छोटा थाइलसाइन भोजन की उसकी खोज में अपनी माँ के पीछे हो लेता है।
यह दावा किया गया है कि थाइलसाइन हाल के समय में ज्ञात सबसे बड़ा मांसाहारी शिशु-धानी प्राणी है। कंगारू जैसे अन्य शिशु-धानी प्राणियों से भिन्न, मादा थाइलसाइन की शिशु-धानी शरीर के अगले भाग के बजाय पिछले भाग में खुलती है। वह चार बच्चों को एक ही समय पर उठा सकती है और दूध पिला सकती है।
थाइलसाइन कहाँ तक फैला हुआ था?
यद्यपि ऑस्ट्रेलिया के अनेक भागों में थाइलसाइन के आदिवासियों द्वारा पत्थर पर बने चित्र, जीवाश्म, और सूखे, परिरक्षित शव के नमूने पाए गए हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि थाइलसाइन का मुख्य आवास तस्मानिया था। वहाँ पर भी शायद इसकी संख्या कभी बहुत ज़्यादा नहीं थी। मनुष्य मुख्यतः इस विलोपन के लिए ज़िम्मेदार रहे हैं। तस्मानियाई बाघ ख़ुद एक परभक्षी था, फिर भी वह धूर्त और लोभी शिकारी साबित होनेवाले कुछ श्वेत अधिवासियों से अपने आप को सफलतापूर्वक नहीं बचा पाया। जिज्ञासु और अधिकतर मनुष्य से निडर होने के कारण, थाइलसाइन आसानी से बंदूक और जाल का शिकार बन जाता था।
अनेक किसानों ने दावा किया कि तस्मानियाई बाघ भेड़ों का मारनेवाला था, इसलिए बड़ी पशुचारी कंपनियों द्वारा साथ ही तस्मानियाई सरकार द्वारा आकर्षक इनाम पेश किए गए। जिन जीवित प्राणियों को पकड़ा जाता था उन्हें तुरन्त विदेशों के चिड़ियाघरों द्वारा ले लिया जाता था। हालाँकि, थाइलसाइन की जनसंख्या निःसंदेह एक ऐसे गंभीर अज्ञात रोग से प्रभावित हुई थी जिसने तस्मानिया के अधिकांश वन्यजीवन को अनेकों वर्ष पूर्व तबाह कर दिया, निःसंदेह उसकी संख्या में सबसे ज़्यादा कमी मनुष्य के द्वारा आयी है।
शिकार करने के अनोखे तरीक़े
थाइलसाइन अकसर अकेले लेकिन कभी-कभी जोड़ा बनाकर शिकार करता था। उसका तरीक़ा था कि जानवर को, जैसे कि एक छोटे कंगारू को लक्ष्य बनाना, उसके बाद सिर्फ़ उसका पीछा करना और थका देना। एक बार जब शिकार थककर धीमा पड़ जाता था, थाइलसाइन उस पर झपटता और अपने शक्तिशाली जबड़ों से उसे मार देता। इस विचित्र जानवर की एक और अनोखी विशेषता थी कि वह अपने जबड़ों को १२० डिग्री की विस्मयकारी गोलाई तक खोल सकता है!
शव के सिर्फ़ कुछ ही भाग—सामान्यतः सिर्फ़ अंदरूनी अंग—खाने की उनकी आदत के कारण कुछ लोग उन्हें मनमाने हत्यारे समझने लगे। लेकिन इस प्रतीयमान बरबादी की क्षतिपूर्ति करने के लिए, एक और थोड़ा छोटा, मांसाहारी शिशु-धानी प्राणी, मुरदारख़ोर तस्मानियन डेविल (जो अब भी अस्तित्व में है) बाघ के बाद आता और बचा-खुचा सबकुछ खा लेता—हड्डियाँ, लोम, और सबकुछ।
प्रत्यक्षतः, थाइलसाइन मनुष्य के लिए कोई ख़तरा नहीं था। ऐसा कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने कभी मनुष्यों का शिकार किया। एक वृद्ध व्यक्ति याद करता है कि अनेक साल पहले, एक बार देर रात को वह अपने कैम्पफ़ायर के सामने बैठकर पढ़ रहा था, जब लपटों से उसने अचानक एक तस्मानियाई बाघ को देखा जो नीचे झुका हुआ, दबे पाँव और डरावने रूप से उसकी ओर धीरे-धीरे आ रहा था। एक हमले के भय के कारण, उसने चुपचाप अपनी राइफल उठायी, लपटों के आर-पार देखते हुए सावधानी से निशाना साधा, और गोली दाग़ दी। थाइलसाइन ने पीछे की ओर बेढंगी कलाबाज़ी खायी लेकिन प्रत्यक्षतः उसे बुरी तरह से चोट नहीं लगी, क्योंकि वह लपककर उठा और अँधेरे में गुम हो गया। वह व्यक्ति बाद में यह देखने गया कि कहीं लहू तो नहीं था, ताकि देख सके कि उसने बाघ को किस हद तक घायल किया था। आग के बिलकुल सामने उसने एक बड़े ओपोस्सम को पाया जिसे उसकी गोली लगी थी। यह था जिसके पीछे थाइलसाइन दबे पाँव जा रहा था!
रिपोर्ट किए गए दर्शनों के बारे में क्या?
१९३६ में बंदी-स्थिति में आख़री थाइलसाइन के मरने के बाद, थाइलसाइन को देखने की बीसियों रिपोर्टें दी गयी हैं, लेकिन अब तक जंतुविज्ञानियों को विश्वास दिलाने के लिए कि कुछ थाइलसाइन अब भी ज़िन्दा हैं बहुत कम सबूत पेश किया गया है। ऐसा लगता है कि एक असल तस्वीर या एक जीवित थाइलसाइन को पकड़ना ही अधिकारियों को विश्वास दिलाएगा कि थाइलसाइन अब भी अस्तित्व में हैं।
तस्मानिया के ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले अनेक वृद्ध जन कहते हैं कि अगर उन्होंने एक तस्मानियाई बाघ को देखा तो वे इसकी रिपोर्ट नहीं करेंगे। वे इस बात से परेशान हैं कि उनके जीवन में पहले, अन्य मानव इस अनोखे जानवर के प्रत्यक्ष विलोपन के लिए ज़िम्मेदार थे। अगर कोई थाइलसाइन अब जीवित हैं भी, तो ऐसे लोग उन्हें शान्ति से रहने देना चाहते हैं।
सो अगर उनसे पूछा जाए, “क्या आपने हाल में एक थाइलसाइन देखा है?” तो उनका जवाब होगा “नहीं!”—चाहे यह सच हो या नहीं।
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Tom McHugh/Photo Researchers