तस्मानिया—छोटा द्वीप, अनोखी कहानी
ऑस्ट्रेलिया में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
“दक्षिण समुद्रों में हमें सबसे पहले यह स्थान मिला, और क्योंकि किसी यूरोपीय राष्ट्र को इसका पता नहीं है हमने [अपने] माननीय महाराज्यपाल के सम्मान में इसे ऎनटोनी वॉन डीमन्ज़लैंट का नाम दिया है।” ये शब्द नॆदरलैंडवासी एबल टैज़मन ने नवंबर २५, १६४२ में, तस्मानिया द्वीप को देखने के एक दिन बाद कहे। यह दूसरा सबसे पुराना ऑस्ट्रेलियाई राज्य है।a टैज़मन को कोई इंसान नज़र नहीं आया, लेकिन उसे दूर से आग का धुआँ ज़रूर दिखा और आस-पास के पेड़ों में १.५ मीटर की दूरी पर खाँचे कटे हुए दिखे। जिन्होंने भी वे खाँचे काटे थे, उसने लिखा, उनके पास या तो चढ़ने का अनोखा तरीक़ा था या वे दानव थे! असल में, वे खाँचे चढ़ने के लिए ही थे।
उसके बाद, वॉन डीमन्ज़ लैंड समुद्र अन्वेषकों के यात्रा मार्ग से १३० साल तक ग़ायब हो गया, जब तक कि फ्राँसीसी मारयों डूफ्रॆन और अंग्रेज़ टबायस फ़र्नो वहाँ नहीं गए। कप्तान जेम्स कुक १७७७ में वहाँ पहुँचा, और डूफ्रॆन की तरह, उसने द्वीप के अनोखे लोगों, आदिवासियों (अबॉरिजनीज़) के साथ संपर्क किया। लेकिन, उसकी यात्रा एक त्रासदी की शुरूआत थी: “कुछ राष्ट्रों के लिए [कुक] ने सभ्यता और धर्म का मार्ग खोला,” जॉन वॆस्ट तस्मानिया का इतिहास (अंग्रेज़ी) में कहता है, “[लेकिन] इस जाति [अबॉरिजनीज़] के लिए वह मृत्यु का अग्रदूत था।” कौन-सी बात ऐसे त्रासद परिणाम का कारण थी?
तस्मानिया “साम्राज्य का क़ैदख़ाना” बन जाता है
ब्रिटिश अनुशासन की छड़ी थी देश निकाला, या निर्वासन। और तस्मानिया ब्रिटेन की एक क़ैदी-बस्ती बन गया। वर्ष १८०३ से १८५२ तक, क़रीब ६७,५०० पुरुष, स्त्रियाँ, और बच्चे भी—कुछ तो बस सात साल के थे—इंग्लैंड से तस्मानिया निर्वासित किए गए। यह प्रार्थना-पुस्तकों को चुराने से लेकर बलात्कार तक के अपराधों की सज़ा थी। लेकिन, अधिकतर बंदी अधिवासियों के लिए या सरकारी परियोजनाओं पर कार्य करते थे। “१० प्रतिशत से भी कम . . . लोगों ने क़ैदी-बस्ती को अंदर से देखा,” दी ऑस्ट्रेलियन एनसाइक्लोपीडिया कहती है, “और वे अनेक जो इनमें गए वहाँ बस थोड़े ही समय के लिए रहे।” टैज़मन प्रायद्वीप पर पोर्ट आर्थर मुख्य क़ैदी-बस्ती थी, लेकिन सबसे कट्टर बंदियों को माक्वारी हार्बर भेजा जाता था, जो “यातना-स्थल” के रूप में कुख्यात था। बंदरगाह के सँकरे प्रवेश को भयानक नाम ‘नरक द्वार’ मिला।
पुस्तक यह ऑस्ट्रेलिया है (अंग्रेज़ी) में, डॉ. रूडॉल्फ़ ब्राश इस नवजात उपनिवेश का एक और महत्त्वपूर्ण पहलू समझाता है—इसकी आध्यात्मिकता, या कि उसकी कमी। वह लिखता है: “शुरू से ही, ऑस्ट्रेलिया में [जिसमें तस्मानिया निश्चित ही सम्मिलित है] धर्म के बारे में लापरवाही की गयी और उसकी उपेक्षा की गयी, और अधिक से अधिक, शासन द्वारा अपने ही लाभ के लिए उसे उपयोग और दुरुपयोग किया गया। उपनिवेश बिना प्रार्थना किए बनाया जाता था और ऑस्ट्रेलियाई भूमि पर पहला धार्मिक अनुष्ठान लगता है कि बाद में सोचकर किया गया।” जबकि उत्तर अमरीका के यात्रियों ने गिरजे बनाए, “ऑस्ट्रेलिया के आरंभिक निवासियों ने,” तस्मानिया का इतिहास कहती है, “उपस्थित होने की झंझट से बचने के लिए उनका पहला गिरजा जला दिया।”
यह पहले ही पतित नैतिकता रम (शराब) की भरमार होने के कारण और भी दूषित हो गयी। नागरिक और सैनिक, दोनों ही के लिए रम “धन का निश्चित मार्ग” था, इतिहासकार जॉन वॆस्ट कहता है।
लेकिन, कभी-कभी भोजन की कमी होती थी। ऐसे समयों में मुक्त बंदी और अधिवासी उन्हीं जानवरों का शिकार करने के लिए बंदूकों का प्रयोग करते थे जिनका पीछा आदिवासी भालों से करते थे। स्वाभाविक है कि तनाव बढ़ जाता था। अब इस विस्फोटक मिश्रण में श्वेत जातीय अहंकार, रम की भरमार, और असंगत सांस्कृतिक भिन्नताएँ मिलाइए। यूरोपीय लोग सीमाएँ बनाते और बाड़ लगाते; आदिवासी घूम-घूमकर शिकार करते और भोजन जमा करते। विस्फोट के लिए बस एक चिंगारी की ज़रूरत थी।
एक जाति लुप्त हो जाती है
वह चिंगारी मई १८०४ में भड़की। लॆफ़्टिनॆंट मूअर के नेतृत्व में एक टुकड़ी ने आदिवासी पुरुष, स्त्रियों, और बच्चों के एक बड़े शिकारी दल पर अकारण गोली चलायी—जिसमें अनेक जन मारे गए और घायल हुए। “अश्वेत युद्ध”—एक ओर भाले-पत्थर, दूसरी ओर बंदूकें—छिड़ गया था।
अनेक यूरोपीय लोग आदिवासियों का संहार देखकर स्तब्ध रह गए। राज्यपाल सर जॉर्ज आर्थर इतना व्यथित हुआ कि उसने यह इच्छा व्यक्त की कि ‘अनजाने में सरकार ने आदिवासियों को जो नुक़सान पहुँचाया था उसकी भरपाई करने के लिए’ वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है। अतः, उसने उन्हें “इकट्ठा करने” और “सभ्य बनाने” का कार्यक्रम शुरू किया। “अश्वेत रेखा” नाम के अभियान में, क़रीब २,००० सैनिक, अधिवासी, और बंदी जंगलों में गए ताकि आदिवासियों को पकड़कर लाएँ और उन्हें सुरक्षित स्थान पर बसाएँ। लेकिन यह अभियान बुरी तरह से असफल हो गया; वे सिर्फ़ एक स्त्री और एक लड़के को ही पकड़ पाए। फिर, एक प्रसिद्ध मॆथोडिस्ट, जॉर्ज ए. रॉबिनसन ने और अधिक समझौताकारी पहुँच को बढ़ावा दिया, और यह कारगर हुई। आदिवासियों ने उस पर भरोसा किया और तस्मानिया के उत्तर में, फ़्लिन्डर्ज़ द्वीप पर बसने का उसका प्रस्ताव स्वीकार किया।
अपनी पुस्तक ऑस्ट्रेलिया का इतिहास (अंग्रेज़ी) में, मार्जरी बर्नर्ड रॉबिनसन की उपलब्धि के बारे में कहती है: “असल में, जबकि वह शायद ख़ुद भी इसके बारे में काफ़ी अनजान था, उसके समझौते में धोखे की गंध थी। अभागे आदिवासियों को बैस स्ट्रेट में फ़्लिन्डर्ज़ द्वीप पर अलग करके रॉबिनसन को उनका संरक्षक बना दिया गया। वे कमज़ोर होकर मर गए।” रहन-सहन और खान-पान में ज़बरदस्ती कराए गए बदलाव ने वह वसूली ले ली जो गोलियों ने छोड़ी थी। एक स्रोत कहता है कि “आख़िरी अमिश्रित तस्मानियाई आदिवासी फ़ैनी कॉकरॆन स्मिथ थी, जो होबर्ट में १९०५ में मरी।” इस पर विशेषज्ञों के मत अलग-अलग हैं। कुछ का कहना है कि ट्रूगानीनी आख़िरी थी, वह स्त्री जो होबर्ट में १८७६ में मरी, दूसरे एक और स्त्री को आख़िरी मानते हैं जो कैंगरू द्वीप पर १८८८ में मरी। तस्मानियाई आदिवासियों के मिश्रित वंशज आज जीवित और ठीक-ठाक हैं। मानवजाति द्वारा की गयी क्रूरता की सदा-बढ़ती सूची में जुड़े हुए, इस हादसे को उचित ही “राज्य की सबसे बड़ी त्रासदी” कहा गया है। इसके अलावा, यह इस बाइबलीय सत्य पर ज़ोर देता है कि “एक मनुष्य दूसरे मनुष्य पर अधिकारी होकर अपने ऊपर हानि लाता है।”—सभोपदेशक ८:९.
तस्मानिया की दृश्य विषमताएँ
आज, यदि आप संग्रहालयों, पुस्तकालयों, या क़ैदख़ानों के खंडहरों में न जाएँ तो आपको शायद पता भी न चले कि यह सुंदर द्वीप किस अग्निपरीक्षा से गुज़रा है। तस्मानिया भूमध्य-रेखा से दक्षिण की ओर उतनी ही दूरी पर है जितनी दूरी पर उत्तर की ओर रोम, सापोरो, और बॉस्टन हैं। और अपने इतिहास की तरह, इसके भूगोल में भी स्पष्ट विषमताएँ हैं, जबकि इस द्वीप पर कोई भी स्थान समुद्र से ११५ किलोमीटर से अधिक की दूरी पर नहीं है।
तस्मानिया के कुल क्षेत्र का ४४ प्रतिशत भाग जंगल है और २१ प्रतिशत राष्ट्रीय उद्यान है। विरले ही ऐसे अनुपात मिलते हैं! द लिटिल टैसी फ़ैक्ट बुक के अनुसार, “संसार के आख़िरी बचे विशाल अक्षत शीतोष्ण बीहड़ क्षेत्रों में से एक है पश्चिमी तस्मानिया का विश्व प्राकृतिक-संपत्ति क्षेत्र।” वर्षा- और हिम-पोषित झीलें, नदियाँ, और झरने—मछलियों से लबालब—पॆंसिल देवदारु, गंधसफ़ेदा, मेहँदी, श्यामवृक्ष, ससाफ्रास, चीमड़वृक्ष, धनिया-फुनगी देवदारु, और ह्यूऑन देवदारु और अनेक अन्य वृक्षों के जंगलों को हरा-भरा रखते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि केंद्रीय-पश्चिमी पठार के उच्च मैदानों से मिला नज़ारा और इसकी प्रायः बरफ़ से ढकी चोटियाँ प्रकृति प्रेमियों को यहाँ बार-बार खींच लाती हैं।
लेकिन “विश्व प्राकृतिक-संपत्ति” आरक्षण बिना संघर्ष के नहीं हो पाया। और पर्यावरण के हितैषी अभी भी खनन, काग़ज़-उत्पादन, और जलविद्युत-शक्ति के हितैषियों के विरोध में अंदर ही अंदर खदखदा रहे हैं। क्वीन्सटाउन नामक एक खनन नगर का ऊबड़-खाबड़ भू-दृश्य प्राकृतिक साधनों के विचारहीन शोषण के परिणामों का एक कटु अनुस्मारक है।
स्थानीय पशुओं को भी नुक़सान पहुँचा है—ख़ासकर थाइलासाइन, या तस्मानियाई बाघ को, जो हलका-भूरा, कुत्ते-जैसा धानी-प्राणी है। इसकी पीठ और पुट्ठे पर गहरी धारियों के कारण इसे बाघ का नाम मिला। दुःख की बात है, इस दुबले, शर्मीले माँसाहारी ने मुर्गियों और भेड़ों के लिए स्वाद बढ़ा लिया। उसका सफ़ाया करने के लिए इनाम रखा गया और १९३६ तक वह लुप्त हो गया।
एक और अनोखा तस्मानियाई धानी-प्राणी, तस्मानियाई शैतान लुप्त नहीं हुआ। अपने मज़बूत जबड़ों और दाँतों का प्रयोग करके यह माँसल, छः से आठ किलोग्राम का मुरदाख़ोर एक मरे हुए कंगारू को पूरा का पूरा, हड्डी और खोपड़ी सहित खा सकता है।
तस्मानिया अपने छोटी दुमवाले पानीकाट पक्षी, या मटनबर्ड के लिए भी विख्यात है। तस्मानियाई समुद्र से शुरू करके और प्रशांत का लगभग पूरा चक्कर काटकर, यह हर साल उसी रेतीले बिल में लौट आता है—ऐसा आश्चर्यक्रम जो सचमुच उसके अभिकल्पक और रचयिता को श्रेय देता है।
पास ही इसके अपने रात्रि-घोंसलों में एक और पक्षी रहता है—वह जो पानी के नीचे “उड़ता” है—प्यारा-सा, एक-किलोग्राम का, छोटी-चोंचवाला फ़र का बंडल, जिसे परी पॆंगुइन कहते हैं। यह सबसे छोटे क़िस्म का पॆंगुइन सबसे ज़्यादा शोर भी मचाता है! इसके खेल की रफ़्तार घटती-बढ़ती रहती है, कभी-कभी तो आवाज़ और करतब बहुत-ही तेज़ हो जाते हैं। जब ये रोमानी मूड में होते हैं, तब इनका जोड़ा एक दूसरे के प्रति अपने लगाव को पक्का करने के लिए युगलगीत भी गा सकता है। लेकिन, दुःख की बात है कि बहुत-से परी पॆंगुइन मछुवारों के गिल-जाल में फँसने, तेल रिसने, प्लास्टिक की चीज़ों को ग़लती से भोजन समझने, या कुत्तों और जंगली बिल्लियों द्वारा मारे जाते हैं।
द्वीप का ज़्यादा शांत रूप
केंद्रीय पठार के किनारे से उत्तर या पूरब की ओर देखिए और आपको तस्मानिया का ज़्यादा मोहक रूप दिखेगा, उसके लहलहाते, चाकलेटी खेत, बल खाती नदियाँ और नहरें, सड़कों के किनारों पर लगे पेड़ों की कतारें, और हरे-भरे मैदानों में कुछ-कुछ दूरी पर भेड़-बकरियाँ और गाय-भैंसें दिखेंगी। उत्तरी नगर लिलीडेल के पास, जनवरी में चमेलिया के बाग़ों में पूरी तरह बहार आयी होती है जो कि इस ग्रामीण रंगीनी में मनभावन सुगंध और हलका बैंगनी रंग भरती है।
डरवॆंट नदी की दोनों ओर, सेब के बाग़ों के पास ही जिनके कारण तस्मानिया को सेब द्वीप का नाम मिला है, राजधानी होबर्ट है जिसकी आबादी क़रीब १,८२,००० है। यहाँ १,२७० मीटर ऊँचा, विशाल और रूखा-सा वॆलिंगटन पर्वत छाया हुआ है। खुले दिन में, यह प्रायः बरफ़ से ढका पहाड़ नीचे के नगर का साफ़ नज़ारा देता है। होबर्ट ने १८०३ से अब तक लंबा सफ़र तय किया है, जब लॆफ़्टिनॆंट जॉन बोवॆन और उसके ४९ जनों के दल ने, जिसमें ३५ बंदी भी थे, पहली बार रिस्डन कोव में क़दम रखा था। जी हाँ, अब पाल-नाव और चरमराते काठ नहीं रहे, लेकिन साल में एक बार सिडनी-से-होबर्ट तक थकाऊ नौका दौड़ उन बीते दिनों की याद जगाती है जब रंग-बिरंगी आधुनिक तिकोने और पतले आकार की नौकाएँ शोर-मचाती भीड़ के सामने से तेज़ी से निकलकर सीधे होबर्ट के बीचोंबीच पहुँचती हैं।
सताहट के देश से आत्मिक परादीस तक
जॆफ़री बटरवर्थ, जो लॉनसॆसटन में हुए यहोवा के साक्षियों के १९९४ “ईश्वरीय भय” ज़िला अधिवेशन में उपस्थित २,४४७ जनों में से एक था, याद करता है: “मुझे वह समय याद है जब पूरे तस्मानिया में बस ४० के क़रीब साक्षी थे।” अब लगभग २६ कलीसियाएँ और २३ राज्यगृह हैं।
“लेकिन स्थिति हमेशा इतनी अच्छी नहीं थी,” जॆफ़ आगे कहता है। “उदाहरण के लिए, १९३८ में, टॉम किटो, रॉड मॆकविली, और मैं अपने आगे-पीछे विज्ञापन लगाकर, बाइबल जन भाषण ‘सच्चाई का सामना कीजिए’ का प्रचार कर रहे थे। यह झूठे धर्म का चुभनेवाला परदाफ़ाश था जो एक रेडियो नॆटवर्क के द्वारा लंदन से प्रसारित किया जानेवाला था। जब मैं अपने साथियों के पास आया, तब उन्हें युवाओं का एक गुट तंग कर रहा था। और पुलिस बस खड़ी देख रही थी! मैं मदद करने के लिए दौड़ा और जल्द ही ढकेल दिया गया। लेकिन एक आदमी मेरी कमीज़ को पीछे से पकड़कर मुझे दूर घसीट ले गया। मुझे पीटने के बजाय, वह आदमी भारी आवाज़ में बोला: ‘उन्हें अकेला छोड़ दो!’ फिर, उसने मुझे धीरे-से कहा: ‘मैं जानता हूँ कि सताहट झेलना कैसा होता है, दोस्त, मैं आयरलैंडवासी हूँ।’”
यहोवा ने उन आरंभिक पायनियरों को आशिष दी, क्योंकि आज परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार ४,५२,००० लोगों के इस द्वीप के सभी भागों में पहुँच गया है। आरंभिक बंदियों और आदिवासियों के अनेक वंशज एक स्वच्छ पृथ्वी पर उन सभी—अश्वेत और श्वेत—लोगों का फिर से स्वागत करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं जो शुरू के उन क्रूर दिनों में इतने अन्याय से मारे गए, क्योंकि बाइबल प्रतिज्ञा करती है कि “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।” (प्रेरितों २४:१५) यह बदलाव इतना बड़ा होगा कि “पहिली बातें स्मरण [भी] न रहेंगी।”—यशायाह ६५:१७.
[फुटनोट]
a तस्मानिया नाम को औपचारिक रूप से नवंबर २६, १८५५ में अपनाया गया। सबसे पुराना राज्य है न्यू साउथ वेल्स।
[पेज 19 पर नक्शे/तसवीरें]
ऊपर: क्रेडल पर्वत और डव झील
ऊपर दाएँ: तस्मानियाई शैतान
नीचे दाएँ: दक्षिण-पश्चिम तस्मानिया में वर्षा-प्रचुरवन
ऑस्ट्रेलिया
तस्मानिया
[चित्र का श्रेय]
तस्मानियाई शैतान और तस्मानिया का नक़्शा: Department of Tourism, Sport and Recreation – Tasmania; ऑस्ट्रेलिया का नक़्शा: Mountain High Maps® Copyright © 1995 Digital Wisdom, Inc.