स्वीकार्य समाधानों की तलाश में
प्रदूषण उत्पन्न करने में मोटर गाड़ियाँ अकेली नहीं हैं। निजी परिवारों, औद्योगिक संयंत्रों, एवं बिजली संयंत्रों को भी ज़िम्मेदारी उठानी चाहिए। फिर भी, वह भाग उल्लेखनीय है जो मोटर गाड़ियाँ प्रदूषण फैलाने में अदा करती हैं।
दरअसल, ग्रह को बचाने के लिए ५००० दिन यह कहने का जोखिम उठाती है: “यदि इन सभी नुक़सानों का हिसाब देना पड़ता—विशेषकर कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन से हमारे हवामान का नुक़सान—तो फिर सम्भवतः कार फिर कभी नहीं बनाई जातीं।” तथापि, यह स्वीकार करती है: “परन्तु वह एक ऐसा विकल्प है जिस पर न तो कार निर्माता, न सड़क उद्योग, ना सरकारी एजेन्सियाँ, वास्तव में ना ही सामान्य जनता, जिनका जीवन अधिकाधिक रूप से व्यक्तिगत परिवहन पर निर्भर करता है, विचार करने के लिए तैयार हैं।”
क्या उसी टॆक्नॉलॉजी को, जिसने मनुष्य को चाँद पर पहुँचाया, एक प्रदूषण-मुक्त कार बनाने में समर्थ नहीं होना चाहिए? कभी-भी करना उतना आसान नहीं होता जितना कि कहना, सो जब तक एक प्रदूषण-मुक्त कार विकसित करने की बाधाओं को पार किया जा सके, तब तक अन्य स्वीकार्य समाधानों की तलाश जारी है।
प्रदूषकों में कटौती करना
१९६० के दशक में अमरीका ने प्रदूषकों के उत्सर्जन पर रोक लगाने के लिए मोटर गाड़ियों में नियंत्रण-यंत्र बिठाने की माँग करते हुए विधान पारित किया। अन्य देशों एवं सरकारों ने तब से ऐसा ही किया है।
कैटॆलिटिक कनवर्टरस्, जो सीसा-रहित पेट्रोल के प्रयोग की माँग करते हैं, अब हानिकारक प्रदूषकों को निकालने के लिए व्यापक रूप से प्रयोग किए जा रहे हैं। १९७६ एवं १९८० के बीच, बड़ी संख्या में मोटर-चालकों के सीसा-रहित पेट्रोल का प्रयोग शुरू करने के बाद, अमरीकियों के खून में सीसे का प्रमाण एक तिहाई गिर गया। और यह अच्छा ही हुआ क्योंकि सीसे की अधिकता स्नायुतन्त्र को प्रभावित कर सकती है एवं सीखने की क्षमता में बाधा डाल सकती है। लेकिन यह अफ़सोस की बात है कि जबकि विकसित संसार के अनेक देशों के सीसे के प्रमाण में गिरावट आयी है, यही बात कम-विकसित देशों के बारे में नहीं कही जा सकती।
कैटॆलिटिक कनवर्टरस् की सफलता संतोषजनक है, परन्तु उनका प्रयोग विवादास्पद बना रहता है। कार्य-क्षमता में कमी के कारण जो तब परिणित हुई जब सीसा मिलाना बन्द कर दिया गया, पेट्रोल के हाइड्रोकार्बन का संमिश्रण बदल दिया गया। यह अन्य कार्सिनोजनकों के उत्सर्जनों की वृद्धि में परिणित हुआ है, जैसे कि बॆंज़िन एवं टॉलुइन, जिनके उत्सर्जन प्रमाण को कैटॆलिटिक कनवर्टरस् कम नहीं कर सकते।
इसके अलावा, कैटॆलिटिक कनवर्टरस् प्लैटिनम के प्रयोग की माँग करते हैं। ब्रिटेन के इम्पीरियल कॉलेज के आचार्य, इअन थॉर्नटन के अनुसार, उनका एक गौण-प्रभाव सड़क के किनारे की मिट्टी में निक्षिप्त प्लैटिनम में बढ़ोतरी रहा है। उसने आगाह किया कि “प्लैटिनम के विलयशील प्रकार खाद्य श्रंखला में प्रवेश कर सकते हैं।”
“उत्तर अमरीका, जापान, दक्षिण कोरिया एवं अनेक यूरोपीय देशों में कैटॆलिटिक कनवर्टरस्” की किसी भी सफलता के बावजूद, ग्रह को बचाने के लिए ५००० दिन यथार्थवादिता से स्वीकार करती है, “दुनिया-भर में कारों की संख्या में प्रचंड बढ़ोतरी ने वायु गुणवत्ता के लाभों को पूरी तरह कम कर दिया है।”
धीमे चलाना
कार उत्सर्जनों में कटौती करने का एक और तरीक़ा है धीमे चलाना। परन्तु संयुक्त राष्ट्र में, कुछ राज्यों ने हाल ही में गति-सीमा बढ़ायी है। जर्मनी में, प्रतिबन्ध लगाना अलोकप्रिय है। कार निर्माता जिनका विक्रय-मूल्य ऐसे शक्तिशाली मोटर बनाने की क्षमता है, जो आसानी से सामान्य गति से १५० किलोमीटर प्रति घंटे से ज़्यादा देते हैं, स्वाभाविक रूप से इसके विरुद्ध है, ठीक जैसे चालकों की बड़ी संख्या भी है। परन्तु, अब ऐसा लगता है कि अधिकाधिक जर्मन गति प्रतिबन्धों को स्वीकारने के लिए इच्छुक हैं, केवल पर्यावरण-सम्बन्धी कारणों के लिए ही नहीं परन्तु सुरक्षा की ख़ातिर भी।
कुछ देशों में जब प्रदूषण अस्वीकारयोग्य स्तर तक पहुँच जाता है, तब चालकों से माँग की जाती है कि वे धीमे चलाएँ—या सम्भवतः गाड़ी चलाना पूरी तरह बन्द कर दें। १९९५ के एक मतदान ने प्रकट किया कि जर्मनी के ८० प्रतिशत लोग गति-सीमा के प्रयोग से सहमत होंगे, यदि ओज़ोन मात्रा बहुत बढ़ जाती है। दुनिया-भर के कई शहरों ने, जिनमें एथॆंस एवं रोम भी शामिल हैं, कुछ स्थितियों में गाड़ी चलाने पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए पहले ही क़दम उठाएँ हैं। अन्य शहर भी ऐसा ही करने पर विचार कर रहे हैं।
सायकिल इस्तेमाल करना
ट्रैफिक को कम करने के लिए, कुछ शहरों ने बस के सफ़र के लिए दर कम कर दिए हैं। अन्य लोग उन चालकों के लिए मुफ़्त बस परिवहन प्रदान करते हैं जो अपनी कारों को उपलब्ध जगहों में खड़ी करने के लिए एक छोटा-सा शुल्क देते हैं। अन्य शहरों में केवल बसों एवं टैक्सियों के लिए गलियाँ आरक्षित हैं ताकि इस प्रकार के परिवहन को तेज़ किया जा सके।
इस समस्या से जूझने का एक नया तरीक़ा हाल ही में द यूरोपियन में नोट किया गया: “नॆदरलैंड्स में १९६० के दशक के उत्तरार्द्ध में एक अभियान से प्रेरित होकर, चतुर डॆनमार्कवासियों ने वायु प्रदूषण एवं ट्रैफिक की भीड़-भाड़ को घटाने के लिए, लोगों को चार के बजाय दुपहिया-गाड़ियों का प्रयोग करने के लिए राज़ी करने की एक योजना बनायी है।” समस्त कोपनहॆगन की सड़कों पर विभिन्न स्थानों पर सायकिलें रखी हैं। यंत्र में एक सिक्का डालने से एक सायकिल प्रयोग के लिए मुक्त हो जाती है। जमा किया गया पैसा वापस लिया जा सकता है जब सायकिल को एक सुलभ स्थान पर बाद में लौटा दिया जाता है। यह तो समय ही बताएगा कि क्या यह योजना व्यावहारिक साबित होगी एवं लोकप्रिय होगी या नहीं।
कारों के बदले सायकिलों के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए, कुछ जर्मन शहर एकतरफ़ी सड़कों पर उलटी दिशा में सायकिल चलाने की इजाज़त देते हैं! क्योंकि शहर की लगभग एकतिहाई एवं गाँवों की एक तिहाई से अधिक अंतरयात्रा तीन किलोमीटर से कम है, अनेक नागरिक उनमें से अधिकांश यात्रा पैदल या सायकिल से कर सकते हैं। यह प्रदूषण को कम करने में मदद देगा; उसी समय चालकों का ज़रूरी व्यायाम होगा।
पुनःरचना करना
प्रदूषण-मुक्त गाड़ियों की रचना करने का कार्य चालू है। बैटरियों पर चलनेवाली इलेक्ट्रिक कारें बनायी गयी हैं, परन्तु वे गति एवं प्रचालन समय के मामले में सीमित हैं। यही बात सौर-चलित कारों के बारे में सच है।
जाँच की जा रही एक और सम्भावना है ईंधन के तौर पर हायड्रोजन का प्रयोग करना। हायड्रोजन लगभग किसी भी प्रदूषक के उत्सर्जन के बिना जलता है, परन्तु उसकी क़ीमत प्रतिषेधक है।
वाहन के पुनःआविष्कार की ज़रूरत को समझते हुए, अमरीकी राष्ट्रपति क्लिंटन ने १९९३ में घोषणा की कि सरकार एवं अमरीकी वाहन उद्योग भविष्य के लिए कार की रचना करने में सहयोग देंगे। उन्होंने कहा: “हम एक ऐसे शिल्पवैज्ञानिक साहसकर्म का आरम्भ करने की कोशिश करनेवाले हैं जो इतना महत्त्वाकांक्षी है जितना कि हमारे राष्ट्र ने कभी आज़माया हो।” क्या “२१वीं सदी के लिए पूर्णतः कार्यक्षम एवं पारिस्थितिक रूप से मैत्रीपूर्ण वाहन बनाना” सम्भव होगा, जिसके बारे में उन्होंने कहा, यह देखा जाना है। योजनाएँ एक दशक के भीतर एक नमूना बनाने की माँग करती हैं—परन्तु, एक बहुत बड़ी क़ीमत पर।
कुछ कार निर्माता उन नमूनों पर काम कर रहे हैं जो गैसोलीन एवं बिजली के संमिश्रण पर चलते हैं। जर्मनी में पहले से ही—एक बड़ी क़ीमत पर—एक इलॆक्ट्रिक स्पोर्ट्स कार उपलब्ध है, जो नौ सेकंड में ही स्थिर स्थिति से १०० किलोमीटर प्रति घंटे की गति पाने में सक्षम है, और १८० की सबसे तेज़ गति की ओर अग्रसर है। परन्तु २०० किलोमीटर के बाद उसकी बैटरी की शक्ति ख़त्म हो जाती है एवं बन्द पड़ जाती है जब तक कि उसकी बैटरियों को कम-से-कम तीन घंटों तक पुनःचार्ज नहीं किया जाए। अनुसंधान जारी है, और अतिरिक्त प्रगति की अपेक्षा की जाती है।
समस्या का सिर्फ़ भाग
ज़हरीले उत्सर्जन से कैसे पीछा छुड़ाएँ यह समस्या का सिर्फ़ भाग है। कारें ध्वनि प्रदूषण भी करती हैं, एक ऐसी बात जो भीड़-भाड़वाले रास्ते के नज़दीक रहनेवाला कोई भी व्यक्ति अच्छी तरह जानता है। क्योंकि यातायात की नियमित आवाज़ सेहत पर प्रतिकूल असर कर सकती है, यह भी समस्या का एक प्राथमिक भाग है जिसे सुलझाए जाने की ज़रूरत है।
प्रकृति प्रेमी यह भी बताएँगे कि अनेक ग्रामीण भागों की प्राकृतिक सुंदरता को मीलों लम्बे बदसूरत महामार्गों द्वारा नष्ट किया गया है, जिनके पास ही शायद असुंदर व्यावसायिक क्षेत्र एवं इश्तेहार-तख़्त हों। परन्तु जैसे-जैसे कारों की संख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे अधिक रास्तों की ज़रूरत भी बढ़ती है।
कुछ वाहन, अपने मालिकों की सेवा में सालों तक प्रदूषण फैलाने के बाद, प्रदूषण फैलाने के अपने तरीक़ों को “मृत्यु के पश्चात्” भी जारी रखते हैं। त्यागी हुई गाड़ियाँ, जो सिर्फ़ आँख का काँटा होती हैं, एक ऐसी समस्या बन गयी है कि ग्रामीण-भागों में उनके अनुचित रूप से जमा होने से बचने के लिए कुछ जगहों में विधान पारित करना पड़ा है। क्या एक आदर्श वाहन, जो पुनःचालित करने के लिए आसान सामग्रियों से बना हो, कभी बनाया जाएगा? एक ऐसी गाड़ी कहीं नज़र नहीं आती।
“अधिकांश जर्मनवासी पर्यावरण को लेकर बहुत ही चिन्तित हैं,” एक हाल का अख़बार नोट करता है, और आगे कहता है, “परन्तु कुछ ही लोग उसके माफ़िक़ काम करते हैं।” एक सरकारी अधिकारी को इस प्रकार कहते हुए उद्धृत किया गया है: “कोई भी ख़ुद को क़सूरवार नहीं समझता, ना ही कोई हिसाब देने के लिए तैयार है।” जी हाँ, एक ऐसे संसार में समस्याओं को सुलझाना मुश्किल है जिसकी विशेषता ऐसे लोग हैं, जो “अपस्वार्थी” तथा “कोई सहमती न करनेवाले” (NW) हैं।—२ तीमुथियुस ३:१-३.
स्वीकार्य समाधानों की तलाश अब भी जारी है। क्या प्रदूषण एवं वाहन के लिए एक आदर्श समाधान कभी मिल सकेगा?
[पेज 7 पर तसवीर]
क्या हमारे सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करने, कार पूलिंग करने, या एक सायकिल चलाने से प्रदूषण कम किया जा सकता है?