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  • जलप्रलय सच या कहानी?

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  • जलप्रलय सच या कहानी?
  • सजग होइए!–1997
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सजग होइए!–1997
g97 3/8 पेज 24-25

बाइबल का दृष्टिकोण

जलप्रलय सच या कहानी?

‘और सब पशुओं में से दो दो जहाज़ में नूह के पास गए।’—उत्पत्ति ७:८, ९.

किसने नूह के समय के जलप्रलय के बारे में नहीं सुना? शायद आप इस कहानी को बचपन से जानते हैं। वाक़ई, अगर आप स्थानीय पुस्तकालय में जलप्रलय के बारे में खोज करने जाएँ, तो आप शायद इस विषय पर बड़ों से ज़्यादा बच्चों के लिए लिखी ढेर सारी किताबें पाएँ। इसलिए, शायद आप जलप्रलय के वृत्तान्त को महज़ सोते समय सुनायी जानेवाली कहानी के रूप में लें। अनेक लोग महसूस करते हैं कि नूह के जलप्रलय का वृत्तान्त, बाक़ी की अधिकांश बाइबल सहित, एक कहानी के सिवाय या, ज़्यादा से ज़्यादा, मनुष्य द्वारा गढ़े गए एक अच्छे सबक़ से ज़्यादा कुछ नहीं है।

आश्‍चर्य की बात है, कुछ ऐसे व्यक्‍ति भी जो दावा करते हैं कि उनके धार्मिक विश्‍वासों का आधार बाइबल है, संदेह करते हैं कि जलप्रलय वाक़ई आया था। कैथोलिक पादरी एडवर्ड जे. मक्लेन ने एक बार कहा कि नूह की कहानी को, इतिहास नहीं, बल्कि “एक कथा या साहित्यिक रूपक” समझा जाना था।

लेकिन, बाइबल में जलप्रलय का वृत्तान्त क्या केवल एक कथा है, जिसे कभी भी वास्तविक नहीं समझा जाना था? क्या स्वयं बाइबल ऐसे विचार की अनुमति देती है?

विश्‍वसनीय विवरण

पहले उत्पत्ति की किताब में मूसा द्वारा लिखे गए रिकार्ड को लीजिए। वहाँ हम वह अमुक साल, महीना, और दिन पाते हैं जब मूसलाधार बरसात शुरू हुई, जब जहाज़ एक स्थान पर आकर रुक गया और जब पृथ्वी सूख गयी। (उत्पत्ति ७:११; ८:४, १३, १४) हालाँकि उत्पत्ति में दूसरी जगहों पर हर बार सुनिश्‍चित तारीख़ें रिकार्ड नहीं की गयीं, ये तारीख़ें इस बात पर बल देती हैं कि मूसा ने जलप्रलय को एक वास्तविक घटना समझा। बाइबल में सत्य की खनक की तुलना अनेक कथाओं के ठेठ शुरूआती शब्दों से कीजिए, “कई साल पहले की बात है . . . ”

एक और उदाहरण के तौर पर, स्वयं जहाज़ को लीजिए। बाइबल लगभग १३३ मीटर लम्बे एक जलयान का वर्णन करती है, जो क़रीब लम्बाई-से-ऊँचाई के १० प्रति १ के अनुपात और लम्बाई-से-चौड़ाई के ६ प्रति १ के अनुपात का था। (उत्पत्ति ६:१५) और, नूह एक जहाज़ बनानेवाला नहीं था। और याद रखिए, यह ४,००० साल से भी पहले की बात है! फिर भी, बनाते वक़्त इस जहाज़ का आयाम ऐसा रखा गया था जो एक तैरते हुए जलयान के तौर पर उसके कार्य के लिए बिलकुल सही था। असल में, आधुनिक नौ-निर्माताओं ने संरचनात्मक मज़बूती और खुले समुद्र में स्थायित्व के लिए समान अनुपातों को उपयुक्‍त पाया है। हालाँकि बाइबल स्पष्ट नहीं बताती कि नूह ने जहाज़ का निर्माण करने में कितना समय लगाया, फिर भी निर्माण कार्य के वृत्तान्त के अनुसार संभव है कि ५० या ६० साल लगे हों। (उत्पत्ति ५:३२; ७:६) यह तत्व गिलगामेश की बाबुलीय वीर-कथा में पायी गयी सुप्रसिद्ध कहानी के बिलकुल विपरीत है। यह वीर-कथा एक अतिविशाल, भद्दे चौकोर का वर्णन करती है जो हर तरफ़ से क़रीब ६० मीटर था और जिसे केवल सात दिनों में बनाया गया था। उस बाबुलीय दन्तकथा से भिन्‍न, बाइबल का जलप्रलय वृत्तान्त अपनी यथार्थता में विश्‍वास बढ़ाता है।

उत्पत्ति के वृत्तान्त को छोड़कर, शास्त्र नूह या विश्‍वव्यापी जलप्रलय का दस बार उल्लेख करता है। क्या ये उल्लेख सूचित करते हैं कि उत्प्रेरित लेखक जलप्रलय को वास्तविक इतिहास या एक कहानी समझते थे?

प्रामाणिकता की पुष्टि

शास्त्र में, नूह इस्राएल जाति की दो वंशावलियों में आता है, दूसरी वंशावली का अन्त यीशु मसीह के साथ होता है। (१ इतिहास १:४; लूका ३:३६) एज्रा और लूका, इन वंशावलियों का संकलन करनेवाले, दोनों कुशल इतिहासकार थे और वे निश्‍चय ही मानते होंगे कि नूह एक वास्तविक व्यक्‍ति था।

बाइबल में अन्य स्थानों पर, नूह का नाम ऐतिहासिक पात्रों के साथ आता है, उसे धार्मिकता और विश्‍वास रखनेवाले व्यक्‍ति के रूप में बताया गया है। (यहेजकेल १४:१४, २०; इब्रानियों ११:७) क्या ये बात समझ में आती है कि बाइबल लेखक एक मनगढ़न्त व्यक्‍ति को उदाहरण के तौर पर अनुकरण करने के लिए समाविष्ट करते? नहीं, क्योंकि यह बात बाइबल के पढ़नेवालों को आसानी से इस निष्कर्ष तक पहुँचा सकती है कि विश्‍वास मनुष्यों के बस से बाहर है और केवल कहानी के पात्र इसे व्यक्‍त कर सकते हैं। नूह और अन्य विश्‍वास रखनेवाले पुरुषों और स्त्रियों की सूची दी गयी थी क्योंकि वे हमारे जैसी कमज़ोरियाँ और भावनाएँ रखनेवाले मनुष्य थे।—इब्रानियों १२:१. याकूब ५:१७ से तुलना कीजिए।

बचे हुए शास्त्रीय उल्लेखों में, नूह और जलप्रलय का उल्लेख उस अविश्‍वासी पीढ़ी पर परमेश्‍वर द्वारा लाए गए विनाश के संदर्भ में किया गया है, जो नूह के चारों ओर थी। लूका १७:२६, २७ में अभिलिखित, जलप्रलय के यीशु के उल्लेख पर ध्यान दीजिए: “जैसा नूह के दिनों में हुआ था, वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा। जिस दिन तक नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह-शादी होती थी; तब जल-प्रलय ने आकर उन सब को नाश किया।”

यीशु मसीह जिन घटनाओं का वर्णन कर रहा था, वह उसने ख़ुद अपनी आँखों से देखी थीं, क्योंकि वह पृथ्वी पर अपने जीवन से पहले स्वर्ग में जीवित था। (यूहन्‍ना ८:५८) अगर जलप्रलय केवल एक कहानी थी, तो या तो यीशु का यह अभिप्राय था कि उसकी भावी उपस्थिति एक ढोंग था या वह झूठ बोल रहा था। इनमें से कोई भी निष्कर्ष बाक़ी शास्त्र के साथ मेल नहीं खाता। (१ पतरस २:२२; २ पतरस ३:३-७) इसलिए, ख़ुद देखी गयी बातों के परिणामस्वरूप, यीशु मसीह विश्‍वास करता था कि विश्‍वव्यापी जलप्रलय का बाइबल वृत्तान्त वास्तविक इतिहास है। सच्चे मसीहियों के लिए, यह निश्‍चय ही सबसे निर्णायक प्रमाण है कि नूह के दिन का जलप्रलय वास्तविकता है, कहानी नहीं।

[पेज 24 पर चित्र का श्रेय]

L. Chapons/Illustrirte Familien-Bibel nach der deutschen Uebersetzung Dr. Martin Luthers

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