आहार—चिंता का एक विषय
“अपने मार्ग पर चला जा, अपनी रोटी आनन्द से खाया कर,” सभोपदेशक ९:७ में बाइबल कहती है। सचमुच, भोजन खाना केवल एक ज़रूरत ही नहीं परंतु जीवन का एक बहुत ही सुखद अनुभव भी है।
चौंतीस साल की उम्र के थॉमस को लीजिए। उसे गोश्त खाना पसंद है। और वह हर दिन गोश्त खाता है—अकसर एक दिन में कई बार खाता है। आम तौर पर उसके नाश्ते में दूध, कई अंडे, मक्खन से ढका हुआ ब्रॆड या टोस्ट, और सॉसेज या बेकन होता है। झटपट-भोजनालय में, वह चीस्बर्गर, आलू चिप्स् और मिल्क शेक ऑर्डर करता है। बाहर खाना खाते वक़्त, बीफ़स्टेक उसका मुख्य व्यंजन होता है। उसके मनपसंद रेस्तराँ में ६८० ग्राम का स्टेक और सॉर क्रीम में तर-बतर भुना हुआ आलू परोसा जाता है, बस उसी तरह जैसे उसे पसंद है। चॉकलेट केक पर चॉकलेट आइसक्रीम उसका मनपसंद डिज़र्ट है।
थॉमस का कद १७८ सेंटीमीटर है और वज़न ८९ किलो; १९९५ अमरीकी सरकार के आहार-संबंधी निर्देशों के अनुसार, उसका वज़न ९ किलो ज़्यादा है। “मैं अपने वज़न के बारे में चिंता नहीं करता,” थॉमस कहता है। “मेरा स्वास्थ्य बहुत बढ़िया है। पिछले १२ सालों से एक दिन भी चूके बिना मैं काम पर जाता रहा हूँ। ज़्यादातर, मैं अच्छा और चुस्त महसूस करता हूँ—हाँ, सिर्फ़ ६८० ग्राम स्टेक खाने के बाद नहीं।”
लेकिन, क्या ऐसा हो सकता है कि थॉमस का आहार उस पर बुरा प्रभाव डाल रहा हो, धीरे-धीरे उसे दिल के दौरे के लिए तैयार कर रहा हो? अपनी किताब हम कैसे मरते हैं (अंग्रेज़ी) में, डॉ. शरवन नूलैंड ‘ऐसी जीवनशैली’ के बारे में बताता है, ‘जो आत्मघाती है’ और उसमें ‘गोश्त, ढेरों बेकन और मक्खन’ का आहार शामिल है।
अनेक लोगों में अमुक भोजन-वस्तुएँ कैसे दिल की बीमारी का कारण होती हैं? उनमें ऐसा क्या है जिससे ख़तरा पैदा होता है? इन सवालों पर चर्चा करने से पहले, आइए हम मोटापे से जुड़े स्वास्थ्य के ख़तरों पर ध्यान दें।
[पेज 3 पर तसवीर]
ऐसा आहार चिंता का विषय क्यों है?