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g97 12/8 पेज 3-5

ध्वनि—एक आधुनिक बाधा

ब्रिटॆन में सजग होइए! संवाददाता द्वारा

“यह जीवन में अत्यधिक तनाव लाती है।”—माकीस त्सापोगास, विश्‍व स्वास्थ्य संगठन का परामर्शदाता।

“यह अमरीका की सबसे व्यापक प्रदूषक है।”—द बॉस्टन सन्डे ग्लोब, अमरीका।

“यह हमारे समय की सबसे अनर्थकारी प्रदूषक है।”—डेली ऎक्सप्रॆस, लंदन, इंग्लैंड।

आप इसे देख, सूँघ, चख, अथवा छू नहीं सकते। ध्वनि, आधुनिक शहरी जीवन का श्राप, अब गाँवों को भी प्रदूषित कर रही है।

क़रीब १६ साल तक प्रकृति की आवाज़ें रिकॉर्ड करनेवाले एक अमरीकी प्रकृति-विज्ञानी ने पाया है कि उसका कार्य बहुत कठिन होता जा रहा है। वर्ष १९८४ में उसने वॉशिंगटन राज्य, अमरीका में २१ स्थानों का अध्ययन किया जो १५ मिनट या अधिक समय तक ध्वनि मुक्‍त थे। पाँच साल बाद, ऐसे केवल तीन स्थान बचे थे।

संसार के अनेक निवासियों के लिए, तीन ध्वनि-मुक्‍त स्थान ढूँढ़ना एक चुनौती है। जापान में, १९९१ की एक राष्ट्रव्यापी रिपोर्ट ने कहा कि किसी दूसरे क़िस्म के प्रदूषण की तुलना में अधिक शिकायतें ध्वनि से संबंधित थीं। सचमुच, लंदन का द टाइम्स उचित ही ध्वनि को “वर्तमान समय की सबसे बड़ी विपत्ति” कहता है। एक कुत्ते की लगातार खिजाऊ भौं-भौं से लेकर पड़ोसियों के कानफोड़ू स्टीरियो या एक कार के चोर-अलार्म अथवा रेडियो के निरंतर शोर तक, ध्वनि आम बात हो गयी है। लेकिन, ध्वनि प्रदूषण नया नहीं। इसका एक लंबा इतिहास है।

यह कोई नयी समस्या नहीं

यातायात में बाधा को दूर करने के लिए, जूलियस सीज़र ने दिन के दौरान रोम के मध्य से पहिएदार वाहनों के आने-जाने पर रोक लगा दी। उसके लिए और उसके संगी रोमियों के लिए दुःख की बात थी कि इस आज्ञा के कारण रात को अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण हुआ, “जब लकड़ी या लोह-पहिया गाड़ियाँ पथरीली सड़कों पर खड़खड़ाती हुई जाती थीं।” (द सिटी इन हिस्ट्री, लूइस ममफ़र्ड द्वारा) एक शताब्दी से भी अधिक समय बाद, कवि जूवनॆल ने शिकायत की कि ध्वनि के कारण रोमियों को हमेशा का अनिद्रा-रोग हो गया।

सोलहवीं शताब्दी तक, इंग्लैंड की राजधानी, लंदन एक व्यस्त महानगर बन गया था। इलिज़बॆथ-युगीन इंग्लैंड (अंग्रेज़ी) की लेखिका, ऐलिसन प्लाउडन लिखती है, “अधिकतर आगंतुकों को सबसे पहले शोर ने प्रभावित किया होगा: हज़ार कारख़ानों से खटर-पटर और हथौड़े की धम्‌-धम्‌, पहिया-गाड़ियों की खड़खड़ाहट और चूँ-चूँ, बाज़ार ले जाये जा रहे मवेशियों का रँभाना, अपने-अपने सामान का बखान करते हुए सड़कों पर बेचनेवालों की कर्कश पुकार।”

अठारहवीं शताब्दी में शुरू हुई औद्योगिक क्रांति। अब यांत्रिक ध्वनि के प्रभाव प्रकट होने लगे जब कारख़ानों में काम करनेवालों की श्रवण-शक्‍ति ख़राब होने लगी। लेकिन कारख़ानों से दूर, शहर में रहनेवालों ने भी बढ़ती परेशानी की शिकायत की। इतिहासकार थॉमस कार्लाइल ने लंदन में अपने घर की छत पर “अति ध्वनि-मुक्‍त कमरे” में शरण ली ताकि मुर्गों की बाँगों, पड़ोसियों के पियानों, और नज़दीकी सड़क यातायात से बच सके। द टाइम्स रिपोर्ट करता है: “यह कारगर नहीं रहा।” क्यों? “तब उसे ढेरों अन्य आवाज़ों ने पागल कर दिया, जिसमें नौका सीटियाँ और रेलवे सीटियाँ शामिल थीं”!

एक व्यापक आधुनिक प्रदूषक

आज ध्वनि विरोधियों का ध्यान हवाई-अड्डों पर लगा है क्योंकि विमान-सेवाएँ ध्वनि प्रदूषण के विरुद्ध नियम बनाने के प्रयासों का कड़ा विरोध करती हैं। जब इंग्लैंड में मैनचॆस्टर हवाई-अड्डे ने सुपरसॉनिक कॉनकॉर्ड की हर उड़ान पर अनिवार्य जुरमाना लगा दिया, तब क्या यह प्रभावकारी रहा? जी नहीं। कॉनकॉर्ड के एक कप्तान ने स्वीकार किया कि विमान आवाज़ करता है लेकिन यदि वह ध्वनि स्तर घटाने के लिए कम ईंधन लेकर उड़ान भरे, तो वह बिना रुके टरॉन्टो या न्यू यॉर्क नहीं पहुँच सकता।

सड़क यातायात की ध्वनि को रोकना भी उतना ही समस्यापूर्ण है। उदाहरण के लिए, जर्मनी में अध्ययन दिखाते हैं कि इस क़िस्म के प्रदूषण से ६४ प्रतिशत जनता परेशान है। और यह एक बढ़ती समस्या है। रिपोर्ट है कि समाज में मोटर का प्रयोग शुरू होने के बाद से यह एक हज़ार गुना बढ़ गयी है। यूनान से एक रिपोर्ट बताती है कि “ऐथॆन्स यूरोप का एक बहुत ही शोरग़ुल वाला शहर है और शोर इतना बुरा है कि यह ऐथॆन्सवासियों के स्वास्थ्य को हानि पहुँचा रहा है।” उसी प्रकार, जापान की पर्यावरण संस्था यातायात ध्वनि में एक बिगड़ता रुख़ देखती है और इसका दोष मोटर-गाड़ियों के निरंतर बढ़ते प्रयोग को देती है। धीमी गति में, कार का इंजन आवाज़ का मुख्य कारण है, लेकिन ६० किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक की गति में, पहिये सबसे अधिक आवाज़ करते हैं।

ब्रिटॆन में ध्वनि शिकायतों का सबसे बड़ा कारण है अड़ोस-पड़ोस की आवाज़ें। वर्ष १९९६ में, ब्रिटॆन के ‘चार्टर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ़ एनवायर्नमॆंटल हॆल्थ’ ने ऊधमी पड़ोसियों के बारे में शिकायतों में १०-प्रतिशत वृद्धि बतायी। इंस्टीट्यूट की एक प्रवक्‍ता ने टिप्पणी की: “यह समझाना कठिन है। एक तत्त्व यह हो सकता है कि कार्यस्थल पर आये दबावों के कारण लोग यह बढ़ती माँग कर रहे हैं कि घर पर शांति और चैन हो।” ब्रिटॆन में १९९४ के दौरान दर्ज़ की गयी सभी शिकायतों में से दो तिहाई देर-रात संगीत और शोर करनेवाले कार इंजन, अलार्म और भोंपू से संबंधित थीं। लेकिन अनुमानित ७० प्रतिशत ध्वनि-प्रदूषण पीड़ितों का क्या जो प्रतिहिंसा के भय से कोई शिकायत नहीं करते? समस्या सचमुच सर्वव्यापी है।

व्यापक ध्वनि बाधा के फलस्वरूप, पर्यावरण को सुरक्षित रखने को कृतसंकल्प संस्थाएँ ध्वनि प्रदूषण को घटाने के लिए नियम बनाने का आग्रह करती हैं। उदाहरण के लिए, अमरीका में, कुछ समुदायों ने भू-दृश्‍य सज्जा में विद्युत उपकरणों के प्रयोग को सीमित करने के लिए स्थानीय नियम बनाये हैं। ब्रिटॆन में, एक नये ध्वनि अधिनियम का निशाना हैं ऊधमी पड़ोसी, और यह रात ११ बजे से सुबह ७ बजे तक इसका उल्लंघन करने पर तुरंत जुरमाना करने का अधिकार देता है। स्थानीय अधिकारियों को आपत्तिजनक स्टीरियो उपकरण को ज़ब्त करने का अधिकार भी दिया गया है। फिर भी, आवाज़ हो रही है।

ध्वनि प्रदूषण सचमुच एक बढ़ती समस्या है, इसलिए आप शायद उचित ही यह सोचें कि इसके शिकार, आप क्या कर सकते हैं। लेकिन, यह भी है कि आप कैसे शोर मचाने से दूर रह सकते हैं? क्या कभी स्थायी शांति और चैन होगा? उत्तर पाने के लिए आगे के लेख पढ़िए।

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